अनामधन्या गोपालिका की कन्या संबोधन किसके लिए प्रयोग किया गया है? - anaamadhanya gopaalika kee kanya sambodhan kisake lie prayog kiya gaya hai?

 भक्तिन:- Bhaktin class 12 summary and MCQs CBSE 

  • पाठ का सार 
  •    गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न:-
  • अध्याय पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न
  • उत्तरमाला

पाठ का सार 

भक्तिन के व्यक्तित्व का चित्रण:- 

भक्तिन छोटे कद व दुबले शरीर की गाँव में रहने वाली एक स्त्री थी। छोटी आँखें, पतले होंठ तथा सदैव गले में कंठी की माला पहनने वाली इस भक्तिन का असली नाम लछमिन अर्थात् लक्ष्मी था, लेकिन वह अपने नाम के ठीक विपरीत थी, इसलिए उसने लेखिका को भी अपना नाम प्रयोग में लाने के लिए मना कर दिया था। संभवत: उसकी कंठी माला को देखकर ही लेखिका ने उसका नाम ‘भक्तिन’ रखा होगा।

भक्तिन की सौतेली माँ:- 

झूसी गाँव में एक प्रसिद्ध योद्धा की लड़की लक्ष्मी का

पालन-पोषण उसकी सौतेली माँ ने किया था। उसकी शादी 5 वर्ष की आयु में तथा गौना 9 वर्ष की आयु में ही हँडिया गाँव के एक संपन्न गोपालक के छोटे पुत्र के साथ करा दिया गया था। विमाता को यह डर हमेशा सताता रहता था कि लक्ष्मी के पिता कहीं सारी जायदाद उसके नाम ही न कर दें, इसलिए लक्ष्मी के पिता जब गंभीर रूप से बीमार पड़े, तो इसकी सूचना लक्ष्मी को नहीं दी गई। अत: पिता की मृत्यु का दु:खद समाचार उसे मायके आकर ही मिला। सौतेली माँ का बुरा व्यवहार देखकर उसने मायके में पानी भी नहीं पिया और ऐसे ही ससुराल लौट आई। उसने अपने पिता की मृत्यु का भीषण दुःख अपने पति को कड़वे वचन कहकर व्यक्त किया।

लक्ष्मी का विवाहित जीवन:- 

ससुराल में भी भक्तिन को अब तक की भाँति दुःख ही मिला। सास के तीन कमाने वाले बेटे थे। लक्ष्मी सबसे छोटे बेटे की पत्नी होने के कारण अपनी बेटियों सहित घर का सारा काम करती थी और जिठानियाँ अपने पुत्रों के साथ मौज-मस्ती से उस घर में रहती थीं। लक्ष्मी की तीन बेटियाँ थीं। बड़ी बेटी के विवाह के उपरांत ही भक्तिन के पति का देहांत हो गया। अपनी संपत्ति को सुरक्षित रखने के लिए उसने अपनी बेटियों का विवाह कम उम्र में ही कर दिया। जायदाद के लिए उनके परिवार में लड़ाई-झगड़ा चलता ही रहता था, इसलिए उसने अपने बड़े दामाद को घरजमाई बना लिया। लेकिन भक्तिन का दुर्भाग्य जैसे उसके साथ-साथ चलता हो, क्योंकि शीघ्र ही उसके बड़े दामाद का भी निधन हो गया और वह फिर दुःखों से घिर गई। बड़े जेठ का लड़का भक्तिन की संपत्ति पाने के उद्देश्य से अपने साले से उसकी बड़ी बेटी का विवाह करवाना चाहता है, लेकिन उसकी मंशा को भाँपते हुए लड़की ने विवाह करने से मना कर दिया। जेठ के लड़के का साला लक्ष्मी की बड़ी बेटी से शादी करने की ज़िद में जबरदस्ती घर में घुस गया, तो बड़ी लड़की ने उसे अच्छी तरह पीटा। उस युवक ने सभी से झूठ बोला कि इसी लड़की ने मुझे बुलाया था। उसकी बातों में आकर पंचायत ने भी उन्हें पति-पत्नी की तरह साथ रहने का निर्णय सुना दिया। उन्हें दुःखी होकर भी पंचायत का निर्णय मानना पड़ा, किंतु अब घर में गरीबी रहने लगी, झगड़ा होने लगा तथा लगान समय पर न चुका पाने के कारण ज़मींदार ने भक्तिन को दिन भर धूप में खड़े रहने का दंड दिया। इस अपमान और कलंक को भक्तिन सह न सकी और वह कमाने के उद्देश्य से शहर में आ गई।

