Devsena Ka Geet Class 12 Chapter 1 Hindi Antra Question Answerदेवसेना का गीत कविता क्लास 12 अंतरा पाठ 1 प्रश्न अभ्यास – जयशंकर प्रसाददेवसेना का गीत प्रश्न 1- “मैने भ्रमवश जीवन संचित, मधुकरियों की भीख लुटाई” – पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए। Show
उत्तर- “मैने भ्रमवश जीवन संचित, मधुकरियों की भीख लुटाई” इस पंक्ति से कवि का आशय है कि जीवन में देवसेना ने यह सोचा था कि वह स्कंदगुप्त को पा लेगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ उसने बस जीवन भर सिर्फ उनकी यादें जोड़ी है उनको पाने की लालसा में पूरा जीवन निकाल दिया पर अब उसने अपने आप को देश सेवा के लिए समर्पित कर दिया है अब उसके मन से प्रेम की भावना खत्म हो गई है। अब स्कंदगुप्त वापिस आ रहे है वह इस समय अपनी आशा को बावली कहकर उन्हें चुप करती है कि आशा तुम क्यों बावली हुई जा रही हो मैं अपना कर्तव्य नहीं छोड़ सकती अगर मैने ऐसा किया तो मेरा अब तक की त्याग और तपस्या भंग हो जाएगी उसका प्रण उसकी
निष्ठा उसके लिए सबसे ऊपर है। उत्तर- देवसेना को आजीवन विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ा जब उसके परिवार पर आक्रमण हुआ तो उसके भाई समेत पूरा परिवार वीर गाती को प्राप्त हुआ तब वह अकेली पड़ गई उसका कोई सहारा नहीं था तो उसके आगे मात्र एक ही रास्ता था कि वो देश सेवा को अपना ले क्यों कि स्कंदगुप्त भी उसे ठुकरा चुके थे। इसलिए वह अपनी विपरीत परिस्थितियों के साथ जीने लगी और परिस्थितियों इतनी प्रबल थी को वह उनके आगे हार गई उसने परिस्थितियों से लड़ने की लिए जो होड़ लगाए यहां उसकी बात की गई है अर्थात परिस्थितियों से उसने मुकाबला किया लेकिन वो जीत नहीं पाई। भाव सौंदर्य- इन पंक्तियों का भाव ये है कि जिस प्रकार घने जंगल में पथिक थका हारा अए और पेड़ो की छाव में सो रहा हो और उस कोई तान सुना दे जाए तो वह उसे अच्छे नहीं लगेगी। उसी प्रकार से देवसेना अपनी मिट्ठी यांदे
और उसने जो सपने देखे थे स्कंदगुप्त को पाने के उनसे वह हार गई और अब वह देश सेवा के लिए समर्पित हो गई यहां वह अपने आप को पथिक के रूप में अभिव्यक्त करती है और कहती है कि अब उसे स्कन्द गुप्त का प्रेम निवेदन अच्छा नहीं लग रहा। भाव सौंदर्य- इन पंक्तियों का भाव ये है कि देवसेना कहती है कि हे स्कंदगुप्त तुम अब अपनी वो धरोहर अर्थात वो मधुर कल्पनाएं मुझसे वापिस ले लो जो मेने तुम्हारे याद में संजोई थी तुम्हें पाने कि वह सब तुम मुझसे वापिस ले लो
क्यों कि अब मेरा हृदय इनको और संभाल नहीं पा रहा है। शिल्प सौंदर्य – देवसेना का गीत प्रश्न 5- देवसेना की हार या निराशा के क्या कारण हैं? उत्तर- देवसेना महाराजा बंदू वर्मा की बहन है उसका सारा परिवार वीरगती को प्राप्त होता है अपने शादी के सपने को साकार करने के लिए वह स्कंदगुप्त के शरण में जाती है पर वो धन कुबेर की कन्या विजया से प्राप्त करता है और वह देवसेना के प्रेम को अस्वीकार कर देते है। देवसेना का जीवन संकटों से भरा है किन्तु वह जीवन की विपरीत परिस्थितियों में जीती तो है उनसे होड़ भी लगाती है किन्तु वह हार जाती है क्यों कि विपरीत परिस्थितियां इतनी प्रबल है कि उसके जीवन में निराशा व्याप्त हो जाती है। Tags: देवसेना के जीवन रूपी यात्रा में उसके साथ कौन था?देवसेना जो मालवा की राजकुमारी है उसका पूरा परिवार हूणों के हमले में वीरगति को प्राप्त होता है। वह रूपवती / सुंदर थी लोग उसे तृष्णा भरी नजरों से देखते थे , लोग उससे विवाह करना चाहते थे , किंतु वह स्कंदगुप्त से प्यार करती थी , किंतु स्कंदगुप्त धन कुबेर की कन्या विजया से प्रेम करता था।
देवसेना के जीवन रूपी रथ पर कौन सवार होकर जा रहा है?देवसेना गाना गाकर भीख मांगने लग गई। उसके जीवन की संध्या बेला आ गई। वह अपने विगत समय को याद करती हुई अपनी वेदना को प्रकट करती है। <br> व्याख्या-देवसेना कहती है कि मेरे जीवन रूपी रथ पर सवार होकर प्रलय अपने रास्ते पर चला जा रहा है।
देवसेना कौन थी वह किस से प्रेम करती थी?Answer: सम्राट स्कंदगुप्त से राजकुमारी देवसेना प्रेम करती थी। उसने अपने प्रेम को पाने के लिए बहुत प्रयास किए।
देवसेना ने जीवन में भ्रम वंश कौन सी भूल की?देवसेना अपने जवानी में यह सोच कर भ्रम में थी के स्कंदगुप्त से वह जिस प्रकार प्रेम करती है स्कंदगुप्त भी उससे उतना ही प्रेम करता है। किंतु यह केवल भ्रम ही साबित हुआ। इस भ्रम के कारण उसने न जाने कितने ही प्रणय निवेदन को ठुकरा दिया था।
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