अग्रिम जमानत को हिंदी में क्या कहते हैं? - agrim jamaanat ko hindee mein kya kahate hain?

अग्रिम जमानत न्यायालय का वह निर्देश है जिसमें किसी व्यक्ति को, उसके गिरफ्तार होने के पहले ही, जमानत दे दिया जाता है ।

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Under Indian criminal law, there is a provision for anticipatory bail under Section 438(1) of the Criminal Procedure Code. Law Commission of India in its 41st report recommended to incorporate this provision in procedure code. This provision allows a person to seek bail in anticipation of an arrest on accusation of having committed a non-bailable offence.

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अग्रिम जमानत को हिंदी में क्या कहते हैं? - agrim jamaanat ko hindee mein kya kahate hain?
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अग्रिम जमानत का अंग्रेजी मतलब

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"अग्रिम जमानत" के बारे में

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अग्रिम जमानत कैसे मिलती है (Agrim Jamanat Kaise Milati Hai), इससे पहले हमें यह जानना होगा की अग्रिम जमानत क्या होती है। अग्रिम जमानत किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार होने की आशंका पर पहले से ही कोर्ट से जमानत के पेपर बनवा लिए जाते हैं जिसको हम अग्रिम जमानत कहते हैं। पुलिस इस व्यक्ति को हिरासत में नहीं ले सकती। दूसरे शब्दों में कहें तो किसी व्यक्ति को यह आभास हो जाए कि उसको गैर जमाना थी अपराध के लिए गिरफ्तार किया जा सकता है यह फिर उसको आशंका है तो वह पहले से ही अदालत से अग्रिम जमानत ले सकता है।

जानिए पोस्ट में क्या है

  • अग्रिम जमानत कैसे मिलती है (Agrim Jamanat Kaise Milati Hai)
    • Agrim Jamanat Kaise Milati Hai

अग्रिम जमानत कैसे मिलती है (Agrim Jamanat Kaise Milati Hai)

अग्रिम जमानत को हिंदी में क्या कहते हैं? - agrim jamaanat ko hindee mein kya kahate hain?

यह भी पढ़े – जमानत का मतलब क्या होता है?

Agrim Jamanat Kaise Milati Hai

26 जनवरी 1950 में हमारा संविधान बना संविधान बनते ही भारत में रहने वाले सभी मनुष्यों के लिए नियम कानून बनाए गए हैं देश में रहने वाले प्रत्येक व्यक्तियों को इस कानून का पालन करना यदि कोई व्यक्ति इस कानून का उल्लंघन करता है या फिर अपराध करता है तब उसको अपराध करने के लिए दंड दिया जाएगा।

यदि आपसे कोई अपराध हो जाए या फिर आपको कोई किसी केस में रंजिश आने के लिए आपको फसाना चाहता है तब आप संविधान में बनाए गए इस अग्रिम जमानत नियम का प्रयोग कर उसकी मनसा पर पानी आसानी से फिर सकते हैं।

भारत के संविधान की दंड संहिता की धारा 438 के अनुसार अग्रिम जमानत दीया जाने का प्रावधान है अग्रिम जमानत केवल उन व्यक्तियों को दिया जाता है जिन व्यक्तियों पर पूर्ण रूप से अपराध में शामिल ना हुए हो। और उन्हें किसी रंजिश के तहत फसाए जाने की आशंका हो वह व्यक्ति इस आशंका पर पहले से ही कोर्ट से जमानत ले सकता है कोर्ट के जरिए जमानत शुल्क ₹10000 तक लिया जा सकता है।

यदि किसी व्यक्ति को यह आशंका हो कि किसी आपराधिक मामले में उसकी गिरफ्तारी हो सकती है इस परिस्थिति में वह गिरफ्तारी से पहले अग्रिम जमानत का आवेदन कोर्ट को दे सकता है और कोर्ट के जरिए वह व्यक्ति जमानत लेने में सफल हो जाता है तो उस व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।

