वीणावादिनी वर दे सरस्वती वंदना के रचयिता कौन है? - veenaavaadinee var de sarasvatee vandana ke rachayita kaun hai?

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MP Board Class 8th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 1 वर दे

MP Board Class 8th Hindi Bhasha Bharti Chapter 1 पाठ का अभ्यास

बोध प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के अर्थ शब्दकोश से खोजकर लिखिए
उत्तर
वीणावादिनी = सरस्वती देवी; मन्द रव = धीमा और गम्भीर स्वर; नव = नया; उर = हृदय; अंध-उर = अज्ञान के अन्धकार से युक्त हृदय;  जननि-माँ बन्धन-स्तर = दासता या बंधन का स्वरूप; तम = अज्ञान का अन्धकार; विहग वृन्द = पक्षियों का समूह; पर = पंखा; कलुष मन के विकार या मलिन भाव; तम हर अज्ञान रूपी अन्धकार को दूर करके कलुषभेदमन के मलिनभाव को काट करके जगमग जग कर दे = संसार को जगमगा दे, प्रकाश = उजाला; ज्योतिर्मय निर्झर = प्रकाश से युक्त झरना; नवल = कोमलता लिए हुए नवीन।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए
(क) ‘नव नभ’ के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?
उत्तर
‘नव नभ’ के माध्यम से कवि कहना चाहता है कि सभी प्राणी नए भारतवर्ष की रचना करें और उन्हें इस निर्माण में सभी नए साधन प्राप्त हों।

(ख) इस कविता में कवि किससे वरदान मांग रहा है ?
उत्तर
इस कविता में कवि ज्ञान की देवी माँ सरस्वती से वरदान माँग रहा है।

(ग) कवि भारत में कौन-सा मन्त्र भरने की बात कह
उत्तर
कवि भारत में नव अमृत मन्त्र भरने की बात कह रहा है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से लिखिए

(क) कवि माँ सरस्वती से क्या वरदान चाह रहा है?
उत्तर
कवि माँ सरस्वती से वरदान चाहता है कि सम्पूर्ण भारतवर्ष में स्वतन्त्रता की नई भावना का अमर मंत्र भर जाये। प्रत्येक व्यक्ति के हृदय से विभिन्न स्तर से अज्ञान का अन्धकार दूर हो जाए तथा सर्वत्र ज्ञान की ज्योति का झरना बहने लगे। मन के विकार दूर हो जायें, अजान का अन्धकार नष्ट हो जाए तथा समस्त संसार ज्ञान के प्रकाश से चमक उठे। सम्पूर्ण भारत नई गति प्राप्त करके गीत और छन्द के क्षेत्र में नवीनता प्राप्त करे।

प्रत्येक कंठ में मधुर स्वर नए बादल की गम्भीर और कल्याणकारी गर्जना के समान उठने लगे। कविता और गीत के आकाश के स्वतन्त्र वातावरण में नये जन्मे पक्षियों के समान नए कवि और गीतकार अपनी कल्पना के नये पंखों (गीतों) के सहारे उड़ान भरने में समर्थ हो जायें। इस तरह, हे सरस्वती देवी । ऐसे उन नए कवियों को स्वतन्त्रता का नया स्वर प्रदान कर दे।

वीणावादिनी वर दे सरस्वती वंदना के रचयिता कौन है? - veenaavaadinee var de sarasvatee vandana ke rachayita kaun hai?

(ख) कवि प्रकृति की हर वस्तु में नया रूप क्यों देखना चाह रहा है?
उत्तर
कवि ‘निराला’ जी ने अपनी कविता में प्रकृति की ही वस्तु का चित्रण नये रूप में किया है। वे चाहते हैं कि प्रकृति में कोई भी वस्तु अपने पुराने अथवा अतीत के स्वरूप में न बनी रहे। वे चाहते हैं कि वहाँ मधुरता हो, भावुकता हो, सजीवता हो क्योंकि प्रकृति अपने गतिप्रधान स्वरूप में मनुष्य मन को शुद्धता, पवित्रता और कोमलता प्रदान करती है।