भक्तिन का शहरी जीवन:-

शहर में भक्तिन लेखिका के पास रहकर उसके घर का काम आदि करने लगी। सुबह के समय भक्तिन नहाकर लेखिका की धुली धोती पहनकर दो मिनट जप करती और सूर्य एवं पीपल को अर्घ्य देती, फिर खाना बनाती। भक्तिन दूसरों को तो अपने जैसा बनाने को तैयार रहती, परंतु स्वयं को बदलने के लिए तैयार नहीं थी। उसने लेखिका को गाँव में खाए जाने वाले साधारण भोजन की विशेषताएँ बताईं। वह गाँव की भाँति लेखिका को ‘ओए’ कहकर ही बुलाती थी।

भक्तिन के तर्क-वितर्क करने संबंधी गुण:-

लेखिका जब रुपयों को इधर-उधर रख देती थी, तब भक्तिन

उन्हें इकट्ठा कर मटकी में डाल देती थी और लेखिका के पूछने पर वह शास्त्रार्थ करती हुई कहती कि रुपयों को उसने सँभालकर रख दिया। इसी प्रकार उसने सिर मुंडवाने की बात पर लेखिका से कहा कि सिद्ध, सिर मुंडवाकर तीर्थ जाते हैं। लेखिका के हस्ताक्षर करने वाले नियम पर भक्तिन ने बड़े तर्क के साथ उनकी बात यह कहकर टाल दी कि यदि वह पढ़ने लगी, तो घर गृहस्थी कौन देखेगा?

लेखिका के प्रति भक्तिन का सेवा भाव:-

लेखिका के साथ भक्तिन हर समय उपस्थित रहती थी, जिससे लेखिका को जिस किसी भी चीज़ की आवश्यकता हो, तो वह उसकी मदद कर सके। वह लेखिका के लिए भोजन का प्रबंध करती, उसके कपड़े धोती, उसकी पुस्तकों को तरीके से रखती, आदि कार्य करती।

वह लेखिका के साथ बद्रीनाथ व केदारनाथ भी गई थी। भक्तिन की बेटी और दामाद जब उसे बुलाने आए, तो वह लेखिका को छोड़ने का मन न बना पाई। लेखिका के सामने भक्तिन ने धन के महत्त्व को भी कम कर दिया। वह लेखिका के लिए अपना सब-कुछ लुटाने को तैयार थी।

भक्तिन और लेखिका के गूढ संबंध:-

इन दोनों के बीच स्वामी और सेविका का संबंध न रहकर

आत्मिक संबंध विकसित हो गए थे। भक्तिन लेखिका के

परिचितों का सम्मान लेखिका की इच्छानुसार ही करती थी।

भक्तिन छात्रावास की बालिकाओं को चाय इत्यादि बनाकर

देती थी। लेखिका चाहकर भी भक्तिन को अपने से दूर नहीं कर पाई। भक्तिन लोगों के लंबे बाल और अस्त व्यस्त वेशभूषा देखकर टीका-टिप्पणी भी करती थी। इस प्रकार भक्तिन और लेखिका के बीच अत्यंत गूढ़ संबंध स्थापित हो चुके थे।

   गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न:-

  1. सेवक-धर्म में हनुमान जी से स्पर्धा करने वाली भक्तिन किसी अंजना की पुत्री न होकर एक अनामधन्या

