स्वच्छता के बारे में निबंध कैसे लिखें? - svachchhata ke baare mein nibandh kaise likhen?

Hello Ji आपका स्वागत है, स्वच्छता पर निबंध (Cleanliness essay in Hindi) पोस्ट में । अगर आप इंटरनेट पर स्वच्छता पर निबंध (Cleanliness essay in Hindi) की तलाश कर रहे है तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए है।

इस पोस्ट में आपको स्वच्छता पर निबंध स्वच्छता से जुड़ी हुई बहुत सारी जानकारी मिलेगी। जैसे स्वच्छता पर निबंध, यह क्यों जरूरी है, इसको लिखा कैसे जाता है। और भी बहुत कुछ।

तो बिना देर किए इस पोस्ट को शुरू करते है। अगर आपको पोस्ट अच्छा लगे तो इसे अपने दोस्तो के साथ साझा जरूर करिएगा।

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स्वच्छता का शाब्दिक अर्थ: साफ सफाई होता है। यह हमारे जीवन को संतुलित रूप से चलाने के लिए हमारे व्यक्तिक हमारे सामाजिक, हमारे मानसिक विचारों को हमेशा सकारात्मक रूप प्रदान करता है, जो की किसी भी व्यक्ति के लिए एक गर्व की बात है।

प्रस्तावना : स्वच्छता का शाब्दिक अर्थ, साफ-सुथरा, सफाई आदि होता है। किसी भी इंसान के लिए स्वच्छता बहुत ही जरूरी है। फिर चाहे वो स्वच्छता सामाजिक रूप से संबंधित हो या मानसिक रूप से संबंधित हो या वायक्तिगत रूप से संबंधित हो।

सामाजिक स्वच्छता हमारे सामाजिक विकास में हमारी मदद करती है, तो दूसरी तरफ मानसिक स्वच्छता हमे एक अच्छा इंसान बनाती है। हमारे सोच को एक सकारात्मक दिशा प्रदान करती है, और वायक्तिगत स्वच्छता हमे हमेशा साफ सुथरा रहने का संकेत देती है ताकि आने वाली अस्वच्छताओ बीमारियों दूषित वातावरण से बचा जा सके।

स्वच्छता का महत्व : स्वच्छता किसी प्रकार का कोर्स नहीं है जिसे की औपचारिक रूप से विद्यालय में जाकर सीखा जा सके।

बल्कि यह तो हमारे जीवन का एक ऐसा हिस्सा है जिसे अपनाने से हम कभी बीमार नहीं होते। यह जरूरी नहीं है की हमे स्वच्छता को अपनाने के लिए काफी मेहनत करनी होगी। बहुत बरे बरे काम करने होंगे बल्कि इसे तो हम अपने आप में अपने घर में या फिर अपने आस पास भी कर सकते है।

जैसे खाने से पहले और खाने के बाद अपने हाथो को अच्छी तरह से साबुन से धोना, हमेशा साफ सुथरा चीज का उपयोग करना, रोज स्नान करना, ब्रश करना, घर की साफ सफाई करना, रूम में वायु और प्रकाश दोनो उचित मात्रा में आ सके इसका उचित व्यवस्था करना हाथ के नाखून को ज्यादा बड़ा नहीं रखना, साफ सुथरे कपरे पहनना, कचरा सब को जहा तहां फेंकने की जगह एक जगह एकत्रित कर के उसका सही उपयोग करना ।

जैसे यदि कचरा सब सुख जाए तो उसको जलाकर खाद बनाकर खेतों में उसका उपयोग करना ताकि फसल पैदावार में क्रांति आ सके। कचरा फेंकने के और भी बहुत सारे तरीके है। जैसे की कचरा को सार्वजनिक स्थान पर फेंकने की वजाय सूखे और गीले कचरे को हरे और नीले कुरेदान में फेंकना चाहिए । हमारे आस पास और खुद को स्वच्छ रखने के और भी बहुत सारे तरीके है जिसे अपने जीवन में हमे अपनाना चाहिए ।

