वह ऐसी कौन सी बात रही होगी जिसने लेखक को दिल्ली जाने के लिए बाध्य कर दिया - vah aisee kaun see baat rahee hogee jisane lekhak ko dillee jaane ke lie baadhy kar diya

वह ऐसी कौन सी बात रही होगी जिसने लेखक को दिल्ली जाने के लिए बाध्य कर दिया - vah aisee kaun see baat rahee hogee jisane lekhak ko dillee jaane ke lie baadhy kar diya

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वह ऐसी कौन सी बात रही होगी जिसने लेखक को दिल्ली जाने के लिए बाध्य कर दिया - vah aisee kaun see baat rahee hogee jisane lekhak ko dillee jaane ke lie baadhy kar diya

NCERT Solutions for Class 9 Course A

Kshitij

  • 1 प्रेमचंद
  • 2 राहुल सांकृत्यायन
  • 3 श्यामाचरण दुबे
  • 4 जाबिर हुसैन
  • 5 चपला देवी
  • 6 हरिशंकर परसाई
  • 7 महादेवी वर्मा
  • 8 हज़ारीप्रसाद द्रिवेदी
  • 9 कबीर
  • 10 ललद्धद
  • 11 रसखान
  • 12 माखनलाल चतुर्वेदी
  • 13 सुमित्रानंदन पन्त
  • 14 केदारनाथ अग्रवाल
  • 15 सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
  • 16 चंद्रकांत देवताल
  • 17 राजेश जोशी

Kritika

  • 01 इस जल प्रलय में
  • 02 मेरे संग की औरतें
  • 03 रीढ़ की हड्डी
  • 04 माटीवाली
  • 05 किस तरह आखिरकार मैं हिन्दी में आया

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Course A Kritika Kis Tarah Aakhirkar Main Hindi Mein Aaya

1. वह ऐसी कौन सी बात रही होगी जिसने लेखक को दिल्ली जाने के लिए बाध्य कर दिया?

उत्तर:- लेखक जिन दिनों बेरोजगार थे उन दिनों शायद किसी ने उन्हें कटु बातें की होगीं जिसे वे बर्दाश्त नहीं कर पाए होगे और दिल्ली चले आए होंगे।


2. लेखक को अंग्रेज़ी में कविता लिखने का अफ़सोस क्यों रहा होगा ?

उत्तर:- लेखक को अंग्रेज़ी में कविता लिखने पर अफ़सोस इसलिए रहा होगा क्योंकि वह भारत की जन-भाषा नहीं थी। इसलिए भारत के लोग यानी उनके अपने लोग उसे समझ नहीं पाते होंगे। साथ ही जब वे इलाहाबाद आए तो वहाँ का साहित्यिक वातावरण तथा बच्चन, निराला और पन्त जैसे महान लेखकों का सानिध्य पाकर वे हिन्दी लेखन की ओर अग्रसर होने लगे और हिन्दी में ही रचनाएँ करने लगे। इस प्रकार लेखक का अंग्रेजी में लिखने का प्रयास व्यर्थ गया जिसका शायद उन्हें अफ़सोस रहा।


3. अपनी कल्पना से लिखिए कि बच्चन ने लेखक के लिए नोट में क्या लिखा होगा ?

उत्तर:- दिल्ली के उकील आर्ट स्कूल में बच्चनजी लेखक के लिए एक नोट छोड़कर गए थे। उस नोट में शायद उन्होंने लिखा होगा कि तुम इलाहाबाद आ जाओ। लेखन में ही तुम्हारा भविष्य निहित है। संघर्ष करने वाले ही जीवन पथ पर अग्रसर होते हैं अत:परिश्रम करो सफलता अवश्य तुम्हारे कदम चूमेगी।


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4. लेखक ने बच्चन के व्यक्तित्व के किन-किन रूपों को उभारा है ?

उत्तर:- लेखक ने बच्चन के व्यक्तित्व के अनेक रूपों को उभारा है –
1) बच्चन का स्वभाव संघर्षशील, परोपकारी, फौलादी संकल्पवाला था।
2) बच्चनजी समय के अत्यंत पाबन्द होने के साथ-साथ कला-प्रतिभा के पारखी थे। उन्होंने लेखक द्वारा लिखे एक ही सॉनेट को पढ़कर उनकी कला – प्रतिभा को पहचान लिया था।
3) बच्चनजी अत्यंत कोमल एवं सहृदय मनुष्य थे।
4) वे ह्रदय से ही नहीं, कर्म से भी परम सहयोगी थे।
उन्होंने न केवल लेखक को इलाहाबाद बुलाया बल्कि लेखक की पढ़ाई का सारा जिम्मा भी उठा लिया।


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5. बच्चन के अतिरिक्त लेखक को अन्य किन लोगों का तथा किस प्रकार का सहयोग मिला ?

