आर्थिक पत्रकार के सम्मुख सबसे बड़ी चुनौती क्या है - aarthik patrakaar ke sammukh sabase badee chunautee kya hai

विषय-सूची

  • पत्रकारिता क्या है? (What is Journalism in Hindi)
  • भारतीय पत्रकारिता के जनक कौन है? (Who is the Father of Indian Journalism in Hindi)
  • हिन्दी पत्रकारिता दिवस कब मनाया जाता है? (Hindi Patrakarita Diwas Kab Manaya Jata Hai)
  • पत्रकारिता का अर्थ (Meaning of Journalism in Hindi)
  • पत्रकारिता की परिभाषा (Definition of Journalism in Hindi)
  • पत्रकारिता के प्रकार (Types of Journalism in Hindi)
  • पत्रकारिता का स्वरूप (Nature of Journalism in Hindi)
  • पत्रकारिता के क्षेत्र (Fields of Journalism in Hindi)
  • पत्रकारिता के सिद्धांत (Principle of Journalism in Hindi)
  • पत्रकारिता का दायित्व (Ptrkrita Ka Daitv Kya Hai)
  • पत्रकारिता का उद्देश्य (Purpose of Journalism in Hindi)
  • पत्रकारिता का महत्व (Importance of Journalism in Hindi)
  • निष्कर्ष (Conclusion)

पत्रकारिता क्या है? (What is Journalism in Hindi)” पत्रकारिता समाचारों और सूचनाओं को एकत्र करने, आकलन करने, बनाने और प्रस्तुत करने की गतिविधि है। निश्चित पहचान योग्य विशेषताओं और प्रथाओं द्वारा पत्रकारिता को अन्य गतिविधियों और उत्पादों से अलग किया जा सकता है। ये तत्व न केवल संचार के अन्य रूपों से पत्रकारिता को अलग करते हैं, जो इसे लोकतांत्रिक समाजों के लिए अपरिहार्य (Inevitable) बनाते हैं। इतिहास बताता है कि एक समाज जितना अधिक लोकतांत्रिक होता है। उतनी ही अधिक खबरें और सूचनाएं उसके पास होती हैं।

पत्रकारिता क्या है?” पत्रकारिता सभी माध्यमों प्रिंट और नॉन-प्रिंट के लिए समाचार संबंधी विषयों के बारे में लिखने का कार्य है। यह जानकारी लेने और इसके माध्यम से स्थानांतरित करने, जानकारी संपादित करने और इसे संदर्भ देने की भी जटिल प्रक्रिया है। पत्रकार हमेशा चयन और प्रस्तुति में शामिल होता है। जिसे वह उल्लेखनीय मानता है और रिपोर्टिंग में सच्चाई और ईमानदारी के मानक को पूरा करता है। “पत्रकारिता क्या है?” पत्रकारिता राजनीति और सार्वजनिक मामलों की “कठिन” खबरों से लेकर नरम पक्ष तक सब कुछ शामिल करती है। जिसमें मानव हित और सेलिब्रिटी की कहानियां शामिल हैं। आज, पत्रकारिता भी जीवन शैली संदेश, चिकित्सा, मौसम, विज्ञान, शिक्षा और बहुत कुछ वितरित करती है।

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Patrakarita Kya Hai

पत्रकारिता क्या है?” पत्रकारिता की प्रक्रिया के कई चरण हैं जो स्थानीय, राष्ट्रीय, या विश्व समुदाय से समाचार एकत्र करने के साथ शुरू होते हैं, और किसी भी संख्या में मीडिया चैनलों के माध्यम से प्रसारित होने पर समाप्त हो जाते हैं। इनमें रेडियो और टेलीविजन, समाचार पत्र और पत्रिकाएं और इंटरनेट शामिल है। “पत्रकारिता क्या है?” वैश्विक आबादी का अधिकांश भाग पत्रकारिता पर निर्भर रहता है। पत्रकार, समाचार की आंख और कान होता है। एक बात निश्चित है। पत्रकारिता एक विस्तार का पेशा है।

तो आज हम लोग जानेंगे की “पत्रकारिता क्या है? (What is Journalism in Hindi)“, “भारतीय पत्रकारिता के जनक कौन है? (Who is the Father of Indian Journalism in Hindi)“, “हिन्दी पत्रकारिता दिवस कब मनाया जाता है? (Hindi Patrakarita Diwas Kab Manaya Jata Hai)“, “पत्रकारिता का अर्थ (Meaning of Journalism in Hindi)“, “पत्रकारिता की परिभाषा (Definition of Journalism in Hindi)“, “पत्रकारिता के प्रकार (Types of Journalism in Hindi)“, “पत्रकारिता का स्वरूप (Nature of Journalism in Hindi)“, “पत्रकारिता के क्षेत्र (Fields of Journalism in Hindi)“, “पत्रकारिता के सिद्धांत (Principle of Journalism in Hindi)“, “पत्रकारिता का उद्देश्य (Purpose of Journalism in Hindi)“, “पत्रकारिता का महत्व (Importance of Journalism in Hindi)” आदि।

भारतीय पत्रकारिता के जनक कौन है? (Who is the Father of Indian Journalism in Hindi)

