देखो अब चींटियाँ कैसे चलती हैं? - dekho ab cheentiyaan kaise chalatee hain?

तुम स्वूफल के मैदान में बैठे खाना खा रहे हो और चील आकर पुफतीर् से तुम्हारी रोटी तुम एक सोए हुए वुफत्ते के पास से गुशरे और झट से उसके कान खड़े हो गए! खाते समय तुम से वुफछ मीठा शमीन पर गिर गया और वुफछ ही पल में वहाँ चींटियों का झुंड इकऋा हो गया। क्यों होता है ऐसा? सोचकर बताओ। जानवरों में भी देखने, सुनने, सूँघने और महसूस करने की शक्ित होती है। कोइर् जानवर मीलों दूर से श्िाकार को देख सकता है। कोइर् हल्की - से - हल्की आहट को भी सुन लेता है। कोइर् जानवर अपने साथी को सूँघकर ढूँढ़ लेता है। है न जानवरों की भी अजब दुनिया! वैफसे पहचाना साथी को? एक चींटी अपने रास्ते चली जा रही थी। अचानक अपने सामने दूसरी टोली की चींटियों को देखकर वह झट से अपने बिल की तरप़्ाफ वापिस दौड़ी आइर्। बिल के बाहर पहरा दे रही चींटी ने उसे पहचान लिया और बिल में घुसने दिया। बताओ ऽ इस चींटी को वैफसे पता चला कि सामने वाली चींटियाँ दूसरी टोली की हंै? ऽ पहरेदार चींटी ने इस चींटी को वैफसे पहचाना? करके देखो और लिखो चीनी के वुफछ दाने, गुड़ या कोइर् मीठी चीश शमीन पर रखो। अब इंतशार करो, चींटियों के आने का। अब देखोμ ऽ चींटी कितनी देर में आइर्? ऽ क्या सबसे पहले एक चींटी आइर् या सारा झुंड इकऋा आया? ऽ चींटियाँ खाने की चीश का क्या करती हैं? ऽ वे उस जगह से कहाँ जाती हैं? ऽ क्या वे एक - दूसरे के पीछे कतार में चलती हैं? अब ध्यान से, बिना किसी चींटी को नुकसान पहुँचाए, उस कतार के बीच में पेंसिल से वुफछ देर चींटियों का रास्ता रोको। ऽ देखो, अब चींटियाँ वैफसे चलती हैं? बहुत साल पहले एक वैज्ञानिक ने इसी तरह के कइर् प्रयोग किए थे। वे इस नतीजे पर पहुँचे कि चींटियाँ चलते समय शमीन पर वुफछ ऐसा छोड़ती हैं, जिसे सूँघकर पीछे आने वाली चींटियों को रास्ता मिल जाता है। ऽ क्या अब बता सकते हो, जब तुमने पेंसिल से चींटियों का रास्ता रोका, तब उनके ऐसे व्यवहार का क्या कारण था? वुफछ नर कीड़े - मकौड़े, अपनी मादा कीड़े की गंध् से उसकी पहचान कर लेते हैं। ऽ क्या तुम कभी मच्छरों से परेशान हुए हो? सोचो उन्हें वैफसे पता चलता होगा कि तुम कहाँ हो? मच्छर तुम्हारे शरीर की गंध् खासकर पैरों के तलवे की और तुम्हारे शरीर की गमीर् से तुम्हें ढूँढ़ लेता है। ऽ क्या तुमने कभी किसी वुफत्ते को इध्र - उध्रवुफछ सूँघते हुए देखा है? सोचो, वुफत्ता क्या सूँघता होगा? सड़कों पर वुफत्तों की भी अपनी जगह बँटीहोती हैं। एक वुफत्ता दूसरे वुफत्ते के मल - मूत्रा की गंध् से जान लेता है कि उसके इलाकेमें बाहर का वुफत्ता आया था। कैसे पहचाना चींटी ने दोस्त को? 3 लिखो ऽ हम वुफत्तों के सूँघने की शक्ित का इस्तेमाल कहाँ - कहाँ करते हैं? ऽ किन - किन मौकों पर तुम्हारी सूँघने की शक्ित तुम्हारे काम आती है? सूची बनाओ। उदाहरण के लिएμखाने की गंध् से उसके खराब होने का पता चलना, किसी चीश के जलने का पता चलना। ऽ तुम बिना देखे किन जानवरों को उनकी गंध् से पहचान सकते हो? उनके नाम लिखो। ऽ किन्हीं पाँच ऐसी चीशों के नाम लिखो, जिनकी गंध् तुम्हें अच्छी लगती है। और किन्हीं पाँच ऐसी चीशों के नाम भी लिखो जिनकी गंध् तुम्हें अच्छी नहीं लगती। ऽ क्या तुम्हारे सभी साथ्िायों के उत्तर एक - से हैं? 