स्वयं सहायता समूह के द्वारा रोजगार मिलने के अवसर में भी रिश्वत का खेल। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में आजीविका तो न के बराबर है लेकिन रिश्वत जी भर के है। Show Use Google Translate to read in your own language.
Kisan Credit Card कैसे बनेगा? सीधी सी बात बिना दलाली नहीं बनेगा! Click To Read Anganvadi Kendra सरकार ने बंद नहीं किये तो क्यों बंद हैं।Click to Read स्वयं सहायता समूह के लाभ क्या हैं। स्वयं सहायता समूह ने ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को रोजगार के बहुत से अवसर प्रदान किये हैं इस बात को झुठलाया नहीं जा सकता है। समूह से जुडी हुयी महिलाओं के दिमाग़ में एक नयी ऊर्जा ही उत्पन्न हो गयी है। कुछ परिवार अपने आपको अमीर समझते थे वह अपने घर की महिलाओं को काम पर नहीं भेजना चाहते थे एवं उनके घर की महिलाएं भी समूह से लगातार जुड़ती जा रहीं हैं। समूह से जुडी महिलाओं के मन में एक आत्मसम्मान सा महसूस होता है। समूह से जुडी महिलाओं को कोई निश्चित तनख्वाह तो नहीं मिलती है लेकिन जो लोन के रूप में पैसा मिलता है उसके बहुत अधिक लाभ हैं। आज समूह से होने वाले सभी लाभ के बारे में बात करते हैं। ------------------------------------ पैसा कैसे कमाएं? यह सवाल आपका भी होगा। जनता को बेवकूफ बनाकर कमा सकते हैं Click To Read ------------------------------------- स्वयं सहायता समूह से जुडी महिलाओं को समूह में जमा राशि की जमानत मान लो या ऐसे समझते हैं कि कोई महिला समूह की सदस्य है जिसके माध्यम से राष्ट्रीय ग्रामीण अजीविका मिशन प्रोग्राम के तहत आर्थिक मदद बहुत ही कम 2% मासिक ब्याज पर मिलती है। लेकिन फरवरी 2021 से यह ब्याज की दर घटा कर 1% कर दी गयी है। प्रधानमंत्री आजीविका मिशन प्रोग्राम से लोन लेने के लिए आपको समूह का सदस्य होना जरुरी है। जो पैसा समूह की महिलाओं को दिया जाता है उससे अपने छोटे मोटे व्यापार को आगे बढ़ा सके । स्वयं सहायता समूह में जुडी हुयी महिलाओं को प्रधानमंत्री अजीवका मिशन से छोटी मोटी नौकरी मिलने में भी सबसे पहला अधिकार दिया गया है। अगर किसी ग्राम पंचायत में एक ऐसी महिला कर्मचारी की जरुरत है जो काम एक महिला आसानी से कर सकती है। सैक्षिक योग्यता के हिसाब से नौकरी भी मिलती है। स्वयं सहायता समूह में जुडी महिलाओं को बहुत से चांस घर से ही रोजगार करने के मिल रहे हैं। समूह की महिलाएं जो पैसा प्रधानमंत्री ग्रामीण आजीविका मिशन से पैसे अपना व्यापार बढ़ाने के लिए लेतीं हैं उसपर 1% का ब्याज लगता है। ब्याज की जमा राशि को सरकार नहीं लेती है सरकार सिर्फ अपना पैसा ही लेती है। ब्याज का पैसा समूह के मेंटेन पर खर्च किया जाता है। 0.50% पैसा जब कभी आजीविका मिशन के संबंध में कोई अधिकारी स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के बीच जागरूकता के लिए मीटिंग करता है उनके लिए चाय पानी का खर्चा किया जाता है। बाकी के 0.50% में स्वयं सहायता समूह में जो महिलाये लेखा जोखा रखती हैं भाग दौड़ करती हैं उनको दिया जाता है।
