Date: 02-06-16 Show युद्ध, प्राकृतिक आपदाएं, पर्यावरण में परिवर्तन, मानवाधिकारों का हनन आदि कुछ ऐसी समस्याएं हैं, जिन्होंने विश्व के कई देशों के निवासियों को अन्य देशों की शरण लेने पर मजबूर कर दिया है। लगभग 6 करोड़ लोग (इस आंकड़े में आधे बच्चे शामिल हैं) हिंसा और अन्य परेशानियों की वजह से अपना घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं। इसके अलावा 22.5 करोड़ लोग ऐसे हैं, जो बेहतर अवसरों की तलाश में दूसरे देशों में प्रवास करने को मजबूर हुए हैं। इन प्रवासियों या शरणार्थियों में से 90 प्रतिशत विकासशील देशों में रह रहे हैं। इनमें से आठ देश ऐसे हैं, जो विश्व के कुल शरणार्थियों में से लगभग आधे लोगों को बसा रहे हैं। केवल 10 देश ऐसे हैं, जो शरणार्थियों की दुर्दशा को दूर करने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा दिए गए धन का 75 प्रतिशत उपयोग में ला रहे हैं। भारत में भी बांग्लादेशीयों का प्रवास विश्व का सबसे बड़ा प्रवास माना जाता है। इनकी संख्या लगभग 30 लाख रही है। 19 सितंबर, 2016 को संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में इस मुद्दे पर विशेष रूप से चर्चा की जाएगी। ऐसा माना जा रहा है कि इस समस्या के समाधान के लिए देशों को बिना भेदभाव के मिलजुलकर प्रयास करने होंगे। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बॉन की मून ने इस बारे में कुछ सुझाव प्रस्तुत किए हैं-
‘‘दि इंडियन एक्सप्रेस’’ में प्रकाशित संयुक्त राष्ट्र महासचिव के लेख पर आधारित शरणार्थी समस्या के प्रभाव क्या है?शरणार्थी की समस्या एक वैश्विक समस्या है। ऐसे में सवाल उठता है कि भारत में शरणार्थियों की क्या स्थिति है। भारत जैसे एक महान लोकतांत्रिक देश में शरणार्थियों की क्या दशा है। शरणार्थियों के हितों के मद्देनजर अब तक क्या कदम उठाए गए हैं।
शरणार्थियों की समस्याएं क्या है?देशों की अपनी आतंरिक समस्याओं के कारण अक्सर शरणार्थी की समस्याएं दबकर रह जाती हैं।
शरणार्थी समस्या के कोई दो प्रभाव लिखिए राष्ट्र निर्माण से क्या आशय है?चित्र 1 - इलाहाबाद में महात्मा गांधी की अस्थियों का विर्सजन, फरवरी 1948 अभी स्वतंत्रता को छः महीने भी नहीं हुये थे कि सारा राष्ट्र गहरे शोक में पड़ गया।
शरणार्थी समस्या क्या है एक वाक्य में उत्तर बताइए?ये लोग आधुनिक भारत के नए 'शरणार्थी' हैं, जिन्हें औद्योगीकरण के झंझावात ने अपनी घर-ज़मीन से उखाड़कर हमेशा के लिए निर्वासित कर दिया है।
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