अकंपन ने रावण को क्या सुझाव दिया? - akampan ne raavan ko kya sujhaav diya?

अकंपन ने रावण को क्या सुझाव दिया? - akampan ne raavan ko kya sujhaav diya?

CBSE Class 6 Hindi Bal Ram Katha Important Questions Chapter 7 - Sone Ka Hiran - Free PDF Download

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Bal Ram Katha Class 6 Question Answers Chapter 7

पाठाधारित प्रश्न

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मारीच किस रूप में पंचवटी गया?
उत्तर:
मारीच हिरण के रूप में पंचवटी गया।

प्रश्न 2.
राम ने मायावी मृग पर निशाना क्यों साधा?
उत्तर:
जब राम मायावी हिरण को जिंदा नहीं पकड़ पाए तो अंत में परेशान होकर उस पर निशाना साधा।

प्रश्न 3.
बाण लगने पर मायावी हिरण ने क्या किया?
उत्तर:
बाण लगने पर मायावी हिरण ने हा सीते! हा लक्ष्मण! पुकारा।

प्रश्न 4.
रावण क्यों प्रसन्न था?
उत्तर:
रावण प्रसन्न था क्योंकि उसकी चाल सफल हो रही थी। मारीच ने अपनी भूमिका अच्छी तरह निभाई थी।

प्रश्न 5.
सीता क्यों विचलित हो गई?
उत्तर:
मारीच की मायावी पुकार सुनकर सीता ने समझा कि राम किसी परेशानी में हैं, इसलिए वे विचलित हो गईं।

प्रश्न 6.
रावण किस वेश में सीता के सामने आया?
उत्तर:
रावण तपस्वी के वेश में सीता के सामने आया।

प्रश्न 7.
रावण को अकंपन की क्या बात याद हो आई?
उत्तर:
रावण को अकंपन की यह बात याद हो आई कि सीता का हरण होने पर राम के प्राण निकल जाएँगे।

प्रश्न 8.
सीता ने लक्ष्मण को क्या धमकी दी?
उत्तर:
सीता ने धमकी देते हुए कहा-राम से अलग होकर मैं नहीं रह सकती। मैं जान दे दूंगी। हे लक्ष्मण, तुम राम के पास जाओ। वे किसी मुसीबत में हैं। तुम उन्हें लेकर आओ।

प्रश्न 9.
सीता के आभूषण किसने उठाए?
उत्तर:
सीता के आभूषण वानरों ने उठाए।

प्रश्न 10.
जटायु ने रावण के साथ क्या जबरदस्ती की?
उत्तर:
गिद्धराज जटायु ने रावण का रथ छत-विछत कर दिया तथा रावण को घायल कर दिया।

प्रश्न 11.
रावण ने सीता को पहले जाकर कहाँ रखा?
उत्तर:
रावण ने सीता को ले जाकर पहले अंत:पुर में और बाद में अशोक वाटिका में बंदी बनाकर रखा।

प्रश्न 12.
रावण चिंतित क्यों हो गया? उसने क्या किया?
उत्तर:
सीता ने राम के बल पौरुष की खूब प्रंशसा की और कहा, राम तुम्हारा संहार कर देंगे। यह सुनकर रावण चिंतित हो गया। उसने अपने आठ शक्तिशाली राक्षसों को बुलाकर पंचवटी भेजा और राम-लक्ष्मण पर निगरानी रखने को कहा।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
रावण ने सीता हरण के लिए क्या किया?
उत्तर:
रावण सीता-हरण के लिए मायावी मारीच को अपने साथ लाया था। मारीच ने सोने के हिरण का रूप धारण कर लिया और राम की कुटिया के आस-पास घूमने लगा। सीता उसे देखकर मुग्ध हो गई और उसे पकड़ने के लिए उन्होंने राम से अनुरोध किया। राम को कुटी से निकलते देख मायावी हिरण जोर-जोर से दौड़ने लगा और वह उन्हें दूर तक ले गया। राम जब उसे पकड़ने में असफल रहे तब उन्होंने उस पर बाण छोड़ दिया जिससे वह ज़मीन पर गिर पड़ा। उसने अपने असली रूप में वापस आकर कहा हा सीते! हा लक्ष्मण! की ऐसी आवाज़ निकाली जैसे वह आवाज़ राम की हो। जिसे सुन सीता ने लक्ष्मण को राम की सहायता के लिए जाने पर मजबूर किया। लक्ष्मण के वहाँ से जाते ही रावण सीता का हरण करने में सफल हो गया।

