शिशु माँ का दूध पर्याप्त मात्रा में पी रहा है इसकी पहचान आसानी से कैसे की जा सकती है? - shishu maan ka doodh paryaapt maatra mein pee raha hai isakee pahachaan aasaanee se kaise kee ja sakatee hai?

In this article

  • नवजात शिशु को कितनी बार स्तनपान कराना चाहिए?
  • शिशु को उसकी इच्छानुसार दूध पिलाने का क्या मतलब है?
  • मेरे शिशु का वजन क्यों घट गया है?
  • मुझे कैसे पता चलेगा कि मेरे शिशु को पर्याप्त स्तन दूध मिल रहा है?
  • मुझे कैसे पता चलेगा कि शिशु को पर्याप्त दूध नहीं मिल रहा है?
  • कैसे सुनिश्चित करें कि मेरे बढ़ते शिशु को पर्याप्त दूध मिल रहा है?

नवजात शिशु को कितनी बार स्तनपान कराना चाहिए?

इस बात का निर्णय आप अपने शिशु पर छोड़ दीजिए। जितनी बार वह चाहे, उसे उतनी बार स्तनपान कराएं। शुरुआती कुछ दिनों और हफ्तों तक आपको स्तनपान की दिनचर्या निर्धारित करने की जरुरत नहीं है।

जन्म के पहले दिन आपका शिशु शायद कम से कम तीन से चार बार दूध पीएगा। शुरुआती एक-दो नींद भरे दिनों के गुजरने के बाद आपको अधिकांश समय शिशु भूखा सा लग सकता है। और शायद वह भूखा हो भी, क्योंकि वह दूध को कुछ ही घंटों में ही पचा लेता है।

इस समय, आपका शिशु शायद एक दिन में कम से कम आठ बार स्तनपान करना चाहेगा। हालांकि, वह इससे ज्यादा बार भी दूध पी सकता है, हर एक घंटे में भी। जन्म के पहले सप्ताह की समाप्ति पर, वह शायद एक दिन में छह से आठ बार दूध पीने लगेगा।

यदि आप शिशु को उसकी इच्छा के अनुसार उसे दूध पिला रही हैं, तो शुरुआती दिनों और हफ्तों में आपको ए​क दिन में अधिकतम कितनी बार स्तनपान करवाना चाहिए, इसका कोई तय आंकड़ा नहीं हैं। आपका शिशु जितना अधिक स्तनपान करेगा, आपके स्तन उतना ही अधिक दूध का उत्पादन करेंगे।

क्या आपके शिशु को पर्याप्त दूध मिल रहा है? (ऑडियो)

शिशु को भरपेट दूध मिलने के संकेतों के बारे में यहां सुनें!

शिशु को उसकी इच्छानुसार दूध पिलाने का क्या मतलब है?

शिशु को उसकी इच्छानुसार दूध पिलाना (फीडिंग आॅन डिमांड) का मतलब है कि किसी तय समय-सारणी के अनुसार दूध पिलाने की बजाय जब भी शिशु दूध पीना चाहे उसे दूध पिलाया जाए। शिशु के भूखा होने के संकेतों में आमतौर पर उसका रोना या हाथों को मुंह में चूसना शामिल होता है।

आॅन डिमांड (मांग के अनुसार) की बजाय "आॅन क्यू" (संकेतों के अनुसार) शब्द शिशु की इच्छानुसार उसे दूध पिलाने की बात को बेहतर ढंग से परिभाषित करता है। आॅन डिमांड का यह गलत अर्थ भी लिया जा सकता है कि शिशु के भूखा होने पर उसे दूध पिलाने से वह हर बार दूध की मांग करने वाला एक छोटा जिद्दी शिशु हो जाएगा!

