संस्कृत साहित्य में महिलाओं का क्या योगदान है? - sanskrt saahity mein mahilaon ka kya yogadaan hai?

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इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड संस्‍कृत कक्षा 10 पाठ चार संस्‍कृत साहित्‍ये लेखिका: (Sanskrit sahitya lekhika class 10) के प्रत्‍येक पंक्ति के अर्थ के साथ उसके वस्‍तुनिष्‍ठ और विषयनिष्‍ठ प्रश्‍नों के व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे।

संस्कृत साहित्य में महिलाओं का क्या योगदान है? - sanskrt saahity mein mahilaon ka kya yogadaan hai?

4. संस्‍कृत साहित्‍ये लेखिका:
(संस्‍कृत साहित्‍य की लेखिकाएँ)

विपुलं संस्कृतसाहित्यं विभिन्नैः कविभिः शास्त्रकारैश्च संवर्धितम्। वैदिकालादारभ्य शास्त्राणां काव्यानांञ्च रचने संरक्षणे यथा पुरुषाः दत्तचिताः अभवन् तथैव स्त्रियोऽपि दत्तावधानाः प्राप्यन्ते। वैदिकयुगे मन्त्राणां दर्शका न केवला ऋषयः, प्रत्युत ऋषिका अपि सन्ति। ऋग्वेदे चतुर्विंशतिरथर्ववेदे च पञ्च ऋषिकाः मन्त्रदर्शनवत्यो निर्दिश्यन्ते यथा- यमी, अपाला, उर्वशी, इन्द्राणी, वागाम्भृणी इत्यादयः।
विशाल संस्कृत साहित्य अनेक कवियों तथा शास्त्रकारों द्वारा अत्यधिक समृद्ध किया गया। वैदिक काल के आरंभ से ही शास्त्रों तथा काव्यों की रचना और संरक्षण में पुरूष के समान स्त्रीयाँ भी सावधान थी। वैदिक युग में ऋषि एवं ऋषि-पत्नी दोनों ही मंत्रों की रचना करते थे। ऋगवेद में चौबीस और अथर्ववेद में पाँच ऋषि-पत्नियाँ उल्लिखित हैं- यमी, अपाला, उर्वशी, इन्द्राणी, वागाम्भृणी आदि-आदि।

बृहदारण्यकोपनिषदि याज्ञवल्क्यस्य पत्नी मैत्रेयी दार्शनिकरुचिमती वर्णिता यां याज्ञवल्क्य आत्मतत्‍वं शिक्षयति। जनकस्य सभायां शास्त्रार्थकुशला गार्गी वाचक्नवी तिष्ठति स्म। महाभारतेऽपि जीवनपर्यन्तं वेदान्तानुशीलनपरायाः सुलभाया वर्णनं लभ्यते।
वृहदारण्यक उपनिषद में याज्ञवल्क्य की पत्नी मैत्रेयी दार्शनिक रूप में वर्णित की गई है। जिनको याज्ञवल्क्य जी ने आत्मतत्‍व की शिक्षा देते हैं। जनक की सभा में शास्त्रार्थ कुशल गार्गी नामक विदुषी रहती थी। महाभारत में भी जीवन-पर्यन्त वेदान्त अध्ययन में स्त्रियाँ रही। यह बात आसानी से वर्णन में मलती है।

लौकिकसंस्कृतसाहित्ये प्रायेण चत्वारिंशत्कवयित्रीणां सार्धशतं पद्यानि स्फुटरूपेण इतस्ततो लभ्यन्ते। तासु विजयाङ्का प्रथम-कल्पा वर्तते। सा च श्यामवर्णासीदिति पद्येनानेन स्फुटीभवति-
लौकिक संस्कृत साहित्य में प्रायः चालीस कवयित्रीयों का डेढ़ सौ पदें स्पष्टरूप से जहाँ-तहाँ प्राप्त हैं। उनमें विजयाङ्का का प्रथम कल्प है। वह श्यामवर्ण की थी। यह इस पद से स्पष्ट होता है।

नीलोत्पलदलश्यामां विजयाङ्कामजानता।
वृथैव दण्डिना प्रोक्ता ‘सर्वशुक्ला सरस्वती‘।।

नीले कमल के समान श्यामवर्ण की विजयाङ्का को न जानते हुए सरस्वती को सर्वशुक्ला दण्डी द्वारा व्यर्थ ही कहा गया।

