हमें अलग अलग कूड़ेदान में कचरा क्यों फेंकना चाहिए? - hamen alag alag koodedaan mein kachara kyon phenkana chaahie?

कूड़ेदान – साफ-सुथरी जगह हर किसी को पसंद है लेकिन उसे साफ करना शायद ही किसी को अच्छा लगता हो. हर इंसान के जीवन में स्वच्छ जगह का महत्व होता है इसलिए कहा जाता है कि जहां स्वच्छता होती है वहीं पर माता लक्ष्मी भी वास करती हैं.

हम साफ-सुथरे घर में रहना पसंद करते हैं यहां तक कि साफ-सुथरे बिस्तर पर ही हमें सुकून की नींद आती है. जबकि कहीं बाहर जाने पर हमें इस मामले में काफी एडजस्ट करना पड़ता है. जैसे- ट्रेन में सफर करते वक्त हमें सोने के लिए संकरी सीट पर एडजस्ट होकर सोना पड़ता है और घर जैसी साफ-सफाई भी हमें कहीं और नहीं मिलती है.

दरअसल हम किस जगह पर अच्छा महसूस करते हैं और किस जगह पर असहज महसूस करते हैं इन सब बातों का अहसास हमारा सचेत दिमाग ही कराता है. हमें अपने ऑफिस की जगह पर कैसा लगता है और कार या किसी पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सफर करते वक्त कैसा महसूस होता है ये सब हमारे दिमाग की सचेत अवस्था पर निर्भर करता है.

अब अगर आप इन बातों पर गौर करेंगे तो आपको कितनी ही ऐसी भूली बिसरी बातें याद आएंगी जब आपको कहीं ना कहीं, किसी ना किसी जगह पर काफी असहज महसूस हुआ होगा, हो सकता है कि ये असहजता आपको गंदगी या कूड़े को देखकर भी हुई हो.

लेकिन क्या आपको कभी भी एक ऐसी चीज की कमी का अहसास हुआ है जिसकी वजह से आपने कई बार असहज महसूस किया होगा. शायद आपने उस चीज पर कभी गौर ना किया हो लेकिन ये वही चीज है जो प्रधानमंत्री मोदी के स्वच्छ भारत के सपने को साकार करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है.

हमें अलग अलग कूड़ेदान में कचरा क्यों फेंकना चाहिए? - hamen alag alag koodedaan mein kachara kyon phenkana chaahie?

कूड़ेदान के इस्तेमाल की डालें आदत

जी हां, हम बात कर रहे हैं कूड़ेदान की, भारत की इस घनी आबादी में आज भी हममें से अधिकांश लोग सड़कों के किनारे कूड़ेदान होते हुए भी बेखौफ सड़क पर गंदगी फैलाते हैं. ऐसा हम इसलिए नहीं करते हैं कि हमें सड़क पर गंदगी फैलाना अच्छा लगता है बल्कि हम ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि हम अपनी आदत से लाचार हैं.

आदत कूड़ेदान को ना इस्तेमाल करने की, आदत कूड़ेदान के होते हुए भी कचरा इधर-उधर फेंकने की. लेकिन ये बात भी सच है कि जितने लोग कूड़ेदान में कचरा डालने की आदत को अपनी जिंदगी में शामिल करेंगे उतनी ही तेजी से हमारा भारत स्वच्छता की राह पर आगे बढ़ेगा.

कहते हैं कि अच्छी या बूरी आदत बच्चे बड़ों से ही सिखते हैं. इसलिए अगर हम कूड़ेदान का इस्तेमाल करने की आदत डालेंगे तभी तो हमारे बच्चे भी इस अच्छी आदत को अपनाएंगे और कहीं भी कचरा फेंकने के बजाय कूड़ेदान का ही इस्तेमाल करेंगे.

सभ्य जीवनशैली का हिस्सा बनें हम

मोहनजोदड़ो की सभ्यता से तो हर कोई वाकिफ है ये वही प्राचीन सभ्यता है जो सिंचाई और जल निकासी की सबसे अच्छी व्यवस्था के लिए आज भी जानी जाती है. तो चलिए आज और अभी से हम सब मिलकर कचरा प्रबंधन की उचित व्यवस्था की इस अनोखी सभ्यता की शुरूआत करें.

कूड़ेदान सिर्फ स्वच्छता के लिए जरूरी नहीं है बल्कि ये सभ्य जीवनशैली की मूलभूत जरूरत भी है. हम सभी अगर इस सभ्य जीवनशैली का हिस्सा बनेंगे तभी तो केले का छिलका, मूंगफली का छिलका या फिर कागज के टुकड़े जैसे छोटे से छोटे कचरे को भी इधर-उधर ना फेंककर कूड़ेदान में ही डालेंगे.

अगर कहीं कूड़ेदान का अभाव हो तो हम ऐसे छोटे-मोटे कूड़े को अपने पर्स, हैंडबैग या किसी कैरी बैग में रख लेंगे और जब कूड़ेदान के पास पहुंचेंगे तो उसे उसमें डाल देंगे.

हर जगह पर हो कूड़ेदान की व्यवस्था

गली, सड़क और चौराहे से लेकर हर जगह पर कूड़ेदान की व्यवस्था हो, इसके लिए भी हम सभी को अपना योगदान देना होगा. इन जगहों पर कूड़ेदान की ऐसी व्यवस्था हो कि ये हर किसी की पहुंच में आसानी से आ सके. हालांकि इस काम में पंचायत, नगरपालिका या महानगरपालिका प्राधिकरण अपना सकारात्मक योगदान दे सकती है.