भारतीय पत्रकारिता के जनक या संस्थापकराजा राममोहन राय‘ है।” इनका जन्म 22 मई सन् 1772 ई. में बंगाल के एक धार्मिक ब्राह्मण परिवार में हुआ था  इनकी प्रारम्भिक शिक्षा बांग्ला भाषा में हुई थी। इनके पिता “फारसी भाषा” के विद्वान थे। इन्होने फारसी भाषा का ज्ञान अपने पिता के माध्यम से प्राप्त किया। साथ ही अरबी व अंग्रेजी भाषा का भी ज्ञान प्राप्त किया। मां के अनुरोध पर संस्कृत सीखी। इस प्रकार लगभग सात प्रकार की देशी व विदेशी भाषाओं के जानकर थे।

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Father of Indian Journalism in Hindi

राजा राममोहन राय ऐसे पहले भारतीय थे। जिन्होंने समाचार पत्रों की स्थापना, संपादन तथा प्रकाशन का कार्य किया। इन्होने अंग्रेजी, बांग्ला तथा उर्दू में अखबार निकाले। “राजा राममोहन राय को स्वतंत्र पत्रकारिता का जनक भी कहा गया है।” राजा राममोहन राय ने धार्मिक एवं सामाजिक विचारों के प्रसार के लिए 20 अगस्त सन् 1828 ईसवीं में कलकत्ता में ब्रह्म समाज की स्थापना की

हिन्दी पत्रकारिता दिवस कब मनाया जाता है? (Hindi Patrakarita Diwas Kab Manaya Jata Hai)

हिंदी पत्रकारिता दिवस 30 मई को मनाया जाता है। 30 मई 1826 में, पंडित युगल किशोर शुक्ला ने पहले हिंदी समाचार पत्र ‘उदंत मार्तंड‘ का प्रकाशन और संपादन शुरू किया। इस प्रकार, भारत में हिंदी पत्रकारिता की नींव पंडित जुगल किशोर शुक्ला ने रखी। “उदंत मार्तण्ड” कलकत्ता से एक ‘साप्ताहिक पत्र‘ के रूप में आरंभ हुआ था।

उस समय अंग्रेज़ी, फारसी और बांग्ला में तो अनेक पत्र प्रकाशित हो रहे थे। लेकिन हिंदी में एक भी पत्र प्रकाशित नहीं होता था। तब “उदंत मार्तण्ड” का प्रकाशन शुरू हुआ। शुरूआती दौर में इसकी केवल 500 प्रतियां ही छपा हुआ था। लेकिन यह समाचार पत्र ज्यादा दिन तक नहीं चल सका। 4 दिसम्बर 1826 को इसका प्रकाशन बंद हो गया

पत्रकारिता का अर्थ (Meaning of Journalism in Hindi)

पत्रकारिता (Journalism) मुख्य रूप से समाचार पत्र (News-Paper) से संबंधित है। समाचार (NEWS) शब्द के चार अक्षरों का उपयोग चारों दिशाओं में समाचार को संदर्भित करने के लिए किया जाता है।

  • N: NORTH (नॉर्थ)
  • E: EAST (ईस्ट)
  • W: WEST (वेस्ट)
  • S: SOUTH (साऊथ)

खबर शब्द सूचना के अर्थ में ही ‘फारसी‘ में समाचार को इंगित (Indicated) करती है। ‘खबर‘ का बहुवचन ‘अखबार‘ बहुत सारी दिशाओं की सूचना का संकलन (Collection) है। दैनिक जीवन और समाज के बदलते रूपों और उसमें होने वाली घटनाओं की जानकारी ‘अखबार‘ (News-Paper) से प्राप्त की जाती है। अखबार वर्तमान के साथ-साथ भविष्य की घटनाओं के बारे में भी जानकारी दर्शाता है। एक विद्वान ने कहा है कि- समाचार एक असाधारण घटना की तत्काल जानकारी को संदर्भित करता है जिसके बारे में लोग पहले से कुछ भी नहीं जानते हैं, लेकिन जिसे तुरन्त ही जानने की ज्यादा से ज्यादा लोगों में रुचि हो। वह समाचार कहलाता है

“सार रूप में देखा जाए तो समाचार-पत्र वह है। जिसमें समाज और मनुष्य के जीवन के एक बड़े भाग का लेखा-जोखा हो, जो किसी स्थान विशेष से नियत अवधि और मूल्य में प्रकाशित हो। इसके विषय समाचार, राजनीति, साहित्य, खेल, वाणिज्य, बच्चे, महिलाएं, कृषि व समाज आदि होते हैं।” उपर्युक्त समग्र रूपों का मिला-जुला संग्रह पत्रकारिता है।


पत्रकारिता को अंग्रेजी में जर्नलिज्म (Journalism) कहते है। जर्नलिज्म शब्द जर्नल से बना है। ‘जर्नल’ शब्द का अर्थ है – “दैनिक विवरण”। आज पत्रकारिता के कार्य का विस्तार हो चला है । लोकतंत्र के हर एक पक्ष पर यह हावी है।


पत्रकारिता की परिभाषा (Definition of Journalism in Hindi)