गोपालिका की कन्या है-नाम है लछमिन अर्थात् लक्ष्मी,

पर जैसे मेरे नाम की विशालता मेरे लिए दुर्बह है, वैसे ही

लक्ष्मी की समृद्धि भक्तिन के कपाल की कुंचित रेखाओं में नहीं बँध सकी। वैसे तो जीवन में प्रायः सभी को

अपने-अपने नाम का विरोधाभास लेकर जीना पड़ता है,

पर भक्तिन बहुत समझदार है, क्योंकि वह अपना

समृद्धि-सूचक नाम किसी को बताती नहीं। केवल जब

नौकरी की खोज में आई थी, तब ईमानदारी का परिचय

देने के लिए उसने शेष इतिवृत्त के साथ यह भी बता दिया, पर इस प्रार्थना के साथ कि मैं कभी नाम का उपयोग न करूँ।

(क) किसकी दशा अपने नाम से बिल्कुल मेल नहीं खाती

थी?

(i) लेखिका की

(ii) भक्तिन की

(ii) जेठानी की

(iv) सास की

(ख) ‘अनामधन्या गोपालिका की कन्या’ संबोधन किसके

लिए प्रयोग किया गया है?

(i) धन की देवी

(ii) महादेवी

(iii) भक्तिन

(iv) लेखिका

(ग) लेखिका के अनुसार किसको अपने नाम का विरोधाभास

लेकर जीना पड़ता है?

(i) भक्तिन को

(ii) दरिद्र व्यक्ति को

(iii) महादेवी को

(iv) ये सभी

(घ) ‘शेष इतिवृत्त’ से लेखिका का क्या अभिप्राय है?

(i) आधा वर्णन

(ii) संपूर्ण वर्णन

(iii) महत्त्वपूर्ण वर्णन (iv) शेष वर्णन

(ङ) भक्तिन द्वारा अपना असली नाम किसी को नहीं बताने

का क्या कारण था?

(i) नाम की गुणवत्ता का असर उसके जीवन में कहीं

भी दिखाई नहीं देना

(ii) नाम अच्छा न होना

(iii) विमाता की ईर्ष्या-द्वेष का होना

(iv) समाज से अपनी सच्चाई छिपाना

  1. जीवन के दूसरे परिच्छेद में भी सुख की अपेक्षा दुःख ही

अधिक है। जब उसने गेहुँए रंग और बटिया जैसे मुख वाली

पहली कन्या के दो संस्करण और कर डाले तब सास और

जिठानियों ने ओंठ बिचकाकर उपेक्षा प्रकट की। उचित भी

था, क्योंकि सास तीन-तीन कमाऊ वीरों की विधात्री बनकर

मचिया के ऊपर विराजमान पुरखिन के पद पर अभिषिक्त

हो चुकी थी और दोनों जिठानियाँ काक-भुशंडी जैसे काले 

लालों की क्रमबद्ध सृष्टि करके इस पद के लिए उम्मीदवार

थीं। छोटी बहू के लीक छोड़कर चलने के कारण उसे दंड

मिलना आवश्यक हो गया।

(क) ‘जीवन के दूसरे परिच्छेद’ से क्या आशय है?

(i) वैवाहिक जीवन

(ii) अवैवाहिक जीवन

(ii) संन्यासी जीवन

(iv) मिश्रित जीवन

(ख) भक्तिन ने कितनी लड़कियों को जन्म दिया था?

(ii) दो

(i) पाँच

(iii) चार

(iv) तीन

(ग) भक्तिन के पुत्र न होने पर उसकी सास द्वारा उपेक्षा प्रकट

करना किस कारण उचित था?

(i) क्योंकि वह लड़कियों को पसंद नहीं करती थी

(ii) क्योंकि वह स्वयं तीन पुत्रों को जन्म दे चुकी थी

(ii) क्योंकि वह भक्तिन से घृणा करती थी

(iv) क्योंकि वह और अधिक पुत्रियाँ चाहती थी

(घ) गद्यांश में प्रयुक्त ‘छोटी बहू’ संबोधन किसके लिए

प्रयुक्त हुआ है?