स्तनपान के शुरुआती हफ्तों में, नवजात शिशु का बार-बार स्तनपान करने की इच्छा जताना सामान्य है। हो सकता है आप आश्चर्य करें कि क्या शिशु को वास्तव में इतनी बार स्तनपान करने की आवश्यकता है भी या नहीं।

यह बात ध्यान में रखें कि नन्हें शिशुओं का पेट बहुत छोटा होता है। जन्म के समय नवजात शिशु के पेट का माप एक पहाड़ी बादाम (हेजलनट) जितना होता है। तीसरे दिन तक यह माप बढ़कर अखरोट जितना हो जाता है। ​जन्म के 10 दिन बाद तक भी शिशु के पेट का माप मुर्गी के एक बड़े अंडे जितना ही होगा।

स्तनदूध आसानी से पच जाता है और जल्दी शिशु के पेट को भर देता है। यह शीघ्र अवशोषित भी हो जाता है, इसलिए शिशु अगर जल्दी-जल्दी स्तनपान करना चाहे, तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है।

यदि आप शिशु के दूध पीने की इच्छा को स्तनपान करवाकर पूरा करती हैं, तो आपके ​स्तन ज्यादा दूध का उत्पादन करेंगे। जन्म के शुरुआती छह हफ्तों में यदि आप शिशु को फॉर्मूला दूध देने लगती हैं, तो इससे आपके स्तनदूध की आपूर्ति घट सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि शिशु के कम स्तनपान करने पर आपके शरीर को अधिक दूध का उत्पादन करने के सं​केत नहीं मिल रहे होते।

यदि आपका शिशु दूध पीने के बाद जल्द ही दोबारा भूखा लगे (चिड़चिड़ा हो, मुट्ठी मुंह में चूसे या आपके स्तन की तरफ मुंह करे) तो आप उसे दोबारा स्तनपान करवाएं। यह भी याद रखें कि आपका शिशु कुछ दिन ज्यादा भूखा हो सकता है और सामान्य से ज्यादा बार स्तनपान करना चाहता है। इन दिनों को "फ्रीक्वेंसी डेज़" कहा जाता है और माना जाता है कि ये शिशु के उस चरण की तरफ संकेत करते हैं, जब शिशु का विकास तेजी पकड़ता है (ग्रोथ स्पर्ट)।

स्तनपान करने के शिशु के संकेतों पर ध्यान दें और उनके अनुसार प्रतिक्रिया दें। मगर यह भी ​ध्यान रखें कि कुछ बहुत छोटे शिशुओं में अभी इतनी ताकत नहीं होती कि वे जगे रहें और दूध पीने की मांग करें। कई बार समय से पहले जन्मे शिशु, कम जन्म वजन शिशु, पीलिया ग्रस्त शिशु या बीमार शिशु बहुत ​छोटा और उनींदा होता है और वह रोकर अपने भूखे होने का इजहार नहीं कर पाता। वह अपनी  ऊर्जा को अपने विकास और जल्दी ठीक होने में लगाता है।

यदि आपके शिशु के भूखे होने के संकेत हल्के और स्पष्ट न हों, तो माता-पिता को अक्सर कहा जाता है कि वे शिशु को कम से कम हर तीन घंटे में दूध पिलाएं, कई बार हर दो घंटे में भी। फिर चाहे शिशु को गहरी नींद या झपकी से उठाकर दूध पिलाना हो। इसे "फीडिंग आॅन शेड्यूल" कहा जाता है।

नवजात शिशु जो लगातार तीन से चार घंटों तक सोता है, उसपर नजर रखने की जरुरत होती है, ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि उसका पर्याप्त वजन बढ़ रहा है या नहीं।

मेरे शिशु का वजन क्यों घट गया है?

जन्म के कुछ दिनों बाद जब शिशु का वजन किया जाता है, तो जन्म वजन पांच से 10 प्रतिशत घट जाना सामान्य है। मगर इसका यह मतलब नहीं है कि शिशु को पर्याप्त दूध नहीं मिल रहा।

यदि वजन में यह कमी 10 प्रतिशत से ज्यादा न हो, तो सामान्य मानी जाती है। यदि प्रसव और शिशु के जन्म के अंतिम छह घंटों में आपको नसों के जरिये तरल पदार्थ (इंट्रावीनस फ्लूइड) दिए गए थे, तो यह शिशु के वजन घटने का कारण बन सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि गर्भ के भीतर शिशु तक पहुंचा ये तरल पदार्थ उसे बाहर आकर निकालना होता है।

कुछ दिनों के बाद, आपके शिशु का वजन फिर से बढ़ने लगेगा। यदि शिशु का वजन जन्म के बाद पांच से सात दिनों के बीच लिया जाए, तो आप पाएंगे कि उसका वजन फिर से बढ़ने लगा है। 14 दिनों तक, अधिकांश शिशु अपने जन्म वजन तक या इससे अधिक वजन पर पहुंच जाते हैं।

मुझे कैसे पता चलेगा कि मेरे शिशु को पर्याप्त स्तन दूध मिल रहा है?

