Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 4 विदुर Show
Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 4 विदुर These NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant & Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers Summary in Hindi Chapter 4 विदुर are prepared by our highly skilled subject experts. Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers Summary in Hindi Chapter 4 विदुरBal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers in Hindi Chapter 4 x प्रश्न 1. उत्तर- सारे संसार की भलाई को ध्यान में रखकर धृतराष्ट्र ने अपनी तरफ़ से संजय को दूत बनाकर पांडवों के पास भेजने का निश्चय किया। प्रश्न-3 युधिष्ठिर ने संजय द्वारा धृतराष्ट्र को क्या संदेश भेजा? उत्तर- युधिष्ठिर ने संजय द्वारा धृतराष्ट्र को संदेश भेजा कि "कम-से-कम हमें पाँच गाँव ही दे दें। हम पाँचों भाई इसी से संतोष कर लेंगे और संधि करने को तैयार होंगे।" प्रश्न-4 धृतराष्ट्र ने दुर्योधन को संधि के विषय में क्या समझाया? उत्तर- धृतराष्ट्र ने संतप्त होकर दुर्योधन को समझाया-"बेटा, भीष्म पितामह जो कहते हैं, वही करने योग्य है। युद्ध न होने दो। संधि करना ही उचित है।" प्रश्न-5 श्रीकृष्ण स्वयं हस्तिनापुर क्यों जाना चाहते थे? उत्तर – श्रीकृष्ण स्वयं हस्तिनापुर जाकर शांति स्थापित करने का प्रयास करना चाहते थे जिससे कि किसी के यह कहने की गुंजाइश ही न रहे कि उन्होंने शांति स्थापित करने का प्रयास नहीं किया। प्रश्न-6 धृतराष्ट्र ने संजय को बुलाकर क्या कहा? उत्तर- धृतराष्ट्र ने संजय को बुलाकर कहा "संजय, तुम पांडु-पुत्रों के पास जाओ। वहाँ श्रीकृष्ण, सात्यकि, विराट आदि राजाओं से भी कहना कि मैंने सप्रेम उन सबकी कुशल पूछी है। वहाँ जाकर मेरी ओर से युद्ध न होने की चेष्टा करो।" प्रश्न-7 कर्ण ने संधि के प्रस्ताव के संदर्भ में क्या बोला? उत्तर – कर्ण बड़े क्रोध के साथ बोला-"तेरहवाँ बरस पूरा होने से पहले ही उन्होंने प्रतिज्ञा भंग करके अपने आपको प्रकट कर दिया है। इसलिए शर्त के अनुसार उनको फिर से बारह बरस के लिए वनवास भोगना पड़ेगा।" प्रश्न-8 पांडवों और कौरवों ने अपनी सेना किस प्रकार इकठ्ठी की? उत्तर – उपप्लव्य नगर में रहते हुए पांडवों ने अपने मित्र राजाओं को दूतों द्वारा संदेश भेजकर कोई सात अक्षौहिणी सेना एकत्र की। उधर कौरवों ने भी अपने मित्रों द्वारा काफ़ी बड़ी सेना इकट्ठी कर ली, जो ग्यारह अक्षौहिणी तक हो गई थी। प्रश्न-9 संधि प्रस्ताव के प्रति कर्ण की राय को सुनकर भीष्म क्या बोले? उत्तर - भीष्म बोले-“राधा-पुत्र! तुम बेकार की बातें कर रहे हो। यदि हम युधिष्ठिर के दूत के कहे अनुसार संधि नहीं करेंगे, तो निश्चय ही युद्ध छिड़ जाएगा और उसमें दुर्योधन आदि सबको पराजित होकर मृत्यु के मुँह में जाना पड़ेगा।" प्रश्न-10 युधिष्ठिर ने किसे दूत बनाकर भेजा और उसने धृतराष्ट्र से क्या कहा? उत्तर- युधिष्ठिर ने पांचाल नरेश के पुरोहित को दूत बनाकर भेजा। वह पांडवों की ओर से संधि का प्रस्ताव करते हुए बोले-"युधिष्ठिर का विचार है कि युद्ध से संसार का नाश ही होगा और इसी कारण वे युद्ध से घृणा करते हैं। वे लड़ना नहीं चाहते। इसलिए न्याय तथा पहले के समझौते के अनुसार यह उचित होगा कि आप उनका हिस्सा देने की कृपा करें। इसमें विलंब न कीजिए।" उत्तर - श्रीकृष्ण अपने साथ अर्जुन की पत्नी सुभद्रा और उसके पुत्र अभिमन्यु को भी द्वारकापुरी लेते गए। प्रश्न-3 हस्तिनापुर में हुई घटनाओं की खबर पाते ही श्रीकृष्ण ने क्या किया? उत्तर - हस्तिनापुर में हुई घटनाओं की खबर पाते ही वह फ़ौरन उस वन को चल पड़े जहाँ पांडव ठहरे हुए थे। प्रश्न-4 पांडवों से मिलने श्रीकृष्ण के साथ कौन-कौन गए? उत्तर – श्रीकृष्ण जब पांडवों से भेंट करने के लिए जाने लगे, तो उनके साथ कैकेय, भोज और वृष्टि जाति के नेता, चेदिराज धृष्टकेतु आदि भी गए। प्रश्न-5 श्रीकृष्ण से मिलने पर द्रौपदी ने क्या कहा? उत्तर - श्रीकृष्ण को देखते ही द्रौपदी की आँखों से अविरल अश्रुधार बहने लगे। वह