दो बैलों की कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है? - do bailon kee kahaanee se hamen kya shiksha milatee hai?

विषयसूची

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  • 1 दो बैलों की कथा पाठ क्या संदेश देता है?
  • 2 दूसरे दिन गया बैलों को कैसे ले गया?
  • 3 दो बैलों की कथा की मूल संवेदना क्या है?
  • 4 सांड को मार गिराने की घटना से आपको क्या शिक्षा मिलती है?
  • 5 झूरी के साले का नाम क्या था?

दो बैलों की कथा पाठ क्या संदेश देता है?

इसे सुनेंरोकें’दो बैलों की कथा’ प्रेमचंद द्वारा लिखित रचना है। समाज को अपनी रचनाओं के माध्यम से कैसे जगाया जाए, यह उन्हें बहुत अच्छी तरह आता है। यह कहानी सांकेतिक भाषा में यह संदेश देती है कि मनुष्य हो या कोई भी प्राणी हो, स्वतंत्रता उसके लिए बहुत महत्व रखती है। स्वतंत्रता को पाने के लिए लड़ना भी पड़े, तो बिना हिचकिचाए लड़ना चाहिए।

दो बैलों की कथा से हमें क्या शिक्षा मिलती है?

इसे सुनेंरोकेंइस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें अपनी स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए प्रयास करते रहना चाहिए। जैसे हीरा और मोती ने अपनी आज़ादी को पाने के लिए हर कष्ट सहे।

दूसरे दिन गया बैलों को कैसे ले गया?

इसे सुनेंरोकेंदूसरे दिन गया बैलों को कैसे ले गया? (D) गाड़ी में जोत कर। उत्तर. गाड़ी में जोत कर।

बैल का जन्म लिया है तो मरने से कहां तक बचेंगे दो बैलों की कथा कहानी में यह कथन किसका है?

इसे सुनेंरोकें’बैल का जन्म लिया है तो मरने से कहाँ तक बचेंगे’ यह कयन किसका है? यह कथन मोती का है।

दो बैलों की कथा की मूल संवेदना क्या है?

इसे सुनेंरोकेंसारांश यह कहानी दो बैलों के बारे में है जो अपने मालिक से बेहद प्यार करते थे और जिनमे आपस में भी गहरी मित्रता थी। दोनों बैल स्वाभिमानी, बहादुर और परोपकारी हैं। यह कहानी बड़ी ही रोचक है और सरल भाषा में लिखी गई है।

दो बैलों की कथा पाठ का मूल भाव क्या है?

इसे सुनेंरोकेंमुंशी प्रेमचंद्र द्वारा लिखित पाठ दो बैलों की कथा की विधा कहानी है। इस कहानी में भावात्मक कथा के माध्यम से लेखक प्रेमचंद जी ने किसान और पशुओं का भावात्मक संबंध स्थापित किया है। लेखक ने यहां बताया है कि स्वतंत्रता सबको प्रिय होती है और जब स्वतंत्रता सहज रूप से प्राप्त नहीं होती तो उसके लिए अनेक बार संघर्ष करना पड़ता है।

सांड को मार गिराने की घटना से आपको क्या शिक्षा मिलती है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: इससे यह सन्देश मिलता है की एकता में बल होता है. अगर हम एकता में रहें तो हमसे ताकतवर शत्रु भी हमारा कुछ बिगाड़ नहीं सकता।

साँड क्या करता चला आ रहा था?

इसे सुनेंरोकेंअवश्य ही उनमें कोई ऐसी गुप्त शक्ति थी, जिससे जीवों में श्रेष्ठता का दावा करने वाला मनुष्य वंचित है. दोनों एक-दूसरे को चाटकर सूँघकर अपना प्रेम प्रकट करते, कभी-कभी दोनों सींग भी मिला लिया करते थे, विग्रह के नाते से नहीं, केवल विनोद के भाव से, आत्मीयता के भाव से, जैसे दोनों में घनिष्ठता होते ही धौल-धप्पा होने लगता है.

झूरी के साले का नाम क्या था?

इसे सुनेंरोकें’झूरी’ के साले का नाम ‘गया’ था। गया ही वह व्यक्ति था जो झूरी के यहां से दोनों बैल हीरा और मोती को अपने यहां ले गया था।

दो बैलों की कथा में झूरी के साले का क्या नाम था?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर ३:- हीरा का।

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    • December 21, 2020 at 7:41 am

    दो बैलों की कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है? - do bailon kee kahaanee se hamen kya shiksha milatee hai?

    मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित दो बैलों की कथा समाज और पशुओं के भावात्मक संबंध का वर्णन करता है|

    इस कहानी मैं उन्होंने यह बताया है कि स्वतंत्रता सहज और आसानी से नहीं मिलती उसके लिए बार-बार संघर्ष करना पड़ता है |

    इस प्रकार यह कहानी हमें परोक्ष रूप से आजादी के आंदोलन की भावना का हमें एहसास कराती है|

    इसके साथ ही इस कहानी में मुंशी प्रेमचंद जी ने पंचतंत्र और हितोपदेश की कथा परंपरा का, उपयोग और विकास बखूबी से किये है तथा समाज में एक अच्छी सीख देने का प्रयास किये है |

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    दो बैलों की कथा

    पाठ का सार

    मुंशी प्रेमचंद्र द्वारा लिखित पाठ दो बैलों की कथा की विधा कहानी है। इस कहानी में भावात्मक कथा के माध्यम से लेखक प्रेमचंद जी ने किसान और पशुओं का भावात्मक संबंध स्थापित किया है। लेखक ने यहां बताया है कि स्वतंत्रता सबको प्रिय होती है और जब स्वतंत्रता सहज रूप से प्राप्त नहीं होती तो उसके लिए अनेक बार संघर्ष करना पड़ता है। अनेक तरह की यातनाएं झेलनी पड़ती है। निष्कर्ष रूप में यह कहानी स्वतंत्रता आंदोलन की भावना से जुड़ी हुई है। प्रेमचंद जी की यह कहानी पंचतंत्र और हितोपदेश की कथा परंपरा के उपयोग और विकास में सहायक बनी है।

    दो बैलों की कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है? - do bailon kee kahaanee se hamen kya shiksha milatee hai?

    कथा के आरंभ में लेखक ने बताया है कि सभी जानवरों में गधे को सबसे बड़ा मूर्ख समझा जाता है। यदि किसी व्यक्ति को बेवकूफ कहना हो तो उसे गधा कहेंगे। दूसरे जानवर आवेशित हो सकते हैं कितु गधा अपने सीधपन, सहिष्णुता के कारण कभी क्रोधित नहीं होता। वैशाख के महीने को छोड़कर उसे कभी खुश नहीं देखा जा सकता। वह किसी भी परिस्थिति में नहीं बदलता। उसका स्वभाव ऋषि-मुनियों जैसा है। इसी तरह विदेशों में हमारे देश के लोग अपनी दुर्दशा का सहन करते हुए जीवन-आदर्श को नीचा करते हैं। यदि वे विरोध करते तो सभ्य कहलाने लगते। जापान एक ही विजय से पूरे संसार में जाना जाने लगा है लेखक बताता है कि गधे का छोटा भाई बैल है, जो अपने अड़ियल स्वभाव के कारण गधे से नीचे है।

    लेखक बताता है कि झूरी नामक किसान के पास हीरा और मोती नाम के दो सुंदर, बलवान बैल थे। दोनों में गहरी दोस्ती थी और सभी तरह के काम साथ-साथ ही करते थे। दोनों एक-दूसरे पर विश्वास करते थे और एक-दूसरे से मूक-भाषा में बातें भी करते थे। एक बार झूरी का साला गया बैलों को अपने घर ले जाता है। बेलों को लगा कि उनको बेच दिया गया है। वे गया को पूरे रास्ते परेशान करते हैं। वे मन ही मन झूरी के विषय में सोच रहे थे। शाम के समय वे अपने स्थान पर पहुंचे वहाँ उन्हें सब कुछ पराया लग रहा था। भूखे होते हुए भी उन्होंने कुछ नहीं खाया। रात के समय वे अपनी रस्सियाँ तोड़कर झूरी के घर वापस लौट आए। झूरी उन्हें देखकर बहुत खुश होता है। लेकिन झूरी की पत्नी उन्हें नमकहराम कहती है। झूरी कहता है कि उनको चारा-दाना नहीं दिया होगा। ताव में आकर झूरी की पत्नी ने पशुओं की देख-रेख करने वाले को कहा कि इन्हें केवल सूखा भूसा दिया जाए। वैसा ही किया गया। झूरी की भी बात नौकरी नहीं मानता।