  1. डॉ. रामचन्द्र तिवारी के अनुसार : अपनी पूर्णता में पत्रकारिता व्यवसाय है, कला है और राष्ट्रीय चेतना को उद्दीप्त करने का माध्यम भी है।
  2. सी. जी. मूलर के अनुसार : सामयिक ज्ञान के व्यवसाय को पत्रकारिता मानते हैं।
  3. डॉ. बद्रीनाथ कपूर के अनुसार : पत्रकारिता, पत्र-पत्रिकाओं के लिए समाचार, लेख आदि एकत्रित तथा सम्पादित करने, प्रकाशन आदेश आदि देने का कार्य है।
  4. हिन्दी शब्द सागर के अनुसार : पत्रकार का काम या व्यवसाय पत्रकारिता है।
  5. श्री रामकृष्ण रघुनाथ खाडिलकर के अनुसार : ज्ञान और विचार शब्दों तथा चित्रों के रूप में दूसरे तक पहुंचाना ही पत्रकारिता है।
  6. विखमस्टीड के अनुसार : पत्रकारिता को कला, वृत्ति और जन-सेवा माना है।
  7. न्यू वेक्टर शब्दकोश के अनुसार : प्रकाशन, सम्पादन,लेखन अथवा प्रसारण सहित समाचार माध्यम के संचालन के व्यवसाय को पत्रकारिता माना है।

पत्रकारिता के प्रकार (Types of Journalism in Hindi)

आज पत्रकारिता केवल समाचार पत्रों तक सीमित नहीं है बदलते समय के साथ, इसका विस्तार जनसंचार के नए और आधुनिक क्षेत्रों में हुआ है। आज, देश की विभिन्न समस्याएं, समाज और मनुष्य की प्रगति, विकास योजनाएं (Development Plannings), आदि के लिए पत्रकारिता प्रभावी हो रही है। उसी के अनुरूप पत्रकारिता के रुझान एवं प्रकारों में भी बदलाव आया है। 21वीं – सदी की चुनौती के अनुरूप कुछ प्रभावी रूप निम्नलिखित प्रकार से हैं –