प्रश्न 2.
मारीच की मायावी पुकार सुनकर लक्ष्मण और सीता पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
मायावी मारीच की पुकार सुनकर लक्ष्मण ने अपनी चौकसी बढ़ा दी। वह राक्षसों की अगली चाल की प्रतीक्षा कर रहे थे लेकिन सीता वह आवाज़ सुनकर विचलित हो गईं। वह घबरा गईं। उन्होंने लक्ष्मण से कहा तुम जल्दी से उस दिशा में जाओ जिधर से आवाज़ आई है। तुम्हारे भाई बड़े परेशानी में फंस गए हैं। उन्होंने सहायता के लिए पुकारा है। जब लक्ष्मण ने इसे मायाबी चाल बताया तो सीता बुरा-भला कहने लगी तथा क्रोधित हो गईं। वे लक्ष्मण के मन में पाप बताने लगीं। उन्हें भरत का गुप्तचर बता दिया। लाचार होकर लक्ष्मण को जाना ही पड़ा।

प्रश्न 3.
लक्ष्मण के राम की खोज में जाने के बाद रावण ने क्या किया?
उत्तर:
कुटी से लक्ष्मण के जाते ही रावण तपस्वी के वेश में वहाँ आ पहुँचा। सीता ने साधु रूप में उनका स्वागत करना चाहा तो उसने सीता को अपना परिचय देते हुए कहा कि मैं लंकाधिपति रावण स्वयं यहाँ तुम्हें लेने आया हूँ। मेरे साथ चलो। मैं तुम्हें रानी बनाकर रखूगा। यह सुनकर सीता गुस्से में आ गईं। वह कहने लगीं-मैं प्राण त्याग दूंगी, पर तुम्हारे साथ नहीं जाऊँगी। रावण ने सीता की एक नहीं सुनी। उसने उन्हें खींचकर रथ पर बिठा लिया और रथ को लंका की ओर लेकर चल पड़ा।

प्रश्न 4.
सीता ने रावण से बचाव की आशा न देख पाने के बाद क्या किया?
उत्तर:
सीता ने रावण के चुंगल से छूटने का काफ़ी प्रयास किया। गिद्धराज जटायु ने भी सीता को रावण से छुड़ाने का काफ़ी प्रयास किया, लेकिन सीता रावण से नहीं छूट पाई। रथ टूटने पर रावण ने सीता को तुरंत बाँहों में दबाया और दक्षिण दिशा की ओर उड़ने लगा। यह देखकर सीता को रावण से बचने की आशा नहीं रही। उन्होंने तब अपने अभूषण उतारने प्रारंभ किए और उन्हें नीचे फेंकना शुरू किया, ताकि राम को उसका पता चल जाए। आभूषण बंदरों ने उठा लिए। उन्हें आशा थी कि बानरों के पास ये आभूषण देखकर राम को पता चल जाएगा कि सीता किस मार्ग से गई हैं।

प्रश्न 5.
सीता ने रावण से राम के पराक्रम के बारे में क्या कहा?
उत्तर:
सीता बार-बार रावण को धिक्कारती रहीं। वे कहती रहीं कि तुम राम की शक्ति को नहीं जानते। वे तुम्हें अपनी दृष्टि से जलाकर राख कर देंगे। तेरा सारा वैभव मेरे लिए अर्थहीन है। तूने पाप किया है, राम के हाथों तेरा अंत निश्चित है। राम की इतनी प्रशंसा सुनकर रावण कुछ चिंतित हो गया।