स्वच्छता से होने वाले फायदे : हमारे जीवन में स्वच्छता बहुत मायने रखती है। क्योंकि यदि हम स्वच्छ न रहकर खुद अस्वच्छ रहे और अपने साथ साथ अपने आस पास को भी स्वच्छ न रखे तो हमारे चारों तरफ गंदगी फेल जायेगी जिससे की बहुत सारी बीमारियां हम पर हावी होने लगेगी।

जैसे हैजा, टायफाइड, अतिसार आदि रोग। गंदगी के कारण बहुत तरह के मच्छर भी फैलने लगते है जो की एक परजीवी है। और परजीवी के कारण मलेरिया डेंगू आदि रोग होने की संभावना होती है।

और इन सारी बीमारियों को दूर करने के लिए हमे एक अच्छे डॉक्टर के यहां जाना होगा जिससे की बहुत रुपए भी लग सकते है। जो की हमारे और हमारे देश के बजट को संतुलित बनाए रखने के लिए एक भरी समस्या है। इससे हमारे देश की तरक्की पर गहरा असर भी पर सकता है।

अतः इन सब से यानी की सारी बीमारियों से निपटारा पाने के लिए जरूरी है की हम खुद भी स्वच्छ रहे और अपने आस पास के वातावरण को भी स्वच्छ रखे। जिससे बीमारी के उपचार में होने वाले लाखो रुपए के नुकसान से बचा जा सकता है और हमारे वो हमारे देश के बजट में भी कोई असुंतलन नही आयेगी जिससे की हमारे देश की तरक्की के विकास में कोई भी बढ़ा उत्पन्न नहीं होगी।

अगर सभी लोग स्वच्छता को अपने अपने जीवन में अपनाना शुरू कर दे तो वो दिन दूर नही जिससे हम हमारा समाज वो हमारा देश प्रगति के पथ पे अग्रसर होकर बहुत दूर निकल जायेगा और हमारा देश भी विकाशशील देश की बजाय विकसित देश की गिनती में आएगा, जो की हमारे लिए बहुत ही गर्व की बात है।

भारत सरकार ने स्वच्छता की आवश्यकता को समझते हुए बहुत सारे अभियान चलाए जिसमे से एक महत्वपूर्ण अभियान स्वच्छ भारत अभियान है। इसकी शुरुवात 2 अक्टूबर 2014 को महात्मा गांधी के जन्मदिन पर हुआ।

जिसे की पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है। परंतु कोई भी अभियान चाहे कितना भी बड़ा या छोटा क्यों न हो, जबतक आम जनता उसे नहीं अपनाएगी तबतक सरकार द्वारा चलाए गए अभियान का कोई मतलब नहीं होता।

सरकार तो केवल नए नए अभियान चलाती है। बस जरूरत है आम जनता को सरकार द्वारा चलाए गए अभियान को अपनाकर खुद में तथा दूसरों में जागरूकता लाने की। क्योंकि अगर हमे जीवन में  कुछ अच्छा करना है तो केवल दूसरों के द्वारा सुनी सुनाई बातों से कुछ पूरा नहीं होने वाला वो तो तब पूरा होगा जब उसके लिए मेहनत करेंगे उसके लिए जागरूक होंगे, उसके लिए अग्रसर होंगे।

निष्कर्ष : अतः उपर्युक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए यह समझा जा सकता है की स्वच्छता हमारे लिए कितना जरूरी है।यह कहना गलत नही होगा की स्वच्छता हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गया है।

इसे चाहकर भी हम नजर अंदाज नहीं कर सकते।अगर हम शारीरिक, मानसिक, सामाजिक सभी रूप से स्वच्छ रहेंगे तभी तो अपने परिवार, समाज, पास पड़ोस आदि को स्वच्छ रखने में अपना योगदान दे सकेंगे।

और जब ये सब स्वच्छ हो जायेंगे तो हमारा देश खुद वो खुद स्वच्छ हो जायेगा जो की हमारे लिए एक सम्मानजनक से भरा हुआ गर्व की बात है।