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Types of Journalism in Hindi
  1. खोजी पत्रकारिता (Investigatory Journalism) – इस प्रकार की पत्रकारिता की स्वरूप में शोध तथ्यों के आधार पर ऐसी किसी भी घटना या स्थिति की जांच की जाती है। जिससे सटीक निष्कर्ष निकल सकते हैं। जबकि इस प्रकार की पत्रकारिता के निष्कर्ष हमारे राष्ट्रीय-सामाजिक जीवन को प्रभावित करते हैं। हम तथ्यात्मक स्वरूप को जनता के सामने लाते हैं। इस खोजी पत्रकारिता का उपयोग सरकारी योजनाओं के आकलन, आकाशवाणी व दूरदर्शन के कार्यक्रमों, विभिन्न जन-अभिरुचियों, सर्वेक्षणों आदि में करके उनकी उपादेयता व स्थिति का सटीक आकलन भी इससे सम्भव है।
  2. इलेक्ट्रॉनिक पत्रकारिता (Electronic Journalism) – इन माध्यमों हेतु पत्रकार को सजग व चौकस निगाहों के साथ बुद्धिकौशल की आवश्यकता होती है। किसी भी घटना के दृश्यों को पकड़ना और उन्हें प्रस्तुत करना इसी में इन माध्यमों का कौशल परिलक्षित होता है। रेडियो में तो समाचार को श्रोता सिर्फ सुन सकता है। इसलिए सजग होकर घटना के विवरण को इसके केन्द्र में रखा जाता है। लेकिन दूरदर्शन दृश्य माध्यम में ‘दृश्य’ का महत्त्वपूर्ण पक्ष होता है। किसी भी घटना के कवरेज में कैमरा दर्शक को क्या दिखा रहा है यह अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हो जाता है। इसके लिए विवेक व घटना की खासी पकड़ होनी चाहिए। जब 26 जनवरी,2001 को गुजरात में आए भूकम्प को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया गुजरात की त्रासद तस्वीरों को पुरे देश को दिखाया। यह देखने के बाद पूरा देश गुजरात के भूकम्प पीड़ितों की सहायता के लिए एक जुट हो गया। 11 सितम्बर, 2001 को अमरीका के वल्ड ट्रेड सेन्टर पर आतंकवादी हमलों के बाद के दृश्यों ने सारी दुनिया का ध्यान आतंकवाद की ओर केन्द्रित कर दिया
  3. ग्रामीण पत्रकारिता (Rural Journalism) – इस पत्रकारिता का उद्देश्य ग्रामीण जीवन के विभिन्न पहलुओं को इंगित या संकेत करना है। परिवार एवं जन-कल्याण, साक्षरता, कृषि की उन्नत विधियां, महिला एवं बाल विकास की स्थितियों का आकलन, नवीन योजनाओं की जानकारी व गांवों को विकास की मुख्य धारा से जोड़ना इनमें शामिल है। महत्त्वपूर्ण तथ्य यह है कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है। आज भी देश का 80% हिस्सा गांव है और पूरे देश को खाने-पीने की चीजों की आपूर्ति गांवों से ही होती है। अतः ग्रामीण पत्रकारिता न केवल गांवों के सत्य को उजागर करती है। बल्कि गांव व शहरों के पारस्परिक सम्बन्ध पर सेतू या पुल का कार्य करती है।
  4. बाल पत्रकारिता (Child Journalism) – किसी भी देश का बच्चा उस देश के भविष्य का आधार है। यह आधार जितना सशक्त और प्रभावी होता है। उस देश का भविष्य उतना ही निश्चिन्त और शक्तिशाली होगा। बच्चे खेल और रोचकता को आसानी से ग्रहण कर लेते हैं। शिक्षा व संस्कार बालक की नींव हैं। पत्रकारिता ही बाल जीवन के दुखद पहलुओं जैसे अशिक्षा, कुपोषण, बालश्रम, धूम्रपान, अनैतिक व्यवहार आदि की ओर एक बड़े वर्ग का ध्यान खिचती है। बच्चों को वह उन पहलुओं से परिचित भी कराती है। जिससे उनका कौतूहल और जिज्ञासा का भाव समझ विकसित कर सके। वह उन्हें भटकाव से निकालकर अंधविश्वासों व रूढ़ियों से दूर सृजन व ज्ञान के उजाले में ले जाती है।
  5. विज्ञान पत्रकारिता (Science Journalism) – विज्ञान के बिना आज समाज की कल्पना नहीं की जा सकती है। आज छोटे से छोटे संसाधन से लेकर बड़ी से बड़ी उपलब्धि तक विज्ञान का हाथ है। विज्ञान ही वह धुरी है। जिस पर सामाजिक जीवन का चक्र घूमता है। यही कारण है कि प्रत्येक पत्र समाचारों में विज्ञान समाचार को प्रमुखता देते हैं। नवीन शोधों, औषधियों, यंत्रों, आविष्कारोंमशीनरी नवीनतम सामग्री देखने को मिलती है। विज्ञान-प्रगति, अविष्कार व साइंस टुडे जैसे पत्र-पत्रिकाएं आज के युग में विज्ञान की उपयोगिता को रेखांकित करती हैं। विज्ञान-पत्रकारिता मांग करती है कि उसमें तकनीकी शब्दों की दुरुहता से बचते हुए सरल प्रस्तुति दी जाए ताकि जनमानस में वह रोचकता के साथ प्रस्तुत हो सके।
  6. आर्थिक पत्रकारिता (Economic Journalism)पैसा फेंक, तमाशा देख, की उक्ति आज भले ही रोचक संवाद का रूप ले चुकी है। पर तथ्यात्मक रूप से यह सच है कि आज का युग अर्थ प्रधान है। आज के बदलते समय सरोकारों ने अर्थ को जन जीवन के सर्वाधिक निकट ला दिया है। आर्थिक समाचार अब समाचार पत्रों की सुर्खियां बनने लगे हैं। शेयर बाजार, मण्डी-भाव, सट्टा बाजार, तेल-तिलहन आर्थिक जगत की पहचान है। आर्थिक विश्लेषण का एक नियमित पृष्ठ समाचार पृष्ठों में जुड़ने लगा है। इकॉनामिक टाइम्स. द इन्वेस्टर जैसे पत्र अपनी बढ़ती संख्या से अपने महत्त्व को रेखांकित कर रहे हैं।
  7. फिल्म पत्रकारिता (Film Journalism) – भारत में फिल्मों की भूमिका क्रान्तिकारी रही है। लगभग हर माह वर्तमान दौर में औसतन कोई न कोई नई फिल्म रिलीज होती है। बदलती तकनीक, विषयों एवं प्रस्तुतीकरण ने फिल्मी-फंतासी दुनिया के रंगीन मायाजाल को इस कदर समाज पर हावी कर दिया है कि इसके जादु से शायद ही कोई बचा हो। फिल्मों के नक्शे-कदम पर चलकर ही टेलीविजन पर आने वाले धारावाहिक भी चकाचौंध के नए-आयाम परोसने लगे हैं।
  8. शैक्षिक पत्रकारिता (Educational Journalism)शिक्षा मनुष्य की बुनियादी जरूरत है। बिना शिक्षा के मनुष्य व पशु में बहुत फर्क नहीं होता है। शिक्षा के क्षेत्र विस्तृत है। शैक्षिक जगत् की हलचल, परीक्षा परिणाम, विभिन्न रोजगार परक क्षेत्रों के लिए शैक्षिक संस्थानों का लेखा-जोखा, रोजगार और शिक्षा के उपयोगी और आवश्यक शैक्षिक क्षेत्र, विभिन्न उच्च अध्ययन संस्थान और विश्वविद्यालय जैसे क्षेत्रों की सूचनाएं शैक्षिक पत्रकारिता में संकलित की जाती हैं। शिक्षकों का समस्याएं, विद्यार्थियों की परेशानी, परीक्षा पद्धति के प्रारूप की खामियां जैसे मुद्दे भी यो समाहित होते हैं। यदि शैक्षिक पत्रकारिता का सही व सार्थक रूप लिया जाए तो समाज लोगों को बेहतर मनुष्य बनाने की दिशा में सार्थक पहल की जा सकती है।
  9. खेल पत्रकारिता (Sports Journalism) – खेल मानव जीवन का अभिन्न हिस्सा है। कबड्डी से क्रिकेट तक की यात्रा का हर मनुष्य की क्रियात्मकता का पहलू है। क्रिकेट मैच के समय दूरदर्शन-आकाशवाणी पर लोगों की दीवानगी देखते ही बनती है। दीवानगी के इसी आलम के चलते प्रमुख समाचार-पत्रों एक पृष्ठ नियमित रूप से खेल पर केन्द्रित होता है।
  10. साहित्यिक-सांस्कृतिक पत्रकारिता (Literary-Cultural Journalism) – पत्रकारिता केवल सूचना और तथ्यपरक सामग्री ही प्रदान नहीं करती बल्कि वह व्यक्ति को आम सरोकारों और रचनात्मकता से भी जोड़ती है। इसलिए साहित्यिक-सांस्कृतिक पत्रकारिता का महत्त्व बढ़ जाता है। वैसे भी इतिहास भविष्य की नींव होता है। इसलिए उससे अलग होकर बहुत दूर नहीं चला जा सकता है। पुस्तक-समीक्षा, साहित्य-सृजन, साहित्यिक संगोष्ठियों की रपट कवि-सम्मेलन, नृत्य-समारोहों, जयन्तियों, सम्मेलनों आदि के ब्यौरे एवं विश्लेषण से जुड़ी पत्रकारिता को इसमें स्थान मिलता है। किसी भी अखबार व पत्रिका की मूल आत्मा एवं सोच की झलक उसकी साहित्यिक, सांस्कृतिक पत्रकारिता से मिलती है।