------------------------------------------- अन्य संबंधित पोस्ट पढ़ने के लिए लिंक पर Clik इंडिया पोस्ट की डाक सेवा द्वारा अफीम, चरस, गांजा कुछ भी भेजो क्लिक करके पढ़ें। स्वयं सहायता समूह में नौकरी और महिला का सम्मान बहुत कुछ मिलता है। स्वयं सहायता समूह की पूरी जानकारी। Click To Read किसान सम्मान निधि का पैसा गलत खातों में सरकार खुशियाँ बाँट रही है। क्लिक करके पढ़ें। ---------------------------------------- स्वयं सहायता समूह में जुडी हुयी महलाओं को सरकारी अस्पताल, ब्लॉक ऑफिस, जिला मुख्यालय, तहसील कार्यालय, आदि जो भी सरकारी कार्यालय होते हैं वहां पर केंटीन खोलने का भी अधिकार राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत दिया गया है। समूह सखी को जो सरकारी दफ़्तरों में केंटीन खोलने का अधिकार है उसका हनन भी हुआ है। एक समूह सखी की शिकायत से पता चला कि वह सरकारी अस्पताल में खाली किसी कमरे में केंटीन खोले थीं उस कमरे का कोई प्रयोग नहीं था। फिर भी अस्पताल के डॉक्टर ने समूह सखी की केंटीन का जो भी सामान था वह हटा दिया और केंटीन बंद करवा दी। स्वयं सहायता समूह में जुडी हुयी महिला सदस्य 5 वर्ष के लिए समूह की सदस्य बनती है। अगर कोई महिला समूह में अपनी सदस्यता नहीं चाह रही है वह बापस आना चाह रही है तो वह समूह से अलग भी हो सकती है। जितने दिन वह महिला समूह से जुडी रही है और उसने जो भी पैसा जमा किया है वह भी बापस मिलता है जिसके लिए एक सर्त रहती है। महिला स्वयं सहायता समूह में नौकरी और तनख्वाह।
आंगनवाड़ी राशन भी समूह कोसध्यक्ष, सचिव, अध्यक्ष और समूह से एक सदस्य को ब्लॉक ऑफिस से प्राप्त होता है फिर वह राशन आंगनवाड़ी कार्यकर्त्ता को सौंप दिया जाता है। इस काम की कितनी तनख्वाह है ऐसी कोई निश्चित जानकारी समूह सखियों को नहीं है। विभाग को इस बात की सटीक जानकारी जरूर होगी कि राशन वितरण का कितना दिया जायेगा।
PM आवास योजना घोटाला में रिश्वत अधिकारी खा गए और रिकवर गरीब से किया जा रहा है। Click to Read महिला स्वयं सहायता समूह के द्वारा और भी नौकरी के पद हैं जानकारी एकत्रित होते ही अपडेट की जाएगी। क्लस्टर क्या होता है? एक क्लास्टर में कितने भी समूह व ग्राम संगठन का निर्माण किया जा सकता है लेकिन कमसे कम 50 ग्राम संगठन होना अनिवार्य है। स्वयं सहायता समूह से बापसी होने के नियम। अगर समूह से कोई महिला सदस्य बापसी चाहती है तो बापसी के नियम मानने होते हैं एक सर्त होती है। अगर आप 5 वर्षो में से 2 वर्ष किसी समूह का हिस्सा रही हैं और बापसी चाहती हैं। आपको बाकी 3 वर्ष के लिए कोई महिला की तलाश करनी होगी जो सहायता समूह से जुड़ना चाहती है। 3 वर्ष के लिए जुड़ने वाली महिला उस महिला सदस्य को पिछली दो वर्षो का भुगतान करेगी। 