4 आस - पास करके देखो ऽ क्या तुम अपने घर के लोगों के कपड़े सूँघकर बता सकते हो कि कपड़े किसके हैं? किन्हीं दो लोगों के कपड़े सूँघकर पहचानो। ऐसा क्यों आज रजनी को शरूरी काम से कहीं जाना पड़ा। अपने छः महीने के बेटे दीपक को वह अपनी बहन सुशीला के पास छोड़ गइर्। सुशीला की अपनी बेटी भी इतनी ही छोटी है। मशे की बात यह हुइर् कि दोनों बच्चों ने एक साथ ‘पौटी’ ;लैटिªनद्ध कर दी। अपनी बेटी की ‘पौटी’ धेने के बाद जब वह दीपक की ‘पौटी’ सापफ करने लगी तो पफटापफट अपने मुँह - नाक को़दुप‘े से ढँक लिया। सोचो और चचार् करो ऽ सुशीला ने अपनी बेटी की ‘पौटी’ सापफ करते समय तो मुँह नहीं ढँका,़लेकिन दीपक की पोटी सापफ करते समय उसने मुँह ढँक लिया। ऐसा़क्यों? ऽ जब तुम वूफड़े के ढ़ेर के पास से गुशरते हो, वहाँ की गंध् तुम्हें वैफसी लगती है? उस बच्चे के बारे में सोचो जो दिन में कइर् घंटे इसी कचरे के ढे़र में से चीशें बीनता है। ऽ क्या गंध् का अच्छा या बुरा होना सभी के लिए एक ही जैसा होता है या इस पर हमारी सोच का असर भी पड़ता है? वैफसे दिखा ऽ किसी ऐसे पक्षी का नाम लिखो जिसकी आँखें सामने की तरपफ होती हैं।़ ऽ ऐसे वुफछ पक्ष्िायों के नाम लिखो जिनकी आँखें सिर के दोनों तरपफ होती हैं।़इन पक्ष्िायों की आँखों का आकार उनके सिर की तुलना में वैफसा होता हैं? श्यादातर पक्ष्िायों की आँखें उनके सिर के दोनों तरप़् ाफ होती हैं। ये एक ही समय में दो अलग - अलग चीशों पर नशर डाल लेते हैं। जब ये बिल्वुफल सामने देखते हैं, तब इनकी दोनों आँखें एक ही चीश पर होती हैं। तुमने देखा होगा, कइर् पक्षी अपनी गदर्न बहुत श्यादा हिलाते हैं। जानते हो क्यों? श्यादातर पक्ष्िायों की आँखों की पुतली घूम नहीं सकती। वे अपनी गदर्न घुमाकर ही साथी तुम्हारे बिल्वुफल दाईं तरप़्ाफ थोड़ी दूर खड़ा होकर वुफछ एक्शन करंे। ऽ क्या तुम बिना गदर्न घुमाए अपने साथी के एक्शन को देख पाते हो? ऽ अब दोनों आँखें खोलकर बिना गदर्न घुमाए दाईं तरपफ खड़े साथी वेफ़एक्शन को देखो। ऽ दोनों तरीकों से देखने पर क्या अंतर पाया? ऽ अब गेंद या छोटा सिक्का उछालकर पकड़ने का खेल खेलो। एक बार दोनों आँखें खोलकर और एक बार एक आँख बंद करके। किस स्िथति में उसे पकड़ना आसान लगा? ऽ सोचो, अगर पक्ष्िायों की तरह तुम्हारी आँखें तुम्हारे कान की जगह होतीं तो वैफसा होता? तुम ऐसे क्या - क्या काम कर पाते, जो अभी नहीं कर पाते हो? चील, बाश और गि( जैसे पक्षी हमसे चार गुना श्यादा दूर से देख पाते हैं। जो चीश हमें दो मीटर की दूरी से दिखाइर् पड़ती है, वही चीश ये पक्षी आठ मीटर की दूरी से देख लेते हैं। ऽ क्या तुम सोच सकते हो, शमीन पर पड़ी हुइर् एक रोटी किसी चील को कितनी दूर से दिखाइर् दे जाती होगी? मशेदार बात और! जैसे हमें इतने सारे रंग दिखाइर् देते हैं, उतने रंग जानवरों को दिखाइर् नहीं देते। देखो, इन जानवरों को ये चित्रा वैफसे दिखाइर् देंगेμ आमतौर पर माना जाता है कि दिन में जागने वाले जानवर वुफछ रंग देख पाते हैं। रात में जागने वाले जानवर हर चीश को सप़्ोफद और काली ही देखते हैं। कैसे पहचाना चींटी ने दोस्त को? 7 कितने तेश हंै कान तुमने कक्षा चार में पढ़ा था, हमें पक्ष्िायों के कान दिखाइर् नहीं देते। उनके बाहरी कान छोटे - छोटे छेद जैसे होते हैं, जो उनके पंखों से ढँके रहते हैं। लिखो ऽ दस जानवरों के नाम लिखो जिनके कान दिखते हैं। ऽ वुफछ जानवरों के नाम लिखो, जिनके बाहरी कान हमारे बाहरी कानों से बड़े होते हैं। सोचो ऽ तुम्हें क्या लगता है, क्या जानवरों के कान के आकार और उनके सुनने की शक्ित में वुफछ संबंध् होता है? करके देखो स्वूफल में कोइर् शांत जगह ढूँढ़ो। वहाँ एक बच्चा बाकी बच्चों से थोड़ी दूर खड़ा होकर ध्ीरे से वुफछ बोले। बाकी बच्चे उसे ध्यान से सुनें। वही बच्चा पिफर से उतनी ही ध्ीरे बोले। इस बार बाकी बच्चे अपने कानों के पीछे हाथ रखकर सुनें। किस बार आवाश श्यादा सापफ सुनाइर् दी? अपने साथ्िायों से़भी पता करो। ऽ तुम अपने कानों पर हाथ रखकर वुफछ बोलो। अपनी ही आवाश सुनाइर् देती है न? आस - पास एक बार डेस्क को बजाओ। वैफसी आवाश आती है? अब जैसे चित्रा में दिखाया है वैसे ही डेस्क पर कान लगाओ। एक बार पिफर अपने हाथ से डेस्क बजाओ। वैफसी आवाश आती है? क्या दोनों आवाशों में वुफछ अंतर है? साँप भी वुफछ ऐसे ही सुन पाता है। उसके बाहरी कान नहीं होते। शमीन पर हुए वंफपन को ही वह सुन पाता है। आवाशें अलग - अलग जंगल