(i) महादेवी वर्मा

(ii) सास

(iii) भक्तिन

(iv) छोटी जेठानी

(ङ) लीक छोड़कर चलने से क्या अभिप्राय है?

(i) पुरानी परंपरा पर चलना

(ii) नए तरीके को छोड़कर पुराने पर चलना

(iii) सभी के साथ मिलकर चलना

(iv) पुरातन तरीके से अलग हटकर नए तरीके से चलना

  1. भक्तिन अच्छी है, यह कहना कठिन होगा, क्योंकि उसमें

दुर्गुणों का अभाव नहीं। वह सत्यवादी हरिश्चंद्र नहीं बन

सकती, पर ‘नरो वा कुंजरो वा’ कहने में भी विश्वास नहीं

करती। मेरे इधर-उधर पड़े रुपये-पैसे, भंडार-घर की

किसी मटकी में कैसे अंतरहित हो जाते हैं, यह रहस्य भी

भक्तिन जानती है। पर, उस संबंध में किसी के संकेत

करते ही वह उसे शास्त्रार्थ के लिए चुनौती दे डालती है,

जिसको स्वीकार कर लेना किसी तर्क-शिरोमणि के लिए

संभव नहीं। यह उसका अपना घर ठहरा, रुपया-पैसा जो

इधर-उधर पड़ा देखा, सँभालकर रख लिया।

यह क्या चोरी है। उसके जीवन का परम कर्त्तव्य मुझे

प्रसन्न रखना है। जिस बात से मुझे क्रोध आ सकता है,

उसे बदलकर इधर-उधर करके बताना, क्या झूठ है। इतनी

चोरी और इतना झूठ तो धर्मराज महाराज में भी होगा, नहीं

तो वे भगवान जी को कैसे प्रसन्न रख सकते और संसार

को कैसे चला सकते। 

(क) लेखिका ने ‘नरो वा कुंजरो वा’ वाक्यांश किस संदर्भ में

कहा था?

(i) महाभारत का प्रसंग बताने के लिए

(ii) भक्तिन के चरित्र के विषय में बताने के लिए

(iii) नर और कुंजर का अर्थ स्पष्ट करने के लिए

(iv) मनुष्य और देवता में अंतर बताने के लिए

(ख) भक्तिन द्वारा भंडार घर की मटकी में छिपाकर रखे

रुपयों को चोरी न मानने के पीछे क्या तर्क

दिया गया?

(i) यह रुपयों का एक स्थान पर संचयन करना है

(ii) यह रुपयों के अपव्यय को रोकना है

(i) यह आपातकाल के लिए बचाई गई राशि है

(iv) यह भक्तिन की स्वयं की कमाई है

(ग) लेखिका के क्रोध से बचने के लिए भक्तिन क्या करती थी?

(i) बात को सीधे-सीधे बता देती थी

(ii) बात को इधर-उधर करके बताती थी

(iii) बात को छिपाकर रखती थी

(iv) बात ही नहीं करती थी

(घ) भक्तिन के जीवन का परम कर्तव्य किसे माना गया है?

(1) अपना जीवन सुधारना

(ii) लेखिका को प्रसन्न रखना

(iii) चोरी करना

(iv) लेखिका का विरोध करना

(ङ) भक्तिन के शास्त्रार्थ को स्वीकार करना किसके लिए

संभव नहीं था?