    लेखक बताता है कि अगले दिन झूरी का साला बैलों को फिर ले गया। घर जाकर उनको मोटी रस्सियों से बांधकर सूखा भूसा डाल दिया। दोनों बैलों ने नींद की तरफ देखा भी नहीं। दूसरे दिन गया ने बैलों को हल में जोता. लेकिन बैलों ने अपना एक भी पाव नहीं उठाया। गया ने जब हीरा की नाक पर डंडे मारे तो मोती को गुस्सा आ गया। वह हल लेकर भागा जिससे हल, जुआ, जोत सब टूट गए। हीरा मोती को समझाता है कि भागना व्यर्थ है और अब की बार बहुत मार पड़ेगी। मोती उसे मजा सिखाने की बात कहता है तो हीरा उसे समझाता है कि यह हमारी जाति का धर्म नहीं है। गया उनके तेवर देखकर चुपचाप पकड़ कर ले गया और वही सूखा भूसा डाल दिया। कुछ समय बाद एक छोटी लड़की मुँह में एक-एक रोटी दे जाती है। उन्हें लगा कि यहाँ भी कोई सज्जन है। उस लड़की का पिता भैरो था। सौतेली माँ उसे बहुत मारती थी। दिन भर बैल काम करते और शाम को सूखे भूसे के साथ लड़की के हाथ से रोटी खाकर खुश रहते। लेकिन उनकी आँखों में विद्रोह की भावना थी। मोती एकाध को मारने की बात कहता है तो हीरा उसे समझाकर शांत कर देता है। फिर वह वहाँ से भागने की बात कहता है तो हीरा सहमत हो जाता है। जब लड़की उन्हें रोटी खिलाने आती है तो उनकी रस्सी खोल देती है और यह शोर मचाते हुए भागी कि बैल भागे जा रहे हैं। दोनों बैल वहाँ से भागे। भागते-भागते वे रास्ता भूल गए और नए-नए गाँव देखकर खेत के किनारे खड़े होकर दोनों सोचने लगे कि अब क्या करना चाहिए। भूख की व्याकुलता के कारण वे पास के खेत की मटर को चरने लगे। पेट भर जाने के बाद दोनों मस्ती में खेलने लगे।

    यहाँ बताया गया है कि जब दोनों बैल मस्ती कर रहे थे तो उन्हें एक साँड आता दिखाई दिया। उन्हें दोनों तरफ से जान मुसीबत में नजर आती है। वे वहाँ से भागना कायरता समझते हैं। वे दोनों योजना बनाते हैं कि एक आगे से और दूसरा पीछे से उस पर वार करेगा। ऐसा ही हुआ। साँड जख्मी होकर वहाँ से भाग खड़ा हुआ। दोनों ने उसका पीछा किया। भागते-भागते साँड बेदम होकर गिर गया। मोती उसे मारने की बात करता है तो हीरा कहता है कि गिरे हुए शत्रु पर वार नहीं करना चाहिए। फिर उन्हें घर पहुँचने की चिंता होती है। मोती कहता है कि कुछ खाकर फिर सोचेंगे। वह मटर के खेत में घुस गया। हीरा ने उसे मना भी किया। तभी दो आदमी लाठियाँ लेकर उन्हें घेर लेते हैं। पानी के कारण मोती के खुर कीचड़ में फंसने लगे। वह भाग नहीं सका। मोती को फंसा देखकर हीरा भी वहाँ लौट आया। दोनों को पकड़ कर मवेशीखाने में बंद कर दिया गया।