तस्याः कालः अष्टमशतकमित्यनुमीयते। चालुक्यवंशीयस्य चन्द्रादित्यस्य राज्ञी विजयभट्टारिकैव विजयाङ्का इति मन्यते। किञ्च शीला भट्टारिका, देवकुमारिका, रामभद्राम्बा-प्रभृतयो दक्षिणभारतीयाः संस्कृतलेखिकाः स्वस्फुटपद्यैः प्रसिद्धाः।
उनका समय आठवीं शताब्दी अनुमान किया जाता है। अनेक विद्वानों का मानना है कि चालुक्यवंश के राजा चन्द्रादित्य की रानी विजय भट्टारिका ही विजयाङ्का है। कुछ और शीला भट्टारिका, देवकुमारिका, रामभद्राम्बा आदि दक्षिण भारतीय संस्कृत लेखिकाओं की कविताएँ प्रसिद्ध है।

विजयनगरराज्यस्य नरेशाः संस्कृतभाषासंरक्षणाय कृतप्रयासा आसन्निति विदितमेव। तेषामन्तःपुरेऽपि संस्कृतरचनाकुशलाः राज्ञयोऽभवन्। कम्पणरायस्य ( चतुर्दशशतकम् ) राज्ञी गंगादेवी ‘मधुराविजयम्‘ इति महाकाव्यं स्वस्वामिनो (मदुरै)- विजयघटनामाश्रित्यारचयत्। तत्रालङ्काराणां संनिवेशः आवर्जको वर्तते।
विजयनगर के राजा ने संस्कृत भाषा की रक्षा के लिए जितना प्रयास किया, वह ज्ञात ही है। उनके अन्तःपुर में संस्कृत के कुशल रचनाकार हुए। चौदहवीं शताब्दी में कम्पन राय की रानी गंगा देवी मधुरा विजयम् नामक महाकाव्य की अपने स्वामी विजयघटना के आश्रय में रचना की। उसमें अलंकारां का सुन्दर प्रयोग हुआ है।

तस्मिन्नेव राज्ये षोडशशतके शासनं कुर्वतः अच्युतरायस्य राज्ञी तिरुमलाम्बा वरदाम्बिकापरिणय- नामकं प्रौढ़ं चम्पूकाव्यमरचयत्। तत्र संस्कृतगद्यस्य छटा समस्तपदावल्या ललितपदविन्यासेन चातीव शोभते। संस्कृतसाहित्ये प्रयुक्तं दीर्घतमं समस्तपदमपि तत्रैव लभ्यते।
उनके ही राज्य में सोलहवीं शताब्दी में राज्य करते हुए अच्युत राय की रानी तिरूमलाम्बा ने वरदाम्बिका परिणय नामक विशाल चम्पुकाव्य की रचना की। उसमें संस्कृत गद्य की छटा तथा सुन्दर पदविन्यास अति रमणीय हैं। संस्कृत साहित्य में लम्बे समस्त पद का प्रयोग उसी में हुआ है।

आधुनिककाले संस्कृतलेखिकासु पण्डिता क्षमाराव (1890-1953 ई॰) नामधेया विदुषी अतीव प्रसिद्धा। तया स्वपितुः शंकरपाण्डुरंगपण्डितस्य महतो विदुषो जीवनचरितं ‘शंकरचरितम्‘ इति रचितम्।
आधुनिक काल में संस्कृत लेखिकाओं में पंडित क्षमाराव नाम की विदुषी बहुत प्रसिद्ध है। उन्होनें अपने पिता पंडित शंकर पाण्डुरंग की महान विद्वता जीवन चरित पर ‘शंकर चरितम्‘ की रचना की।

गान्धिदर्शनप्रभाविता सा सत्याग्रहगीता, मीरालहरी, कथामुक्तावली, विचित्रपरिषद्यात्रा, ग्रामज्योतिः इत्यादीन् अनेकान् पद्य-पद्यग्रन्थान् प्रणीतवती। वर्तमानकाले लेखनरतासु कवयित्रीषु पुष्पादीक्षित-वनमाला भवालकर – मिथिलेश कुमारी मिश्र-प्रभृतयोऽनुदिनं संस्कृतसाहित्यं पूरयन्ति।
गाँधी दर्शन से प्रभावित होकर उन्होने सत्याग्रहगीता, मीरालहरी, कथा मुवक्ताली, विचित्र परिषद्यात्रा, ग्रामज्योति इत्यादि अनेक गद्य-पद्य की रचना की। इस समय लेखन कार्य में संलग्न कवित्रियों में पुष्पादीक्षित, वनमाला भवालकर, मिथिलेश कुमारी मिश्र आदि आए दिन संस्कृत साहित्य को पूरा करते है। Sanskrit sahitya lekhika class 10

संस्कृतसाहित्ये लेखिकाः (Objective Questions)

प्रश्‍न 1. याज्ञवल्क्य ने की शिक्षा किसको दी थी ?
(A) मैत्रेयी को
(B) बाणभट्ट को
(C) जनक को
(D) दाण्डी को
उत्तर-(A) मैत्रेयी को

प्रश्‍न 2. ‘सर्वशुक्ला सरस्वती‘ किसने कहा है ?
(A) याज्ञवल्क्य ने
(B) बाणभट्ट ने
(C) जनक ने
(D) दण्डी ने
उत्तर-(D) दण्डी ने