प्रकृति अपने प्रत्येक बदले हुए स्वरूप में प्रेम और सौन्दर्य का उपदेश देती है। प्रकृति के स्वतन्त्र विकास से उसकी निर्भीकता तथा सभी के कल्याण की भावना मनुष्य में विकास पाती है। प्रकृति के मुक्त चित्रण में कवि ने रूढ़ियों की अन्धेरी काया को तोड़ कर मानव मुक्ति का सन्देश दिया है। नये बादल की मधुर गम्भीर गर्जना लोगों के मन के विकारों को दूर करके अपनी सुखद वर्षा से पृथ्वी को शस्य श्यामला बना देती है। कवि ने अपनी कविता में सर्वत्र ही अज्ञान के अन्धकार को मिटाने तथा ज्ञान के प्रकाश से सम्पूर्ण जगत् को लाभ देने के लिए ‘शारदा’ से नम्र निवेदन किया है कि सम्पूर्ण समाज सत्य, शिव और सुन्दर बन जाये।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित पंक्तियों की उचित शब्दों से पूर्ति कीजिए
(क) कलुष भेद, तम हर …………. भर।
(ख) काट अन्ध उर …………….. स्तर।
(ग) बहा ……………….. ज्योतिर्मय निर्झर।
(घ) नव …………… स्वर दे।
उत्तर
(क) प्रकाश
(ख) के बन्धन
(ग) जननि
(घ) पर, नव।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित पंक्तियों के भाव स्पष्ट कीजिए
(क) काट अन्ध उर के बन्धन स्तर,
बहा जननि, ज्योतिर्मय निर्झर।
उत्तर
हे माँ ! मनुष्यमात्र के हृदय में जो अज्ञान के भिन्न-भिन्न स्तरों के बन्धन हैं, उन्हें काट दे और उन्हें हर प्रकार के अज्ञान से मुक्त कर दे। उनके हृदयों में ज्ञान का ज्योति रूपी झरना बहा दे। मन के विकारों (बुरे भाव) को दूर कर दे। अज्ञान के अन्धकार को मिटा दे। ज्ञान का प्रकाश भर दे। सम्पर्ण संसार को जगमगा दे।

(ख) नव नभ के नव विहग वृन्द को,
नव पर, नव स्वर दे।
उत्तर
हे माँ सरस्वती ! आकाश के समान यह नया समाज सर्वत्र फैला हुआ है। इसमें नए-नए कवि नवीन पक्षियों (अभी जन्म लेने वाले पक्षियों) के समान चहकते हुए कल्पना की उड़ान भरने के लिए आकुल हैं। तू, इन नए कवि रूपी पक्षियों को नई गति प्रदान कर। नवीन लय और ताल से युक्त छन्द प्रदान कर, इन्हें नए-नए पंख (कल्पनाशक्ति) देकर ऊँची उड़ान भरने योग्य बना दे। इनके कण्ठ को कोमल और नवीन बादल के समान धीमा और गम्भीर स्वर प्रदान कर दे ताकि ये नए-नए गीत (कविताएँ) गा सकें।

प्रश्न 6.
सही विकल्प चुनकर लिखिए
(क) ‘नव नभ के नव विहग वृन्द को पंक्ति में अलंकार
(अ) यमक
(आ) अनुप्रास
(इ) श्लेष।
उत्तर
(आ) अनुप्रास

(ख) ‘वर दे’ कविता के रचयिता हैं
(अ) सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’
(आ) जयशंकर प्रसाद
(इ) गिरधर।
उत्तर
(अ) सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’

(ग) विहग वृन्द का आशय है
(अ) पशुओं का समूह
(आ) मनुष्यों का समूह
(इ) पक्षियों का समूह।
उत्तर
(इ) पक्षियों का समूह।

वीणावादिनी वर दे सरस्वती वंदना के रचयिता कौन है? - veenaavaadinee var de sarasvatee vandana ke rachayita kaun hai?

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों का शुद्ध उच्चारण कीजिए
वीणावादिनी, स्वतन्त्र, अमृत, ज्योतिर्मय, विहग वृन्द, बन्धन, निर्झर, जननि।
उत्तर
विद्यार्थी उपर्युक्त शब्दों को ठीक-ठीक पढ़कर उनका शुद्ध उच्चारण करने का अभ्यास करें।

प्रश्न 2.
‘वर दे’, पाठ में आए ‘र’ के विभिन्न रूप (..और र) वाले शब्द छाँटकर लिखिए।
उत्तर
रव, भर, उर, स्तर, ज्योतिर्मय, निर्झर, अमृत, प्रिय, हर, वृन्द।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों के नीचे बनी वर्ग पहेली से दो-दो पर्यायवाची शब्द खोजकर लिखिए
अमृत, जननि, रात, जग, आकाश, विहग।
उत्तर

वीणावादिनी वर दे सरस्वती वंदना के रचयिता कौन है? - veenaavaadinee var de sarasvatee vandana ke rachayita kaun hai?

प्रश्न 4.
‘तम हर’, ‘प्रकाश भर में एक-दूसरे के विपरीत अर्थ वाले शब्द प्रयुक्त हुए हैं। इस प्रकार के पाँच शब्द लिखिए, जिनसे विपरीत अर्थ (विलोम) प्रकट होता है।
उत्तर

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प्रश्न 5.
निम्नलिखित उदाहरणों में से उपमेय, उपमान, साधारण धर्म, वाचक शब्द छाँटकर तालिका में लिखिए
(1) सीता का मुख चन्द्रमा के समान सुन्दर है।
(2) पीपर पात सरिस मन डोला।
(3) हरिपद कोमल कमल से।
(4)”नन्दन वन-सी फूल उठी वह छोटी-सी कुटिया मेरी।”
उत्तर

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वर दे सम्पूर्ण पद्यांशों की व्याख्या

1. वर दे, वीणावादिनी वर दे।
प्रिय स्वतन्त्र रव अमृत मन्त्र नव
भारत में भर दे!