अगर आप निम्नांकित संकेत देखें, तो इसका मतलब है कि शिशु को पर्याप्त दूध मिल रहा है, जैसे:

  • आपका शिशु एक दिन में छह से आठ बार स्तनपान कर रहा है
  • स्तनपान कराना आरामदायक है और शुरु में शिशु के चूसने पर दूध आने के बाद आपको स्तन या निप्पल में दर्द नहीं हो रहा।
  • स्तनपान कराने के बाद आपके स्तन खाली और हल्के लगते हैं।
  • आपके निप्पल स्तनपान शुरु करने से पहले जिस आकार में थे, बाद में भी उसी आकार में हैं, या आकार थोड़ा लंबा हो गया है।
  • आपका शिशु स्वस्थ दिख रहा है और उसकी त्वचा में कसाव है। हल्का सा दबाकर छोड़ने पर त्वचा में उछाल दिखता है।
  • जागते हुए आपका शिशु स​तर्क रहता है और तत्परता से स्तनपान की इच्छा जताता है।
  • आपका शिशु जन्म के बाद शुरुआती 48 घंटों में दो या तीन नैपी गी​ली कर कर रहा है, जो बाद में बढ़ जाती है।  जब शिशु पांच दिन का हो जाए, तो 24 घंटे में उसकी कम से कम छह लंगोट (नैपी) गीली होनी चाहिए। आपके शिशु का पेशाब बहुत हल्का पीला और दुर्गंधरहित होना चाहिए।
  • स्तनपान करते समय आप शिशु को दूध निगलते हुए देख सकती हैं और आपको लगता है कि उसने स्तन को अच्छी तरह मुंह में लिया हुआ है। दूध आने पर आप शिशु को दूध निगलते हुए स्पष्टता से सुन सकेंगी।
  • आपका शिशु स्तन चूसते हुए अपनी लय में बदलाव करता रहता है और दूध पीते-पीते बीच में रुक भी जाता है। जब वह दोबारा तैयार हो, तो उसे खुद ही स्तनपान करना शुरु करना चाहिए और पेट भरने पर स्वेच्छा से स्तन को छोड़ना चाहिए।
  • जब शिशु पांच दिन का हो जाए, तो उसका मल पीले-मस्टर्ड रंग का होना चाहिए।

मुझे कैसे पता चलेगा कि शिशु को पर्याप्त दूध नहीं मिल रहा है?

यदि आपके शिशु को पर्याप्त दूध नहीं मिल रहा है, तो आपको नीचे दिए गए कुछ संकेत नजर आ सकते हैं:

  • 14 दिनों का हो जाने पर भी शिशु अपना जन्म वजन दोबारा हासिल नहीं कर पाया।
  • स्तनपान कराने के बाद आपके स्तन मुलायम महसूस नहीं होते।
  • आपके निप्पल लिप्सटिक के अग्रभाग जैसे लगते हैं या स्तनपान कराने के बाद आकार बदला हुआ या दबे से लगते हैं। इनमें दर्द हो सकता है और क्षतिग्रस्त लग सकते हैं।
  • स्तनपान के बाद भी आपका शिशु बेचैन है।
  • पांच दिन के आसपास आपका शिशु 24 घंटे में पांच से छह बार से कम पेशाब कर रहा है। या फिर पांच दिनों के बाद वह 24 घंटों में छह से कम नैपी गीली कर रहा है।
  • पांच दिन का होने तक आपका शिशु दिन में दो बार से भी कम मलत्याग कर रहा है और उसका मल पतला या पीले रंग का नहीं है। थोड़े सप्ताह बाद, कुछ शिशु केवल दो-चार दिन में मलत्याग करते हैं, मगर सूखी नैपी और कम मल इस बात का संकेत हैं कि शिशु को पेट भर दूध नहीं मिल रहा है।
  • पहले सप्ताह के बाद आपके शिशु की त्वचा की रंगत कम होने की बजाय और अधिक पीली होती जा रही है।
  • आपका शिशु अधिकांश समय सोता ही रहता है और आपको स्तनपान करवाने के लिए उसे जगाना पड़ता है।
  • स्तनपान करते समय आपके शिशु के गालों में गड्ढ़े (डिंपल) पड़ रहे हैं या वह चूसने की आवाज निकालता है। यह इस बात का संकेत है कि आपके शिशु ने स्तन को अच्छी तरह मुंह में नहीं लिया है।

कैसे सुनिश्चित करें कि मेरे बढ़ते शिशु को पर्याप्त दूध मिल रहा है?