प्रश्‍न 3. ‘शंकरचरित‘ के रचनाकार कौन है ?
(A) पण्डिता क्षमाराव
(B) वनमाला भवालकर
(C) विजयाङ्का
(D) मिथिलेश कुमारी मिश्र
उत्तर-(A) पण्डिता क्षमाराव

प्रश्‍न 4. जनक की सभा में शास्त्रार्थ कुशला कौन थी ?
(A) शुलभा
(B) गार्गी
(C) मैत्रेयी
(D) यमी
उत्तर-(B) गार्गी

प्रश्‍न 5. गंगा देवी का समय क्या है ?
(A) चौदहवीं सदी
(B) आठवीं सदी
(C) नौवीं सदी
(D) बारहवीं सदी
उत्तर-(A) चौदहवीं सदी

प्रश्‍न 6. ऋगवेद में कितने मन्त्रदर्शनवती ऋषिकाओं का उल्लेख है ?
(A) पंच
(B) चतुर्विंशतिः
(C) विंशतिः
(D) चत्वारिंशत्
उत्तर-(B) चतुर्विंशतिः

प्रश्‍न 7. आधुनिक काल की संस्कृत कवयित्री कौन हैं?
(A) तिरुमलम्बा
(B) विजयाङका
(C) सुलभा
(D) पण्डिता क्षमाराव
उत्तर-(D) पण्डिता क्षमाराव

प्रश्‍न 8. याज्ञवल्क्य की पत्नी कौन है ?
(A) मैत्रेयी
(B) सुलभा
(C) देवकुमारिका
(D) रामभद्राम्बा
उत्तर-(A) मैत्रेयी

प्रश्‍न 9. महाभारत में किस लेखिका का उल्लेख मिलता है ?
(A) गार्गी का
(B) मैत्रेयी का
(C) सुलभा का
(D) यमी का
उत्तर-(C) सुलभा का

प्रश्‍न 10. वर्त्तमान काल की संस्कृत लेखिका कौन है ?
(A) गंगा देवी
(B) सुलभा
(C) मिथिलेश कुमारी मिश्र
(D) विजयांका
उत्तर-(C) मिथिलेश कुमारी मिश्र

प्रश्‍न 11. विजयांका का काल किस शतक में माना जाता है?
(A) पंचम
(B) सप्तम
(C) अष्ठम
(D) नवम
उत्तर-(C) अष्ठम

प्रश्‍न 12. आधुनिक काल की संस्कृत लेखिकाओं में कौन अतीव प्रसिद्ध है ?                               
(A) क्षमाराव
(B) मैत्रेयी
(C) आभाराव
(D) विजयांका
उत्तर-(A) क्षमाराव

प्रश्‍न 13. वनमाला भवालकर किस काल की संस्कृत कवयित्री है ?
(A) प्राचीनकाल
(B) अति प्राचीनकाल
(C) मध्यकाल
(D) वर्त्तमान काल
उत्तर-(D) वर्त्तमान काल

प्रश्‍न 14. याज्ञवल्क्य अपनी पत्नी मैत्रेयी को किसकी शिक्षा देते हैं ?
(A) भारतीय संस्कार
(B) न्याय-योग
(C) आत्म तत्व
(D) सांख्य
उत्तर-(C) आत्म तत्व

प्रश्‍न 15. विजय भट्टारिका किसकी पत्नी थी ?
(A) चन्द्रादित्य
(B) चन्द्रगुप्त
(C) चन्द्रकिशोर
(D) अच्युत राय
उत्तर-(A) चन्द्रादित्य

प्रश्‍न 16. पण्डिता क्षमाराव द्वारा रचित ‘सत्याग्रह गीता‘ किसके दर्शन द्वारा प्रभावित है ?
(A) महात्मा गाँधी
(B) जवाहर लाल नेहरू
(C) रानी लक्ष्मीबाई
(D) इन्दिरा गाँधी
उत्तर-(A) महात्मा गाँधी

Chapter 4 संस्कृतसाहित्ये लेखिका: Subjective Questions
(संस्कृत साहित्य की लेखिकाएँ)

लघु-उत्तरीय प्रश्‍नोत्तर (20-30 शब्‍दों में) ____दो अंक स्‍तरीय
प्रश्‍न 1. उपनिषद् में नारियों के योगदान काउल्लेख करें। (2018C)
उत्तर- वृहदारण्यकोपनिषद् में याज्ञवल्क्य की पत्नी मैत्रेयी की दार्शनिकरुचि का वर्णन है। जनक की सभा में गार्गी प्रसिद्ध थी।