में उँफचे पेड़ पर बैठा लंगूर पास आती मुसीबत ;जैसेμशेर, चीताद्ध को देखकर एक खास आवाश निकालकर अपने साथ्िायों को संदेश देता है। इस काम के लिए पक्षी भी खास आवाशें निकालते हैं। वुफछ पक्षी अलग - अलग खतरों के लिए अलग - अलग आवाशें निकालते हैं। जैसेμउड़कर आने वाले दुश्मन के लिए एक तरह की आवाश और शमीन पर चलकर आने वाले के लिए दूसरी तरह की आवाश। आवाश चाहे किसी भी जानवर ने निकाली हो, एक ही इलाके में रहने वाले बाकी सभी जानवर इन चेतावनी भरी आवाशों से सचेत हो जाते हैं। वुफछ जानवर तूपफान या भूवंफप आने से वुफछ समय पहले अजीब हरकतें करने लगते़ हैं। जो लोग जंगल में रहते हैं और जानवरों के इस व्यवहार को समझते हैं, वे जान लेते हैं कि भूवंफप आने वाला है या वुफछ अनहोनी होने वाली है। डाॅलपिफन भी अलग - अलग तरह की आवाशें निकालती हंै और एक - दूसरे से बात करती हैं। वैज्ञानिकों का यह मानना है कि कइर् जानवरों की अपनी पूरी भाषा है। लिखो ऽ क्या तुम वुफछ जानवरों की आवाशें समझ सकते हो? किस - किस की? ऽ क्या वुफछ जानवर तुम्हारी भाषा भी समझ सकते हैं ? कौन - कौन से? आओ खेलें एक मशेदार खेल जिस तरह पक्षी हर अलग बात के लिए अलग - अलग आवाशें निकालते हंै, उसी तरह तुम भी अलग - अलग बातों के लिए आवाशों की भाषा बना लो। ध्यान रहे बोलना नहीं है, केवल आवाशें निकालनी हैं और साथ्िायों को अपनी बात समझानी है। किन बातों के लिए चेतावनी संदेश भेजना चाहोगे? जैसेμकक्षा में टीचर के आने पर! कितना सोएँ बहुत - से जानवर किसी खास मौसम में लंबी गहरी नींद में चले जाते हैं। लंबी भी इतनी कि कइर् महीनों तक पिफर दिखाइर् ही नहीं देते। ऽ क्या तुमने कभी ध्यान दिया है कि सदिर्यों के दिनों में अचानक ही छिपकलियाँ कहीं गुम हो जाती हैं। सोचो, वे ऐसा क्यों करती होंगी? 24 घंटे 24 घंटे स्लाॅथ का जगना 18 घंटे 6 घंटे 18 घंटे 6 घंटे स्लाॅथ का सोना 12 घंटे 12 घंटे अगर स्लाॅथ की सोने और जागने की प्रवि्रफया 24 बताओ, छिपकली के लिए सदिर्यों में घंटे की घड़ी में दिखानी हो, तो वह ऐसी दिखेगी। यह घड़ी वैफसी दिखेगी? चित्रों में वुफछ जानवरों के सोने के समय को दिखाया गया है। हर चित्रा के नीचे लिखो कि वह जानवर एक दिन में कितने घंटे सोता है। गाय अजगर जिरापफ ़बिल्ली अपने आस - पास किसी जानवर को देखकर क्या तुम्हारे मन में वुफछ प्रश्न उठते हैं? कौन - से? कोइर् दस प्रश्न बनाओ और लिखो। बाघ अँध्ेरे में हम से छह गुना बेहतर देख सकता है। बाघ की मूँछंे हवा में हुए कंपन को भाँप लेती हैं और उसे श्िाकार की बिल्वुफल सही स्िथति का पता चल जाता है। इससे इन्हें अँधेरे में रास्ता ढूँढ़ने में भी मदद मिलती है। बाघ मौके के अनुसार अपनी आवाश बदलता रहता है। गुस्से में अलग आवाश और बाघ्िान को बुलाना हो, तो अलग आवाश। कभी कराहना तो कभी गुरार्ना। बाघ का गुरार्ना 3 किलोमीटर दूर तक सुना जा सकता है। बाघ अपने इलाके में मूत्रा करके अपनी गंध् छोड़ते जाते हैं। यह इलाका कइर् किलोमीटर बड़ा हो सकता है। एक बाघ किसी दूसरे बाघ के मूत्रा की गंध् को झट पहचान लेता है। पिफर उस इलाके में घुसना है या नहीं, यह तो उस बाघ की मशीर्। बाघ, हवा से पत्तों के हिलने और श्िाकार के झाडि़यों में हिलने से हुइर् आवाश में अंतर को भाँप लेता है। बाघ के दोनों कान बाहर की आवाश इकऋा करने के लिए अलग - अलग दिशाओं में बहुत श्यादा घूम भी जाते हैं। बाघ इतना सतवर्फ जानवर है, लेकिन इस सबके बावजूद आज वह खतरे में है। ऽ सोचो, जंगल के बाघ को किन चीशों से खतरा होगा? ऽ क्या हम भी जानवरों के लिए खतरा बन रहे हैं? वैफसे? क्या तुम जानते हो, हाथी को उसके दाँतों, गैंडे को सींग, शेर, मगरमच्छ और साँप को उनकी खाल के लिए मार दिया जाता है? कस्तूरी हिरन को थोड़ी - सी खुशबू के लिए मारा जाता है। जानवरों को मारने वाले लोगों को श्िाकारी कहते हैं। है न मशेदार! आस - पास

