भारत में यूरोपीय कंपनियों का आगमन Show
यूरोपीय कंपनियों का आगमन1453 ई. में कुस्तुनतुनिया पर तुर्कों का अधिकार हो गया, जिससे यूरोप व एशिया के मध्य के पुराने व्यापारिक मार्ग तुर्कों के नियंत्रण में आ गए। यूरोप के अधिकांश देश भारत तथा दक्षिणी पूर्वी एशियाई देशों के साथ मुख्यतः गरम मसालों का व्यापार करना चाहते थे अतः यूरोपीय देशों द्वारा नवीन व्यापारिक मार्गों की खोज को प्रोत्साहन दिया गया। नवीन देशों एवं व्यापारिक मार्गों की खोज में पुर्तगाल और स्पेन अग्रणी थे।
भारत में यूरोपियों के आने का क्रम
यूरोपीय कंपनी के गठन का क्रम
भारत में पुर्तगाली पुर्तगीज
फ्रांसिस्को डी अल्मीडा (1505-1509 ई.)
अलफांसो डी अलबुकर्क (1509-1515 ई.)
नीनो डी कुन्हा (1529-1538 ई.)
पुर्तगाली नियंत्रण की विधि
पुर्तगाली प्रभुत्व का पतन
भारत में डच
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डेन का भारत में आगमन
फ्रेंच का भारत आगमनफ्रांसीसियों का आगमन
Read Also.... यूरोपीय व्यापारियों ने व्यापारिक कंपनियों की स्थापना की क्यों?भारत की समृद्ध अर्थव्यवस्था के कारण इतनी सारी यूरोपीय कंपनियां भारत में आई, और भारत में सुदृढ़ रूप से व्यापार करने के लिए इन कंपनियों ने भारत में अलग-अलग क्षेत्रों में अपनी-अपनी कंपनियों की स्थापना करी दी थी। पुर्तगाली 1498 में भारत में आये, और उसी वर्ष उन्होंने अपनी स्थापना भारत में कर दी थी।
यूरोपीय व्यापारिक कंपनियां भारत क्यों आई थी?यूरोपियों का भारत में आने का मुख्य मकसद व्यापार करना था। वास्को-डि-गामा ने 'केप ऑफ गुड़ होप' के रास्ते भारत तक के समुद्री मार्ग की खोज की थी।
यूरोपीय व्यापारिक कंपनी के बीच प्रतिद्वंद्विता के कारण क्या थे?यूरोप के बाजारों में भारतीय सूती कपड़े, रेशम, कालीमिर्च, लौंग, इलायची, दालचीनी आदि की जबर्दस्त माँग थी। वे भारत में सस्ती कीमतों पर ये चीजें खरीदकर वापस यूरोप जाकर उन्हें ऊँची कीमतों पर बेच सकती थीं। इसी व्यापारिक सम्भावना के कारण वे भारत की ओर आकर्षित हो रही थीं।
I यूरोप की व्यापारिक कंपनियों ने क्यों भारत के राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप करना शुरू किया ?`?(i) यूरोप की व्यापारिक कंपनियों ने क्यों भारत के राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप करना शुरू किया ? सुविधाएँ पाने के क्रम में राजनीतिक अनुकम्पा प्राप्त करने की कोशिश की। उन्होंने यह भी देखा कि भारतीय राज्य एक-दूसरे से लड़ने में मशगूल हैं और उनमें फूट व वैमनस्य है।
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