(i) तर्क शिरोमणि के लिए

(ii) धर्मराज के लिए

(iii) लेखिका के लिए

(iv) भगवान के लिए

  1. भक्तिन और मेरे बीच में सेवक-स्वामी का संबंध है, यह

कहना कठिन है; क्योंकि ऐसा कोई स्वामी नहीं हो सकता,

जो इच्छा होने पर भी सेवक को अपनी सेवा से हटा न

सके और ऐसा कोई सेवक भी नहीं सुना गया, जो स्वामी

के चले जाने का आदेश पाकर अवज्ञा से हँस दे। भक्तिन

को नौकर कहना उतना ही असंगत है, जितना अपने घर में

बारी-बारी से आने-जाने वाले अँधेरे-उजाले और आँगन

में फूलने वाले गुलाब और आम को सेवक मानना। वे

जिस प्रकार एक अस्तित्व रखते हैं, जिसे सार्थकता देने के

लिए ही हमें सुख-दुःख देते हैं, उसी प्रकार भक्तिन का

स्वतंत्र व्यक्तित्व अपने विकास के परिचय के लिए ही मेरे

जीवन को घेरे हुए है।

(क) गद्यांश के अनुसार लेखिका और भक्तिन के बीच कैसा

संबंध है?

(i) सेवक और स्वामी का

(ii) गुरु और शिष्या का

(iii) अँधेरे और उजाले का

(iv) उपरोक्त में से कोई नहीं

(ख) भक्तिन को नौकर कहना लेखिका को कैसा लगता है?

(i) संगत लगता है (ii) असंगत लगता है

(iii) उचित लगता है (iv) इनमें से कोई नहीं

(ग) गद्यांश में प्रकाश और अंधकार का उदाहरण किस लिए दिया गया है?

(i) दिन और रात में अंतर बताने के लिए

(ii) अच्छाई और बुराई का अंतर बताने के लिए

(iii) भक्तिन और महादेवी के संबंधों की तुलना के लिए

के

(iv) उपरोक्त सभी

(घ) लेखिका के जीवन को कौन घेरे हुए है?

(i) भक्तिन का स्वतंत्र व्यक्तित्व

(ii) स्वयं का एकाकीपन

(iii) दुःखों का घेरा

(iv) उपरोक्त में से कोई नहीं

(ङ) लेखिका के व्यक्तित्व के कई अनछुए आयाम किसके

कारण से प्रकट होते गए?

(i) उच्च साहित्यकार के कारण

(ii) विशिष्ट रचना साहित्य के कारण

(iii) अध्ययनशील प्रवृत्ति के कारण

(iv) भक्तिन के कारण

  1. मेरे परिचितों और साहित्यिक बंधुओं से भी भक्तिन विशेष

परिचित है; पर उनके प्रति भक्तिन के सम्मान की मात्रा,

मेरे प्रति उनके सम्मान की मात्रा पर निर्भर है और सद्भाव

उनके प्रति मेरे सद्भाव से निश्चित होता है। इस संबंध में

भक्तिन की सहजबुद्धि विस्मित कर देने वाली है।

वह किसी को आकार-प्रकार और वेश-भूषा से स्मरण

करती है और किसी को नाम के अपभ्रंश द्वारा। कवि और

कविता के संबंध में उसका ज्ञान बढ़ा है; पर आदर-भाव

नहीं। किसी के लंबे बाल और अस्त-व्यस्त वेश-भूषा 

देखकर वह कह उठती है-‘का ओहू कवित्त लिखे जानत

हैं और तुरंत ही उसकी अवज्ञा प्रकट हो जाती है-तब ऊ

कुच्छै करिहैं-धरिहैं ना-बस गली-गली गाउत-बजाउत

फिरिहैं।

(क) भक्तिन विशेष रूप से किन से परिचित है?

(i) केवल लेखिका के सगे-संबंधियों से

(ii) लेखिका के परिचितों व साहित्यिक बंधुओं से

(iii) लेखिका के पालतू जीवों से

(iv) उपरोक्त में से कोई नहीं

(ख) भक्तिन की साहित्यकारों के प्रति सम्मान और सद्भाव

की भावना किस पर आधारित थी?

(i) स्वयं की इच्छा शक्ति पर

(ii) लेखिका की सोच पर

(iii) उनके साहित्य पर

(iv) उनकी रचना की संख्या पर

(ग) लेखिका को क्या विस्मित कर देता है?