ये भी पढ़े- जनसंपर्क क्या है? (What is Public Relations in Hindi) – पूरी जानकारी हिंदी में।

पत्रकारिता का स्वरूप (Nature of Journalism in Hindi)

हिंदी पत्रकारिता की शुरुआत ही ‘राष्ट्रीय चेतना‘, लोक कल्याण और समाज-सुधार के उद्देश्य से हुई थी। इसमें सम्पादक-प्रकाशक की व्यक्तिगत लाभ-हानि के बजाय, स्वार्थ, आत्मकेन्द्रण आदि के बजाए राष्ट्रीय व सामाजिक दायित्वों की पूर्ति ही एक महान उद्देश्य था। पत्रकारिता को तीन उद्देश्यों के लिए बनाया गया है।

  • सूचना (Information)
  • शिक्षा (Education)
  • मनोरंजन (Entertainment)

वस्तुतः पत्रकारिता का स्वरूप भी यही है। पत्रकार के लिए पत्रकारिता लगातार एक चुनौती बनी रहती है। उसे लगातार देश व समाज पर निगाह रखनी होती है। कई मुद्दों पर उसे स्वस्थ उद्देश्यों के लिए जूझना होता है। यदि हम इस स्वरूप को देखें तो निष्कर्ष इस प्रकार होंगे।

  1. हर दिन घटने वाली घटनाओं का सटीक व सही ढंग से प्रकाशन।
  2. समाचार-पत्र व पाठक के विचारों के आदान-प्रदान का सफल माध्यम।
  3. आलेखों, समीक्षाओं, स्तम्भों, चित्रों, समाचारों आदि के माध्यम से सही-स्वस्थ सोच व जनमत का निर्माण।
  4. सुलझा व स्वस्थ, रुचिकर मनोरंजन
  5. आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक, सांस्कृतिक विकास हेतु राह दिखलाना।
  6. आपसी भाईचारे को बढ़ाना। मनुष्य-मनुष्य के बीच विश्वास पनपाना, जनसंचार करना।
  7. राष्ट्र की एकता और अखण्डता के लिए मानसिकता का निर्माण।
  8. सामाजिक बुराइयों जैसे : अशिक्षा, बालश्रम, छुआछूत, गरीबी, विकास संचार आदि के प्रतिकार के लिए वैचारिक आधार का निर्माण व सामूहिक प्रयास।

पत्रकारिता के क्षेत्र (Fields of Journalism in Hindi)

पत्रकारिता का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा समाचार-पत्र हैं। स्वतन्त्रता के पूर्व से लेकर वर्तमान तक मुद्रित शब्दों की शक्ति ने इसका स्वरूप सिद्ध कर दिया है। आजादी के बाद निरन्तर विकास और बढ़ती सुविधाओं ने समाचार-पत्रों के साथ अनेक पत्र-पत्रिकाओं के विकास को भी गति दी है। आज सरकारी, निजी, साझेदारी में समाचार पत्र के स्वामित्व का प्रतिशत इस प्रकार है। पत्रकारिता के क्षेत्र में कैमरा, फोटोग्राफी, फोटो पत्रकारिता आदि की जानकारी होनी आवश्यक है।

