तीज त्यौहार क्यों मनाया जाता है - teej tyauhaar kyon manaaya jaata hai

हर‌ियाली तीज का उत्सव श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है।[1] यह उत्सव महिलाओं का उत्सव है। सावन में जब सम्पूर्ण प्रकृति हरी ओढ़नी से आच्छादित होती है उस अवसर पर महिलाओं के मन मयूर नृत्य करने लगते हैं। वृक्ष की शाखाओं में झूले पड़ जाते हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश में इसे कजली तीज के रूप में मनाते हैं। [2] सुहागन स्त्रियों के लिए यह व्रत बहुत महत्व रखता है। आस्था, उमंग, सौंदर्य और प्रेम का यह उत्सव शिव-पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। चारों ओर हरियाली होने के कारण इसे हरियाली तीज कहते हैं। इस अवसर पर महिलाएं झूला झूलती हैं, लोकगीत गाती हैं और आनन्द मनाती हैं।[3]

इस दिन महिलायें अपने हाथों, कलाइयों और पैरों आदि पर विभिन्न कलात्मक रीति से मेंहदी रचाती हैं। इसलिए हम इसे मेहंदी पर्व भी कह सकते हैं। इस दिन सुहागिन महिलायों द्वारा मेहँदी रचाने के पश्चात् अपने कुल की वृद्ध महिलाओं से आशीर्वाद लेने की भी एक परम्परा है।

इस उत्सव में कुमारी कन्याओं से लेकर विवाहित युवा और वृद्ध महिलाएं सम्मिलित होती हैं। नव विवाहित युवतियां प्रथम सावन में मायके आकर इस हरियाली तीज में सम्मिलित होने की परम्परा है। हर‌ियाली तीज के द‌िन सुहागन स्‍त्र‌ियां हरे रंग का श्रृंगार करती हैं। इसके पीछे धार्म‌िक कारण के साथ ही वैज्ञान‌िक कारण भी सम्मिलित है। मेंहदी सुहाग का प्रतीक चिन्ह माना जाता है। इसलिए महिलाएं सुहाग पर्व में मेंहदी अवश्य लगाती है। इसकी शीतल प्रकृति प्रेम और उमंग को संतुलन प्रदान करने का भी काम करती है। ऐसा माना जाता है कि सावन में काम की भावना बढ़ जाती है। मेंहदी इस भावना को नियंत्रित करता है। हरियाली तीज का नियम है कि क्रोध को मन में नहीं आने दें। मेंहदी का औषधीय गुण इसमें महिलाओं की सहायता करता है। इस व्रत में सास और बड़े नई दुल्हन को वस्‍त्र, हरी चूड़‌ियां, श्रृंगार सामग्री और म‌िठाइयां भेंट करती हैं। इनका उद्देश्य होता है दुल्हन का श्रृंगार और सुहाग सदा बना रहे और वंश की वृद्ध‌ि हो।

कहा जाता है कि इस दिन माता पार्वती सैकड़ों वर्षों की साधना के पश्चात् भगवान् शिव से मिली थीं। [2]यह भी कहा जाता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए १०७ बार जन्म लिया फिर भी माता को पति के रूप में शिव प्राप्त न हो सके। १०८ वीं बार माता पार्वती ने जब जन्म लिया तब श्रावण मास की शुक्ल पक्ष तृतीया को भगवन शिव पति रूप में प्राप्त हो सके।[4] तभी से इस व्रत का प्रारम्भ हुआ। इस अवसर पर जो सुहागन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके शिव -पार्वती की पूजा करती हैं उनका सुहाग लम्बी अवधि तक बना रहता है।[5]साथ ही देवी पार्वती के कहने पर श‌िव जी ने आशीर्वाद द‌िया क‌ि जो भी कुंवारी कन्या इस व्रत को रखेगी और श‌िव पार्वती की पूजा करेगी उनके व‌िवाह में आने वाली बाधाएं दूर होंगी साथ ही योग्य वर की प्राप्त‌ि होगी। सुहागन स्‍त्र‌ियों को इस व्रत से सौभाग्य की प्राप्त‌ि होगी और लंबे समय तक पत‌ि के साथ वैवाह‌िक जीवन का सुख प्राप्त करेगी। इसल‌िए कुंवारी और सुहागन दोनों ही इस व्रत का रखती हैं।[6]

हरियाली तीज के अवसर पर गौरी पूजन

हरियाली तीज का उत्सव भारत के अनेक भागों में मनाया जाता है , परन्तु हरियाणा, चण्डीगढ़, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुरू और ब्रज आँचल में विशेषकर इसका अधिक महत्त्व है।[7]

हरियाली तीज के अवसर से पहले बहुत से मिष्ठान और पकवान बनाये जाते हैं जो विवाहित पुत्री के घर सिंधारे के रूप मेें दिये जाते हैं। यह पकवान फिर पूरे श्रावण माह में खाये जाते हैं। तीज पर विशेष रूप से पकवान भगवान उमा-शङ्कर को भोग में चढ़ाये जाते हैं। भगवान शिव को प्रिय खीर और मालपुऐं बनाये जाते हैं। घेवर व्यंजन भी विशेष रूप से बनाया जाता है। लंबे समय तक चलने वाले व्यंजन जैसे गुलगुले, शक्करपारे, सेवियाँ, मण्डे आदि भी पकाये जाते हैं। हरियाणा में सुहाली व्यंजन भी बनाया जाता है।[8]

रिपोर्ट- सर्वेश श्रीवास्तव

अयोध्या. सावन के पवित्र महीने में कई त्योहार पड़ते हैं उसी में से एक हरियाली तीज भी आता है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष हरियाली तीज का व्रत 31 जुलाई को है. हरियाली तीज का व्रत विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए रखती हैं. वहीं कुंवारी लड़कियां अच्छे वर पाने के लिए इस व्रत को रखती हैं. हरियाली तीज में भगवान शंकर के साथ माता पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है.