(i) भक्तिन की पाक कला

(ii) भक्तिन का व्यक्तित्व

(iii) भक्तिन की सहजबुद्धि

(iv) भक्तिन की वेशभूषा

(घ) भक्तिन साहित्यकारों को कैसे स्मरण करती है?

(i) उनके आकार-प्रकारों से

(ii) उनकी वेश-भूषा से

(iii) उनके नाम के अपभ्रंश से

(iv) उपरोक्त सभी

(ङ) ‘तब ऊ कुच्छै करिहैं-धरिहैं ना-बस गली-गली गाउत-बजाउत फिरिहैं’ पंक्ति की खड़ी बोली हिंदी में कैसे प्रस्तुत करेंगे?

(i) तब वे कुछ करते-धरते नहीं-बस गली-गली

गाते-बजाते फिरते हैं

(ii) तब वे कुछ नहीं करते बस गलियों में गाते-बजाते

फिरते हैं

(iii) तब वे कुछ करते भी हैं या गलियों में ही

गाते-फिरते हैं

(iv) तब वे कुछ करते-धरते भी हैं या गलियों में गाते-बजाते फिरते हैं

अध्याय पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न

  1. भक्तिन का व्यक्तित्व कैसा था?

(क) बलिष्ठ और लंबे कद वाली

(ख) दुबले शरीर की छोटे कद वाली

(ग) कुशकाया वृद्ध

(घ) कमजोर तथा बीमार

  1. भक्तिन के सेवक धर्म की तुलना की गई है

(क) हनुमान जी से (ख) लक्ष्मण जी से

(ग) तुलसीदास जी से (घ) वाल्मिकी जी से

  1. भक्तिन का मूल नाम क्या था?

(क) भक्तमालिनी (ख) लक्ष्मी

(ग) सरस्वती

(घ) गोपिका

  1. भक्तिन के लेखिका को अपना नाम कब बताया?

(क) जब वह लेखिका के पास नौकरी की खोज में आई थी

(ख) जब वह पहली बार लेखिका से मिली

(ग) जब वह लेखिका के पास दूसरी बार आई

(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं

  1. भक्तिन ने लेखिका से क्या प्रार्थना की?

(क) कि वह उसे भक्तिन कहकर न बुलाए

(ख) कि वह उसे उसके वास्तविक नाम से ही बुलाए

(ग) कि वह उसे उसे वास्तविक नाम से न बुलाए

(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं

  1. ‘लक्ष्मी’ का नाम ‘भक्तिन’ किसने रखा?

(क) उसकी माता ने (ख) उसके पिता ने

(ग) उसके पति ने

(घ) लेखिका ने

  1. भक्तिन का विवाह कब हो गया था?

(क) 17 वर्ष की उम्र में (ख) पाँच वर्ष की उम्र में

(ग) 21 वर्ष की उम्र में (घ) 11 वर्ष की उम्र में

  1. भक्तिन को अपने पिता की बीमारी का कब पता चला?

(क) जब उनकी मृत्यु हो गई

(ख) जब वे बहुत बीमार हो गए

(ग) जब वे उसके पास आए

(घ) जब वे घर से चले गए

  1. भक्तिन की विमाता ने उसे उसके पिता की मृत्यु के बारे

में क्यों नहीं बताया?

(क) उसके पिता भक्तिन को अधिक स्नेह करते थे

(ख) भक्तिन को विमाता उससे ईर्ष्या करती थी

(ग) विमाता को भक्तिन को संपत्ति दिए जाने का डर था

(घ) उपरोक्त सभी

  1. भक्तिन की सास ने उसके पिता की मृत्यु का समाचार

उससे क्यों छिपाया?

(क) कभी भक्तिन अधिक दुःखी हो जाए

(ख) वह भक्तिन से अधिक स्नेह रखती थी

(ग) रोने-पीटने के अपशकुन से बचने के लिए

(घ) कभी भक्तिन अपने घर चली जाए

  1. भक्तिन के लिए अप्रत्याशित अनुग्रह क्या था?