आर्थिक पत्रकार के सम्मुख सबसे बड़ी चुनौती क्या है - aarthik patrakaar ke sammukh sabase badee chunautee kya hai
Fields of Journalism in Hindi
निजी 66%
समितियां 16.70%
साझेदारी 4%
संयुक्त पूंजी कम्पनियां 4.20%
सरकारी 2.91%
अन्य 6.19%
  1. आकाशवाणी (Radio in Hindi) – रेडियो अभी भी आम जनता में मनोरंजन और सूचना का एक सस्ता और सुलभ माध्यम है। घर के बाहर और भीतर त्वरित समाचार और सूचना के लिए रेडियो की उपयोगिता कम नहीं हुई है। समाज में निचले से निचले तबके के बीच भी रेडियो का मिलना सामान्य बात है। यह रेडियो की व्यापकता का सूत्र भी है। प्रायः 10 मिनट के निश्चित समय पर आने वाले समाचार-बुलेटिन का सभी बेसब्री से इंतजार करते हैं। विशेष घटनाओं या आपदाओं के समय, इसकी मांग अत्यधिक बढ़ जाती है। रेडियो में समाचार में मुद्रित माध्यम की तरह चित्र या प्रिंट नहीं होता है लेकिन ‘आवाज‘ और ‘संवाद‘ के माध्यम से इसकी प्रस्तुति निश्चित रूप से प्रभावी होती है। देश और विदेश की सभी प्रमुख घटनाएं इसमें शामिल हैं। समय सीमा, राजनीति, घटनाओं, मौसम, समीक्षा, महत्वपूर्ण मुद्दों को ध्यान में रखते हुए, खेल, सांस्कृतिक आंदोलनों आदि को इसमें शामिल किया गया है। रेडियो पर समाचारों का सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह है कि इसमें साक्षर होने की आवश्यकता नहीं होती है। उच्च से निम्न शिक्षित या अशिक्षित हर कोई इससे लाभान्वित हो सकता है।
  2. दूरदर्शन (Television) – भारत में दूरदर्शन की शुरुआत 15 सितंबर 1959 को दिल्ली में हुआ। यह ब्लैक एंड वाइट प्रारूप में शुरू हुआ। आज डिजिटल प्रसारण और कई चैनलों के बीच सक्रिय है। दूरदर्शन ने आज के समाज की दिशा बदल दी है। “सत्यम शिवम् सुन्दरम” के उद्देश्य को लेकर चला दूरदर्शन भारत के लगभग हर क्षेत्र और हर घर में अपनी पैठ जमा रहा है। सरकारी दूरदर्शन चैनल का लक्ष्य भारतीय संस्कृति, प्रगति, सूचना-ज्ञान-संवर्धन, विरासत-परिचय मनोरंजन व सूचना-प्रौद्योगिकी से जुड़ा है। अपने विस्तृत रूप में यह माध्यम एक वृहद् संभावना को जन्म देता है। दूरदर्शन की खबरों का दायरा बहुत विस्तृत है। हर वर्ग-सोच और परिवेश का व्यक्ति इससे लाभान्वित होता है। यह वह माध्यम है। जहां शब्द के साथ घटना की तस्वीरें दर्शकों के सामने होती हैं और पूरी बात साफ-साफ उसके मस्तिष्क में उतर आती है। दूरदर्शन-समाचारों की अपनी एक सरकारी नीति है। दूरदर्शन दृश्य और श्रव्य दोनों माध्यम होने से दर्शक समाचार के अधिक निकट होता है। यही कारण है कि संवेदनशील समय में सभी सत्तारूढ़ दल राष्ट्र के नाम सन्देश प्रसारित कर अपनी नीति व योजना को स्पष्ट करते हैं।
  3. समाचार-पत्र (News Papers) – पत्रकारिता के क्षेत्र में सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र ‘समाचार पत्र‘ हैं। समाचार पत्र के प्रारंभिक रूप में, यह केवल शासन और प्रशासन से संबंधित था। लेकिन जनता से इसका संबंध न के बराबर रहा। धीरे-धीरे समय बदला और अखबार भी बदलने लगे। उन्होंने अपनी पुरानी भूमिका को त्याग दिया और नवीन धारा को अपनाया। धीरे-धीरे उनका लक्ष्य सबको साथ ले कर चलाना बन गया। समाचार-पत्रों में आज ‘पत्रकारिता‘ (Journalism) के समस्त क्षेत्रों के स्वरूप के दर्शन होते हैं। साहित्य से लेकर समाज के हर वर्ग तक का छोटे-से-छोटा हिस्सा ही क्यों न हो पत्रकारिता उस कलेवर को अपने में समेट कर समाचार-पत्रों के माध्यम से प्रस्तुत करती है।
  4. फिल्में (Films) – आज का युग सूचना क्रांति का युग है। फिल्में भी इससे अछूती नहीं हैं। जो भी विषय हो, फिल्मों ने उन्हें अपने विस्तृत कैमरे से दर्शकों के बिच के का प्रयास किया है। फिल्म की चकाचौंध भरी जिन्दगी दर्शकों को भले ही वास्तविकता से परे कल्पना की अनोखी दुनिया में क्यों न ले जाए पर वह उस यात्रा में अपने मन को जोड़कर ‘आनन्द‘ की अनुभूति में उतर जाता है। पत्रकारिता ने इसी फिल्मी संसार में अब अपनी पैठ बनानी आरम्भ की है। फिल्मी तकनीक एवं फिल्मों के विषय एवं प्रस्तुतीकरण के आए बदलाव ने फिल्मों को पत्रकारिता का एक अभिन्न अंग बना दिया है। कलाकारों के जीवन व रहन-सहन, फिल्म-आलोचना, शूटिंग-रिपोर्ट, प्रसिद्धि व चाहत के सोपानों पर चढ़ता गीत-संगीत, बॉक्स आफिस रिपोर्ट, फिल्मी गपशप आदि ऐसे स्तम्भ हैं।
  5. विज्ञापन (Advertisements) – बदलते युग की प्रतियोगिताओं और जरूरतों ने आज उपभोक्ता वस्तुओं के साथ बाजार को प्रभावित किया है। भोजन, वस्त्र, रहन-सहन, मनोरंजन, सूचना, संचार, यातायात आदि क्षेत्रों के लाखों उपभोक्ता उत्पादों ने समाज में जड़ें जमा ली हैं। यही कारण है कि आज हम अपने दैनिक जीवन में जहां भी दृष्टि डालें एक विज्ञापन हमें अवश्य दिखाई दे जाएगा। आज पत्रकारिता के नवीनतम क्षेत्रों में विज्ञापन को गिना जाता है। बिना विज्ञापन के हर अखबार की कल्पना अधूरी सी है। इसी महत्त्व को अंगीकार करते हुए पत्रकारों ने रचनात्मक और तकनीकी समृद्धता का मिला-जुला परिष्कृत रूप ‘विज्ञापनों‘ (Advertisement) में प्रस्तुत किया है। जिन्दगी के हर लम्हे और हिस्से को विज्ञापन-पत्रकारिता में ढालने की शक्ति है। आप इसमें Graphic Design में भी करियर बना सकते हैं।