शिशु को पर्याप्त स्तनदूध मिल रहा है या नहीं, यह जानने का सबसे विश्वसनीय तरीका उसकी वजन वृद्धि देखना है। शिशु के डॉक्टर हर अप्वाइंटमेंट के दौरान उसका वजन लेंगे और उम्र के अनुसार उसके विकास और वजन वृद्धि की तुलना करेंगे।

आपको केवल अपने शिशु पर नजर रखनी है और कुछ बातों पर ध्यान देना है।

  • क्या वह स्वस्थ है?
  • क्या उसका वजन निरंतर बढ़ रहा है?
  • क्या वह अधिकांश बार स्तनपान के बाद संतुष्ट लगता है?

यदि आपका उपर्युक्त दिए गए सवालों का हां में हैं, तो निश्चिंत हो जाएं। आपके शिशु के लिए जो जरुरी है, वह सब उसे मिल रहा है!

यदि आप इस बात को ​लेकर परेशान हैं कि आपके शिशु को पर्याप्त दूध नहीं मिल रहा है, तो आपको इन सबसे जरुरी चीजों पर ध्यान देना होगा:

  • शिशु को ज्यादा बार स्तनपान कराएं, शिशु को अपने नजदीक थामे रखें ताकि वह यह "बता" सके कि वह कब स्तनपान करना चाहता है।
  • शिशु के भूखा होने के संकेतों को पहचानें। वह अपना मुंह खोलकर व बंद करके, चूसने जैसी आवाजें निकालकर, आपकी तरफ अपनी आंखें खोलकर या सिर घुमाकर भूखा होने के संकेत दे सकता है। शिशु को अपने नजदीक त्वचा से त्वचा के संपर्क में रखने से आप शिशु के संकेतों पर आसानी और शीघ्रता से प्रतिक्रिया दे पाएंगी।
  • शिशु को पहले एक स्तन से दूध पिलाएं, जितनी भी देर वह पीना चाहे। एक स्तन से पूरी तरह दूध पीने के बाद ही उसे दूसरा स्तन दें। देर तक एक ही स्तन से दूध पीने से उसे गाढ़ा, मलाईदार दूध और स्तनपान के अंत में आने वाला वसा समृद्ध दूध मिल सकेगा।
  • शिशु स्तन को किस तरह मुंह में ले रहा है, इस पर भी ध्यान दें। उसे पूरा मुंह खोलकर स्तन का बड़ा हिस्सा मुंह में लेना चाहिए। स्तन को अच्छी तरह मुंह में लेने से उसे स्तनपान के अंत में आने वाला कैलोरी से भरपूर दूध पाने में मदद मिलेगी।
  • आप शिशु को दूध गटकते हुए देख और सुन सकती हैं। यह इस बात का संकेत है कि उसके मुंह में पूरा दूध आ रहा है।

कुछ शिशु नियमित और पूर्वानुमेय ढंग से स्तनपान करते हैं, मगर अधिकांश ऐसा नहीं करते। शिशु ने कितनी बार स्तनपान किया है, यह गिनती भूल जाना भी एकदम सामान्य है। यह याद रख पाना भी मुश्किल हो सकता है कि स्तनपान कब कराया था और फिर इसके बाद दोबारा कब कराया! बढ़ने के साथ-साथ शिशु अक्सर अपने स्तनपान की अवधि तय करने लग​ते हैं।

हो सकता है कभी आपका शिशु ज्यादा बार या ज्यादा देर तक स्तनपान करना चाहे। यह एकदम सामान्य है और किसी समस्या का संकेत नहीं है। यह आमतौर पर शिशु के विकास के दौरान होता है। बेहतर है कि शिशु जब भी चाहे, जितना चाहे स्तनपान करने दें, क्योंकि वह हर समय बढ़ रहा है। आपका शरीर जल्द ही समायोजित हो जाएगा और शिशु की मांग को पूरा करने के लिए अधिक दूध का उत्पादन करेगा।