प्रश्न 6.
जटायु कौन था? उसने रावण पर हमला क्यों किया?
उत्तर:
जटायु एक गिद्ध था। वह राम के पिता राजा दशरथ का मित्र था। रावण जब सीता को छल एवं बलपूर्वक हरण कर वायुमार्ग से ले जा रहा था तब उसने सीता का विलाप सुनकर ऊँची उड़ान भरी और रावण के रथ पर हमला कर दिया और रावण के रथ को क्षत-विक्षत कर दिया। रावण भी घायल हो गया। क्रोध में रावण ने जटायु के पंख काट डाले। जटायु ज़मीन पर आ गिरा और वह भी घायल हो गया।

प्रश्न 7.
रावण ने राक्षस-राक्षसियों को क्या निर्देश दिया?
उत्तर:
रावण ने राक्षस-राक्षसियों से कहा कि सीता को चोट न पहुँचाएँ, केवल उनको अपमानित करने का प्रयास करें।

प्रश्न 8.
सीता से राम के बल-पौरुष की प्रशंसा सुनकर रावण पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
सीता से राम के बल-पौरुष की प्रशंसा सुनकर रावण चिंतित हो गया। उसने आठ बलिष्ठ राक्षसों को राम-लक्ष्मण की निगरानी करने के लिए भेजा। उसने यह भी आदेश दिया कि मौका मिलते ही उनका वध कर दे।

प्रश्न 9.
रावण ने सीता को कहाँ रखा? वहाँ पहरेदार को क्या निर्देश था?
उत्तर:
रावण ने सीता को अंत:पुर से निकालकर अशोक वाटिका में बंदी बना दिया। उस पर पहरा कड़ा कर दिया गया। उसने राक्षस-राक्षसियों को स्पष्ट निर्देश दिए-सीता को किसी तरह का कष्ट न हो। इसके मन को दुख पहुँचाओ, अपमानित करो, लेकिन सीता को कोई हाथ न लगाए।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मायावी हिरण की क्रियाकलापों का वर्णन करें तथा उसका क्या परिणाम हुआ?
उत्तर:
मायावी हिरण मारीच राम को कुटी से बाहर निकलते देखकर कुलाँचें भरने लगा। राम उसके पीछे भागने लगे। उसने राम को बहुत छकाया और झाड़ियों में लुकता-छिपता उन्हें अपने पीछे-पीछे कुटी से बहुत दूर ले गया। वह बराबर लुका-छिपी का खेल खेलता रहा। कभी पास आता और राम जब उसे पकड़ने का प्रयास करते तो दूर चला जाता। अंततः राम ने उसे जीवित पकड़ने का विचार त्याग दिया। उन्होंने धनुष से एक बाण मार दिया। बाण लगते ही हिरण धरती पर गिर पड़ा और वह ज़ोर से चिल्लाया-हा सीते! हा लक्ष्मण! ऐसे कहते समय उसने अपनी आवाज़ राम जैसी बना ली थी। उसकी आवाज़ ऐसी थी जैसे राम ही घायल होकर सहायता के लिए आवाज़ लगा रहे हों। इसके कुछ देर बाद ही प्राण निकल गए। इसका नतीजा यह रहा कि लक्ष्मण को सीता को अकेला छोड़ राम की खोज में निकलना पड़ा। सीता को अकेली देखकर रावण ने तपस्वी-वेश में वहाँ आकर छल से उनका हरण कर लिया।