पत्रकारिता के सिद्धांत (Principle of Journalism in Hindi)

  1. सत्य और सटीकता (Truth and Accuracy) – पत्रकार हमेशा ‘सत्य‘ की गारंटी नहीं दे सकते हैं, लेकिन तथ्यों को सही साबित करना पत्रकारिता का प्रमुख सिद्धांत है। पत्रकार को हमेशा घटना का या खबर का सही सत्यता और सटीकता को ध्यान में रखते हुए, अपने पाठक, श्रोता और दर्शको को सही समाचार दे।
  2. स्वतंत्रता (Freedom) – एक पत्रकार को स्वतंत्रता से खबर को छापना चाहिए। किसी का भी न्यूज़ हो उसे निडर भाव से समाज में लाना चाहिए। राजनीतिक, कॉर्पोरेट या सांस्कृतिक विशेष हितों की ओर से औपचारिक रूप से या अनौपचारिक रूप से कार्य नहीं करना चाहिए।
  3. मानवता (Humanity) – एक पत्रकार को यह ध्यान में रखना चैये की ऐसी कोई भी खबर ना छपे। जिससे मानवता को ठेस पहुचे। पत्रकार किसी घटना को जब लिखे तो उसे मानवता को ध्यान में रख कर लिखना चाहिए।
  4. जवाबदेही (Accountability) – अगर एक पत्रकार से खबर छपने में कोई त्रुटियां होती है। तब एक पत्रकार की जिम्मेदारी होती है की वह अपने त्रुटियों का जवाबदेह रखने की क्षमता रखता हो।
  5. स्रोत (Source) – एक पत्रकार का अपना स्रोत होना ही चाहिए। बिना स्रोत का पत्रकार को किसी भी घटना का पता नहीं चलता है।
  6. निष्पक्षता (Fairness) – पत्रकार को किसी भी घटना क्रम को निष्पक्ष हो कर खबर को लिखनी चाहिए।

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पत्रकारिता का दायित्व (Ptrkrita Ka Daitv Kya Hai)

  • सामाजिक जनमत को अभिव्यक्ति देना।
  • समाज को उचित दिशा निर्देशित करना।
  • जन-जन को स्वस्थ मनोरंजन की सामग्री देना।
  • सामाजिक कुरीतियों (बाल-विवाह, विधवा-उपेक्षा, दहेज, बहू-हत्या, वेश्यावृत्ति, अंधविश्वास) को मिटाने की दिशा में प्रभावी कदम उठाना।
  • धार्मिक और सांस्कृतिक पक्षों का दो टूक विवेचन करना।
  • सामान्य जन को उनकी ही भाषा में उनके अधिकारों को समझाना।
  • कृषि-जगत् की उपलब्धियों को साधारण जनता तक पहुँचाना।
  • उद्योग-जगत की उपलब्धियों को जन-जन तक पहुँचाना।
  • सरकारी नीतियों का विश्लेषण एवं प्रसारण।
  • महिला-जगत्, बाल-जगत्, क्रीड़ा-जगत्, चलचित्र-जगत् के विविध कार्यक्रमों का प्रसार।
  • स्वास्थ्य-जगत, परिवार कल्याण के प्रति नागरिकों को सचेत करना।
  • शिक्षा, शिक्षक, विद्यार्थी वर्ग को समीचीन मार्ग बतलाना।
  • वसुधैव कुटुम्बकम्‘ की भावना का प्रसार करना।

पत्रकारिता का उद्देश्य (Purpose of Journalism in Hindi)

पत्रकारिता का उद्देश्य – समाचार संचार का वह हिस्सा है जो हमें बाहर की दुनिया में बदलती घटनाओं, मुद्दों और चरित्रों से अवगत कराता है। हालांकि यह दिलचस्प या मनोरंजक भी हो सकता है। समाचार का सबसे महत्वपूर्ण मूल्य सूचना को सशक्त बनाने के लिए एक उपयोगिता के रूप में है। इस प्रकार पत्रकारिता का उद्देश्य नागरिकों को उनके जीवन, उनके समुदायों, उनके समाजों और उनकी सरकारों के बारे में सर्वोत्तम संभव निर्णय लेने के लिए आवश्यक जानकारी प्रदान करना है। यह कहना लगभग असंभव है कि पत्रकारिता का एकमात्र उद्देश्य है। यह सुनिश्चित करना समाज को अच्छी तरह से सूचित करता है और उन्हें विश्वसनीय जानकारी प्रदान करना अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण है। बिना पक्षपात किए या पक्ष लेते हुए, स्रोत पर सही, सटीक समाचार पहुंचाना भी एक पत्रकार का कर्तव्य है। पत्रकारिता का उद्देश्य इस प्रकार है।

पत्रकारिता का महत्व (Importance of Journalism in Hindi)