पुलिस दो प्रकार के मामले दर्ज करती है। एक जमानती और दूसरा गैर जमानती। जमानती प्रकरण यानी ऐसा मामला जिसकी प्रकृति गंभीर नहीं है। ऐसे मामलों में कानून ने पुलिस को यह अधिकार दिया है कि वह प्रकरण दर्ज करने के बाद आरोपी को जमानत स्वीकृत कर दे। हालांकि यह पुलिस की जिम्मेदारी होती है कि जब मामला कोर्ट में सुनवाई के लिए प्रस्तुत हो तो पुलिस आरोपी को कोर्ट में प्रस्तुत करे। गंभीर प्रकृति के अपराध के लिए गैर जमानती प्रकरण दर्ज किए जाते हैं। ऐसे मामलों में पुलिस आरोपी को गिरफ्तार कर लेती है और उसके बाद मामले की जांच की जाती है। जांच पूरी हो जाने के बाद मामला न्यायालय में प्रस्तुत किया जाता है। ऐसे ही मामलों में यदि आरोपी को दृढ़ता पूर्वक यह विश्वास है कि पुलिस ने उसके खिलाफ गलत मामला दर्ज कर लिया है और वह इसे प्रमाणित करने के लिए पर्याप्त सबूत रखता है तो न्यायालय सुनवाई के बाद आरोपी को अग्रिम जमानत दे देती है। सरल शब्दों में कहें तो अग्रिम जमानत यानी आरोपी की गिरफ्तारी पर स्थगन आदेश। दर्ज मामले में पुलिस पहले की तरह की जांच करती है और मामला न्यायालय में प्रस्तुत किया जाता है अंतर सिर्फ इतना होता है कि पुलिस आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश नहीं करती बल्कि आरोपी स्वतंत्रता पूर्वक जीवन यापन करते हुए स्वयं निर्धारित तारीख पर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत हो जाता है। 


अग्रिम जमानत याचिका किस कोर्ट में प्रस्तुत करें | Which court should submit the anticipatory bail petition

यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है जिसका उत्तर बहुत कम लोगों को ज्ञात होता है। ज्यादातर वकील भी कहते हैं की एक प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए या नहीं पहले छोटी कोर्ट में आवेदन प्रस्तुत करें यदि खारिज हो जाए तो उसके ऊपर वाली कोर्ट में अपील करें परंतु अग्रिम जमानत के मामले में इस प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य नहीं है। आरोपी अपनी याचिका जिला कोर्ट या हाई कोर्ट में प्रस्तुत करने के लिए स्वतंत्र है। और जहां चाहे अग्रिम जमानत याचिका प्रस्तुत कर सकता है। हाई कोर्ट में इस आधार पर कोई भी अग्रिम जमानत याचिका खारिज नहीं की जाती क्योंकि वह इससे पहले जिला न्यायालय में प्रस्तुत नहीं की गई थी।


सत्र न्यायालय और उच्च न्यायालय को समान अधिकार | Equal Rights to Sessions Court and High Court

बता दें कि CRPC की धारा 438 में उच्च न्यायालय एवं सत्र न्यायालय को समान अधिकार दिए गए हैं। दोनों न्यायालय अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर सकते हैं और यदि न्यायधीश को लगता है कि पुलिस ने गलत मामला दर्ज कर लिया है तो वह आरोपी को अग्रिम जमानत का लाभ देने के लिए स्वतंत्र है। 


अग्रिम जमानत का प्रावधान क्यों किया गया | Why was there provision for anticipatory bail

यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है। पुलिस मामला दर्ज करने से पहले फरियादी से कई तरह के सवाल करती है। अपने स्तर पर प्रारंभिक जांच करती है। जब इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी को यह विश्वास हो जाता है कि अपराध दर्ज किए जाने योग्य है तभी उसे प्रथम सूचना प्रतिवेदन (FIR) में दर्ज किया जाता है। प्रश्न महत्वपूर्ण है कि जब पुलिस प्रारंभिक जांच कर लेती है और उसके बाद मामला दर्ज किया जाता है तो फिर आरोपी को अग्रिम जमानत का लाभ क्यों दिया जाता है। अग्रिम जमानत का प्रावधान क्यों किया गया। एक प्रकरण की सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने बताया कि अग्रिम जमानत का प्रावधान संविधान में प्रदत्त वैयक्तिक स्वतंत्रता एवं अनावश्यक उत्पीड़न की गारंटी के तहत लागू किया गया है। CRPC की धारा 438 में अग्रिम जमानत का प्रावधान है। 


