Haryana State Board HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 5 आधुनिक विश्व में चरवाहे Textbook Exercise Questions and Answers. Show Haryana Board 9th Class Social Science Solutions History Chapter 5 आधुनिक विश्व में चरवाहेHBSE 9th Class History आधुनिक विश्व में चरवाहे Textbook Questions and Answers आधुनिक विश्व में चरवाहे के प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class प्रश्न 1. आधुनिक विश्व में चरवाहे Class 9 Question Answer HBSE प्रश्न 2. आधुनिक विश्व में चरवाहे HBSE 9th Class प्रश्न 3. आधुनिक विश्व में चरवाहे Class 9 HBSE प्रश्न 4. HBSE 9th Class History आधुनिक विश्व में चरवाहे Important Questions and Answers Class 9th History Chapter 5 Question Answer In Hindi HBSE प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. प्रश्न 16. प्रश्न 17. प्रश्न 18. प्रश्न 19. प्रश्न 20. प्रश्न 21. प्रश्न 22. प्रश्न 23. प्रश्न 24. प्रश्न 25. गेहूँ के उत्पादन में वृद्धि नयी प्रौद्योगिकी के साथ जुड़ी हुई थी। कृषि के आधुनिकीकारण ने चकित करने वाला काम किया। नया चलने वाला हल इसी प्रकार का एक उदाहरण है। गरीब किसानों के लिए यह सभी यंत्र दुःख एवं कष्ट लेकर आए थे। फलस्वरूप कुछ ने तो अपने पुराने काम को छोड़ दिया। गेहूँ के उत्पादन की वृद्धि को एक दिन कम होना था। 1920 के दशके आते-आते गेहूँ का उत्पादन इतना बढ़ गया कि बहुत कुछ अतिरिक्त जा लगने लगा। न बिकने वाला स्टोर में पड़ा स्टॉक बढ़ने लगा तथा बहुत-सा अनाज मवेशियों के खाने में बदल गया। जैसे यह सब कुछ काफी नहीं था। प्रकृति से गेहूँ के विशाल मैदानों में धूल-मिट्टी व तूफान आने लगे जिनकी ऊँचाई 7,000से 8,000 फीट होती थी। 1930 के दशक में तो तूफानों की गति तीव्र होती थी। सारा आकाश काले अंधरे में बदल जाता था। लोगों की तकलीफें बढ़ने लगी, जानवर निढाल होने गले तथा मृत्यु की कगार पर आ गए। भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत कुछ नया से घर रहा था। 18वीं व 19वीं शताब्दी के दौरान भारत से विश्व बाज़ार के लिए अनेक वस्तुएं बनाई जाती थी। तब अफीम व नील दो व्यवसायिक फसलें प्रसिद्ध थीं। 19वीं शताब्दी के अन्तिम दिनों में भारत के किसान गन्ना, पटसन, सूत, गेहूँ आदि का निर्यात कर रहे थे। 18वीं शताब्दी तक अंग्रेज़ ईस्ट इण्डिया कम्पनी चीन ‘ से चाय खरीद रही थी। परन्तु इंग्लैंड चीन को कुछ नहीं बेच रहा था। इस प्रक्रिया में इंग्लैंड चीन को सोने व चांदी के रूप में धन ले रहा था जो स्थिति को मंजूर नहीं था। नतीज यह हुआ कि अंग्रेज कम्पनी ने भारत के किसानों को अफीम की खेती करने पर मज़दूर किया तथा भारतीय किसानों को खासा लोभ-लालच भी दिया। अंग्रेज चीन को अफीम बेचने लगे तथा चीनियों को अफीम पीने की आदत में लत कर दिया। जहाँ एक ओर अंग्रेज चीनियों को अफीम प्रयोग की आदत डाल रहा था; वहाँ दूसरी ओर वह भारतीय किसानों को अफीम के उत्पादन पर ज़ोर डाल रहा था। यह एक ओर चीनियों से अफीम के व्यापार में लाभ . कमाने का अवसर था तथा दूसरी ओर भारतीय किसानों का शोषण। प्रश्न 26. प्रश्न 27. प्रश्न 28. प्रश्न 29. प्रश्न 30. प्रश्न 31. प्रश्न 32. प्रश्न 33. प्रश्न 34. प्रश्न 35. प्रश्न 36. प्रश्न 37. प्रश्न 38. प्रश्न 39. प्रश्न 40. प्रश्न 41. समय गुजरने के साथ कुछ धनी चरवाहे जमीन खरीद कर एक जगह बस कर रहने लगे। उनमें से कुछ नियमित रूप