एक स्वच्छ व्यक्ति न केवल अपने वो अपने परिवार, समाज, राष्ट्र आदि सभी के स्वच्छता के बारे में सोच कर उनके मंगल होने की कामना करता है। उनकी आय भले ही काम क्यों न हो परंतु अपने मानसिक स्वच्छता सोच के कारण एक अच्छे व्यक्ति की श्रेणी में अपना स्थान बना लेता है।

अतः हम अपने जीवन में छोटी छोटी स्वच्छता चीजों को अपनाकर खुद भी स्वच्छ रह सकते है और दूसरों को भी स्वच्छ रख सकते है जो की हमसबों के लिए एक बहुत ही गर्व की बात है।

स्वच्छता पर निबंध 400 शब्दों में।

स्वच्छता के बारे में निबंध कैसे लिखें? - svachchhata ke baare mein nibandh kaise likhen?
स्वच्छता पर निबंध 400 शब्दों में।

जैसा की हमलोग बहुत ही अच्छी तरह से जानते है की स्वच्छता का शाब्दिक अर्थ : साफ सफाई से होता है। जिस तरह से इंसान को जीवित रहने के लिए वायु की आवश्यकता होती है। पेट भरने वो शरीर को सुचारू रूप से चलाने के लिए पौष्टिक आहार की आवश्यकता होती है।

ठीक उसी प्रकार हमारे स्वास्थ से संबंधित, स्वास्थ को सही रखने के लिए मानसिक विकास, व्यक्तिक विकास, और सामाजिक विकास की आवश्यकता होती है। और कोई भी इंसान केवल खुद को और अपने परिवार को स्वच्छ रख कर बोले की हां हम तो बिलकुल स्वच्छ है।

तो ये उनकी गलत सोच है । क्योंकि कोई भी इंसान तब तक पूरी तरह से स्वच्छ नही हो सकता जब तक वो अपने वो अपने परिवार के साथ-साथ अपने पास परोस अपने समाज आदि को स्वच्छ बनाने पर जोर नही देता।

उन्हे स्वच्छता के महत्व के बारे में नहीं बताता, स्वच्छता से होने वाले फायदे के बारे में बताकर उन्हे जागरूक नहीं बनाता।

हम जिस समाज में रहते है हमे उनके अनुकूल चलना परता है जिससे की समाज का संतुलन बना रहे। एक दूसरे की खुशी में सम्मिलित होकर उनके साथ खुश होना।

उनके दुख में उनका साथ देकर उनके हौसलों को बढ़ाना, उन्हे दिलासा देना आदि ये सब समाजीकरण का विकास कहलाता है।

जो की किसी भी सामाजिक संतुलन को बनाए रखने के लिए अति आवश्यक है। यदि हम खुद ही स्वच्छ हो कर समाज के साथ उनके खुशी में खुशी तथा दुख में दुख को बांटेंगे तो शायद हम भी बीमार पर सकते है जो की हमारे शारीरिक स्वस्थ और मानसिक स्वस्थ दोनो पर अपना गहरा प्रभाव छोड़ती है।

हमे पुनः स्वस्थ होने के लिए, बीमारी का उपचार करने के लिए बहुत ज्यादा रुपए की जरूरत परती है जो की हमारे बजट पर भी काफी गहरा प्रभाव छोड़ती है।

अगर देखा जाए तो, स्वच्छ कहने को तो बहुत छोटा शब्द है। परंतु इसके मायने बहुत ही बरे है। क्योंकि ये हमे हमारे जीवन के एक ऐसे वास्तविक जीवन से रूबरू करवाती है जो की आज की इस भाग दौर जीवन या यूं कहें कि बिजी लाइफ में बहुत पीछे छोड़ देते है जो की हमारे वो हमारे जीवन दोनो के लिए एक बहुत ही घटक मुद्दा है।

जिस तरह से गीली मिट्टी को कुम्हार एक बार में ही बिना किसी रुकावट के किसी भी चीज का आकार दे सकता है।जैसे घड़ा, सुरहायी, दीप, धूपदानी आदि।

