NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 17 शिरीष के फूल are part of NCERT Solutions for Class 12 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 17 शिरीष के फूल. पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास पाठ के साथ प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7.
उत्तर:
पाठ के आसपास प्रश्न 1. प्रश्न
2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. भाषा की बात प्रश्न 1.
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. कोमलता और कठोरता के माध्यम से इस निबंध के लालित्य को इन शब्दों में निबंधकार ने प्रस्तुत किया है-”शिरीष का फूल संस्कृत साहित्य में बहुत कोमल माना गया है। मेरा अनुमान है कि कालिदास ने यह बात शुरू-शुरू में प्रचार की होगी। कह गए हैं, शिरीष पुष्प केवल भौंरों के पदों का कोमल दबाव सहन कर सकता है, पक्षियों का बिलकुल नहीं। …. शिरीष के फूलों की कोमलता देखकर परवर्ती कवियों ने समझा कि उसका सब कुछ कोमल है। यह भूल है। इसके फल इतने मज़बूत होते हैं कि नए फूलों के निकल आने पर भी स्थान नहीं छोड़ते। जब तक नए फल, पत्ते मिलकर धकियाकर उन्हें बाहर नहीं कर देते तब तक वे डटे रहते हैं। प्रश्न 2. प्रश्न 3. “वसंत के आगमन से लहक उठता है, आषाढ़ तक तो निश्चित रहता रूप से मस्त बना रहता है। मन रम गया तो भरे भादों में भी निर्यात फूलता रहता है। …एक-एक बार मुझे मालूम होता है कि यह शिरीष का एक अद्भुत अवधूत है। दुख हो या सुख, वह हार नहीं मानता। न ऊधो का लेना, न माधो का देना। जब धरती और आसमान जलते रहते हैं तब भी यह हज़रत न जाने कहाँ से अपना रस खींचते रहते हैं। मौज में आठों याम मस्त रहते हैं। एक वनस्पति शास्त्री ने मुझे बताया है कि यह उस श्रेणी का पेड़ है जो वायुमंडल से अपना रस खींचता है। ज़रूर खींचता होगा, नहीं तो भयंकर लू के समय इतने कोमल ततुंजाल और ऐसे सकुमार केसर को कैसे उगा सकता था?” प्रश्न 4. “यद्यपि कवियों की भाँति हर फूल पत्ते को देखकर मुग्ध होने लायक हृदय विधाता ने नहीं दिया है, पर नितांत ढूँठ भी नहीं हैं। शिरीष के पुष्प मेरे मानस में थोडा हिल्लोल ज़रूर पैदा करते हैं।” निबंधकार का मानना है कि व्यक्तियों की तरह शिरीष का पेड़ भी भावुक होता है। उसमें भी संवेदनाएँ और भावनाएँ भरी होती हैं – “एक-एक बार मुझे मालूम होता है। कि यह शिरीष एक अद्भुत अवधूत हैं। दुख हो या सुख वह हार नहीं मानता न ऊधो को लेना न माधो का देना। जब धरती और आसमान जलते रहते हैं तब भी यह हज़रत न जाने कहाँ से अपना रस खींचते रहते हैं। मौज में आठों याम मस्त रहते हैं।” अतः निबंधकार ने इस निबंध में भावात्मकता का गुण भरा है। प्रश्न 5. “फूल है शिरीष। वसंत के आगमन के साथ लहक उठता है, आषाढ़ तक तो निश्चित रूप से मस्त बना रहता है। मन रम गयो तो भरे भादों में भी निर्यात फूलता रहता है। जब उमस से प्राण उबलता रहता है और लू से हृदय सूखता रहता है, एकमात्र शिरीष कालजयी अवधूत की भाँति जीवन की अजेयता का मंत्र प्रचार करता रहता है।” इस प्रकार निबंधकार ने शिरीष के फूल के माध्यम से जीवन को हर हाल में जीने की प्रेरणा दी है। उन्होंने कई भावों को इस निबंध में प्रस्तुत किया है। यह निबंध संवेदनाओं से भरपूर है। इन संवेदनाओं और भावनाओं का विस्तारपूर्वक चित्रण आचार्य जी ने किया है। यह एक श्रेष्ठ निबंध है। प्रश्न 6. प्रश्न 7. यद्यपि पुराने कवि बहुल के पेड़ में ऐसी दोलाओं को लगा देखना चाहते थे पर शिरीष भी क्या बुरा है? डाल