संदीपन के पुत्र का क्या नाम था? - sandeepan ke putr ka kya naam tha?

गुरु सांदीपनि के पुत्र का नाम?...


संदीपन के पुत्र का क्या नाम था? - sandeepan ke putr ka kya naam tha?

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।

हेलो दोस्तो आपने मुझसे पूछा है गुरु सांदीपनि के पुत्र का नाम तो मेरे को बताना चाहूंगी दोस्तों गुरु सांदीपनि के पुत्र का नाम है शंखासुर धन्यवाद

Romanized Version

संदीपन के पुत्र का क्या नाम था? - sandeepan ke putr ka kya naam tha?

1 जवाब

This Question Also Answers:

  • गुरु सांदीपनि के पुत्र का नाम बताएं - guru sandipani ke putra ka naam bataye
  • गुरु सांदीपनी का पुत्र का नाम क्या था - guru sandipani ka putra ka naam kya tha
  • गुरु संदीपन के पुत्र का नाम - guru sandipan ke putra ka naam

Vokal App bridges the knowledge gap in India in Indian languages by getting the best minds to answer questions of the common man. The Vokal App is available in 11 Indian languages. Users ask questions on 100s of topics related to love, life, career, politics, religion, sports, personal care etc. We have 1000s of experts from different walks of life answering questions on the Vokal App. People can also ask questions directly to experts apart from posting a question to the entire answering community. If you are an expert or are great at something, we invite you to join this knowledge sharing revolution and help India grow. Download the Vokal App!

  • Hindi News
  • Jeevan mantra
  • Dharm
  • Sandipani Asked Shri Krishna To Bring His Son To Guru Dakshina, Karna Had Made Parashurama The Guru. Teachers Day 2020, We Should Obey Our Teacher

  • गुरु ही धर्म और अधर्म का ज्ञान देते हैं, जानिए शास्त्रों में बताए गए खास गुरुओं के बारे में

शास्त्रों में गुरु का स्थान सर्वोच्च बताया गया है। देवी-देवताओं के अवतारों ने भी गुरु से ही ज्ञान प्राप्त किया। रामायण और महाभारत में कई गुरु बताए गए हैं। श्रीराम ने वशिष्ठ और विश्वामित्र से ज्ञान प्राप्त किया था। श्रीकृष्ण ने सांदीपनि ऋषि को गुरु दक्षिणा के रूप में उनका पुत्र खोजकर लौटाया था। कर्ण ने परशुराम को गुरु बनाया था। जानिए शास्त्रों में बताए गए कुछ खास गुरुओं के बारे में…

1. श्रीकृष्ण ने गुरु सांदीपनि को गुरु दक्षिणा में खोज कर लौटाया उनका पुत्र

भगवान श्रीकृष्ण और बलराम के गुरु महर्षि सांदीपनि थे। सांदीपनि ने ही श्रीकृष्ण को 64 कलाओं की शिक्षा दी थी। मध्य प्रदेश के उज्जैन में गुरु सांदीपनि का आश्रम है। शिक्षा पूरी होने के बाद जब गुरु दक्षिणा की बात आई तो ऋषि सांदीपनि ने कहा कि शंखासुर नाम का एक दैत्य मेरे पुत्र को उठाकर ले गया है। उसे ले लाओ। यही गुरु दक्षिणा होगी। श्रीकृष्ण ने गुरु पुत्र को खोजकर वापस लाने का वचन दे दिया।

श्रीकृष्ण और बलराम समुद्र तक पहुंचे तो समुद्र ने बताया कि पंचज जाति का दैत्य शंख के रूप में समुद्र में छिपा है। संभव है कि उसी ने आपके गुरु के पुत्र को खाया हो। भगवान श्रीकृष्ण शंखासुर को मारकर उसके पेट में गुरु पुत्र को खोजा, लेकिन वह नहीं मिला। तब श्रीकृष्ण शंखासुर के शरीर का शंख लेकर यमलोक पहुंच गए। यमराज से गुरु पुत्र को वापस लेकर गुरु सांदीपनि को लौटा दिया।

2. परशुराम ने कर्ण को दिया था शाप

परशुराम अष्ट चिरंजीवियों में से हैं। परशुराम को भगवान विष्णु का अवतार माना गया है। इन्होंने शिवजी से अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा प्राप्त की। महाभारत काल में भीष्म, द्रोणाचार्य और कर्ण इनके शिष्य थे। कर्ण ने परशुराम को धोखा देकर शिक्षा प्राप्त की थी। जब परशुराम को ये बात मालूम हुई तो उन्होंने क्रोधित होकर कर्ण को शाप दिया कि जब मेरी सिखाई हुई शस्त्र विद्या की जब तुम्हें सबसे अधिक आवश्यकता होगी, उस समय तुम ये विद्या भूल जाओगे। इसके बाद अर्जुन से युद्ध के समय कर्ण शाप वजह से शस्त्र विद्या भूल गया था, इस वजह से ही कर्ण की मृत्यु हुई।

3. महर्षि वेदव्यास ने गांधारी को दिया था सौ पुत्र होने का वरदान

महर्षि वेदव्यास का पूरा नाम कृष्णद्वैपायन था। इन्होंने ही वेदों का विभाग किया। इसलिए इनका नाम वेदव्यास पड़ा। सभी पुराणों की रचना की। महाभारत की रचना की।