से खेती करने लगे जबकि कुछ व्यापार करने लगे। जिन चरवाहों के पास ज़्यादा पैसा नहीं था वे सूदखोरों से. ब्याज पर कर्ज़ लेकर दिन काटने लगे। इस चक्कर में बहुतों के मवेशी भी हाथ से जाते रहे और वे मज़दूर बन कर रह गए। वे खेतों या छोटे-मोटे कस्बों में मजदूरी करते दिखाई देने लगे। वस्तुष्ठि प्रश्न प्रश्न 1. निम्नलिखित प्रश्नों में सही (√) व गलत (x) का वयन करें। (i) घुमंतु एक स्थान से दूसरे स्थान तक घूमते रहते थे। प्रश्न 2. निम्नलिखित रिक्त स्थानों को उपयुक्त शब्दों से भरें- (i) …….. एक अफ्रीका चरवाहा समुदाय है। (मासाई, गुजर) प्रश्न 3. निम्नलिखित विकल्पों में से सही विकल्प का चयन कीजिए। (i) निम्नलिखित समदाय जम्मू-कश्मीर का एक चरावाहा समुदाय है- (ii) निम्नलिखित का सम्बन्ध राजस्थानी चरवाहा समुदाय से था (iii) औपनिवेशिक अंग्रेज सरकार ने अपराधी जनजाति कानून निम्नलिखित वर्ष पास किया था (iv) निम्नलिखित एक अफ्रीकी चरवाहा समुदाय नहीं है आधुनिक विश्व में चरवाहे Class 9 HBSE Notes in Hindi अध्याय का सार इस अध्याय में आप घुमंतू चरवाहों के बारे में पढ़ेंगे। घुमंतू ऐसे लोग होते हैं जो किसी एक जगह टिक कर नहीं रहते बल्कि रोजी-रोटी के जुगाड़ में यहाँ से वहाँ घूमते रहते हैं। देश के कई हिस्सों में हम घुमंतू चरवाहों को अपने जानवरों के साथ आते-जाते देख सकते हैं। चरवाहों की किसी टोली के पास भेड़-बकरियों का रेवड़ या झुंड होता __ है तो किसी के पास ऊँट या अन्य मवेशी रहते हैं। क्या उन्हें देख कर आपने कभी इस बारे में सोचा है कि वे कहा! से आए हैं और कहा! जा रहे हैं? क्या आपको पता है कि वे कैसे रहते हैं, उनकी आमदनी के साधन क्या हैं और उनका अतीत क्या था? चरवाहों को इतिहास की पुस्तकों में विरले ही जगह मल पाती है। जब भी आप अर्थव्यवस्था के बारे में पढ़ते हैं-फिर चाहे वह इतिहास की कक्षा हो या अर्थशास्त्र की- सिर्फ कृषि और उद्योगों के बारे में ही पढते हैं। कभी-कभार इन कक्षाओं में कारीगरों के बारे में भी पढ़ने को मिल जाता है। लेकिन चरवाहों के बारे में पढ़ने-लिखने को ज्यादा कुछ नहीं मिलता। मानो उनकी जिंदगी का कोई मतलब ही न हो। अकसर मान लिया जाता है कि वे ऐसे लोग हैं जिनके लिए आज की आमुनिक दुनिया में कोई जगह नहीं है जैसे उनका दौर बीत चुका हो। इस अध्याय में आप देखेंगे कि भारत और अफ्रीका जैसे समाजों में चरवाही का कितना महत्त्व है। यहाँ आप जानेंगे कि उपनिवेशवाद ने उनकी जिंदगी पर कितना गहरा असर डाला है और इन समुदायों ने आमानिक समाज के ‘दबावों का किस तरह सामना किया है। इस भाग में हम पहले भारत और उसके बाद अफ्रीका के चरवाहों की जिंदगी का अध्ययन करेंगे। धंगर कहाँ रहते हैं?मुख्यतः वे तमिलनाडु, कर्नाटक ,तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड, हरियाणा, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र उत्तर प्रदेश दिल्ली के साथ साथ पड़ोसी देश नेपाल में भी निवास करती है।
अफ्रीका का प्रमुख चरवाहा समूह कौन सा था?उत्तर: 'मासाई', पूर्वी अफ्रीका का एक प्रमुख चरवाहा समुदाय है। औपनिवेशिक शासनकाल में मसाई समुदाय के चरागाहों को सीमित कर दिया गया।
घुमंतू चरवाहे कौन है?भारत में दो तरह के घुमंतू चरवाहे हैं। गूजर चरवाहे और गैर-गूजर चरवाहे। भारत में इनकी आबादी कुल आबादी का छह प्रतिशत तक थी। इधर यादा उल्लेख नहीं मिलता।
हिमाचल प्रदेश के चरवाहों को क्या कहा जाता था?गद्दी, भारत की एक प्रमुख जनजाति हैं।
|