शंकर जी की मृत्यु कब हुई थी? - shankar jee kee mrtyu kab huee thee?

भगवान शिव की मृत्यु कैसे हुई | Bhagwan Shiv Ki mrityu Kaise Hui : हेलो दोस्तों नमस्कार स्वागत है आपका हमारे आज के इस नए लेख में आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से भगवान शिव की मृत्यु कैसे हुई इसके बारे में बताने वाले हैं क्या आप जानते हैं कि हमारे हिंदू धर्म के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव की पूरी श्रद्धा के साथ पूजा करने से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न हो जाते हैं.

भगवान शिव को महादेव भोलेनाथ आदिनाथ जैसे नामों से जाना जाता है भगवान शिव के कुल 108 नाम है भगवान शिव को संहार का देवता कहा जाता है इसका मतलब यह है कि इस सृष्टि पर जितने भी जीव जन्म लेते हैं उनका संहार करने का कार्य भगवान शिव करते हैं.

शंकर जी की मृत्यु कब हुई थी? - shankar jee kee mrtyu kab huee thee?

लेकिन आज कुछ लोग एक सवाल कर रहे हैं कि भगवान शिव की मृत्यु कैसे हुई अब जो संहार का देवता हैं जो लोग प्राण हरने का काम करते हैं भला उनकी मृत्यु कैसे हो सकती है अगर आपके मन में भी ऐसा कुछ सवाल उठ रहा है.

तो इसीलिए आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से भगवान शिव की मृत्यु कैसे हुई इसके बारे में बताएंगे अगर आप इस विषय को विस्तार से जानना चाहते हैं तो हमारे इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें ताकि आप लोगों को इसकी संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो सके।

Table of contents : दिखाएँ

1. भगवान शिव की मृत्यु कैसे हुई | Bhagwan Shiv Ki mrityu Kaise Hui

2. भगवान शिव की मृत्यु का पुराणों में नही मिला वर्णन | Bhagwan Shiv ki mrityu ka puranon mein nahi mila varnan

3. शिव पुराण में भगवान शिव की मृत्यु के बारे में क्या लिखा है | Shiv Puran Mein Bhagwan Shiv Ki mrityu ke bare mein kya likha hai ?

4. भगवान शिव की उम्र कितनी है ? | Bhagwan Shiv Ki Umar kitni hai

5. भगवान शिव की उत्पत्ति कैसे हुई ? | Bhagwan Shiv Ki utpatti Kaise Hui

6. FAQ : भगवान शिव की मृत्यु कैसे हुई ?

6.1. शंकर भगवान किस जाति के थे ?

6.2. शंकर भगवान के गुरु कौन थे ?

6.3. भगवान शिव के माता–पिता कौन थे ?

7. निष्कर्ष

भगवान शिव की मृत्यु कैसे हुई | Bhagwan Shiv Ki mrityu Kaise Hui


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क्या आप जानते हैं कि भगवान शिव की मृत्यु कैसे हुई यह सवाल काफी सोचने और पढ़ने के बाद पाया गया है हमारे वेदों के अनुसार कहा गया है कि भगवान शिव का जन्म हुआ ही नहीं भगवान शिव तो स्वयं सृष्टि के जन्मदाता है और सृष्टि के संहार करता भी भगवान शिव को ही माना जाता है अब जो जन्म देने वाला और मृत्यु लेने वाला भगवान शिव ही है तो उनकी मृत्यु कैसे हो सकती है।

शंकर जी की मृत्यु कब हुई थी? - shankar jee kee mrtyu kab huee thee?


गवान शिव तो अजर अमर अविनाशी है और वह स्वयं परमेश्वर हैं इसीलिए भगवान शिव को मनुष्य की श्रेणी में कैसे लिया जा सकता है ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव का ना कोई आदि है ना ही कोई अंत और भगवान शिव ने किसी के गर्भ से जन्म नहीं लिया है इसीलिए उनकी मृत्यु नहीं हो सकती है।

आपको पता है कि आज भी भगवान शिव कैलाश पर्वत पर विराजमान है काफी रिसर्च के बाद क्या पता चला है कि आज तक कोई भी व्यक्ति कैलाश पर्वत पर नहीं जा पाया है जबकि इससे ऊंचा हिमालय पर्वत वहां पर अधिक लोग चढ़ाई कर चुके हैं लेकिन कैलाश पर्वत पर आज तक कोई भी व्यक्ति चढ़ाई नहीं कर पाया है यहां तक कि चीन के कुछ लोगों ने कैलाश पर्वत पर चढ़ाई करने की सोची थी लेकिन फिर भी वह इस चढ़ाई में असफल रहे.