    - यहाँ बताया गया है कि दोनों बैलों को मवेशीखाने में पूरे दिन भूखा रहना पड़ा। वहाँ पर कई भैंसे, बकरियाँ, घोड़े, गधे मुरदों की तरह पड़े थे। जब रात को भी खाने को कुछ नहीं मिला तो होरा विद्रोही स्वभाव में मोती से भूखे न रह सकने की बात कहता है और भागने का कोई उपाय ढूँढता है। फिर वे बाड़े की कच्ची दीवार तोड़ने की सलाह बनाते हैं। हीरा अपने सींग के प्रहार से दीवार को तोड़ना आरम्भ करता है। वहाँ का चौकीदार उसे डंडे से पीटकर मोटी रस्सी से बाँध देता है। उसके बाद मोती दीवार पर टक्कर मारने लगता है। वह आधी दीवार गिरा देता है। घाड़ियाँ, बकरियों, भैंसे तो वहाँ से चली गई किंतु गधे खड़े रह गए। हीरा द्वारा पूछने पर एक गधे ने कहा कि फिर पकड़ लिए गए तो। हम यहीं पड़े रहेंगे। मोती अपने मित्र की रस्सी तोड़ना चाहता है किंतु ताड़ न सका। हीरा उसे वहाँ से जाने के लिए कहता है। लेकिन मोती उसे छोड़कर नहीं जाता है। हीरा उसे कहता है कि तुम्हें मार पडेगी तब मोती कहता है नौ-दस प्राणियों की जान बचाई है। वे सब आशीर्वाद देंगे। मोती गधों को सीगों से मार-मारकर भगा देता है और स्वयं हीरा के पास आकर सो जाता है। सुबह होने पर वहाँ खलबली मच गई और माती की खूब पिटाई करने के बाद उसे मोटी रस्सी से बाँध दिया गया।

    लेखक कहता है कि दोनों बैलों को एक सप्ताह तक भूखा बाँधा गया। दिन में केवल एक बार पानी पिलाया जाता जिस कारण वे बहुत कमजोर हो गए। एक दिन उन दोनों बैलों को निलाम कर दिया गया। एक दढ़ियल डरावनी शक्ल का आदमी उन्हें खरीद लेता है। हीरा और मोती दोनों भयभीत होकर भगवान को याद करते हैं। उन दोनों को भगवान पर भरोसा है। उस दढ़ियल के भय से दोनों हिम्मत न होते हुए भी भाग रहे थे। अचानक उनको रास्ता कुछ जाना-पहचाना लगा। उनकी थकान दूर हो गई और चाल तेज हो गई। अपने गाँव के आने पर दोनों भागकर अपने बाँधने के स्थान पर आकर खड़े हो गए। झूरी अपने बैलों को देखकर खुशी के मारे रोने लगता है। दढ़ियल आकर बैलों की रस्सी पकड़ लेता है। झूरी है उसे बैल नहीं ले जाने देता है। जब वह बैलों को जबरदस्ती ले जाना चाहता है तो मोती उसे सींग मारता और उसका पीछा करता है। दढियल डरकर भागता है और गाँव के बाहर पहुँचकर गालियाँ देता है और पत्थर फेकता है। इस तमाशे को देखकर गाँव के लोग हँसते हैं। दढ़ियल वहाँ से चला गया। हीरा और मोती मूक वार्तालाप करते हैं। थोड़ी देर में ही उनके लिए खाने का अच्छा प्रबंध हो गया| झूरी दोनों को सहलाने लगा. उसकी पत्नी आकर दोनों को प्यार से चूमती है।

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    प्रश्न-अभ्यास 

    प्रश्न-1-  कांजीहौस में कैद पशुओं की हाजिरी क्यों ली जाती होगी ?

    उत्तर- कांजीहौसस में कैद पशुओं की हाजिरी इसलिए ली जाती होगी जिससे यह पता चल सके कि वहां कैद किए गए सभी पशु उपस्थित हैं। उनमें से कोई भाग अथवा मर तो नहीं गया है।

    प्रश्न-2- छोटी बच्ची को बैलों के प्रति प्रेम क्यों उमड़ आया ? 

    उत्तर- छोटी बच्ची की मां मर चुकी थी ये दिनभर  जोते थे और उन्हें डंडे भी मारे जाते थे। उन्हें खाने को सूखा भूसा दिया जाता था ।उसे लगा कि बैलोंं के साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है इसलिए उसके मन में बैलों के प्रति प्रेम उमड़ आया था। वह रात को उन्हें एक-एक रोटी खिला आती थी।

    प्रश्न-3- कहानी में बैलों के माध्यम से कौन-कौन से नीति विषयक मूल्य उभर कर आए हैं ? 

    उत्तर- इस कहानी के माध्यम से लेखक ने किसानों और पशुओं के भावनात्मक संबंधों का वर्णन किया है। हीरा और मोती अपनी जाति के धर्म को निभाते हैं तथा बदले में मनुष्य को नहीं मारते कांजीहौस में मित्रता निभाते हैं तथा मिलकर सांड का मुकाबला करते हैं।  दड़ियल के साथ जाते समय अपने घर का रास्ता पहचान कर झूरी के घर आ जाते हैं। और अपनी स्वामी भक्ति का परिचय देते हैं।

    प्रश्न-4- प्रस्तुत कहानी में प्रेमचंद्र ने गधे की किन स्वभावगत विशेषताओं के आधार पर उसके प्रति रूढ़ अर्थ मूर्ख का प्रयोग न कर किस नये अर्थ की ओर संकेत किया है ? 