(क) सास द्वारा उसे ताने न देना

(ख) सास द्वारा उसे उसके मायके भेजना

(ग) सास द्वारा उसे गहने देना

(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं

  1. भक्तिन अपने ससुराल क्यों लौट आई?

(क) विमाता के व्यवहार में अशिष्टता के कारण

(ख) पिता की मृत्यु हो जाने के कारण

(ग) अपने अपमान के कारण

(घ) उपरोक्त सभी

  1. सास और जिठानियों ने ओठ बिचकाकर भक्तिन की

उपेक्षा क्यों की?

(क) क्योंकि उसने तीन कन्याओं को जन्म दिया था

(ख) क्योंकि उसको कोई संतान नहीं हुई थी

(ग) क्योंकि उसके पिता की मृत्यु हो गई थी

(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं

  1. ‘काकभुशंडी’ से किसकी तुलना की गई है?

(क) भक्तिन की तीनों लड़कियों से

(ख) भक्तिन की सास से

(ग) जेठानियों के काले पुत्रों से

(घ) भक्ति की जेठानियों से

  1. भक्तिन को लीक छोड़कर चलने का क्या दंड मिला?

(क) उससे घर के सभी काम कराए गए

(ख) उसे घर से बाहर निकाल दिया गया

(ग) उसे उसके पति द्वारा पिटवाया गया

(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं

  1. भक्तिन को उसके पति ने कभी क्यों नहीं पीटा?

(क) वह बड़े बाप की बड़ी बात वाली बेटी को पहचानता था

(ख) भक्तिन परिश्रमी थी और अपने पति से प्रेम करती थी

(ग) गाय-भैंस, खेल-खलिहान आदि में उसका ज्ञान

ज्यादा था

(घ) उपरोक्त सभी

  1. भक्तिन के पति की मृत्यु कब हो गई?

(क) जब भक्तिन उनतीस वर्ष की थी

(ख) जब भक्तिन का पति छत्तीस वर्ष से अधिक का था

(ग) बड़ी लड़की का विवाह करने के उपरांत

(घ) उपरोक्त सभी

  1. भक्तिन के जीवन का तीसरा परिच्छेद कब आरंभ

हुआ?

(क) पति के नाम पर खुद को समर्पित करके घर से

कभी न जाने की घोषणा करके

(ख) छोटी लड़कियों के हाथ पीले करके

(ग) बडत्रे दामाद को घर जमाई बनाकर

(घ) उपरोक्त सभी

  1. भक्तिन कमाई के विचार से शहर क्यों आई?

(क) लगान न दे पाने के कारण

(ख) जमींदार द्वारा दिन भर कड़ी धूप में खड़ा रखने के

कारण

(ग) अपनी कर्मठता पर लगे अपमान के कारण

(घ) उपरोक्त सभी

  1. लेखिका के अनुसार, भक्तिन की वेश-भूषा कैसी थी?

(क) गृहस्थ और वैरागी का सम्मिश्रण

(ख) एक गृहस्थ की तरह

(ग) एक वैरागी की तरह

(घ) फटेहाल

  1. भक्तिन का स्वभाव कैसा बन चुका था?

(क) केवल अपने मन की करना

(ख) दूसरों को अपने मन के अनुसार बना लेना

(ग) लेखिका की हर बात का पालन करना

(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं

  1. भक्तिन में किस चीज का अभाव नहीं है?

(क) सहगुणों का (ख) दुर्गुणों का

(ग) रुपये-पैसों का (घ) इनमें से कोई नहीं

  1. अपने सिर मुंडाने के बारे में भक्तिन ने लेखिका को क्या

तर्क दिया?

(क) तीरथ गए मुँडाए सिद्ध

(ख) एक विधवा के लिए यह आवश्यक है

(ग) शास्त्र के अनुसार यह उचित है

(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं

  1. भक्तिन अपने आपको महत्त्व देने के लिए क्या

करती थी?