प्रश्‍न 2. संस्कृतसाहित्ये लेखिकाः पाठ से हमें क्या संदेश मिलता है?
उत्तर- इस पाठ के द्वारा संस्कृत साहित्य के विकास में महिलाओं के योगदान के बारे में ज्ञात होता है। वैदिक युग से आधुनिक समय तक ऋषिकाएँ, कवयित्री, लेखिकाएँ संस्कृत साहित्य के संवर्धन में अतुलनीय सहभागिता प्रदान करती रही हैं। संस्कृत लेखिकाओं की सुदीर्घ परम्परा है। संस्कृत भाषा के समृद्धि में पुरुषों के समान महिलाएँ भी चलती रही हैं।

प्रश्‍न 3. विजयनगर राज्य में संस्कृत भाषा की क्या स्थिति थी? तीन वाक्यों में उत्तर दें। (2012C)
उत्तर- विजयनगर के सम्राट् संस्कृत भाषा के संरक्षण के लिए किए गए प्रयास बहुत ही सराहनीय है। उनके अन्तःपुर में भी संस्कृत रचना में कुशल रानियाँ थीं। महारानी विजयभट्टारिका ने बहुत सारे संस्‍कृत साहित्‍य की रचना की।

प्रश्‍न 4. ‘संस्कृतसाहित्ये लेखिकाः’ पाठ में लेखक ने क्या विचार व्यक्त किए हैं?
उत्तर- ‘संस्कृतसाहित्येलेखिकाः’ पाठ में लेखक का विचार है कि प्राचीन काल से लेकर आज तक महिलाओं ने संस्कृतसाहित्य में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। दक्षिण भारत की महान साहित्यकार महिलाओं ने भी संस्कृत साहित्य को समृद्ध बनाया।

प्रश्‍न 5. संस्कृत में पण्डिता क्षमाराव के योगदान का वर्णन करें। (2018A)
उत्तर- संस्कृतसाहित्य में आधुनिक समय की लेखिकाओं में पण्डिता क्षमाराव अति प्रसिद्ध हैं। उन्होंने शंकरचरितम्, सत्याग्रहगीता, मीरालहरी, कथामुक्तावली, विचित्र-परिषद् यात्रा, ग्रामज्योति इत्यादि अनेक गद्य-पद्य ग्रन्थों की रचना की। वर्तमान काल में लेखनरत कवत्रियों में पुष्पा दीक्षित, वनमाला भवालकर, मिथिलेश कुमारी मिश्र आदि प्रतिदिन संस्कृत साहित्य को समृद्ध कर रही है।

संस्कृत साहित्य में स्त्रियों का क्या भूमिका है?

संस्कृत साहित्य में प्रयुक्त गृहिणी और दंपती जैसे शब्द घर पर स्त्री के स्वामित्व के बोधक रहे हैं। मातृसत्ताक समाजों में स्त्री अपने घर की मालकिन है, घर का प्रबंध वही करती है, कमाई भी वह अपने पास रखती है। अपना पुरुष या पति चुन कर उसे अपने घर ला कर रखने का अधिकार भी वह रखती है।

संस्कृत साहित्य का क्या महत्व है?

संस्कृत साहित्य का महत्त्व विश्वभर की समस्त प्राचीन भाषाओं में संस्कृत का सर्वप्रथम और उच्च स्थान है। विश्व-साहित्य की पहली पुस्तक ऋग्वेद इसी भाषा का देदीप्यमान रत्न है। भारतीय संस्कृति का रहस्य इसी भाषा में निहित है। संस्कृत का अध्ययन किये बिना भारतीय संस्कृति का पूर्ण ज्ञान कभी सम्भव नहीं है।

संस्कृत साहित्य लेखिका पाठ में क्या संदेश दिया गया है?

संस्कृतसाहित्ये लेखिकाः पाठ से हमें क्या संदेश मिलता है? उत्तर- इस पाठ के द्वारा संस्कृत साहित्य के विकास में महिलाओं के योगदान के बारे में ज्ञात होता है। वैदिक युग से आधुनिक समय तक ऋषिकाएँ, कवयित्री, लेखिकाएँ संस्कृत साहित्य के संवर्धन में अतुलनीय सहभागिता प्रदान करती रही हैं। संस्कृत लेखिकाओं की सुदीर्घ परम्परा है।

संस्कृत साहित्य लेखिका के लेखक कौन है?

6. संस्कृतसाहित्य में आधुनिक समय के लेखिकाओं के योगदानों की चर्चा करें। उत्तर– संस्कृतसाहित्य में आधुनिक समय की लेखिकाओं में पण्डिता क्षमाराव अति प्रसिद्ध हैं। उन्होंने शंकरचरितम्, सत्याग्रहगीता, मीरालहरी, कथामुक्तावली, विचित्र-परिषदयात्रा, ग्रामज्योति इत्यादि अनेक गद्य-पद्य ग्रन्थों की रचना की।