प्रश्न 2.
सीता को लंका लेकर आने के बाद रावण ने क्या प्रयास किया?
उत्तर:
लंका में रावण ने सीता को अपने धन-वैभव सोहरत एवं शक्ति से प्रभावित करने का प्रयास किया। रावण सीता को लेकर अपने अंत:पुर में गया। राक्षसियों को सीता की निगरानी करने को कहा। फिर रावण ने धमकाते हुए सीता से कहा-सुंदरी। तुम्हें एक वर्ष का समय देता हूँ। निर्णय तुम्हें करना है। मेरी रानी बनकर लंका में राज करोगी या विलाप करते हुए जीवन बिताओगी। जब सीता ने बार-बार राम का गुणगान किया तब रावण ने क्रोध में कहा-“तुम्हारा राम यहाँ कभी नहीं पहुँच सकता। अब तुम्हें कोई नहीं बचा सकता। तुम्हारी रक्षा केवल मैं कर सकता हूँ। मुझे स्वीकार करो और लंका में सुख से रहो।”

मूल्यपरक प्रश्न

प्रश्न 1.
अनुमान के आधार पर बताओ कि क्या होता यदि राजा दशरथ कैकेयी की प्रार्थना स्वीकार नहीं करते।
उत्तर:
यदि राजा दशरथ कैकेयी को अपना दिया हुआ वचन पूरा नहीं करते तो राम का राज्याभिषेक होता और अयोध्या के राजा बनते। राम को चौदह साल वनवास नहीं होता तथा सीता का हरण नहीं होता। अगर सीता का हरण नहीं होता तो राम-रावण का युद्ध नहीं होता। राम अगर वन नहीं जाते तो राक्षसों एवं रावण का संहार नहीं होता।

प्रश्न 2.
आपने बहुत-सी पौराणिक कथाएँ और लोक कथाएँ पढ़ी होंगी। उनमें क्या अंतर होता है? यह जानने के लिए पाँच पाँच के समूह में कक्षा के बच्चे दो-दो पौराणिक कथाएँ इकट्ठा करें।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

अभ्यास प्रश्न

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. मारीच रावण का कौन था?
2. मारीच ने रावण को क्या समझाया?
3. मारीच किस रूप में पंचवटी गया?
4. बाण लगने पर मायावी हिरण ने क्या किया?
5. रावण के साथ किस पक्षी का युद्ध हुआ?
6. सीता ने अपने आभूषण उतारकर नीचे क्यों फेंके?
7. रावण चिंतित क्यों हो गया? उसने क्या किया?
8. रावण ने राक्षस-राक्षसियों को क्या निर्देश दिया?
9. रावण ने राक्षसियों को क्या निर्देश दिए?
10. रावण को अकंपन की क्या बात याद आ गई?
11. सीता ने लक्ष्मण को क्या धमकी दी?
12. मारीच की मायावी पुकार का लक्ष्मण और सीता पर क्या प्रभाव पड़ा?
13. हिरण को पकड़ने में राम असफल क्यों रहे?
14. सीता के क्रोध का क्या कारण था?
15. लक्ष्मण सीता को अकेला छोड़ने पर क्यों विवश हो गए?

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. सीता ने राम के पराक्रम के बारे में क्या कहा?
2. मायावी हिरण की गतिविधियों का वर्णन करें तथा बताएँ कि उसका क्या परिणाम हुआ?
3. रावण ने किस प्रकार सीता का हरण किया?
4. असहाय सीता को अपने बचाव का क्या उपाय नज़र आया? रावण ने इसका विरोध क्यों नहीं किया?
5. सीता को लंका पहुँचाकर रावण ने क्या प्रयास किया?