अग्रिम जमानत कब तक प्रभावी रहती है | How long does advance bail remain

आरोपी को न्यायालय की ओर से दी गई अग्रिम जमानत पुलिस की जांच पूरी होने तक प्रभावी रहती है। जैसे ही पुलिस की जांच पूरी होती है और पुलिस कोर्ट में चालान पेश करती है अग्रिम जमानत अपने आप निष्प्रभावी हो जाती है। आरोपी को निर्धारित प्रक्रिया के तहत जमानत के लिए सक्षम न्यायालय में प्रस्तुत होना पड़ता है। न्यायालय एक बार फिर निर्धारित करता है कि अपराध की प्रकृति क्या है, पुलिस ने अपनी विस्तृत जांच में क्या पाया और क्या हाल ओपी को जमानत दी जानी चाहिए। यहां पर न्यायालय आरोपी को जेल भी भेज सकता है।


क्या अग्रिम जमानत निरस्त भी हो सकती है | Can anticipatory bail be Cancelled? 

अग्रिम जमानत यानी गिरफ्तारी पर रोक। यह सक्षम न्यायालय द्वारा प्रदान की जाती है और न्यायालय को अधिकार होता है कि वह पुलिस की जांच पूरी होने से पहले यदि आवश्यकता महसूस करें तो अग्रिम जमानत को निरस्त कर सकती है। सामान्यतः पुलिस या दूसरे पक्ष की ओर से आपत्ति आने पर ऐसा होता है।


क्या धारा 376 में अग्रिम जमानत मिल सकती है | Can one get anticipatory bail in Section 376

हत्या एवं बलात्कार को भारतीय दंड संहिता के तहत जघन्य अपराध माना गया है। जघन्य अपराधों में सामान्यतः अग्रिम जमानत का लाभ नहीं दिया जाता परंतु जैसा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने बताया कि अग्रिम जमानत का प्रावधान संविधान में प्रदत्त वैयक्तिक स्वतंत्रता एवं अनावश्यक उत्पीड़न की गारंटी के तहत लागू किया गया है। यदि आरोपी न्यायालय को यह विश्वास दिलाने में सफल हो जाता है कि पुलिस ने उसके खिलाफ गलत मामला दर्ज कर लिया है तो आरोपी को रेप के मामले में भी अग्रिम जमानत मिल सकती है। 

क्या अग्रिम जमानत?

अग्रिम जमानत (Anticipatory bail) न्यायालय का वह निर्देश है जिसमें किसी व्यक्ति को, उसके गिरफ्तार होने के पहले ही, जमानत दे दिया जाता है (अर्थात आरोपित व्यक्ति को इस मामले में गिरफ्तार नहीं किया जायेगा।)

जमानत के कितने प्रकार होते हैं?

अपराध के प्रकार –.
जमानती अपराध –.
गैर जमानती अपराध –.
अग्रिम जमानत –.
रेगुलर बेल या अंतरिम जमानत –.

धारा 436 में जमानत कैसे मिलती है?

दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 436 अ के अंतर्गत जमानत / व्यक्तिगत बंध पत्र पर रिहा किया जाना आपका अधिकार है । मृत्युदंड दिए जाने जैसे किसी अपराध के अभियुक्त / आरोपी नहीं हैं, और • उस अपराध, जिसके आप अभियुक्त हैं के लिए निर्धारित अधिकतम कारावास की अवधि की आधी अवधि पूरी कर ली है।

क्या उत्तर प्रदेश में अग्रिम जमानत का प्रावधान है?

दंड प्रक्रिया संहिता (संशोधन) विधेयक 2022 के पारित हो जाने के बाद अब महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध के मामले में आरोपी को अग्रिम जमानत नहीं मिल सकेगी. CRPC में बदलाव के जरिये महिलाओं के खिलाफ होने वाले घृणित और गंभीर अपराध के मामलों में अग्रिम जमानत के प्रावधान को खत्म कर दिया जाएगा.