उत्तर:- लेखक को बच्चन के अतिरिक्त निम्नलिखित लोगों का सहयोग प्राप्त हुआ –
तेजबहादुर सिंह – ये लेखक के बड़े भाई थे। ये आर्थिक तंगी के दिनों में उन्हें कुछ रूपये भेजकर उनका सहयोग करते थे।
बच्चन के पिता – जब लेखक इलाहाबाद में आकर बस गए तो उन्हें स्थानीय अभिभावक की आवश्यकता थी। तब हरिवंशराय बच्चन के पिता ने उनका अभिभावक बनना स्वीकार किया।
सुमित्रानंदन पंत और निरालाजी – लेखक को इलाहाबाद में पंतजी और निरालाजी जैसे हिंदी के सुप्रसिद्ध कवियों का सानिध्य प्राप्त हुआ, जिन्होंने हिन्दी लेखन में लेखक को भरपूर सहयोग दिया। सुमित्रानंदन पंत ने लेखक को इंडियन प्रेस से अनुबाद का काम दिला दिया। उन्होंने लेखक द्वारा लिखी कविताओं में कुछ संशोधन भी किया।
ससुराल पक्ष – जिन दिनों विधुर लेखक आजीविका कमाने के लिए संघर्ष कर रहे थे, तब ससुराल वालों ने उन्हें अपनी दुकान पर कम्पाउंडरी का प्रशिक्षण दिया।
बच्चनजी – लेखक को सबसे ज्यादा सहयोग बच्चनजी से प्राप्त हुआ । जिन्होंने इलाहबाद बुलाकर लेखक को एम्.ए करने के लिए प्रेरित किया और पढाई का पूरा खर्च उठाया और कदम-कदम पर अपना मार्गदर्शन और सहयोग प्रदान किया।


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6. लेखक के हिंदी लेखन में कदम रखने का क्रमानुसार वर्णन कीजिये।

उत्तर:- • मित्रों के सहयोग, इलाहाबाद का संस्कार तथा हिन्दी कविता का वातावरण और प्रोत्साहन पाकर लेखक हिन्दी में रचनाएँ करने लगे।
• सन १९३३ में लेखक की कुछ कविताएँ ‘सरस्वती’ व ‘चाँद’ पत्रिका में छपीं।
• १९३७ में लेखक ने बच्चन जी के बताए अनुसार १४ पंक्तियों की कविता को लिखने का प्रयास किया।
• लेखक ने ‘निशा निमंत्रण के कवि के प्रति’ एक कविता लिखी जिस पर पंत जी के कुछ संशोधन भी हुए, पर अप्रकाशित रही।
• फिर लेखक ‘रूपाभ’ के आफिस में प्रशिक्षण लेकर बनारस से प्रकाशित ‘हंस’ के कार्यालय में काम सँभाला।


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7. लेखक ने अपने जीवन में जिन कठिनाइयों को झेला है, उनके बारे में लिखिए।

उत्तर:- पाठ पढ़ने पर हमें लेखक के जीवन की कठिनाईयों के बारे में पता चलता है –
बेरोजगारी के दिनों में व्यंग बाणों को झेलना पड़ता था। लेखक को अपने प्रारम्भ के दिनों में आर्थिक समस्याओं से जूझना पड़ा था। साइन बोर्ड पेंट करके अपना गुजारा चलाना पड़ता था।
लेखक की पत्नी का टी.बी. के कारण देहांत हो गया था, और वे युवावस्था में ही विधुर हो गए। इसलिए उन्हें पत्नी – वियोग की पीड़ा को भी झेलना पड़ा।
बच्चनजी आग्रह पर जब वे इलाहाबाद आए तब भी वे आर्थिक समस्या से जूझ रहे थे। बच्चनजी ने उनकी पढ़ाई का सारा खर्चा उठाया था।
इस प्रकार उनके प्रारम्भ के दिन आर्थिक कठिनाईयों में बीते।

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अपनी कल्पना से लिखी थी बचाने के लिए नोट में क्या लिखा होगा?

दिल्ली के उकील आर्ट स्कूल में बच्चनजी लेखक के लिए एक नोट छोड़कर गए थे। उस नोट में शायद उन्होंने लिखा होगा कि तुम इलाहाबाद आ जाओ। लेखन में ही तुम्हारा भविष्य निहित है। संघर्ष करने वाले ही जीवन पथ पर अग्रसर होते हैं अत:परिश्रम करो सफलता अवश्य तुम्हारे कदम चूमेगी।

1 वह ऐसी कौन सी बात रही होगी जिसने लेखक को दिल्ली जाने के लिए बाध्य कर दिया ?`?

1. वह ऐसी कौन सी बात रही होगी जिसने लेखक को दिल्ली जाने के लिए बाध्य कर दिया? उत्तर:- लेखक जिन दिनों बेरोजगार थे उन दिनों शायद किसी ने उन्हें कटु बातें की होगीं जिसे वे बर्दाश्त नहीं कर पाए होगे और दिल्ली चले आए होंगे

लेखक को अंग्रेजी में कविता लिखने का अफसोस क्यों हो रहा होगा?

लेखक अपनी कविता उर्दू व अंग्रेज़ी में ही लिखता था। अपने हिंदी लेखक मित्रों की संगति में आकर ही उसे हिंदी के प्रति आकर्षण पैदा हुआ। तब उसे अपने द्वारा अंग्रेज़ी में कविता लिखने का अफ़सोस हुआ। क्योंकि उस के घर का माहौल खालिस उर्दू था इसलिए उसे उर्दू में महारत हासिल थी।