महाभारत काल में महर्षि वेदव्यास ने गांधारी सौ पुत्रों की माता बनने का वरदान दिया था। कुछ समय बाद गांधारी के गर्भ से मांस का एक गोल पिंड निकला। गांधारी उसे नष्ट करना चाहती थी। जब ये बात वेदव्यासजी को मालूम हुई तो उन्होंने 100 कुंडों का निर्माण करवाया और उनमें घी भरवा दिया। इसके बाद महर्षि वेदव्यास ने उस पिंड के 100 टुकड़े करके सभी कुंडों में डाल दिया। कुछ समय बाद उन कुंडों से गांधारी के 100 पुत्र उत्पन्न हुए।

4. देवताओं के गुरु हैं बृहस्पति, राजा नहुष का घमंड किया था दूर

देवताओं के गुरु बृहस्पति हैं। महाभारत के आदि पर्व के अनुसार, बृहस्पति महर्षि अंगिरा के पुत्र हैं। एक बार देवराज इंद्र स्वर्ग छोड़ कर चले गए। उनके स्थान पर राजा नहुष को स्वर्ग का राजा बनाया गया। राजा बनते ही नहुष के मन में पाप आ गया। वह अहंकारी हो गया था। उसने इंद्र की पत्नी शची पर भी अधिकार करना चाहा।

शची ने ये बात बृहस्पति को बताई। बृहस्पति ने शची से कहा कि आप नहुष से कहना कि जब वह सप्त ऋषियों द्वारा उठाई गई पालकी में बैठकर आएगा, तभी तुम उसे अपना स्वामी मानोगी। ये बात शची ने नहुष से कही तो नहुष ने भी ऐसा ही किया। जब सप्तऋषि पालकी उठाकर चल रहे थे, तभी नहुष ने एक ऋषि को लात मार दी। क्रोधित होकर अगस्त्य मुनि ने उसे स्वर्ग से गिरने का शाप दे दिया। इस प्रकार देवगुरु बृहस्पति ने नहुष का घमंड तोड़ा और शची की रक्षा की।

5. असुरों के गुरु शुक्राचार्य की नहीं है एक आंख

शुक्राचार्य दैत्यों के गुरु हैं। ये भृगु ऋषि तथा हिरण्यकशिपु की पुत्री दिव्या के पुत्र हैं। शिवजी ने इन्हें मृत संजीवन विद्या का सिखाई थी। इसके बल पर शुक्राचार्य मृत दैत्यों को जीवित कर देते थे। वामन अवतार के समय जब राजा बलि ने ब्राह्मण को तीन पग भूमि दान करने का वचन दिया था। तब शुक्राचार्य सूक्ष्म रूप में बलि के कमंडल में जाकर बैठ गए, जिससे की पानी बाहर न आए और बलि भूमि दान का संकल्प न ले सके। तब वामन भगवान ने बलि के कमंडल में एक तिनका डाला, जिससे शुक्राचार्य की एक आंख फूट गई।

6. वशिष्ठ ऋषि और विश्वामित्र का प्रसंग

ऋषि वशिष्ठ श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के कुलगुरु थे। एक बार राजा विश्वामित्र शिकार करते हुए ऋषि वशिष्ठ के आश्रम में पहुंच गए। यहां उन्होंने कामधेनु नंदिनी को देखा। विश्वामित्र ने वशिष्ठ से कहा ये गाय आप मुझे दे दें। वशिष्ठ ने ऐसा करने से मना कर दिया तो राजा विश्वामित्र नंदिनी को बलपूर्वक ले जाने लगे। तब नंदिनी गाय ने विश्वामित्र सहित उनकी पूरी सेना को भगा दिया। ऋषि वशिष्ठ का ब्रह्मतेज देखकर विश्वामित्र हैरान थे। इसके बाद उन्होंने राजपाठ छोड़कर तपस्या शुरू कर दी।

0

संदीपनी मुनि के पुत्र का नाम क्या है?

उनके पितामह अर्थात दादाजी सुरंतदेव थे और पितामही श्रीमती चन्द्रकला थी। सांदीपनि मुनिके पत्नीका नाम श्रीमती सुमुखि देवी था। पुत्र मधुमंगल थे जो कृष्णके बालमित्र थे।

सांदीपनि ऋषि की पत्नी का नाम क्या था?

प्रवेश के पहले यज्ञोपवीत संस्कार : उज्जयिनी में महर्षि सांदीपनि के गुरुकुल में वेद- वेदांतों और उपनिषदों सहित चौंसठ कलाओं की शिक्षा दी जाती थी। साथ ही न्याय शास्त्र, राजनीति शास्त्र, धर्म शास्त्र, नीति शास्त्र, अस्त्र-शस्त्र संचालन की शिक्षा भी दी जाती थी। गुरुकुल में दूर-दूर से शिष्यगण शिक्षा प्राप्त करने आते थे।

कृष्ण के कुलगुरु कौन थे?

भगवान श्रीकृष्ण और बलराम के गुरु महर्षि सांदीपनि थे। सांदीपनि ने ही श्रीकृष्ण को 64 कलाओं की शिक्षा दी थी।

सुदामा के गुरु कौन थे?

कृष्ण और सुदामा के गुरु का नाम ऋषि संदीपनी का आश्रम मध्य प्रदेश के उज्जैन (अवंतिका) में था। श्रीकृष्ण के साथ ही उनके बड़े भाई बलराम और सुदामा ने भी ऋषि सांदीपनी के आश्रम में शिक्षा दीक्षा ली थी।