3 वर्ष के लिए जुडी हुयी महिला सदस्य को पूरा पांच वर्ष का पैसा समय होने पर ब्याज सहित बापस की जाएगी। जो महिला सदस्य सिर्फ 2 वर्षों में समूह से अपनी सदस्य्ता बापस ले रही है उसे कोई ब्याज नहीं दिया जाता है सिर्फ जमा राशि ही बापस होती है। स्वयं सहायता समूह किस तरह से काम करता है? स्वयं सहायता समूह के लिए एक समूह में कमसे कम 10 महिला अधिकतम संख्या 14 होती है। इस तरह के 5 समूह मिलकर ग्राम संगठन बनाते हैं। समूह की प्रत्येक महिला स्वयं सहायता समूह के संगठन में 10 रुपये प्रति सप्ताह जमा करती हैं, महीने में 40 रुपये जमा होते हैं जो कोई भी महिला कर सकती हैं। समूह में जमा की गयी धनराशि निर्धारित समय 5 वर्ष में इकठ्ठा होकर ब्याज के सहित बापस मिलती है। समूह की कोई भी महिला अगर 5 से अधिक स्वयं सहायता समूह को बनाती है तो उसको सबके सीनियर होने का अधिकार व पदोउन्नति भी होती है। जब पदोउन्नति हुयी है तो कहीं न कहीं से आय का साधन भी जुड़ जाता है। एक समूह की सभी महिलाओं को अपनी आवाज उठाने का समान अधिकार होता है। समूह में हो रहे किसी भी गलत काम का विरोध कोई भी कर सकता है। समूह की तीन महिलाएं जिन्हे खुद की इक्षा अनुसार एक पद भी दिया जाता है। अगर वह अपना समय किसी पद के लिए देना चाहती हैं। (1)- सचिव - (2-) कोषाध्यक्ष, (3) अध्यक्ष इन्ही तीन महिलाओं के नाम बैंक में बचत खाता खोला जाता है राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की राशि उसी खाते में आती है। बैंक से रूपये निकालते समय तीनों महिलाएं साथ होनी चाहिए। पैसे निकालने का जो भी कारण होता है, समूह के जिस सदस्य को देना होता है उसका स्पष्ट कारण रजिस्टर मेंटेन करना होता है, समूह की सभी मेंबर के हस्ताक्षर होते हैं। इन सभी के बाद भी राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अधिकारी साइन करते हैं रजिस्टर पर तब बैंक से पैसा निकलता है। समूह जितना अच्छा मेंटेन होता है और पुराना हो जाता है उसकी वेल्यू उतनी अधिक बढ़ती जाती है। सरकार का स्वयं सहायता समूह को प्रमोट करने का राजनीतिक फायदा। सरकार स्वयं सहायता समूह में ऊर्जा का संचार लगातार कर रही है और प्रति वर्ष लाखों नये समूह का गठन हो रहा है। समूह के गठन से समूह में जुड़ने वाली महिलाओं को सरकार के अनुसार कई बड़े फायदे हैं लेकिन जमीनी स्तर पर ज्यादा कुछ नहीं है। इससे सरकार को भी वोट बैंक बनाने का फायदा है। समूह के माध्यम से सरकार की योजनाओं का प्रचार होता रहता है जिससे समूह की महिलाएं प्रभावित रहतीं हैं। कहीं भी सरकार की रैली आदि होती है तो उसमें सबसे अधिक संख्या समूह की महिलाओं की होती है। समूह से जुड़े सभी अधिकारियों को सूचना होती है कि समूह की महिलाओं को फला रैली तक लाना है। अधिकारियों को करना भी पड़ता है। कई दिन पहले से समूह की महिलाओं को सूचित किया जाता है और निर्देश दिए जाते हैं कि आपको रैली में पहुंचना है अगर नहीं गयीं तो आपको कोई फायदा नहीं मिलेगा। समूह से जुडी महिलाएं भी सोचती हैं कल सायद कुछ अच्छा हो इसलिए चली भी जाती हैं। अब बात करते हैं स्वयं सहायता समूह में जुडी महिलाओं के प्रधानमंत्री आजीविका मिशन के तहत नौकरी में रिश्वत का खेल। स्वयं सहायता समूह को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जोड़ा गया। जोड़ने के साथ ही रोजगार के अवसर में रिश्वत का खेल सुरु हो गया। शुरुआत के दिनों में कोई भी छोटी मोटी नौकरी निकलती थी तो स्वयं सहायता समूह की महिला को