    उत्तर- प्रस्तुत कहानी में प्रेमचंद ने गधे को सीधा सहनशीलता अक्रोधी सुख-दुख में समभाव से रहने वाला प्राणी बताते हुए उसे ऋषियों मुनियों कि सद्गुणों से युक्त बताया है। उसे एक सीधा साधा पशु बताते हैं जिसके चेहरे पर कभी भी असंतोष की छाया तक नहीं दिखाई देती है और रुखा सुखा खाकर भी संतुष्ट रहता है ।

    प्रश्न-5- किन विशेषताओं से पता चलता है कि हीरा और मोती में गहरी दोस्ती थी ? 

    उत्तर- बहुत दिनों से साथ रहते-रहते हीरा और मोती में गहरी दोस्ती हो गई थी। मटर के खेत में मोती जब कीचड़ में धंस गया तो हीरा स्वयं ही रखवालों के पास आ गया था, जिससे दोनों एक साथ सजा मिले। कांजीहौस में मोती हीरा के बँधे होने के कारण बाड़े की दीवार टूट जाने पर भी नहीं भागा था। इन सब घटनाओं से हीरा और मोती की गहरी दोस्ती का पता चलता है। 

    प्रश्न-6- ‘लेकिन औरत जात पर सिंग चलाना मना है’ यह भूल जाते हो हीरा के इस कथन के माध्यम से स्त्री के प्रति प्रेमचंद के दृष्टिकोण को स्पष्ट कीजिए ? 

    उत्तर- लेखक ने हीरा के इस कथन के माध्यम से इस ओर संकेत किया है कि हमारे समाज में स्त्री को सदा प्रताड़ित किया जाता है उसे पुरुष की दासी के रूप में चित्रित किया जाता है ।जिसे सब प्रकार से मारने-पीटने का अधिकार पुरुष के पास होता है। उसका अपना कोई अस्तित्व नहीं होता है। स्त्री को सदा पुरुष पर आश्रित रहना पड़ता है। उसे पुरुष की इच्छा के अनुसार अपना जीवन व्यतीत करना होता है ।

     प्रश्न-7- किसान जीवन वाले समाज में पशु और मनुष्य के आपसी संबंधों को कहानी में किस तरह व्यक्त किया गया है ? 

    उत्तर- किसान जीवन वाले समाज में पशु और मनुष्य का घनिष्ठ संबंध होता है| आपसी लगाव के कारण दोनों का एक दूसरे के बिना रहना दुखदाई हो जाता है| तरह-तरह के दुख उठाने और बिकने के बाद भी हीरा और मोती अपने पहले मालिक झुरी को छोड़कर कहीं नहीं जाना चाहते हैं किसान अपने पशुओं को परिवार के सदस्यों के समान स्नेह और देखभाल करता है तो पशु भी उसकी आत्मीयता युक्त भाव से स्नेह के बंधन में बंध कर सदा उसके साथ रहना चाहते हैं| 

    प्रश्न-8- ‘इतना तो हो ही गया कि 9-10 प्राणियों की जान बच गई वह सब तो आशीर्वाद देंगे’ मोती के इस कथन के आलोक में उसकी विशेषताएं बताइए । 

    उत्तर- ‘इतना तो हो ही गया कि नौ-दस प्राणियों की जान बच गई वह सब तो आशीर्वाद देंगे’ मोती के इस कथन से हमें पता चलता है कि उसमें परोपकार की भावना है । वह निरिह और विपत्ति में फँसे प्राणियों की मदद करने में विश्वास रखता है| वह आशावादी है| उसे विश्वास है कि उसके द्वारा किए गए अच्छे कार्य का परिणाम भी अच्छा ही होगा| 

    आशय स्पष्ट कीजिए

    प्रश्न-9-क. अवश्य ही उनमें कोई ऐसी गुप्त शक्ति थी जिससे जीवो में श्रेष्ठता का दावा करनेवाला मनुष्य वंचित है ।ख. उस एक रोटी से उनकी भूख तो क्या शांत होती पर दोनों के हृदय को मानो भोजन मिल गया ।