भगवान शिव की मृत्यु का पुराणों में नही मिला वर्णन | Bhagwan Shiv ki mrityu ka puranon mein nahi mila varnan

वैसे आज हम आप लोगों को बता दें कि किसी भी पुराण में भगवान शिव की मृत्यु का कोई भी वर्णन नहीं किया गया है ना ही भगवान शिव किसी के गर्भ से जन्म में है और ना ही उनका कोई अंत है इसीलिए तो भगवान शिव को मृत्युंजय के नाम से भी जाना जाता है अक्सर या बात सभी लोगों को पता है कि भगवान शिव को मृत्युंजय के नाम से जाना जाता है इसीलिए भगवान शिव की मृत्यु नहीं हो सकती है।

शिव पुराण में भगवान शिव की मृत्यु के बारे में क्या लिखा है | Shiv Puran Mein Bhagwan Shiv Ki mrityu ke bare mein kya likha hai ?

हमारे पुराणों के अनुसार भगवान शिव की मृत्यु के बारे में पुराणों में भी कुछ नहीं लिखा गया है इसीलिए हमारे शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव की लीलाओं का वर्णन शिव पुराण में किया गया है भगवान शिव के महत्व के बारे में भी बताया गया है इसीलिए इस महान ग्रंथ को शिव पुराण के नाम से जाना जाता है.

शंकर जी की मृत्यु कब हुई थी? - shankar jee kee mrtyu kab huee thee?

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ऐसा कहा जाता है कि शिव पुराण में भगवान शिव को पापों का नाश करने का देवता माना गया है शिव पुराण में भगवान शिव को स्वयंभू माना गया है भगवान शिव की उत्पत्ति स्वयं हुई है इसीलिए शिवपुराण में भगवान शिव के वर्णन के बारे में बहुत ही अच्छे तरीके से कहा गया है।

भगवान शिव की उम्र कितनी है ? | Bhagwan Shiv Ki Umar kitni hai

( यह लेख आप OSir.in वेबसाइट पर पढ़ रहे है अधिक जानकारी के लिए OSir.in पर जाये  )

भगवान शंकर अजन्मा,निराकार,अविनाशी,अमरनाथ, कालो का काल महाकाल, महा मृत्युंजय भगवान है , भगवान शिव के पास अपना शरीर ही नहीं है तो मृत्यु भी नहीं होगी और उनके पास उम्र भी नहीं होगी भगवान शिव की अशरीरी होने के कारण उनकी ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा की जाती है।

भगवान शिव की उत्पत्ति कैसे हुई ? | Bhagwan Shiv Ki utpatti Kaise Hui

भगवान शिव की उत्पत्ति के बारे में विष्णु पुराण की कथा में लिखा गया है उसी कथा के अनुसार ऐसा कहा गया है कि एक बार ब्रह्मा जी को एक बच्चे की जरूरत थी तब उन्होंने एक बहुत ही बड़ा कठोर तप किया था और अचानक से उनकी गोद में रोते हुए बालक यानी कि शिव भगवान प्रकट हुए थे तभी ब्रह्मा जी ने उस बच्चे से रोने का कारण पूछा तो उस बच्चे ने बहुत ही मासूमियत के साथ कहा उसका नाम ब्रह्मा नहीं है इसीलिए वह रो रहा है।

तो उसी समय ब्रह्मा ने फिर उस बच्चे का नाम रूद्र रखा था उसका अर्थ होता है “रोने वाला”

विष्णु पुराण में या फिर पौराणिक कथाओं में प्रचलित भगवान शिव के ब्रह्मपुत्र रूप में जन्म लेने के पीछे भी इसकी कहानियां बताई गई है कहा गया है कि जब धरती आकाश पाताल समेत पूरा ब्रह्मांड जलमार्ग पर था तभी ब्रह्मा विष्णु और महेश के सिवा कोई भी देवता या प्राणी नहीं था.

शंकर जी की मृत्यु कब हुई थी? - shankar jee kee mrtyu kab huee thee?

उस समय केवल विष्णु ही अपने शेषनाग पर जनसत्ता पर लेटे नजर आ रहे थे तो उसी समय ब्रह्मा जी के कमल के नाभि पर ब्रह्मा जी प्रकट हुए और उसी समय दोनों देव शक्ति के बारे में बात करने लगे थे उसी समय शिव जी प्रकट हुए और उस समय ब्रह्मा जी ने तब शिव जी को पहचानने से इंकार कर दिया.