Bal Ram Katha Class 6 Chapter 7 Summary

राम को कुटी से निकलते देखकर मायावी हिरण कुलांचे भरने लगा। उसने राम को बहुत छकाया। राम को वह बहुत दूर ले गया। हिरण को पकड़ने के राम के सारे प्रयास विफल हुए। राम ने उसे जीवित पकड़ने का प्रयास छोड़ दिया। उन्होंने उस पर बाण चलाए। हिरण बाण लगते ही धरती पर गिर पड़ा। जमीन पर गिरते ही मारीच असली रूप में आ गया। उसने अपना रूप बदला और आवाज़ भी बदल ली। वह राम की सी आवाज़ में जोर से चिल्लाया-‘हा सीते! हा लक्ष्मण!’ ध्वनि ऐसी थी मानो राम सहायता के लिए पुकार रहे हों। मारीच के प्राण पखेरू उड़ गए। मारीच की आवाज़ सुनकर राम को समझने में देर नहीं लगी वे तुरंत तेज़ कदमों से कुटिया की ओर बढ़े।

मारीच की पुकार सीता और लक्ष्मण ने भी सुनी। लक्ष्मण रहस्य समझ गए और चौकसी बढ़ा दिए। इधर रावण एक विशाल पेड़ के नीचे खड़ा था। उसका प्रपंच सफल होने पर था। रावण को अकंपन की बात स्मरण हो गई कि सीता का अपहरण होने पर राम के प्राण निकल जाएँगे। उधर सीता वह आवाज़ सुनकर विचलित हो गईं। उन्होंने लक्ष्मण से कहा-“तुम जल्दी जाओ। तुम्हारे भाई किसी कठिन संकट में फँस गए हैं। जाओ, लक्ष्मण जल्दी।” लक्ष्मण ने सीता को समझाया कि राम संकट में नहीं हैं। उनका कोई कुछ नुकसान नहीं कर सकता। वह आवाज़ मायावी राक्षसों की चाल है। इस पर सीता का क्रोध और बढ़ गया। क्रोध में आँखों से आँसू बहने लगे। उन्होंने लक्ष्मण को भला-बुरा कहा तथा उन पर भरत के गुप्तचर होने का भी आरोप लगा दिया। सीता की बातों से लक्ष्मण काफ़ी आहत हो गए। लक्ष्मण चुप-चाप सिर झुकाकर खड़े थे। वे बार-बार सीता को समझाने का प्रयास करते रहे कि यह राक्षसों की चाल है, लेकिन सीता ने एक भी नहीं मानी और कहने लगीं कि-“मैं राम के बिना नहीं रह सकती। अपनी जान दे दूंगी। लक्ष्मण तुम जाओ और राम को जल्दी ले आओ।” इसके बाद लक्ष्मण ने सीता को प्रणाम किया और राम की खोज में निकल पड़े। लक्ष्मण के जाते ही रावण आ पहुँचा। रावण गेरुआ वस्त्र पहने कुटिया के पास आया। सीता ने साधु समझकर उसका स्वागत किया। रावण ने सीता की खूब प्रशंसा की और लंका में जाकर रहने को कहा। उसने कहा-तुम सोने की लंका में मेरी रानी बनकर रहोगी। सीता क्रोधित हो उठीं। वे बोलीं-मैं प्राण त्याग दूंगी पर तुम्हारे साथ नहीं जाऊँ गी। रावण ने सीता की बात अनसुनी कर दी। उसने सीता को खींचकर रथ में बिठा लिया। सीता उसके चंगुल से बचने का प्रयास करती रही लेकिन सब व्यर्थ हुआ। वे राम और लक्ष्मण को पुकारती रहीं। वह विलाप करती रहीं-हा राम! हा लक्ष्मण! रावण का रथ लंका की ओर उड़ चला।

मार्ग में वे पशुओं, पक्षियों, पर्वतों से कहती जा रही थीं कि कोई राम को बता दे कि रावण ने उसका हरण कर लिया है। गिद्ध राज जटायु ने सीता का विलाप सुना और तुरंत रावण के रथ पर हमला किया। क्रोध में रावण ने उसके पंख काट दिए। अतः वह धरती पर आ गिरा। रावण का रथ टूट गया था। अतः वह उड़ान नहीं भर सकता था। उसने तत्काल सीता को अपनी बाँहों में दबाया और दक्षिण दिशा की ओर उड़ने लगा। सीता किसी तरह राम के पास सूचना पहुँचाना चाहती थीं। उन्होंने अपने आभूषण उतार कर नीचे फेंकने शुरू कर दिए ताकि राम को उसका पता चल जाए। रावण ने सीता को आभूषण फेंकने से नहीं रोका। उसे लगा कि सीता दुखी होकर ऐसा कर रही हैं।