(क) दिन भर पढ़ती रहती थी

(ख) शास्त्रों की व्याख्याएँ करती थी

(ग) अपनी मालकिन को असाधारण सिद्ध करती थी

(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं

  1. महादेवी वर्मा (लेखिका) के भ्रमण की एकांत साधिन

कौन थी?

(क) लेखिका की हिरनी सोना

(ख) लेखिका की बिल्ली गोधूलि

(ग) भक्तिन

(घ) लेखिका की सखी

  1. भक्तिन की सहजबुद्धि से लेखिका विस्मित क्यों थी?

(क) भक्तिन के जीवन में मार्मिकता है

(ख) भक्तिन छात्रावास के बच्चों की सुविधा-असुविधा

का ध्यान रखती है

(ग) वह सनातन नियमों से समझौता कर लेती है

(घ) उपरोक्त सभी

  1. भक्तिन की कमजोरी क्या है?

(क) कारागार जाने की (ख) तिलचट्टे से डरना

(ग) छिपकली से डरना (घ) लेखिका के पास रहना

  1. भक्तिन किसे अन्याय मानती है?

(क) चोरी करने को

(ख) नौकर को अकेला मुक्त छोड़ देने को

(ग) मालिक के साथ रहने को

(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं

  1. भक्तिन किससे लड़ने को तैयार है?

(क) बड़े लाट साहब से

(ख) लेखिका से

(ग) छात्रावास से बच्चों से (घ) इनमें से कोई नहीं

  1. लेखिका भक्तिन की कहानी को पूरा क्यों नहीं करना

चाहती?

(क) लेखिका भक्तिन को छोड़ना नहीं चाहती

(ख) लेखिका भक्तिन को खोना नहीं चाहती

(ग) लेखिका भक्तिन से पीछा छुड़ाना चाहती है

(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं

  1. लेखिका और भक्तिन का संबंध कैसा था?

(क) आत्मीयतापूर्ण

(ख) नौकरानी और स्वाभिनी का

(ग) परस्पर साख्य भाव का

(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं

  1. भक्तिन की चारित्रिक विशेषता है

(क) कर्त्तव्यपरायण

(ख) संघर्षशील

(ग) स्वाभिमानी

(घ) उपरोक्त सभी

  1. भक्तिन में कुछ दुर्गुण भी थे। वे हैं

में

(क) सबको अपने रंग में रंग लेना

(ख) हेरा-फेरी करना

(ग) असत्य बोलना

(घ) उपरोक्त सभी

  1. लेखिका भक्तिन को किसके समान पाती थी?

(क) अपनी छाया के समान

(ख) अपनी सेविका के समान

(ग) अपनी मित्र के समान

(घ) अपनी माता के समान

  1. ‘भक्तिन’ एक संस्मरणात्मक रेखाचित्र है। इसके

रचनाकार हैं

(क) फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ (ख) रामवृक्ष बेनीपुरी

(ग) रामकुमार वर्मा (घ) महादेवी वर्मा

उत्तरमाला

गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न:-

  1. क (ii). ख (iii). ग (iv). घ(ii). ङ (i)
  2. क (i). ख (iv). ग (ii). घ(iii). ङ (iv)
  3. क (ii). ख (i). ग (iI). घ(ii). ङ (i)

  4. क (i). ख (ii). ग (iii). घ(i). ङ (iv)

  5. क (ii). ख (ii). ग (iii). घ(iv). ङ (i)

अध्याय पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न:-

  1. (ख) 2. (क) 3. (ख) 4. (क) 5. (ग)
  2. (घ) 7. (ख) 8. (क) 9. (घ) 10. (ग)

  3. (ख) 12. (घ) 13. (क) 14. (ग) 15. (क) 

16.(घ)  17. (घ) 18. (घ) 19. (घ) 20. (क)

  1. (ख) 22. (ख) 23. (क) 24. (ग) 25. (ग) 
  2. (घ) 27. (क) 28. (ख) 29. (क) 30. (ख)

  3. (क) 32. (घ) 33. (घ) 34. (क) 35. (घ)