ज्योतिषाचार्य कल्कि राम महाराज बताते हैं कि धार्मिक मान्यता है कि माता पार्वती ने भोले शंकर को पाने के लिए कठिन तप और तपस्या करने के बाद हरियाली तीज का व्रत रखा था. इस दिन महिलाएं हरे रंग का कपड़ा पहनती हैं और सोलह सिंगार करती हैं. हरियाली तीज का व्रत करवा चौथ की तरह होता है जो निर्जल होता है.

Hariyali Teej 2022: हिंदू धर्म में प्रत्येक त्योहार का एक विशेष महत्व है और खासतौर पर सावन का महीना व्रत व त्योहारों से भरा होता है. सावन के महीने में भगवान ​भोलेनाथ का पूजन किया जाता है.

तीज त्यौहार क्यों मनाया जाता है - teej tyauhaar kyon manaaya jaata hai

​Hartalika Teej 2022: सावन माह में सोमवार का व्रत का विशेष महत्व है. इसके अलावा रक्षाबंधन, हरतालिका तीज और शिवरात्रि जैसे महत्वपूर्ण त्योहार भी इसी महीने में आते हैं. सावन में हरियाली तीज (Haritalika Teej 2022 Date) का विशेष महत्व है और इस दिन सु​हागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र (Haritalika Teej Vrat) के लिए व्रत करती हैं. वहीं कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की कामना से इस दिन मां पार्वती का पूजन करती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हरियाली तीज का त्योहार क्यों और कैसे मनाया जाता है?

कब है ​हरियाली तीज 2022

हरियाली तीज को कुछ क्षेत्रों में हरितालिका तीज के नाम से भी जाना जाता है. इस साल यह त्योहार 31 जुलाई, रविवार के दिन पड़ रहा है. पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 30 मिनट पर शुरू होगा औश्र 8 बजकर 33 मिनट तक रहेगा. वहीं प्रदोष पूजा सायंकाल में 6:33 बजे से रात 8:51 बजे तक की जा सकती है.

क्यों मनाते हैं हरियाली तीज?

हिंदू धर्म में हरियाली तीज का त्योहार महिलाओं के लिए काफी खास होता है. इस त्योहार को लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं. एक लोकप्रिय पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए माता पार्वती ने घोर तप किया था और 107 जन्म लिए थे. कठोर तप के बाद 108वें जन्म में भगवान शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया था. कहा जाता है कि ​तभी से इस त्योहार की शुरुआत हुई.

कैसे मनाते हैं हरियाली तीज का त्योहार?

हरियाली तीज का त्योहार अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है. कई जगह सुहागिन महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र के लिए इस दिन व्रत करती हैं. वहीं कई क्षेत्रों में हरियाली तीज के दिन पकवान बनाएं जाते हैं. हरियाली तीज के दिन बेटी या बहन के घर सिंधारा भेजा जाता है जिसे कुछ इलाकों में सिंजारा भी कहा जाता है. सिंधारे में बेटी के कपड़े, श्रृंगार और कुछ मीठा होता है. इस दिन लड़कियां अपने मायके जाती हैं और उनके लिए विशेष प्रकार के पकवान आदि बनाएं जाते हैं. जो महिलाएं हरियाली तीज के दिन व्रत करती हैं वह दिन भी जल भी ग्रहण नहीं करतीं. व्रत खोलने के बाद ही कुछ जाते हैं.

डिस्क्लेमर: यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं. India.Com इसकी पुष्टि नहीं करता. इसके लिए किसी एक्सपर्ट की सलाह अवश्य लें.

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तीज पर्व का क्या महत्व है?

हरियाली तीज का महत्व | Hariyali Teej Importance धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हरियाली तीज का व्रत पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है. मान्यता यह भी है कि अगर इस दिन कुंवारी कन्याएं निर्जला व्रत रखकर भगवान शिव और मां गौरी की विधिवत पूजा-अर्चना करती हैं, तो उन्हें योग्य वर प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

हरियाली तीज का मतलब क्या होता है?

माता पार्वती जी का व्रत पूजन करने से धन, विवाह संतानादि भौतिक सुखों में वृद्धि होती है। सावन मास के शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि को महिलाएं शिव-पार्वती का विशेष पूजन करती हैं, वही हरियाली तीज कहा जाता है। देश के बड़े भाग में यही पूजन आषाढ़ तृतीया को मनाया जाता है उसे हरितालिका तीज कहते हैं।

भारत में तीज का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?

क्यों मनाते हैं हरियाली तीज मां पार्वती के कठोर तप और उनके 108वें जन्म में भगवान शिव ने देवी पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। तभी से इस व्रत की शुरुआत हुई। इस दिन जो सुहागन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करती हैं, उनका सुहाग लंबे समय तक बना रहता है

तीज व्रत किसका है?

हरतालिका तीज व्रत (Hartalika Teej) हर साल भाद्रपद शुक्ल तृतीया तिथि को रखा जाता है. इस दिन सुहागन महिलाएं और विवाह योग्य युवतियां ​निर्जला व्रत रखती हैं और कठोर नियमों का पालन करती हैं. सुहागन महिलाएं सुखी दांपत्य जीवन और पति के दीर्घायु के लिए और युवतियां मनचाहे वर की कामना से यह व्रत रखती हैं.