बोली-"इस तरह अपमानित होने के बाद मेरा जीना ही बेकार है। मेरा कोई नहीं रहा और आप भी मेरे न रहे!” प्रश्न-6 धृतराष्ट्र ने संजय को विदुर को वापस लाने के लिए क्यों भेजा? उत्तर – विदुर के चले जाने पर धृतराष्ट्र और भी चिंतित हो गए। वह सोचने लगे कि मैंने यह क्या कर दिया। विदुर को भगाकर मैंने भारी भूल कर दी। यह सोचकर धृतराष्ट्र ने संजय को विदुर को वापस लाने के लिए भेजा। प्रश्न-7 धृतराष्ट्र ने विदुर को क्यों पांडवों के पास जाने को कह दिया? उत्तर - विदुर बार-बार धृतराष्ट्र से आग्रह करते थे कि आप पांडवों के साथ संधि कर लें। शुरू-शुरू में वह विदुर की बातें सुन लिया करते थे। परंतु बार-बार विदुर की ऐसी ही बातें सुनते-सुनते वह ऊब गए। एक दिन विदुर ने फिर वही बात छेड़ी, तो धृतराष्ट्र ने झुँझलाकर विदुर को पांडवों के पास जाने को कह दिया। प्रश्न-8 दुर्योधन के किस बात से महर्षि मैत्रेय बड़े क्रोधित हुए? उत्तर – ऋषि ने यों मीठी बातों से दुर्योधन को समझाया, पर जिद्दी व नासमझ दुर्योधन ने उनकी ओर देखा तक नहीं। वह कुछ बोला भी नहीं, बल्कि अपनी जाँघ पर हाथ ठोकता और पैर के अँगूठे से ज़मीन कुरेदता, मुसकराता हुआ खड़ा रहा। दुर्योधन की इस ढिठाई को देखकर महर्षि बड़े क्रोधित हुए। प्रश्न-9 श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को सांत्वना देते हुए क्या कहा? उत्तर – श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को सांत्वना देते हुए बोले-"बहन द्रौपदी! जिन्होंने तुम्हारा अपमान किया है, उन सबकी लाशें युद्ध के मैदान में खून से लथपथ होकर पड़ेगी। तुम शोक न करो। मैं वचन देता हूँ कि पांडवों की हर प्रकार से सहायता करूंगा। यह भी निश्चय मानो कि तुम साम्राज्ञी के पद को फिर सुशोभित करोगी।" | प्रश्न-10 पांडु के बेटे और द्रौपदी वन कैसे जा रहे थे? उत्तर – कुंती-पुत्र युधिष्ठिर, कपड़े से चेहरा ढककर जा रहे थे। भीमसेन अपनी दोनों भुजाओं को निहारता, अर्जुन हाथ में कुछ बालू लिए उसे बिखेरता, नकुल और सहदेव सारे शरीर पर धूल रमाए हुए, क्रमशः युधिष्ठिर के पीछे-पीछे जा रहे थे। द्रौपदी ने बिखरे हुए केशों से सारा मुख ढक लिया था और आँसू बहाती हुई, युधिष्ठिर का अनुसरण कर रही थी। प्रश्न-11 महर्षि मैत्रेय ने पांडवों की कुशलता के बारे में क्या कहा? उत्तर – महर्षि मैत्रेय ने कहा-" राजन्, काम्यक वन में संयोग से युधिष्ठिर से मेरी भेंट हो गई थी। वन के दूसरे ऋषि-मुनि भी उनसे मिलने उनके आश्रम में आए थे। हस्तिनापुर में जो कुछ हुआ था, उसका सारा हाल उन्होंने मुझे बताया था। यही कारण हैं कि मैं आपके यहाँ आया हूँ। आपके और भीष्म के रहते ऐसा नहीं होना चाहिए था।" प्रश्न-12 किसने किससे कहा? i. “धृतराष्ट्र अपनी भूल पर पछता रहे हैं। आप यदि वापस नहीं लौटेंगे, तो वह अपने प्राण छोड़ देंगे। कृपया अभी लौट चलिए।” राजा धृतराष्ट्र ने दुर्योधन को क्या समझाया?उत्तर: धृतराष्ट्र के दुर्योधन को सलाह दिया कि- भीष्म पितामह जो कह रहे हैं, वह सही है। अतः युद्ध का विचार छोड़कर संधि कर लो।
श्री कृष्ण ने दुर्योधन को क्या समझाया था?श्रीकृष्ण ने दुर्योधन को पांडवों से युद्ध न करने की सलाह दी थी। श्रीकृष्ण ने दुर्योधन को बहुत समझाया कि ये युद्ध दोनों ही पक्षों के लिए सही नहीं है, इसलिए इस युद्ध टाल देना चाहिए। दुर्योधन को श्रीकृष्ण ने बहुत समझाया, लेकिन वह नहीं माना। इसके बाद दुर्योधन ने श्रीकृष्ण को अपने महल में भोजन करने के लिए आमंत्रित किया।
दुर्योधन ने धृतराष्ट्र से एकांत में क्या कहा?प्रश्न-2 दुर्योधन ने एकांत में धृतराष्ट्र से क्या कहा? उत्तर- दुर्योधन ने धृतराष्ट्र से कहा "पिता जी, जल्दी ही हम ऐसा कोई उपाय करें, जिससे हम सदा के लिए निश्चित हो जाएँ।"
धृतराष्ट्र ने दुर्योधन का साथ क्यों दिया?प्रश्न-1 धृतराष्ट्र दुर्योधन का साथ क्यों देते थे? उत्तर- अपने बेटे पर अंकुश रखने की शक्ति धृतराष्ट्र में नहीं थी। इस कारण यह जानते हुए भी कि दुर्योधन कुराह पर चल रहा है, उन्होंने उसका ही साथ दिया।
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