    उत्तर-क) यहां प्रेमचंद ने बताया है कि हीरा और मोती मुक भाषा में विचारों का आदान-प्रदान करते थे| वह बिना कुछ कहे एक-दूसरे के भाव और विचार समझ लेते थे| प्रेम आत्मीयता और घनिष्ठता के गुणों के बल पर ही वे एक दूसरे के मन की बात जान लेते थे यही उनकी शक्ति थी जिसके कारण श्रेष्ठ जीव मनुष्य जीवन से पिछड़ गया| 

    उत्तर-ख) प्रस्तुत पंक्ति का आशय यह है कि प्रेम और सहानुभूति का सहारा मिलने पर प्राणी बड़े से बड़े दुख को भी भूल जाता है| जब भैरव की बेटी भूख से व्याकुल हीरा और मोती को एक-एक रोटी खिलाती है तो इस सहानुभूति को पाकर उनकी आत्मा प्रसन्न हो जाती है और आनंदानुभूति के बल पर स्वयं को तृप्त अनुभव करते हैं| 

    प्रश्न-10- गया ने हीरा मोती को दोनों बार सूखा भूसा खाने के लिए क्यों दिया ? 

    उत्तर- गया ने हीरा मोती को दोनों बार सूखा भूसा खाने के लिए दिया क्योंकि वह हीरा मोती के व्यवहार से बहुत दुखी था| 

    रचना और अभिव्यक्ति

    प्रश्न-11- हीरा और मोती ने शोषण के खिलाफ आवाज उठाई लेकिन उसके लिए प्रताड़ना भी सही । हीरा मोती की इस प्रक्रिया पर तर्क सहित अपने विचार प्रकट करें

    उत्तर- विद्यार्थी स्वयं लिखें

    प्रश्न-12- क्या आपको लगता है कि यह कहानी आजादी की लड़ाई की ओर भी संकेत करती है ? 

    उत्तर- इस कहानी में लेखक ने हीरा मोती को दूसरे की परतंत्रता से स्वयं को मुक्त करने के लिए संघर्ष करते हुए दिखाया है| हीरा मोती अपने बल से गया के घर से रस्सी तुड़ाकर कर अपने घर आ जाते हैं| अंत में कांजी हाउस से अन्य जानवरों को आजाद कर आते हैं तथा स्वयं दंड पाकर भी दलित के चंगुल से छूटकर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेते हैं इस प्रकार यह कहानी भारत की आजादी की लड़ाई की ओर भी संकेत करती है कि किस प्रकार भारतवासियों ने अनेक कठिनाइयों का सामना करते हुए अंत में आजादी प्राप्त की है|

    भाषा-अध्ययन 

    प्रश्न-13- बस इतना ही काफी है |फिर मैं भी जोर लगाता हूँ |'ही ', 'भी' वाक्य में किसी बात पर जोर देने का काम कर रहे हैं | एसे शब्दों को निपात कहते हैं | कहानी में से एसे पांच वाक्य छाटिये जिनमें निपात का प्रयोग हुआ हो |

    उत्तर-  

    1. बैल कभी-कभी मारता भी है |
    2. कुत्ता भी बहुत गरीब जानवर है |
    3. ब्याही हुई गाय तो अनायास हि सिंहिनी का रूप धारण कर लेती है |
    4. एक हि विजय ने उसे संसार की सभ्य जातियों में गण्य बना दिया |
    5. पीछे से तुम भी उन्ही की सी कहोगे |

    प्रश्न-14-रचना के आधार पर वाक्य-भेद बताएये तथा उपवाक्य छांटकर उसके भी भेद लिखिए --प्रश्न-क) दिवार का गिरना था की अधमरे से पड़े हुए सभी जानवर चेत उठे |

