गर्मी के दिनों में पेट का खास ख्याल रखना होता है. अगर सुबह पेट साफ ना हो तो पूरा दिन अच्छा महसूस नहीं होता. कहा जाता है कि सारी बीमारियों की शुरुआत पेट से ही होती है. पेट ठीक ना हो तो दूसरी बीमारियां भी हो जाती हैं. आइए जानते हैं वे पांच चीजें जिनको नहीं खाएंगे तो पेट रहेगा कूल और साफ. Show दूध से बने उत्पाद- दूध से बना कोई भी उत्पाद गरिष्ठ भोजन की श्रेणी में आता है. इससे बने उत्पाद को पचने में काफी समय लगता है. इनमें वसा की मात्रा अधिक होती है और फाइबर की कम. खाना नहीं पच रहा है इसके बावजूद दूध से बने उत्पादों के लगातार सेवन से आपको कब्ज हो सकता है. चिप्स- चिप्स का सेवन भी अपच की शिकायत वालों को लिए खतरनाक है. आलू में वसा की मात्रा अधिक होती है जिसे पचने में भी सामान्य खाद्य पदार्थों के मुकाबले अधिक समय लगता है इसलिए चिप्स और तली-भुनी चीजों के सेवन से बचें. फ्रोजेन खानों के सेवन से बचें. कई दिनों से रखे खाद्य पदार्थ आपके पेट में गड़बड़ कर सकते हैं. हमेशा ताजी सब्जियों और फलों को खाएं. बिस्कुट- बिस्कुट और कुकीज़ में मैदे की मात्रा बहुत अधिक होती है. मैदा पेट के लिए बहुत हानिकारक होता है. इसलिए बिस्कुट और कुकीज़ के सेवन से बचें. केला- केला यूं तो खाना पचाने में मदद करता है लेकिन अगर केला कच्चा है तो यह उल्टा प्रभाव आपके पेट पर डालता है. भूलकर भी कच्चे केले का सेवन ना करें.
असंख्य रोगों का उत्पादक कब्ज— आधुनिक जीवन में सबसे अधिक प्रचारित बीमारी कब्ज या कोष्ठबद्धता है। वृद्ध, युवक, स्त्रियां और बच्चे तक इससे परेशान हैं। अनेक रोगियों को देखकर पहले तो ऐसा ज्ञात होता है कि किसी बड़े रोग से ग्रसित हैं किन्तु बाद में मालूम पड़ता है कि वे जीर्ण कोष्ठबद्धता से परेशान हैं। अनेक व्यक्ति शौचादि निवृत्ति के समय सिगरेट या बीड़ी सुलगाकर इस आशा से बैठते हैं कि टट्टी साफ हो जायगी, किन्तु कांखते हुए उन्हें बहुत देर तक टट्टी में बैठे रहना पड़ता है। किन्हीं-किन्हीं स्थानों का जल इतना भारी होता है कि सभी को स्वभावतः कब्ज रहता है। कुछ अपनी त्रुटिपूर्ण आदतों के कारण कब्ज के शिकार हैं। << | < | | > | >> टट्टी करने का सही टाइम क्या है?शौच का सही समय (right time to go washroom)
सुबह शौच जाने का सबसे सही समय है सुबह 5 बजे से लेकर 6 बजे (right time to go washroom)। दरअसल इस समय हमारे शरीर में वायु का प्रकोप ज्यादा होता है, जो मल को सही ढंग से बाहर निकलने में मदद करता है इसलिए समय मल त्यागना बेहद सुलभ हो जाता है।
गूगल टट्टी करने का सही तरीका क्या है?बोकस ने 1964 में अपनी किताब गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी में दावा किया कि जांघों को पेट के पास लाकर उकड़ूं बैठना आदर्श मल त्याग करने का तरीका है. डॉ. एलेक्ज़ेंडर कीरा ने 1966 में अपनी किताब 'द बाथरूम' में तर्क दिया कि दीर्घशंका के लिए उकड़ूं बैठना इंसानी फ़ितरत है. इससे मलत्याग के लिए कम ज़ोर लगाना पड़ता है.
टट्टी नहीं आ रही है तो क्या करें?नींबू पानी नींबू हमारे शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। ... . दूध और दही कब्ज की समस्या को दूर करने के लिए पेट में अच्छे बैक्टीरिया का भी होना जरूरी है। ... . आयुर्वेदिक दवा सोने से पहले दो या तीन त्रिफला टैबलेट गर्म पानी के साथ लें। ... . खाने में फाइबर. टट्टी करना कैसे सीखे?पपी कमांड को पहचानना और समझना शुरू कर देगा कि आप उससे क्या करवाना चाहते हैं। इससे पपी को यह सीखने में मदद मिलेगी कि उसे कहाँ पर पेशाब या मलत्याग करना चाहिए।. एंज़ाइमी क्लीनर का प्रयोग करें, न कि वह जिसमें अमोनिया हो। ... . पेशाब में अमोनिया की तेज़ गंध होती है जो पपी को सूंघने और चिन्ह छोड़ने के लिए अपनी ओर आकृष्ट करती है।. |