देखो अब चीटियां कैसे चलती है?

देखो, अब चींटियाँ कैसे चलती है? उत्तर: चींटियाँ पेंसिल पर चढ़ कर अपना रास्ता बना लेती हैं। प्रश्न 2.

चींटियाँ चलते समय क्या छोड़ती हैं?

चींटी तथा अनेक जीव-जंतुओं के शरीर से एक प्रकार का रासायनिक पदार्थ निकलता है, जिसे फीरोमोन कहते हैंचींटियां जिस रास्ते से जाती हैं, उस रास्ते पर फीरोमोन को छोड़ती जाती हैं, ताकि भोजन आदि की तलाश के बाद लौटते समय वह फीरोमोन की गंध के सहारे बगैर भटके हुए अपने बिलों में पहुंच जाए।

इस चींटी को कैसे पता चला कि सामने वाली?

उत्तर -चींटी चलते हुए अपने पीछे एक खास किस्म की गंध (फेरोमोंनस) छोड़ती है। इसी गंध के कारण चींटी को पता चला कि सामने से आने वाली चींटियां दूसरी टोली की है।

Chiti कितनी देर में आती है?

चीटियों की स्पीड आपके अनुमान से काफी ज्यादा होती है। 'सिल्‍वर ऐंट' चींटी एक सेकंड में 855 मिलीमीटर की दूरी तय करती है। यानी कि 19 मिनट में 1 किलोमीटर की दूरी तय कर लेती है।