हमें स्वच्छ स्थान के मॉडल को विकसित करने में अपना बहुमूल्य योगदान देना होगा, ये तभी मुमकिन हो सकेगा जब हर कोई कूड़ा फेंकने के लिए कूड़ेदान के इस्तेमाल की आदत को अपनाएगा. इसके लिए ये जरूरी है कि हर सड़क और चौराहे पर करीब 25 मीटर की दूरी पर कूड़ेदान की व्यवस्था की जाए ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इसका इस्तेमाल कर सकें.

आज भी आमतौर पर देखा जाता है कि बड़े-बड़े दूकानों से निकलने वाले कूड़े को सड़क पर ही फेंक दिया जाता है. जबकि कचरे का डिब्बा उनकी पहुंच से ज्यादा दूर नहीं होता है लेकिन अब बहुत हो गया हम सभी को अपनी इस आदत को बदलना होगा और कचरा फेंकने के लिए कचरे के डिब्बे का ही इस्तेमाल करना होगा.

तो चलिए हम सब अभी से ये प्रण लेते हैं कि सड़क पर कभी गंदगी नहीं फैलाएंगे और कूड़ा फेंकने के लिए हमेशा कूड़ेदान का ही इस्तेमाल करेंगे. ऐसा करके हम दुनिया के सामने सभ्य जीवनशैली की एक नई मिसाल पेश करेंगे.

प्रमुख संवाददाता, नोएडा

नोएडा अथॉरिटी 1 जुलाई से शहर में वेस्ट सेगरीगेशन (गीला-सूखा कचरा अलग-अलग) शुरू करने जा रही है। अगर आप कन्फ्यूज हैं कि कौन से डस्टबिन में कौन सा कूड़ा डालना है तो एनबीटी इसके बारे में आपको जानकारी दे रहा है। घर में आपको दो डस्टबिन रखने हैं। एक में किचन वेस्ट और दूसरे में सूखा कचरा डालना है। इसके अलावा बायोमेडिकल वेस्ट को अलग से दें। सार्वजनिक स्थानों पर तीन तरह के डस्टबिन रखे जाएंगे।

हरे कूड़ेदान में डालें गीला कचरा

रसोई घर से निकलने वाला सभी तरह का गीला कचरा इसमें डालें। सब्जियों-फल के छिलके, चाय पत्ती, खाना बनाने के दौरान जो गीला कचरा इकट्ठा होता है उसे हरे डस्टबिन में डालना है। इसके अलावा पूजा सामग्री, फूल भी इसी में डालने हैं।

नीले में डालें सूखा कचरा

प्लास्टिक कवर, बोटल, चिप्स पैकेट के रैपर, दूध की खाली थैली, पिज्जा बॉक्स पेपर, मेटल, जार व अन्य प्रकार का हार्ड वेस्ट समेत जो भी घर में सूखा कचरा निकलता है उसे नीले कूड़ेदान में डालना है।

लाल या काले डस्टबिन में डालें यह सामान

इसमें खतरनाक ठोस अपशिष्ट डालने हैं जिसमें किसी भी प्रकार का बायोमेडिकल वेस्ट, सेनिटरी नेपकिन, डायपर, कंडोम, एक्सपायर दवाई।

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आपको कचरे को अलग अलग कूड़ेदान में अलग क्यों करना चाहिए?

सूखे ओर गीले कचरे को मिक्स करने पर इनको बाद में अलग अलग करना असम्भव हो जाता है,ओर इस कारण मिक्स कचरे का निपटान बहुत मुश्किल हो जाता है। इस कारण से सूखे ओर गीले कचरे को अलग अलग कूड़ेदान में रखने का कहा जाता है और घरों से दोनों तरह के कचरे को अलग अलग ले जाया जाता है।

कचरा अलग करने से क्या होता है?

हर कचरे को मिलाने से कूड़ा पूरी तरह डिकंपोज नहीं हो पाता। इससे कूड़े का ढेर लगता जाता है, जो प्रदूषण बढ़ता है। कचरा अलग-अलग करने से इसकी प्रॉसेसिंग आसान हो जाती है। गीले कचरे से खाद और सूखे कचरे की रीसाइक्लिंग हो सकती है।

हमें कचरा क्यों नहीं फैलाना चाहिए?

कूड़ेदानों के अभाव में गलियों में पड़े कचरे को उठाने के बजाय उसमें वही पर आग लगा देते है। जिससे वायु प्रदूषण फैलता है। -मनोज। डंपरों में जमा कूड़ा में नमी नहीं जानी चाहिए इससे बीमारियां फैलती हैं।

हमें कचरा इधर उधर क्यों नहीं फेंकना चाहिए 3 पंक्तियों में उत्तर लिखिए?

हमें कचरा __कूड़ेदान__ में फेंकना चाहिएइधर-उधर कचरा फेंकने से ना केवल गंदगी होती है बल्कि बीमारियां फैलने का भी खतरा उत्पन्न होता है। कूड़ेदान में कचरा फेंकर कूड़ेदान को ढक कर रखना चाहिए, जिससे किसी भी तरह के जीवाणु आदि हवा में नहीं फैलें।