योग्यता अनुसार दे दी जाती थी। समय के साथ जब महिलाओं को लाभ मिलना सुरु हुआ तो अन्य महिलाएं भी समूह के नये गठन में सामिल होने लगीं। कुछ समय बाद जब कोई भी वेकेंसी स्वयं सहायता समूह की महिला के लिए आरक्षित होने लगी तो समूह की महिलाओं ने अपने अपने की आदत आ गयी। नौकरी किसी एक को मिलनी है लेकिन समूह की प्रत्येक महिला चाहने लगी यह नौकरी मुझे मिल जाए। महिलाओं में अपनी अपनी होने वाली सोच ने भर्ती प्रक्रिया पूरी करने वाले वह अधिकारी जो राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़े थे उनको फायदा देना सुरु कर दिया। ----------------------------------------- अन्य संबंधितपोस्टपढ़नेकेलिए लिंकपर Clik ग्राम प्रधान सहायक की भर्ती सरकारी पैसे की बर्बादी के सिवा और कुछ नहीं लगा।।क्लिक करके पढ़ें। लोन देने वाले आप गरीबों को फिर से बेघर कर देंगे जिसके आपने कई उदाहरण देखे clickto read आपके बैंक खाते में जमा पूंजी जरा सी लापरवाही में ठगों के हत्थे चढ़ सकती है Click To Read भारत के लोग बेरोजगारी की चपेट में हैं। और विज्ञापन में कम्पनी को वर्कर नहीं मिल रहे हैं। Click To Read ------------------------------- एक समूह से किसी एक महिला को ही नौकरी मिलनी है हालांकि काम सभी को मिलता है एक साथ सभी को नौकरी न देकर एक - एक करके दिया जाता है। महिलाओं को इस बात की तसल्ली नहीं होती है कि उसको नौकरी दे दी मुझे कुछ नहीं मिला इस सोच से समूह की महिलाओं में आपसी मतभेद के साथ मनमुटाओ भी हो जाते हैं। भर्ती प्रक्रिया पूरी करने वाले अधिकारी जब यह देखने लगे एक वेकेंसी के लिए 20 लोग लाइन में लगे हैं लेकिन काम किसी एक को देना है तो पैसे का खेल सुरु हो गया। समूह की महिलाएं पैसे भी देने लगीं कि मुझे भर्ती करवा दो। जिस महिला का समय पर पैसा पहुँच गया उसको नौकरी मिल गयी, योग्यता हो या न हो पैसे ने उनको योग्य बना दिया। जो नौकरी किसी 12वीं पास महिला को मिलने के लिए होती थी रिश्वत खोरी की वजह से 8वीं पास भी भर्ती होने लगे। जहाँ 12वीं पास महिला को नौकरी मिलनी थी वहां पर 8वीं पास महिला को भी नौकरी मिली। यह मामला तब सामने आया जब समूह की महिलाओं को विधुत सखी का काम मिलना था। विद्युत सखी बनने के लिए स्वयं सहायता समूह की सदस्य होने के साथ - साथ 12वीं तक पास होना भी जरुरी था। विद्युत सखी भर्ती प्रक्रिया पूरी करने वाले अधिकारियों ने 8वीं पास महिला को भी विद्युत सखी बना दिया। 8वीं पास महिला को विद्युत सखी बनाने के लिए 5 से 10 हजार रुपये रिश्वत भी जमा की गयी। Vidhyut sakhi तो बना दीं लेकिन रोजगार के नाम पर सखियों को गांव गांव घुमाकर समस्या का हल तो नहीं मिला Click To Read हम इस बात का बुरा नहीं मानते हैं कि 8वीं पास को भी नौकरी दी गयी जो 12 पास को मिलनी थी । हर कोई जानबूजकर स्कूल नहीं जाता है। कुछ लोगों आर्थिक स्थिति कमजोर रही कहीं न कहीं किसी साधन के आभाव में बहुत से लोग नहीं पढ़ पाए। उनको नौकरी मिल गयी अच्छी बात है उनका भी भला होने लगा। पर यह बात तो खराब है जो 8वीं पास की मार्कशीट थी वह भी फर्जी बनाई गयी है। एक 