    उत्तर- मिश्र वाक्य 

    उपवाक्य- अधमरे से पड़े हुए सभी जानवर चेत उठे |

    भेद- संज्ञा उपवाक्य 

    प्रश्न-ख) सहसा एक दडियल आदमी, जिसकी आँखे लाल थी और मुद्रा अत्यंत कठोर, आया |

    उत्तर- संयुक्त वाक्य 

    उपवाक्य- जिसकी आँखे लाल थी और मुद्रा अत्यंत कठोर

    भेद- विशेषण उपवाक्य 

    प्रश्न-ग) हीरा ने कहा- गाय के घर से नाहक भागे |

    उत्तर- मिश्र वाक्य 

    उपवाक्य - गाय के घर से नाहक भागे  

    भेद- संज्ञा उपवाक्य 

    प्रश्न-घ) मैं बेचूंगा, तो बिकेंगे |

    उत्तर- मिश्र वाक्य 

    उपवाक्य- तो बिकेंगे 

    भेद- क्रिया-विशेषण उपवाक्य 

    प्रश्न-ड) अगर वह मुझे पकड़ता तो मैं बे-मारे न छोड़ता |

    उत्तर- मिश्र वाक्य 

    उपवाक्य-  मैं बे-मारे न छोड़ता    

    भेद- क्रिया-विशेषण उपवाक्य 

    प्रश्न-15- कहानी में जगह-जगह मुहावरों का प्रयोग हुआ है | कोई पांच मुहावरे छांटिए और उनका वाक्य में प्रयोग कीजिए|

    उत्तर

    1. ईंट का जवाब पत्थर से देना (दृढ़ता से शत्रु का मुकाबला करना)- शत्रु सेना के हमला करने पर हमारी सेना ने ईंट का जवाब पत्थर से दिया |
    2. प्राण निकलना (मर जाना)- हे राम ! कहते हि महात्मा गांधी के प्राण निकल गए
    3. नौ दो ग्यारह होना (भाग जाना)- पुलिस को देखते हि चोर नौ दो ग्यारह हो गए |
    4. बगले झांकना (ध्यान न देना)- साहूकार को देखते हि हल्कू बगले झांकने लगा |
    5. दांतों पसीना आना (बुरी तरह तंग होना)- मस्त हाथी को बस में करते समय महावत को दांतों पसीना आ गया|   

    महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर

    प्रश्न-1 लेखक ने गधे का छोटा भाई किसे और क्यों कहा है ? 

    उत्तर- लेखक ने गधे का छोटा भाई बैल को कहा है बैल को गधे का छोटा भाई इसलिए कहा है क्योंकि वह गधे से कम बेवकूफ है वह अपना असंतोष प्रकट करने के लिए कभी-कभी मारता भी है और अपनी जिद्द पर अड़ जाने के कारण अड़ियल बैल कहलाने लगता है| 

    .प्रश्न-2-  गया जब हीरा मोती को झूरी के घर से लेकर चला तो हीरा मोती ने क्या सोचा ? 

    उत्तर- गया जब हीरा मोती को झुरी के घर से लेकर चला तो उन्हें लगा कि झुरी ने उन्हें गया के हाथों बेच दिया है वह सोच रहे थे कि झुरी ने उन्हें निकाल दिया है वे और भी अधिक मेहनत करने के लिए तैयार हैं लेकिन झूरी से अलग होने के लिए तैयार नहीं है| 

    प्रश्न-3-  झूरी जब प्रातः काल सो कर उठा तो उसने क्या देखा तथा गांव वालों की प्रतिक्रिया क्या थी ? 

    उत्तर- झूरी ने देखा कि गया द्वारा ले जाए गए दोनों बैल चरनी पर खड़े हैं उनके गले में आधी आधी फूँदेदार रस्सी लटक रही थी झूरी ने दौड़ कर उन्हें गले से लगा लिया घर और गांव के लड़कों ने तालियां बजा बजाकर उनका स्वागत किया बच्चों ने इन दोनों वीर पशुओं का अभिनंदन किया । 

    प्रश्न-4-  गया ने जब बैलो को हल में जोता तो बैलों पर क्या प्रतिक्रिया हुई ? 

    उत्तर- गया ने जब बैलों को हल में जोता तो बैलों ने काम करने से मना कर दिया वे दोनों अड़ियल बन गए गया उन्हें मारते मारते थक गया परंतु दोनों बैलों ने पांव तक न उठाए । 

    प्रश्न-5- हीरा मोती ने स्वयं को सांड से कैसे बचाया ? 

    उत्तर- सांड को देखकर पहले तो हीरा मोती घबरा गए थे फिर उन्होंने यह सोचा कि दोनों उस पर एक साथ चोट करें एक आगे से दूसरा पीछे से । इस तरह उन्होंने अपने आप को साँड़ से बचाया । 

    प्रश्न-6-  कांजी हाउस के अंदर के दृश्य का वर्णन कीजिए ? 