कुछ समय में रावण लंका पहुँच गया। वह सीधा अंत:पुर गया। वह अपने धन वैभव से सीता को प्रभावित करना चाहता था। उसने सीता से कहा-मैं तुम्हें एक वर्ष का समय देता हूँ। निर्णय तुम्हें करना है। मेरी रानी बनकर लंका में राज करोगी या विलाप करते हुए जीवन बिताओगी? ‘सीता बार-बार रावण को धिक्कारती रही और राम का गुणगान करती रही। उसने रावण को चेतावनी भरे स्वर में कहा। ‘राम तुझे अपनी दृष्टि से जलाकर राख कर सकते हैं। उनकी शक्ति देवता स्वीकार करते हैं। मैं उस राम की पत्नी हूँ, जिसके तेज के आगे कोई ठहर नहीं सकता। तेरा सारा वैभव मेरे लिए बेकार है। राम के हाथों तेरा संहार निश्चित है। सीता बार-बार धिक्कारती रहीं और राम का गुणगान करती रहीं। राम का गुणगान सुनकर रावण चिंतित हो गया। उसने आठ राक्षसों को बुलाकर पंचवटी भेज दिया ताकि वे राम-लक्ष्मण पर निगरानी रख सकें। इधर रावण ने सीता को अंत:पुर से निकालकर अशोक वाटिका में बंदी बना दिया। उसने अनेक प्रयत्न किए पर सीता का मन नहीं बदला। वह रो-रोकर दिन काट रही थीं। रावण ने राक्षस-राक्षसियों को आदेश दिया कि सीता को कोई शारीरिक प्रताड़ना मत देना उसके मन को ठेस पहुँचाओ, अपमानित करो। रावण ने सब किया पर सीता बार-बार राम का नाम लेती रहीं।

शब्दार्थ:

पृष्ठ संख्या 41
कुलांचे भरना – बहुत तेज़ दौड़ना। छकाया – थकाना। प्रयास – प्रयत्न, कोशिश। निशाना साधा – निशाना लगाया। प्राण-पखेरू उड़ना – मर जाना, मृत्यु होना। निशक्त – कामचोर। मंशा – इरादा, इच्छा।

पृष्ठ संख्या 43
रहस्य – राज, गुप्त बात। चौकसी – सावधानी। चूक – गलती। विचलित – बेचैन। आश्वस्त करना – विश्वास दिलाना। हितैषी – हित चाहने वाला। कलुषित – गंदा, अपवित्र । गुप्तचर – जासूस। आघात – दुख, चोट। पलटकर – मुड़कर। बौखलाना – क्रोधित होना। पीड़ा – तकलीफ।

पृष्ठ संख्या 45
विछोह – वियोग। साहस – हिम्मत। सुमुखी – सुंदर मुखवाली। क्रोधित – गुस्से में। ताकतवर। सर्वनाश – पूरी बर्बादी। प्रयास – कोशिश। असहाय – बेबस। विलाप करना – रोने-पीटने लगना। महाबलशाली – बहुत ताकतवर। वृद्ध – बूढ़ा। क्षतविक्षत – घायल।

पृष्ठ संख्या 46
आभूषण – जेवर। शोक – दुख। निर्णय – फैसला। दृष्टि – नज़र। अर्थहीन – बेकार। बलिष्ठ – ताकतवर। स्पष्ट – साफ़। निर्देश – आदेश।

पृष्ठ संख्या 47
सहमी – डरी हुई।