8वीं पास महिला जो विद्युत् सखी बनी है। वह अपने मोबाइल अप्लीकेशन से लोगों के बिल जमा करने जाएगी या बिल निकालने जाएगी अप्लीकेशन काम न करने की दसा में वह क्या करेगी। किसी का बिल जमा करने में गलती कर दी उसका सुधार कैसे होगा। क्या उस समय में भी वही लोग काम आएंगे जिन्होंने 8वीं पास की फर्जी मार्कशीट बनाई है। या वह लोग काम आएंगे जिन्होंने 10 हजार रुपये रिश्वत लेकर भर्ती किया है। --------------------------------------------- अन्यसंबंधितपोस्टपढ़नेकेलिए नीचे दी गयी पोस्ट की लिंक पर क्लिक करें। लोन देने वाले आप गरीबों को फिर से बेघर कर देंगे जिसके आपने कई उदाहरण देखे click to read Sighra Patan की चिंता सच में चिंता का विषय है। Click to read Manrega yojna से रोजगार सेवक ने फर्जी ड्यूटी के दम पर लाखों कमाया। Click To Read ---------------------------------- स्वयंसहायतासमूहक्या है? स्वयंसहायता समूहकैसेकाम करताहै? स्वयं सहायतासमूहके लाभक्याहैं? स्वयंसहायतासमूह सेनुकसानकैसे हैं? इनसभी सवालोंकेउत्तर केसाथसबसे पहलेतोउस बातकोसमझते हैंमेरीवैबसाइट काजोउद्देश्य है।मेरीवैबसाइट काउद्देश्यहै रिश्वतऔरघोटाले औररिश्वखोरीकिस तरहसेकिये जारहेहैं उसकेबारेमें बताना।साथही अन्यजानकारीसामिल कीजातीहैं। स्वयं सहायता समूह में मिलने वाली नौकरी पूर्ण तरीके से सरकारी नहीं होती है। फिर भी बहुत से अधिकार होते और आपको नौकरी से कोई निकाल भी नहीं सकता है। हो सकता है आने वाले समय में पूर्ण सरकारी कर दी जाए लेकिन अभी ऐसा नहीं है। आज के लेख में बस इतना ही अगर त्रुटि पूर्वक कुछ हिस्सा गलत हो गया है या छूट गया है तो कमेंट बॉक्स में लिखकर बता दें लेख में सुधार किया जायेगा। स्वयं सहायता समूह में सबसे अच्छी नौकरी कौन सी है?स्वयं सहायता समूह में नई नौकरी कौन सी है ?. स्वास्थ्य सखी नौकरी. बैंक सखी नौकरी. मनरेगा मेट नौकरी. केयर टेकर की नौकरी. स्वयं सहायता समूह में कितने पद होते हैं?ये किसी अन्य के ऊपर निर्भर नही रहते है, बल्कि ये अपनी सहायता स्वयं (खुद) करते है। जैसा कि इसका नाम है, स्वयं सहायता यानि जो अपनी सहायता खुद करते है। इस प्रकार के समूह में 10 से 20 सदस्य होते है, ये सभी सदस्य स्वेछा से इसमें शामिल हो सकते है। इसमें चयनित सभी सदस्य एक समान आय वर्ग के होते है।
स्वयं सहायता समूह की सैलरी कितनी है?यह वेतन 1500 से लेकर ₹6000 तक हो सकता है। स्वयं सहायता समूह में अध्यक्ष कोषाध्यक्ष और सचिव को किसी भी प्रकार का कोई मानदेय नहीं दिया जाता है। जबकि समूह सखी को उसके कार्यों के लिए 1200 से 1500 प्रति माह का वेतन दिया जाता है।
समूह के अध्यक्ष का क्या काम है?समूह में अध्यक्ष समूह का मुख्य सदस्य होता है। स्वयं सहायता समूह में अध्यक्ष समूह की बैठक में होने वाले प्रस्ताव को समूह के सदस्यों के समक्ष रखता है। अध्यक्ष समूह के संचालन का कार्य करता है। समूह में लगने वाली सामग्री जैसे कि समूह के रजिस्टर,दरी एवं स्टांप पैड इत्यादि रखने की जिम्मेदारी समूह के अध्यक्ष की होती है।
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