5 पर पर कर कर देते हो पंक्ति का भाव क्या है? - 5 par par kar kar dete ho pankti ka bhaav kya hai?

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One Line Answer

‘उड़ने को नभ में तुम पर-पर कर देते हो’ के आलोक में बताइए कि फागुन लोगों के मन को किस तरह प्रभावित करता है?

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Solution

‘उड़ने को नभ में तुम पर-पर कर देते हो’ से ज्ञात होता है कि फागुन में चारों ओर इस तरह सौंदर्य फैल जाता है कि वातावरण मनोरम बन जाता है। रंग-बिरंगे फूलों के खुशबू से हवा में मादकता घुल जाती है। ऐसे में लोगों का मन कल्पनाओं में खोकर उड़ान भरने लगता है।

Concept: पद्य (Poetry) (Class 10 A)

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Chapter 5: सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' - उत्साह और अट नहीं रही है - अतिरिक्त प्रश्न

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NCERT Class 10 Hindi - Kshitij Part 2

Chapter 5 सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' - उत्साह और अट नहीं रही है
अतिरिक्त प्रश्न | Q 8

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These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 10 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 5 उत्साह और अट नहीं रही.

प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

उत्साह

प्रश्न 1.
कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर ‘गरजने के लिए कहता है, क्यों?
उत्तर
‘उत्साह’ कविता कवि का आह्वान गीत है, जिसके स्वर में ओज है, क्रांति है। कवि क्रांति की अपेक्षा करता है और ऐसी अपेक्षा, जिसकी गरजना सुनकर उत्साह का संचार हो जाए। दूसरी ओर बादलों की फुहार और रिमझिम वर्षा से व्यक्ति के मन में कोमल भावों का जन्म होती है, शांति का अनुभव होता है। ऐसे भावों से कवि के मन्तव्य को गति नहीं मिलती है। यही कारण है कवि ने बादल से फुहार, रिमझिम बसरने के स्थान पर गरजने के लिए कहता है।

प्रश्न 2.
कविता का शीर्षक ‘उत्साह’ क्यों रखा गया है?
उत्तर
बच्चे की मुसकान सरल, निश्छल, भोली और निष्काम होती है। उसमें कोई स्वार्थ नहीं होता। वह सहज-स्वाभाविक होती है। बड़ों की मुसकान कुटिल, अर्थपूर्ण, सोची-समझी, सकाम और सस्वार्थ होती है। वे तभी मुसकराते हैं, जबकि वे सामने वाले में कोई रुचि रखते हों। वे अपनी मुसकान को माप-तोलकर, कोई उद्देश्य पूरा करने के लिए, किसी को महत्त्व देने के लिए घटाते-बढ़ाते हैं। बड़ों की मुसकान उनके मन की स्वाभाविक गति न होकर लोक व्यवहार का अंग होती है।

प्रश्न 3.
‘उत्साह’ कविता में बादल किन-किन अर्थों की ओर संकेत करता है?
उत्तर
‘उत्साह’ कविता में बादल निम्नलिखित अर्थों की ओर संकेत करता है

  1. बादल मानव-जीवन में क्रांति लाने की ओर संकेत करता है।
  2. मानव-जीवन की पीड़ाओं को दूर करने की ओर संकेत करता है।
  3. जीवन को उत्साह और संघर्ष के लिए प्रेरित करता है।
  4. जीवन में नवीनता लाने, परिवर्तन लाने की ओर संकेत करता है।

प्रश्न 4.
शब्दों का ऐसा प्रयोग जिससे कविता के किसी खास भाव या दृश्य में ध्वन्यात्मक प्रभाव | पैदा हो, नाद-सौंदर्य कहलाता है। ‘उत्साह’ कविता में ऐसे कौन से शब्द हैं जिनमें
नाद-सौंदर्य मौजूद है, छाँटकर लिखें।
उत्तर
( क ) इसका भावार्थ है-दाँत निकालते शिशु का धूल-से सना शरीर और उसकी निश्छल मुसकान देखकर कवि का मन प्रसन्न हो उठता है। ऐसे लगता है मानो उसकी झोंपड़ी में ही कमल के फूल खिल उठे हों। आशय यह है कि मन में बहुत उल्लास होता है।