जब ब्रह्मा जी ने शिवजी को पहचानने से इंकार कर दिया तो शिव के रूठ जाने के भय से भगवान विष्णु ने ब्रह्मा को भगवान शिव की याद दिलाई तू उसी समय ब्रह्मा ने भगवान शिव के सामने अपनी गलती का एहसास किया और भगवान शिव से क्षमा मांगी तो उन्होंने शिव से अपने पुत्र के रूप में जन्म लेने का आशीर्वाद मांगा.

उसके बाद शिव ने ब्रह्मा जी की प्रार्थना को स्वीकार कर लिया और उन्हें यह आशीर्वाद दिया तू इसी प्रकार भगवान शिव का जन्म हुआ। लेकिन अब बात आती है कि शिव पुराण और भगवान विष्णु की उत्पत्ति कैसे हुई इसको लेकर और बहुत सी कहानियां प्रचलित हैं।

शंकर जी की मृत्यु कब हुई थी? - shankar jee kee mrtyu kab huee thee?

FAQ : भगवान शिव की मृत्यु कैसे हुई ?

शंकर भगवान किस जाति के थे ?

भगवान शिव किस जाति के थे हमारे इंटरनेट पर काफी ज्यादा भगवान शिव की जाति के बारे में पूछा जाता है कि उनकी जाति क्या थी तो आज हम आप लोगों को बता दें कि भगवान शिव की कोई भी जाति नहीं थी।

शंकर भगवान के गुरु कौन थे ?

भगवान शिव के गुरु कौन थे तो हम आप लोगों को बता दें कि भगवान शिव तो स्वयं देवों के देव माने जाते हैं सृष्टि पर रहने वाला प्रत्येक सनसनी भगवान शिव की श्रद्धा पूर्वक पूजा करता है और उन्हें मानता है हमारे सनातन धर्म के अनुसार भगवान शिव प्रथम देवता माने जाते हैं शंकर भगवान का कोई गुरु नहीं था।

भगवान शिव के माता–पिता कौन थे ?

भगवान शंकर के माता पिता कौन थे हमारे शिव पुराण के अनुसार ऐसा कहा गया है कि भगवान शंकर की माता श्री दुर्गा देवी तथा पिता सदाशिव उन्हें काल ब्रह्मा के नाम से भी जाना जाता है।

निष्कर्ष

दोस्तों जैसा कि आज हमने आप लोगों को इस लेख के माध्यम से भगवान शिव की मृत्यु कैसे हुई इसके बारे में बताया इसके अलावा भगवान शिव की उत्पत्ति कैसे हुई या अभी बताया है अगर आपने हमारे इस लेख को अच्छे से और विस्तार पूर्वक पड़ा है तो आपको इसकी संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो गई होगी उम्मीद करते हैं हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी और आपके लिए उपयोगी भी साबित हुई होगी।

शिव जी की मृत्यु कब हुई थी?

वह ना आदि हैं और ना अंत। भोलेनाथ को अजन्मा और अविनाशी कहा जाता है। शिव पुराण के मुताबिक भगवान शिव को स्वयंभू माना गया है यानि इनकी उत्पत्ति स्वंय हुई हैं. शिव जन्म और मृत्यु से परे हैं.

भगवान शिव का अंत कैसे हुआ?

भगवान शिव को स्वयंभू कहा जाता है जिसका अर्थ है कि वह अजन्मा हैं. वह ना आदि हैं और ना अंत. भोलेनाथ को अजन्मा और अविनाशी कहा जाता है तो आइए जानते हैं उनके जन्म से जुड़ा रहस्य क्या है... त्रिदेवों में भगवान शंकर को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है.

भगवान शंकर की उम्र कितनी है?

शिव जी की आयु विष्णु जी की आयु से 7 गुना होती है। इसमें शिव जी का एक दिन 1000 चतुर्युग का होता है और रात्रि भी 1000 चतुर्युग की होती है। मतलब की शिव जी की आयु 504000000 × 7 = 3528000000 (तीन अरब बावन करोड़ अस्सी लाख) चतुर्युग की होती है।

भगवान शिव की 5 पुत्री का नाम क्या है?

भगवान शिव की इन नाग कन्याओं का नाम जया, विषहर, शामिलबारी, देव और दोतलि है। भगवान शिव ने अपनी पुत्रियों के बारे में बताते हुए कहा कि जो भी सावन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन इन नाग कन्याओं की पूजा करेगा, उनके परिवार को सर्पदंश का भय नहीं रहेगा।