ठीक उसी प्रकार एक अच्छे वो जिम्मेदार अभिभावक को भी अपने बच्चों को बचपन से ही स्वच्छता संबंधी आदतों को अपनाने के लिए उन्हें प्रेरित करना चाहिए। क्योंकि बच्चे किसी भी आदत या कार्य को देखकर या उसे कर के बहत जल्दी सीखते है।

और यदि सभी बच्चों के अभिभावक ऐसा करें तो वो दिन दूर नही जिससे हमारा देश भारत एक स्वच्छ भारत अभियान में सफलतापूर्वक खरा उतरे।

स्वच्छता पर निबंध 200 शब्दों में।

स्वच्छता के बारे में निबंध कैसे लिखें? - svachchhata ke baare mein nibandh kaise likhen?
स्वच्छता पर निबंध 200 शब्दों में।

जैसा की हमलोग जानते है की स्वच्छता एक बहुत ही अच्छी आदत हैं जिसे अपनाकर हम बहुत कम बीमार होते है। यह किसी प्रकार का रोजगार या पेशा नही है जिसे अपनाने के लिए हमे रुपए मिलते है या फिर यदि कोई हमे सलाह दे स्वच्छता को अपनाने के लिए तो हमे उन्हे रुपए देने होते है उनके फीस के रूप में।

हमारे पास परोस, समाज आदि के ज्यादातर आदमी बीमार होते है जिससे की उनका काफी नुकसान भी होता है। हम जानते है की पेट भरने के लिए सबसे पहली जरूरत रोटी की होती है परंतु स्वच्छता को भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है क्योंकि कही न कही हमारे बीमार होने का कारण स्वच्छता को नजर अंदाज करना भी होता है।

स्वच्छता न केवल कहने सुनने को एक शब्द है बल्कि इसे अपनाकर हम खुद भी स्वस्थ रहते है जो की हमारे बिजी लाइफ में हमारे जीवन चक्र को चलाने के लिए बहुत जरूरी होता है।

अपने भविष्य को बेहतर बनाने के लिए सबसे जरूरी करी स्वच्छता ही है। क्योंकि हम स्वस्थ रहेंगे तभी तो किसी अच्छे चीज पर फोकस कर उन्हे सफलता पूर्वक पाने में सफल हो पायेंगे । स्वच्छता को अपनाने के लिए हमे छोटे छोटे काम करना चाहिए।

जैसे खुद स्वच्छ रहे वो दूसरों को सलाह दे स्वच्छ रहने की स्वच्छता के प्रति आम आदमी में जागरूकता फैलाना। अपने आस पास के वातावरण को स्वच्छ रखना वो वो दूसरों को भी उसका भागीदार बनाना। कुछ भी खाने से पहले और खाने के बाद अपने हाथ को अच्छी तरह से साबुन से धोना।

खाने पीने वाली चीजों को हमेशा अच्छी तरह से ढंक कर रखना ताकि उसपर मच्छर न बैठ सकें। साफ वो स्वच्छ कपरे पहनना । खुद को स्वच्छ रखने के साथ साथ अपने पालतू जानवरों को भी स्वच्छ रखना। उसे भी अच्छी तरह से साबुन से नहलाना। खाने पीने का विशेष ध्यान रखना आदि।

और भी बहुत सारी चीजें है जिसे अपनाकर हम खुद भी स्वच्छ रह सकते है और अपने साथ साथ अपने आस परोस के वातावरण को भी स्वच्छ रख सकते है।

अक्सर हमे अपने समाज में दो तरह के व्यक्ति मिलते है। एक सकारात्मक और दूसरा नकारात्मक। एक शिक्षित तो दूसरा अशिक्षित । एक स्वच्छ तो दूसरा अस्वच्छ। और ज्यादातर व्यक्ति एक नकारात्मक, अशिक्षित, और अस्वच्छ व्यक्ति के वजाय एक सकारात्मक, शिक्षित और स्वच्छ व्यक्ति से ही अपना ताल मेल बैठना चाहते है ।

अपने सुख दुख में उनको भी अपने सुख दुख का हिस्सा बनाना चाहते है जो की समजीकरण की प्रक्रिया को बढ़ावा देता है ।