    उत्तर- कांजी हाउस के अंदर कई भैंसे कई बकरियां कई घोड़े और कई गधे बंद थे हीरा और मोती को भी यही बंद कर दिया गया यहां बंद जानवरों के सामने चारा नहीं था सभी जमीन पर मुर्दों के समान पड़े थे । 

    प्रश्न-7- दड़ियल आदमी के बंधन से हीरा मोती कैसे आजाद हुए ? 

    उत्तर- कांजी हाउस से एक दड़ियल आदमी हीरा मोती को खरीद कर जिस रास्ते से ले जा रहा था उस रास्ते को हीरा मोती ने पहचान लिया और बंधन को छुड़ाकर भागता हुआ झूरी के घर जा पहुंचा दड़ियल ने जब जबरदस्ती बैलों को पकड़ कर ले जाना चाहा तो मोती ने सिंग चलाया दड़ियल पीछे हटा इस प्रकार बैल दड़ियल के बंधन से आजाद हुए ।

    प्रश्न-8-  दो बैलों की कथा कहानी में निहित संदेश स्पष्ट कीजिए । 

    उत्तर- दो बैलों की कथा कहानी में प्रेमचंद ने स्पष्ट किया है कि किस प्रकार पशु और मानव में परस्पर प्रेम होता है इस प्रकार इस कहानी का मूल संदेश पशु और मानव के भावात्मक संबंधों को उजागर करते हुए स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा देता है ।

    प्रश्न-9-  झूरी कौन था ? उसका हीरा मोती के साथ क्या संबंध था ? 

    उत्तर- झूरी एक किसान था । उसे पशुओं से बहुत प्रेम था । हीरा मोती उसके दो बैल थे वह उन्हें जान से ज्यादा प्यार करता था । 

    प्रश्न-10- मजदूर ने झूरी की किस आज्ञा का और क्यों उल्लंघन किया ? 

    उत्तर- मालकिन ने मजदूर से कहां की बैलों को सूखा भूसा दे दो जब झूरी ने भूसा खली डालने को कहा तो मजदूर ने मालकिन की आज्ञा का हवाला देकर झूरी की आज्ञा की अवज्ञा कर दी ।

    प्रश्न-11-  दूसरी बार गया बैलों को कैसे लेकर जाता है घर में वह उनके साथ क्या करता है ?

    उत्तर- दूसरी बार गया हीरा मोती को बैलगाड़ी में जोत कर ले जाता है घर ले जाकर वह दोनों बैलों को मोटी रस्सी से बांध देता है उन्हें खाने के लिए सूखा भूसा देता है

    दो बैलों की कथा से हमें क्या शिक्षा मिलती हैं?

    दो बैलों की कथा से हमें क्या शिक्षा मिलती है? इसे सुनेंरोकेंइस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें अपनी स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए प्रयास करते रहना चाहिए। जैसे हीरा और मोती ने अपनी आज़ादी को पाने के लिए हर कष्ट सहे।

    दो बैलों की कथा पाठ हमें क्या संदेश देता है?

    यह कहानी सांकेतिक भाषा में यह संदेश देती है कि मनुष्य हो या कोई भी प्राणी हो, स्वतंत्रता उसके लिए बहुत महत्व रखती है। स्वतंत्रता को पाने के लिए लड़ना भी पड़े, तो बिना हिचकिचाए लड़ना चाहिए। जन्म के साथ ही स्वतंत्रता सबका अधिकार है, उसे बनाए रखना सबका परम कर्तव्य है।

    दो बैलों की कथा पाठ का मूल भाव क्या है?

    उत्तर – प्रेमचंद ने किसान जीवन में मनुष्य तथा पशु के भावनात्मक सम्बन्धों को हीरा और मोती, दो बैलों के माध्यम से व्यक्त किया है। हीरा और मोती दोनों झूरी नामक एक किसान के बैल हैं जो अपने बैलों से अत्यंत प्रेम करता है और इसी प्रेम से वशीभूत होकर हीरा और मोती अपने मालिक झूरी को छोड़कर कहीं और नहीं रहना चाहते हैं।

    दो बैलों की कथा के माध्यम से प्रेमचंद जी क्या कहना चाहते हैं?

    Answer: दो बैलों की गाथा से प्रेमचंद जी यह कहना चाहते हैं कि जानवर हो या इंसान सबको स्वच्छंद रहना पसंद है।