कुरान इस्लाम की सर्वोच्च किताब है, जो अल्लाह के संदेशों का संकलन है. मसलकों, फिरकों और दूसरी तरह के मतभेदों के बावजूद तमाम मुसलमानों का यह अकीदा है कि कुरान एक आसमानी और अल्लाह के द्वारा भेजी गई अंतिम किताब है. इसे अल्लाह ने अपने फरिश्ते (देवदूत) जिब्राइल के जरिए पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मुहम्मद साहब तक पहुंचाया. Show मुसलमानों का अकीदा है कि कुरान में न तो अतिरिक्त एक शब्द जोड़ा जा सकता है और न ही हटाया जा सकता है. यही वजह है कि पिछले दिनों जब वसीम रिजवी ने कुरान की कुछ आयतों को हटाने की बात की तो शिया-सुन्नी, देवबंद-बरेलवी सहित तमाम मुस्लिम उसके खिलाफ एकजुट नजर आए. कुरान शब्द का पहला जिक्र खुद कुरान में ही मिलता है, जहां इसका अर्थ है उसने पढ़ा. कुरान में कुरान का जिक्र 70 बार आया है. कुरान भी हर किताब की तरह कुछ भागों में बंटी हुई है. इसमें तीस सिपारे हैं. उन्हें पारे भी कहा जाता है. पूरी कुरान को एक साथ पढ़ने के बजाय थोड़ा-थोड़ा करके पढ़ने और हिफ़्ज (याद/कंठस्थ) करने में सहूलियत के लिए ऐसा किया गया है. कुरान को मूल रूप से 114 अध्यायों में बांटा गया है. इन्हें सूरह कहते हैं. हर सूरह को एक नाम दिया गया. सूरह में आयतें होती हैं. आयत एक वाक्य होता है. कुरान में कुल 6,666 आयतें हैं. कुछ आयतें बहुत छोटी हैं और कुछ बड़ी. कुरान की सबसे बड़ी सूरह अल-बकरा है. इसमें 286 आयतें हैं. सबसे छोटी सूरह अल-कौसर है. इसमें सिर्फ तीन आयतें हैं. इसके अलावा कुरान में कुल 540 रूकू, 14 सज्दा, 86,423 शब्द, 32,376 अक्षर और 25 नबियों व रसूलों का जिक्र किया गया है. मुस्लिम समुदाय के तमाम फिरके इस बात पर एकमत हैं कि यह अल्लाह की भेजी गई किताब है, जिस पर किसी तरह का शक या संदेह नहीं किया जा सकता है. अल्लाह ने जिब्राइल के जरिए पहली बार कुरान को पैगंबर हजरत मुहम्मद पर नाजिल (अवतरित) किया. जब पैगंबर पहाड़ों में हिरा की गुफा में इबादत कर रहे थे. इसके बाद कुरान को पैगंबर हजरत मुहम्मद पर अल्लाह ने थोड़ा-थोड़ा करके 23 सालों में नाजिल किया. दूसरा अकीदा यह है कि ये एक मुकम्मल किताब है, जिसमें कभी कोई छेड़छाड़ या बदलाव नहीं हुए और न भविष्य में हो सकते हैं. लिहाजा कोई भी इसमें किसी तरह की कांट-छांट कर ही नहीं सकता. तीसरा अकीदा यह है कि अल्लाह ने खुद इस किताब की हिफाजत (रक्षा) की जिम्मेदारी ली है. कुरान ने किताब की शक्ल कब ली कुरान
रमजान में आसमान से उतारी गई तराबी नमाज में कुरान कुरान सारी इंसानियत के लिए ये भी पढ़ें:
अल्लाह की तस्वीर क्यों नहीं है?सवाल पूछने के लिए धन्यवाद। इसलाम में मूर्तिपूजा सबसे बड़ा पाप है। इसीलिए मस्जिदों में अल्लाह या सय्यद मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की तस्वीर नहीं होती। मुस्लिम मजहब इस बात की इजाजत नहीं देता.
अल्लाह कैसे दिखते है?अल्लाह सर्वशक्तिमान है, सब कुछ कर सकता है, निराकार है, अल्लाह अतुलनीय है, उसके जैसा कोई मनुष्य, प्राणी या वस्तु नहीं है। और न अल्लाह की कोई तस्वीर ही बनाई जा सकती है। और न कोई इस जीवन में अल्लाह को देख सकता है। केवल मरने के बाद जो मुसलमान जन्नत में जायेंगे वही अल्लाह का साक्षात् दर्शन कर सकेंगे।
अल्लाह कौन है कहां से आया?अल्लाः (अरबी: الله) अरबी भाषा में ईश्वर के लिए शब्द है। इसे मुख्यतः मुसलमानों और अरब ईसायों द्वारा एक ईश्वर का उल्लेख करने के लिए प्रयोग में लिया जाता है। जिसे फ़ारसी में ख़ुदा भी कहा जाता है। अल्लाह शब्द अरबी भाषा के दो शब्दों अल-इलाह से मिलकर बना है।
भगवान और अल्लाह में क्या अंतर है?भगवान और अल्लाह में क्या अंतर है? - Quora. भगवान सबका है जो माने या न माने और सबके लिए समान है, निरपेक्ष है. अल्लाह केवल मुसलमान का है. जो उसको न माने उससे दुश्मनी रखता है और नरक की आग में झोंकता है.
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