शब्दार्थ-वीणावादिनी = वीणा बजाने वाली सरस्वती देवी; वा दे = वरदान दे; प्रिय = सुनने में मधुर लगने वाला, स्वतन्त्र रव = आजादी की ध्वनि; अमृत = अमर या सदा रहने वाला; नव = नया।

सन्दर्भ-प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक भाषा-भारती’ के ‘ वर दें’ नामक पाठ से अवतरित है। इसके रचयिता सूर्यकान्त त्रिपाठी “निराला” हैं।

प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने सरस्वती देवी से सम्पूर्ण भारतवर्ष में स्वतन्त्रता की आवाज भर देने की कामना की है।

व्याख्या-वीणा बजाने वाली हे माँ सरस्वती ! तू मुझे वरदान दे। मेरे इस भारत देश को तू प्रिय और स्वतन्त्र वाणी प्रदान कर तथा इसमें अमरता का नवीन मन्त्र भर दे अर्थात् भारत को स्वतन्त्रता और अमरता की भावना प्रदान कर दे।

(2) काट अन्ध-उर के बन्धन-स्तर
बहा जननि, ज्योतिर्मय निर्धार
कलुष-भेद तम हर, प्रकाश भर
जगमग जग कर दे !

शब्दार्थ-अन्ध-उर = अज्ञान के अन्धकार से भरे हुए हृदय के ज्योतिर्मय = ज्योति या प्रकाश से युक्त निर्झर-झरना; कलुष मन के विकार, मलिन भाव; भेद = काटकर या समाप्त करके तमहर अज्ञान के अन्धकार को दूर करके प्रकाश भरज्ञान के प्रकाश से भर दे: जग-संसार: जगमग चमका दे।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने ज्ञान की ज्योति से पूरे संसार को चमकाने की कामना की है।

व्याख्या-हे माँ ! मनुष्यमात्र के हृदय में जो अज्ञान के भिन्न-भिन्न स्तरों के बन्धन हैं, उन्हें काट दे और उन्हें हर प्रकार के अज्ञान से मुक्त कर दे। उनके हृदयों में ज्ञान का ज्योति रूपी झरना बहा दे। मन के विकारों (बुरे भाव) को दूर कर दे। अज्ञान के अन्धकार को मिटा दे। ज्ञान का प्रकाश भर दे। सम्पर्ण संसार को जगमगा दे।

वीणावादिनी वर दे सरस्वती वंदना के रचयिता कौन है? - veenaavaadinee var de sarasvatee vandana ke rachayita kaun hai?

3. नव गति, नव लय, ताल-छन्द नव,
नवल कण्ठ, नव जलद-मन्द रव,
नव नभ के नव विहग वृन्द को,
नव पर, नव स्वर दे !

शब्दार्थ-नव = नई गति = चाल; नवल = कोमल और नवीन; कंठ- गला या स्वर; जलद = बादल; मन्द = धीमी और गम्भीर; रव = ध्वनि या गर्जना; नभ- आकाश; विहग = पक्षी; वृन्द = समूह; पर = पंख।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-कवि ने समाज, साहित्य और सम्पूर्ण परिवेश में नयापन लाने की कामना की है।

व्याख्या-हे माँ सरस्वती ! आकाश के समान यह नया समाज सर्वत्र फैला हुआ है। इसमें नए-नए कवि नवीन पक्षियों (अभी जन्म लेने वाले पक्षियों) के समान चहकते हुए कल्पना की उड़ान भरने के लिए आकुल हैं। तू, इन नए कवि रूपी पक्षियों को नई गति प्रदान कर। नवीन लय और ताल से युक्त छन्द प्रदान
कर, इन्हें नए-नए पंख (कल्पनाशक्ति) देकर ऊँची उड़ान भरने योग्य बना दे। इनके कण्ठ को कोमल और नवीन बादल के समान धीमा और गम्भीर स्वर प्रदान कर दे ताकि ये नए-नए गीत (कविताएँ) गा सकें।

विशेष-कवि ने माँ शारदा (सरस्वती) से भारत के लिए स्वतन्त्रता का मन्त्र, संसार के लिए ज्ञान और कवियों के लिए नई कल्पना तथा काव्यकला की माँग की है। ‘निराला’ जी की महानता है कि उन्होंने अपने लिए कुछ भी नहीं माँगा है।

वीणा वादिनी वर दे सरस्वती वंदना के रचयिता कौन है?

वर दे वीणावादिनी वर दे ! / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"

वीणावादिनी कौन है?

जगमग जग कर दे ! नव पर, नव स्वर दे ! वर दे, वीणावादिनि वर दे। ... .

वर दे वीणा वादिनी वर दे में कौन सा अलंकार है?

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कविता में कवि मां वीणा वादिनी से वरदान में क्या चाहता है?

Answer. Answer: वर दे वीणा देवा धनी वर दे वीणा वादिनी वर दे, कविता में कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला माँ सरस्वती से सभी भारत के नागरिकों के लिए स्वतंत्र की भावना का अमृत मांगते हैं। वह सभी भारत वासियों के अंधकार हृदय में व्याप्त अंधकार रूपी बंधन को काटने और उसे ज्ञान से भर देने का वरदान मांगते हैं।