विकासशील देश में समाज के सम्मुख अनेकानेक समस्याएं आती हैं और स्वस्थ समाज की दिशा में अग्रसर रहने के लिए उन समस्याओं का उचित निवारण करना आवश्यक होता है। ऐसे में आवश्यकता इस बात की है कि पत्रकारिता उस ‘मिशन‘ को सफल बनाए। भारत भी वर्तमान में आतंकवाद जैसी गंभीर समस्या से जूझ रहा है। भारत-पाकिस्तान के मध्य हालात बार-बार युद्ध जैसे बनते रहते हैं। ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि पत्रकार जनता के सामने इन परिस्थितियों से मुक्ति पाने की सही राह बताएं। भारतीय-पत्रकारिता का महत्त्व इसी तथ्य से उजागर हो जाता है कि हमारे पत्रकारों ने किसी भी आपदा के समय पूरे समाज को देशहित में सदैव संगठित किया है व उसके मनोबल को उच्च बनाए रखा है। यही कारण है कि देश आतंकवाद जैसी समस्याओं को चुनौती देता रहा है। हालांकि उसे अपने प्राणों तक को जोखिम में डालना पड़ता है, हर क्षण खतरे के साए में रहना होता है पर विपत्तियां उसके मनोबल को तोड़ नहीं पातीं बल्कि हर विपत्ति उसे भविष्य के प्रति पत्रकारिता निर्भीक पत्रकार के लिए एक चुनौती है। उसे राष्ट्र की नब्ज पर लगातार अंगुली रखनी होती है। संक्षेप में पत्रकारिता के महत्व को समझ सकते हैं।

  1. दिन-प्रतिदिन की घटनाओं का सुरुचिपूर्ण प्रकाशन
  2. वैचारिक आदान-प्रदान का सफल माध्यम बनाना
  3. समाचारों, समीक्षाओं, स्तम्भों, लेखों, अग्रलेखों द्वारा स्वस्थ जनमत का निर्माण
  4. समाजोपयोगी एवं स्वस्थ मनोरंजन के साधन उपलब्ध कराना
  5. राष्ट्रीय एवं सामाजिक एकता में योगदान एवं सकारात्मक तत्त्वों को बढ़ावा
  6. साहित्यिक, सांस्कृतिक, औद्योगिक विकास को बढ़ावा

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निष्कर्ष (Conclusion)

पत्रकारिता क्या है? (What is Journalism in Hindi)” पत्रकारिता महज एक पेशा नहीं है बल्कि वह एक जागरूक समाज और व्यक्ति की पहचान है। पत्रकार का दायित्व बहुत विस्तृत है। समाज के लिए कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका जिस तरह आधारभूत स्तम्भ है। उसी तरह पत्रकारिता वह मचान है जहां से समाज की हर घटना का आकलन कर उसे सम्भावित नुकसान से बचाया जा सकता है। भारत जैसे देश के लिए तो पत्रकारिता का स्तर और भी व्यापक हो उठता है। “पत्रकारिता क्या है? (What is Journalism in Hindi)” यह पत्रकारिता ही है।

जिसने भारत की आजादी में जनचेतना का मार्ग प्रशस्त किया था। संक्षेप में हम कह सकते हैं कि प्रकाशन-लेखन-प्रसारण की त्रिवेणी ही पत्रकारिता-व्यवसाय है। पत्रकारिता जन संवेदना का एकमात्र प्रभावी जनसंचार माध्यम है। “पत्रकारिता क्या है?” पत्रकारिता अभिव्यक्ति, आदर्श कला, अच्छे व्यवसाय और मानव चेतना को उत्तेजित करने का संपूर्ण विज्ञान है। युगबोध या युग चेतना के प्रमुख तत्वों के साथ, पत्रकारिता मानवता के विकास और विचार के लिए राजमार्ग है। जिसके कारण सार्वजनिक जीवन में पल-पल हलचल होती रहती है। “पत्रकारिता क्या है? (What is Journalism in Hindi)” समाज, संस्कृति, साहित्य, दर्शन, विज्ञान, और प्रौद्योगिकी के व्यापक प्रसार के कारण, मानव संघर्ष, क्रांति से प्रभावित जीवन-सागर में जीवन के ज्वार का रास्ता दिखाने के लिए पत्रकारिता बहुत महत्वपूर्ण हो गई है।

जनता, समाज, राष्ट्र और विश्व को गरीबी का भूगोल, पूँजीपतियों का अर्थशास्त्र और नेताओं का समाजशास्त्र पढ़ाने में पत्रकारिता ही सक्षम है। इस जीवंत विद्या से जन-जन के दुःख-सुख, आशा-आकांक्षा को मुखरित किया जाता है। मुझे उम्मीद है की “पत्रकारिता क्या है? (What is Journalism in Hindi)” पर यह पोस्ट आपको पसंद आया होगा। अगर आपको “पत्रकारिता क्या है? (What is Journalism in Hindi)” पर पोस्ट अच्छा लगा तो अपने दोस्तों और सोसल मीडिया पर शेयर जरुर करे। सबसे बड़ी बात आपको “पत्रकारिता क्या है? (What is Journalism in Hindi)” में को समझने में कोई भी समस्या हो रही है तो आप हमें अपने सवालों को कमेंट करें। हमारी टीम आपके सवालों का जवाब जल्द से जल्द देगी।