मगर यदि आपका शिशु हमेशा घंटों तक स्तनपान करता है, मगर इसके बाद भी संतुष्ट या खुश नहीं लगता, तो इसका मतलब है कि उसे पर्याप्त दूध नहीं मिल रहा है। यदि शिशु को स्तन मुंह में लेने में परेशानी हो रही है, तो यह उसे भर पेट दूध न मिलने का कारण हो सकता है।

कभी-कभी थोड़ी-थोड़ी देर के लिए दूध पीना भी ठीक है। हर किसी की भूख समय-समय पर बदलती रहती है। हालांकि, हमेशा केवल पांच मिनट या इससे कम समय के लिए स्तनपान करना किसी समस्या का संकेत हो सकता है।

स्तनपान में इस बात को लेकर विश्वस्त होना सबसे मुश्किल है कि आप अपने शिशु को पर्याप्त दूध दे पा रही हैं। इस मामले में अपनी मां, सास या परिवार के किस अन्य निकटतम महिला सदस्य से मदद लेने में न हिचहिचाएं।

यदि आपको कोई चिंता है, तो अपने डॉक्टर से बात करें। यदि कुछ हफ्तों के बाद शिशु के डॉक्टर को लगे कि शिशु का उचित विकास नहीं हो रहा है या उसका पर्याप्त वजन नहीं बढ़ रहा है, तो वे इसके कारण पता लगाएंगे। वे आपको स्तनपान विशेषज्ञ के पास जाने के लिए भी कह सकते हैं।

क्या आप इस बारे में सहयोग चाहती हैं? हमारे कम्युनिटी फोरम में आप स्तनपान करवाने वाली अन्य मांओं से बात कर सकती हैं।

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हमारे लेख पढ़ें:

  • कैसे बढ़ाएं स्तन दूध की आपूर्ति?
  • शिशु को कितनी बार स्तनपान कराना चाहिए?
  • क्या स्तनपान के दौरान मुझे खान-पान बदलना चाहिए?

References

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मुझे कैसे पता चलेगा कि मेरे बच्चे को पर्याप्त स्तन दूध मिल रहा है?

ध्यान रखें कि यदि आपका शिशु पर्याप्त दूध पी रहा है, तो उसकी काफी सारी नैपी गीली होंगी। 24 घंटों में कम से कम छह गीली लंगोट होनी चाहिए। यदि आपका शिशु स्वस्थ लगे, अच्छे से सोए और उसका वजन भी लगातार बढ़ रहा है, तो चिंता वाली कोई बात नहीं होती।

बच्चा दूध नहीं पी रहा है क्या करें?

स्तनों को हाथ से दबाकर हल्का छोड़ने का प्रयास करें, ताकि यह थोड़ा नियंत्रित होकर बच्चे के मुंह में जाए। कम आपूर्ति: दूध की कमी से भी बच्चा अपनी भूख शांत नहीं कर पाता और चिड़चिड़ा होकर स्तनपान करने को मना कर देता है। यह देखते रहें कि दूध बच्चे के मुंह में जा रहा है या नहीं। यदि नहीं तो स्तन को दबाकर प्रयास करें।

बच्चे को रात में कितनी बार दूध पिलाना चाहिए?

जन्म के बाद कुछ शुरुआती दिनों में डॉक्टर की सलाह हाे सकती है कि जब तक शिशु अपने जन्म के समय के वजन के बराबर नहीं हो जाए, आप उसे दिन और रात में हर दो-तीन घंटे में दूध पिलाएं।

3 महीने के बच्चे को कितना ML दूध पिलाना चाहिए?

वैसे हर बच्‍चे का फीडिंग पैटर्न अलग होता है। 1 से 3 महीने के ज्‍यादातर बच्‍चों को दिन में 7 से 9 बार दूध पिलाना पड़ता है, 3 से 6 महीने के बेबी को दिन में 6 से 8 बार दूध पिलाना होता है और 6 महीने के होने के बाद बच्‍चे को दिन में 6 बार दूध पिलाना होता है।