श्री राम ने ताड़का का वध कैसे किया? - shree raam ne taadaka ka vadh kaise kiya?

राम ने ताड़का का वध कैसे किया?...


श्री राम ने ताड़का का वध कैसे किया? - shree raam ne taadaka ka vadh kaise kiya?

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राम 21 वर्ष का लड़का एक साथ शिक्षा मित्र के साथ जबरन गमन के लिए गए हुए थे क्योंकि उस समय राक्षस जो है विश्वामित्र का यज्ञ वगैरा करने में बहुत परेशान करते थे पशु की राम धनुर्धर थे सब शक्तिशाली मंत्रों के ज्ञाता थे दिव्य शक्तियों के अधिष्ठाता थे देवों द्वारा और ऋषि और गुरुओं द्वारा उनको जो शक्तियां प्रदान की गई थी हो सकती हम किसी के सामने अपने को कमजोर नहीं महसूस करती थी इस प्रकार से पहला बाद उन्होंने ताड़का कहीं किया था

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श्री राम ने ताड़का का वध कैसे किया? - shree raam ne taadaka ka vadh kaise kiya?

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श्री राम ने ताड़का का वध कैसे किया? - shree raam ne taadaka ka vadh kaise kiya?

ताड़का और भगवान राम, लक्ष्मण और विश्वामित्र

रामायण की एक पात्र। यह सुकेतु यक्ष की पुत्री थी जिसका विवाह सुड नामक राक्षस के साथ हुआ था। यह अयोध्या के समीप स्थित सुंदर वन में अपने पति और दो पुत्रों सुबाहु और मारीच के साथ रहती थी। उसके शरीर में हजार हाथियों का बल था। उसके प्रकोप से सुंदर वन का नाम ताड़का वन पड़ गया था। उसी वन में विश्वामित्र सहित अनेक ऋषि-मुनि भी रहते थे। उनके जप, तप और यज्ञ में ये राक्षस गण हमेशा बाधाएँ खड़ी करते थे। विश्वामित्र राजा दशरथ से अनुरोध कर राम और लक्ष्मण को अपने साथ सुंदर वन लाए। राम ने ताड़का का और विश्वामित्र के यज्ञ की पूर्णाहूति के दिन सुबाहु का भी वध कर दिया। मारीच उनके बाण से आहत होकर दूर दक्षिण में समुद्र तट पर जा गिरा।

जन्म[संपादित करें]

सुकेतु नाम का एक अत्यंत बलवान यक्ष था। उसकी कोई भी सन्तान नहीं थी। अतः सन्तान प्राप्ति के उद्देश्य से उसने ब्रह्मा जी की कठोर तपस्या की। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने उसे सन्तान होने का वरदान दे दिया और उस वर के परिणामस्वरूप ताड़का का जन्म हुआ। सुकेतु ने ब्रह्मा जी से ताड़का के अत्यंत बली होने का वर भी ले लिया और ब्रह्मा जी ने उसके शरीर में हजार हाथियों का बल दे दिया।

विवाह[संपादित करें]

विवाह योग्य आयु होने पर सुकेतु ने ताड़का का विवाह सुन्द नाम के राक्षस से कर दिया और उससे सुबाहु और मारीच का जन्म हुआ। मारीच भी अपनी माता के समान बलवान और पराक्रमी हुआ।

पुत्र और पति की दुर्गति[संपादित करें]

ताड़का का पुत्र मारीच सुन्द राक्षस से उत्तपन्न होकर भी स्वयं राक्षस नहीं था। परन्तु बचपन में वह बहुत उपद्रवी था। ऋषि मुनियों को अकारण कष्ट दिया करता था। उसके उपद्रवों से दुखी होकर एक दिन अगस्त्य मुनि ने उसे राक्षस हो जाने का शाप दे दिया। अपने पुत्र के राक्षस गति प्राप्त हो जाने से सुन्द अत्यन्त क्रोधित हो गया और अगस्त्य ऋषि को मारने दौड़ा। इस पर अगस्त्य ऋषि ने शाप देकर सुन्द को तत्काल भस्म कर दिया।

बदला और मृत्यु[संपादित करें]

अपने पति की मृत्यु और पुत्र की दुर्गति का बदला लेने के लिये ताड़का अगस्त्य ऋषि पर झपटी। परिणामस्वरूप ऋषि अगस्त्य ने शाप दे कर ताड़का की सुन्दरता को नष्ट कर दिया और वह अत्यंत कुरूप हो गई। अपनी कुरूपता को देखकर और अपने पति की मृत्यु का बदला लेने के लिये ताड़का ने अगस्त्य मुनि के आश्रम को नष्ट करने का संकल्प किया। इसलिये ऋषि विश्‍वामित्र ने ताड़का का वध राम के हाथों करवा दिया।

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

ताड़का वध

ताड़का का वध कैसे हुआ?

विश्वामित्र राजा दशरथ से अनुरोध कर राम और लक्ष्मण को अपने साथ सुंदर वन लाए। राम ने ताड़का का और विश्वामित्र के यज्ञ की पूर्णाहूति के दिन सुबाहु का भी वध कर दिया। मारीच उनके बाण से आहत होकर दूर दक्षिण में समुद्र तट पर जा गिरा।

राम ने ताड़का का वध कैसे किया?

श्रीराम ने किया ताड़का वध लेकिन श्री राम अपने एक बाण से ताड़का को शक्तिहीन कर देते हैं और उस मायवी राक्षस नी का वध हो जाता है. विश्वामित्र ये देख अत्यंत प्रसन्न हो जाते हैं राम को कई दिव्य अस्त्र प्रदान करते हैं. विश्वामित्र बताते हैं कि इन अस्त्रों के जरिए श्री राम हर राक्षस का अंत कर सकेंगे.

राम ने ताड़का को क्यों मारा?

जब उसने अपने पति की मृत्यु के लिए अगस्त्य ऋषि से बदला लेना चाहा। ऐसी विषम परिस्थितियों में जब अगस्त्य ऋषि ने विश्वामित्र की सहायता मांगी तब विश्वामित्र के शिष्यों राम और लक्ष्मण ने मिलकर ताड़का का संहार किया था।

ताड़का पिछले जन्म में कौन थी?

पूतना कौन थी पूतना पिछले जन्म में राजा बलि की पुत्री थी जो एक राजकन्या थी. पिछले जन्म में पूतना का नाम रत्नमाला था.