( ख ) कवि कहता है-नव-शिशु की छुअन में रोमांच-भरी प्रसन्नता होती है। उसे छूते ही यों लगता है मानो बबूल और बाँस के पेड़ से शेफालिका के फूल झरने लगे हों। आशय यह है कि शिशु को छूने मात्र से रूखे और कठोर लोग भी सरसता अनुभव करने लगते हैं।

रचना और अभिव्यक्ति ।

प्रश्न 5.
जैसे बादल उमड़-घुमड़कर बारिश करते हैं वैसे ही कवि के अंतर्मन में भी भावों के बादल उमड़-घुमड़कर कविता के रूप में अभिव्यक्त होते हैं। ऐसे ही किसी प्राकृतिक सौंदर्य
को देखकर अपने उमड़ते भावों को कविता में उतारिए।
उत्तर
सूखते खेत, अनमने मन
उविग्न-मन, चिंतातुर कृषक
कैसे होगी, धान की रोपाई।
आकाश की ओर ताकते
सूखते धान-पौधे को देखते
छोटी बालिका।
कृषक-पिता से पूछती।
बादल नहीं बरस रहे हैं।
चातक ने व्रत तोड़ दिया है?
वह व्रत रखे, हमारे लिए
कृषक पिता ने कहा।
बादलों ने सुना
बादल घुमड़-घुमड़ आए
खूब गरजे, खूब बरसे
कृषक-मन हरसे
वाह! चातक-तपस्या।

अट नहीं रही है

प्रश्न 1.
छायावाद की एक खास विशेषता है अंतर्मन के भावों का बाहर की दुनिया से सामंजस्य बिठाना। कविता की किन पंक्तियों को पढ़कर यह धारणा पुष्ट होती है? लिखिए।
उत्तर
छायावाद में यथार्थ का चित्रण है। प्रकृति के माध्यम से मानव-मन को चित्रित करना, मानवीकरण करना छायावाद की प्रमुख विशेषता है।
फागुन माह का साँस लेना, घर-घर में सुगंध भर देना मन की प्रसन्नता की ओर संकेत है।-

कहीं साँस लेते हो,
घर-घर भर देते हो।

इस प्रकार कवि को प्रकृति के साथ इतनी आत्मीयता है कि वह अपनी प्रकृति के सौंदर्य-दर्शन से अपनी दृष्टि नहीं हटा पाता है। वह सौंदर्य-दर्शन से तृप्त नहीं होता है। कवि ने इसे इस प्रकार कहा है-

आँख हटाता हूँ तो
हट नहीं रही है।

इस प्रकार संपूर्ण कविता में फागुन की प्रसन्नता, ऋतु बसंत की प्रसन्नता मानव-मन के रूप में चित्रित हो रही है।

प्रश्न 2.
कवि की आँख फागुन की सुंदरता से क्यों नहीं हट रही है?
उत्तर
फागुन की प्रकृति प्रायः सभी को दर्शन-लाभ कराती है। ऐसा कौन सहदय-जन हो सकता है जो प्रकृति के सौंदर्य से अभिभूत न हो। फागुन में बसंत का यौवन है, मादकता है, प्रफुल्लता है। अतः सहृदय-जन आकर्षित हुए बिना नहीं रहता है। कवि सहृदय-जन के साथ-साथ प्रकृति प्रेमी भी है। प्रकृति का सूक्ष्मदर्शी है। प्रकृति में अपनी रुचि के अनुसार सुंदरता हूँढ़ लेता है। इस कारण कवि फागुन की सुंदरता से चाहते हुए भी अपनी आँख नहीं हटा पाता है।

प्रश्न 3.
प्रस्तुत कविता में कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन किन रूपों में किया है?
उत्तर
कविता “अट नहीं रही है” में प्रकृति की व्यापकता का वर्णन कवि ने निम्न रूपों में किया है–

  1. फागुन के प्राकृतिक सौंदर्य का प्रभाव सर्वत्र व्याप्त है जिसे विविध रंग के नव-पल्लवों, पुष्पों के रूप में पेड़ों पर देखा जा सकता है।
  2. फागुन की प्रकृति का प्रभाव मनुष्यों के मन पर देखा जा सकता है। कवि तो प्रकृति के सौंदर्य से इतना प्रभावित है कि वह प्रकृति के दर्शन से तृप्त भी नहीं हो पा रहा है।
  3. फागुन का इतना प्रभाव है कि सर्वत्र उल्लास और उत्साह दिखाई देता है। | प्रफुल्लता-ही-प्रफुल्लता दिखाई देती है।
  4. फागुन की इतनी अतिशय शोभा है कि कहीं भी समा नहीं रही है।