इसकी अपेक्षाकृत कमज़ोर ज़रूर होती हैं पर उसमें झूलने वालियों का वजन भी तो ज्यादा नहीं होता। कवियों की यही तो बुरी आदत है कि वज़न का एकदम ख्याल नहीं करते। मैं तुंदिल नरपतियों की बात नहीं कर रहा हूँ, वे चाहें तो लोहे का पेड़ लगवा लें। इस निबंध की एक और विशेषता है-स्पष्टता। विवेदी जी ने जो विचार अथवा भाव प्रकट किए हैं उनमें स्पष्टता का गुण विद्यमान है। उनके भावों में कोई उलझाव या बिखराव नहीं है। प्रश्न 8. प्रश्न 9. इन्हें भी जानें अशोक वृक्ष – भारतीय साहित्य में बहुचर्चित एक सदाबहार वृक्ष। इसके पत्ते आम के पत्तों से मिलते हैं। वसंत-ऋतु में इसके फूल लाल-लाल गुच्छों के रूप में आते हैं। इसे कामदेव के पाँच पुष्पवाणों में से एक माना गया है इसके फल सेम की तरह होते हैं। इसके सांस्कृतिक महत्त्व का अच्छा चित्रण हजारी प्रसाद विवेदी ने निबंध अशोक के फूल में किया है। भ्रमवश आज एक-दूसरे वृक्ष को अशोक कहा जाता रहा है और मूल पेड़ (जिसका वानस्पतिक नाम सराका इंडिका है।) को लोग भूल गए हैं। इसकी एक जाति श्वेत फूलों वाली भी होती है। अरिष्ठ वृक्ष – रीठा नामक वृक्ष। इसके पत्ते चमकीले हरे होते हैं। फल को सुखाकर उसके छिलके का चूर्ण बनाया जाता है, बाल धोने एवं कपड़े साफ़ करने के काम में आता है। पेड़ की डालियों व तने पर जगह-जगह काँटे उभरे होते हैं, जो बाल और कपड़े धोने के काम भी आता है। आरग्वध वृक्ष – लोक में उसे अमलतास कहा जाता है। भीषण गरमी की दशा में जब इसका पेड़ पत्रहीन ढूँठ सा हो जाता है, पर इस पर पीले-पीले पुष्प गुच्छे लटके हुए मनोहर दृश्य उपस्थित करते हैं। इसके फल लगभग एक डेढ़ फुट के बेलनाकार होते हैं। जिसमें कठोर बीज होते हैं। शिरीष वृक्ष – लोक में सिरिस नाम से मशहूर पर एक मैदानी इलाके का वृक्ष है। आकार में विशाल होता है पर पत्ते बहुत छोटे-छोटे होते हैं। इसके फूलों में पंखुड़ियों की जगह रेशे-रेशे होते हैं। We hope the given NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 17 शिरीष के फूल will help you. If you have any query regarding NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 17 शिरीष के फूल, drop a comment below and we will get back to you at the earliest. शिरीष को कालजयी अवधूत क्यों कहा गया है?1. लेखक ने शिरीष को कालजयी अवधूत (संन्यासी) की तरह क्यों माना है? उत्तर:- 'आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी' शिरीष को अद्भुत अवधूत मानते हैं, क्योंकि संन्यासी की भाँति वह सुख-दुख की चिंता नहीं करता। शिरीष कालजयी अवधूत की भाँति जीवन की अजेयता के मंत्र का प्रचार करता है।
शिरीष के फूल का क्या अर्थ है?शिरीष का फूल आँधी लू और गर्मी की प्रचंडता में भी अवधूत की तरह अविचल होकर कोमल पुष्पों का सौंदर्य बिखेर रहे शिरीष के माध्यम से मनुष्य की अजेय जिजीविषा और तुमुल कोलाहल-कलह के बीच धैर्यपूर्वक लोक के साथ चिंतारत, कर्तव्यशील बने रहने को महान मानवीय मूल्य के रूप में स्थापित करता है।
शिरीष के फूलों से हमें क्या शिक्षा मिलती है?शिरीष के विषय में लेखक मनुष्य को एक सीख देता है। लेखक के अनुसार जिस प्रकार शिरीष को कोमल मानकर कवि उसे पूरा ही कोमल मान लेते हैं, तो यह उसके साथ अन्याय है। इसके फल उतने ही कठोर तथा सख्त होते हैं। लेखक कहता है कि हमें इनसे सीख लेनी चाहिए कि अपने हृदय की कोमलता को बचाने के लिए व्यवहार की कठोरता कभी-कभी ज़रूरी हो जाती है।
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