गोपियों ने योग की शिक्षा कैसे लोगों को देने के लिए कहा है? - gopiyon ne yog kee shiksha kaise logon ko dene ke lie kaha hai?

प्रश्न 1-7: गोपियों ने उद्धव से योग की शिक्षा कैसे लोगों को देने की बात कही है ?

उत्तर 1-7: गोपियों ने उद्धव से योग की शिक्षा ऐसे लोगों को देने की बात कही है जिनका मन चंचल है और इधर-उधर भटकता है। उद्धव अपने योग के संदेश में मन की एकाग्रता का उपदेश देतें हैं, परन्तु गोपियों का मन तो कृष्ण के अनन्य प्रेम में पहले से ही एकाग्र है। इस प्रकार योग-साधना का उपदेश उनके लिए निरर्थक है। योग की आवश्यकता तो उन्हें है जिनका मन स्थिर नहीं हो पाता, इसीलिये गोपियाँ चंचल मन वाले लोगों को योग का उपदेश देने की बात कहती हैं।

प्रश्न 1-8: प्रस्तुत पदों के आधार पर गोपियों का योग-साधना के प्रति दृष्टिकोण स्पष्ट करें।

उत्तर 1-8: गोपियों ने योग साधना को निरर्थक बताया है। उनके अनुसार यह उन लोगों के लिए हैं जिनका मन अस्थिर है परन्तु गोपियों का हृदय तो श्रीकृष्ण के लिए स्थिर है। वे उनकी भक्ति में पूरी तरह से समर्पित हैं। योग ज्ञान उनके लिए कड़वी ककड़ी के समान है जिसे खाना बहुत ही मुश्किल है। यह ज्ञान गोपियों के लिए बिमारी से अधिक कुछ नहीं है।

प्रश्न 1-9: गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या होना चाहिए ?

उत्तर 1-9: गोपियों के अनुसार राजा का धर्म है कि वह प्रजा को ना सताए और प्रजा के सुखों का ख्याल रखे।

प्रश्न 1-10: गोपियों को कृष्ण में ऐसे कौन सा परिवर्तन दिखाई दिए जिनके कारण वे अपना मन वापस पा लेने की बात कहती हैं?

उत्तर 1-10: गोपियों को लगता है कि कृष्ण ने अब राजनीति सिख ली है। उनकी बुद्धि पहले से भी अधिक चतुर हो गयी है। पहले वे प्रेम का बदला प्रेम से चुकाते थे, परंतु अब प्रेम की मर्यादा भूलकर योग का संदेश देने लगे हैं। कृष्ण पहले दूसरों के कल्याण के लिए समर्पित रहते थे, परंतु अब अपना भला ही देख रहे हैं। उन्होंने पहले दूसरों के अन्याय से लोगों को मुक्ति दिलाई है, परंतु अब नहीं। श्रीकृष्ण गोपियों से मिलने के बजाय योग के शिक्षा देने के लिए उद्धव को भेज दिए हैं। श्रीकृष्ण के इस कदम से गोपियों के मन और भी आहत हुआ है। कृष्ण में आये इन्ही परिवर्तनों को देखकर गोपियाँ अपनों को श्रीकृष्ण के अनुराग से वापस लेना चाहती है।

गोपियों के अनुसार योग की शिक्षा कैसे लोगों को देनी चाहिए?

Answer: गोपियों के अनुसार योग की शिक्षा उन्हीं लोगों को देनी चाहिए जिनकी इन्द्रियाँ व मन उनके बस में नहीं होते। जिस तरह से चक्री घूमती रहती है उसी तरह उनका मन एक स्थान पर न रहकर भटकता रहता है। परन्तु गोपियों को योग की आवश्यकता है ही नहीं क्योंकि वह अपने मन व इन्द्रियों को श्री कृष्ण के प्रेम के रस में डूबो चुकी हैं।

गोपियाँ योग की शिक्षा कैसे मन वालों को देने के लिए कह रही हैं?

उत्तर 1-7: गोपियों ने उद्धव से योग की शिक्षा ऐसे लोगों को देने की बात कही है जिनका मन चंचल है और इधर-उधर भटकता है। उद्धव अपने योग के संदेश में मन की एकाग्रता का उपदेश देतें हैं, परन्तु गोपियों का मन तो कृष्ण के अनन्य प्रेम में पहले से ही एकाग्र है। इस प्रकार योग-साधना का उपदेश उनके लिए निरर्थक है।

गोपियों के अनुसार योग क्या है?

उत्तरः गोपियाँ योग–साधना को शुष्क एवं नीरस मानती हैं। योग-ज्ञान का मार्ग आग की तरह जलाने वाला एवं अत्यंत कष्टदायक है। यांग - ज्ञान की बातें गोपियों को अपनाने को कड़वी ककड़ी की तरह ग्रहण करने योग्य लगती है और उन्हें एक ऐसे रोग की तरह लगता है जिसे उन्होंने पहले कभी न देखा - सुना है और न ही कभी भोगा है।

गोपियों को योग का संदेश कैसा लगता है और क्यों?

गोपियों को योग संदेश विरह की अग्नि में घी समान लग रहा था। गोपियां कृष्ण के जाने से विरह की अग्नि में जल रही थी । वे हर क्षण कृष्ण का इंतजार कर रही थी लेकिन उनके बदले उद्धव गोपियों के पास आ गए। उद्धव ने गोपियों को सलाह दी कि वे अपने मन पर नियंत्रण रखें।