प्रश्न 4.
फागुन में ऐसा क्या होता है जो बाकी ऋतुओं से भिन्न होता है?
उत्तर
फागुन में बसंत का आगमन होता है। पतझड़ के कारण पेड़ जो स्नेहहीन उदासीन से खड़े रहते हैं, अनमने रहते हैं, वे सभी नव-पल्लवित, पुष्पित हो उठते हैं। पर्यावरण स्वयं प्रफुल्लित हो उठता है। प्रकृति झंकृत हो उठती है रूठी कोयल मधुर-गान कर उठती है। इस तरह फागुन में उत्साह होता है। ऐसा अन्य ऋतुओं में नहीं होता है। कभी ठिठुरन होती है, तो कभी गर्मी का ताप संतप्त करता है तो कभी पतझड़ के कारण पेड़ शोभाहीन होते हैं।

प्रश्न 5.
इन कविताओं के आधार पर निराला के काव्य-शिल्प की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर
निराला के काव्य में काव्य-शिल्प
1. निराला की कविताओं में दूसरों से भिन्नता है। उनको शब्द-चयन ऐसा अनूठा है कि एक-एक शब्द में पूर्ण-भाव की अभिव्यक्ति होती है।

2. प्रकृति के चित्रण में जीवंतता है। ‘उत्साह’ और ‘अट नहीं रही है। दोनों कविताओं में मानवीकरण है। कवि ‘उत्साह’ कविता में बादल को संबोधित करता है
बादल गरजो!
घेर-घेर घोर गगन, धाराधर ओ!
इसी प्रकार ‘अट नहीं रही है’ कविता में कवि फागुन से वार्ता कर रहा है
कहीं साँस लेते हो,
घर-घर भर देते हो।।

3. प्रतीकात्मक शब्दों का प्रयोग किया गया है। यह छायावादी कवियों की परंपरा | रही है कि प्रतीक-शब्दों के प्रयोग से भावों को रहस्यमयी (गूढ़) बना देते हैं।

4. तत्सम शब्दों का प्रयोग अधिक करते हैं।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 6.
होली के आसपास प्रकृति में जो परिवर्तन दिखाई देते हैं, उन्हें लिखिए।
उत्तर
होली के आसपास प्रकृति का सौंदर्य अत्यंत मनोहारी होता है। शीत का पलायन और ग्रीष्म का प्रवेश होता है। ग्रीष्म और शीत की वय-संधि होती है। जिससे मन उत्साह से भरा होता है साथ ही लोगों के मन में होली का उन्माद होता है। फसल पकने वाली होती है।

आम के पेड़ पुष्पित और फलित होने लगते हैं। विकसित पुष्प-सौंदर्य आह्लादित करता है। भौंरों का गुंजार-स्वर जोर पकड़ने लगता है। अब-तक मौन बैठी-कोयल पंचम स्वर से गान कर उठती है। मंद-मंद वायु का प्रवाह पुष्यों के स्पर्श से पर्यावरण को सुगंधित कर देता है। मधुमक्खियाँ अपने छत्ते में मकरंद का संचय करने लगती हैं।

पाठेतर सक्रियता

• फागुन में गाए जाने वाले गीत जैसे होरी, फाग आदि गीतों के बारे में जानिए। निराला जी ने फागुन के सौंदर्य पर कविता लिखी है।
इस कविता में भी निराला फागुन के सौंदर्य में डूब गए हैं। उनमें फागुन की आभा रच गई है, ऐसी आभा जिसे न शब्दों से अलग किया जा सकता है, न फागुन से।
फूटे हैं आमों में बौर
भौंर वन-वन टूटे हैं।
होली मची ठौर-ठौर,
सभी बंधन छूटे हैं।
फागुन के रंग राग,
बाग-वन फाग मचा है,
जनों के मन लूटे हैं।
माथे अबीर से लाल,
गाल सेंदुर के देखे,
आँखें हुई हैं गुलाल,
गेरू के ढेले कुटे हैं।

Hope given NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 5 are helpful to complete your homework.

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