हमे अक्सर एक चीज देखने या सुनने को मिलता है की यदि किसी बारे आदमी जैसे: गवर्नमेंट जॉब, बरे-बरे बिजनेस मैन की शादी या उनके परिवार में किसी सदस्य की शादी हो रही है या फिर कोई फंक्शन ही चल रहा है तो वो केवल अपने रिश्तादारों और अपने बराबर के लोगों को ही उस फंक्शन में सम्मिलित होने के लिए उन्हें आमंत्रित करते है।

वो अपने से छोटों को या फिर गरीबों को अपने किसी भी फंक्शन का हिस्सा नहीं बनाते है । इसका एक कारण यह भी हो सकता है की वो की लोग रुपयों पैसों से गरीब है परंतु दूसरा कारण ये भी हो सकता है की वो साफ सुथरा स्वच्छ नही रहते जिससे की ज्यादातर लोगों को घृणा होती है।

स्वच्छता पर निबंध 50 शब्दों में। 

स्वच्छता के बारे में निबंध कैसे लिखें? - svachchhata ke baare mein nibandh kaise likhen?
स्वच्छता पर निबंध 50 शब्दों में

स्वच्छता का तात्पर्य साफ सफाई से है अर्थात साफ सफाई को ही स्वच्छता करते है जो की हमारे जीवन का एक अभिन्न और अतिआवश्यक करी है। स्वच्छ रहने से ही इंसान स्वस्थ भी रहता है जिनसे की उनका सामाजिक विकास, शारीरिक विकास, मानसिक विकास अर्थात सर्वांगीण विकास बिना किसी रुकावट के हो पाता है।

एक स्वच्छ वो स्वस्थ व्यक्ति ही अपने भविष्य की जरूरतों को देखते हुए उसे बेहतर बनाने की कोशिश कर सकता है या बेहतर बना सकता है।

अतः हम सभी को स्वच्छता के महत्व को अपने जीवन में समझते हुए उसे अपनाना चाहिए जो की एक स्वच्छ परिवार स्वच्छ समाज वो स्वच्छ देश का निर्माण करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देती है।

स्वच्छता पर निबंध कैसे लिखते हैं?

स्वच्छता एक अच्छी आदत है जो हम सभी के लिये बहुत जरुरी है। अपने घर, पालतू जानवर, अपने आस-पास, पर्यावरण, तालाब, नदी, स्कूल आदि सहित सबकी सफाई करते हैं। हमें सदैव साफ, स्वच्छ और अच्छे से कपड़े पहनना चाहिये। ये समाज में अच्छे व्यक्तित्व और प्रभाव को बनाने में मदद करता है, क्योंकि ये आपके अच्छे चरित्र को दिखाता है।

सरल शब्दों में स्वच्छता क्या है?

स्वच्छता क्या है- स्वच्छ शब्द का अर्थ है अत्यंत साफ, विशुद्ध, उज्ज्वल व स्वस्थ. ता प्रत्यय जोड़ने पर भाववाचक स्वच्छता का आशय सब प्रकार से साफ़ सफाई निर्मलता एवं पवित्रता हैं. मन ह्रदय, शरीर तथा वस्त्रों की घर बाहर, पानी, वायु, भूमि आदि की निर्मलता या सफाई रखना ही स्वच्छता हैं.

स्वच्छता का हमारे जीवन में क्या महत्व है?

स्वच्छता एक क्रिया है जिससे हमारा शरीर, दिमाग, कपड़े, घर, आस पास और कार्यक्षेत्र साफ और शुद्ध रहते है. हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिये साफ – सफाई बेहद जरुरी है, अपने आस पास के क्षेत्रों और पर्यावरण की सफाई सामाजिक और बौद्धिक स्वास्थ्य के लिये बहुत जरुरी है.

स्वच्छ रहना क्यों जरूरी है?

बीमारियों से बचने के लिए सफाई रखना अति आवश्यक है। यह सभी के सहयोग से ही संभव है, क्योंकि गंदगी ही सभी बीमारियों का मूल कारण है। स्वच्छता हमारे जीवन को सुखमय बनाने के लिए जरूरी है। हर बीमारी से स्वच्छता ही हमें बचाती है।