संस्कृत प्रत्यय कितने प्रकार के होते हैं? - sanskrt pratyay kitane prakaar ke hote hain?

संस्कृत में प्रत्यय (प्रत्यय प्रकरण)

संस्कृत प्रत्यय कितने प्रकार के होते हैं? - sanskrt pratyay kitane prakaar ke hote hain?
प्रत्यय प्रकरण

प्रतीयतेsर्थोंsमेनेति प्रत्यय:” अर्थात जिसके द्वारा अर्थ जानते है उसी को प्रत्यय कहते हैं ।

संस्कृत प्रत्यय की परिभाषा

प्रत्यय वे शब्द होते हैं जो किसी शब्द के अंत में जुड़कर नए शब्दों का निर्माण करते है । जैसे – भू + क्त = भूत:, भू + तव्य = भवितव्य, भू + तुमुन् = भवितुम् आदि ।

उपसर्ग की तरह प्रत्यय भी नए शब्दों के निर्माण में अहम् भूमिका निभाते हैं। उपसर्ग को अव्यय कह सकते  हैं  पर अव्यय के साथ ऐसा नहीं होता है। उपसर्गों का प्रयोग पहले परन्तु प्रत्यय का प्रयोग बाद में होता है।  उपसर्गों के प्रयोग से मूल शब्दों के अर्थ में परिवर्तन आ जाता है। परन्तु प्रत्यय के प्रयोग होने से शब्द का अर्थ मूल शब्द के समान ही रहता  है।

प्रत्यय के प्रकार या भेद

संस्कृत में प्रत्यय पांच प्रकार के होते हैं – सुप् , तिड् , क्रत् , तध्दित् और स्त्री ।

  1. सुप् प्रत्यय (सुबन्त प्रकरण) – ये संज्ञा पदों में नाम विभक्ति वचन आदि के बारे में बताते है।
  2. तिड् प्रत्यय (तिड्न्त प्रकरण) – ये धातुओं के काल पुरुष आदि के बारे में बताते है।
  3. कृत् प्रत्यय – ये धातुओं के नामपद (संज्ञापद) बनाते हैं।
  4. तध्दित् प्रत्यय – ये नामपदों के विभिन्न रूपों के प्रयोग बताते हैं।
  5. स्त्री प्रत्यय – ये नामपदों के स्त्रीवाचक रूप बताते हैं।

संस्कृत में प्रत्यय उदाहरण

  • भू + क्त = भूत:
  • भू + तव्य = भवितव्य
  • भू + तुमुन् = भवितुम्

संस्कृत में प्रत्यय के प्रकार या भेद विस्तार से पढ़े

सुप् प्रत्यय

संज्ञा और संज्ञा सूचक शब्द सुबंत के अंतर्गत आते है। सुबंत प्रकरण को व्याकरण मे सात भागो मे बांटा गया है – नाम, संज्ञा पद, सर्वनाम पद, विशेषण पद, क्रिया विशेषण पद, उपसर्ग, निपात।…Read More!

तिड् प्रत्यय

संस्कृत व्याकरण में क्रिया के मूल-रूप (तिड्न्त) को धातु (Verb) कहते हैं। धातुएँ ही संस्कृत भाषा में शब्दों के निर्माण अहम भूमिका निभाती हैं। धातुओं के साथ उपसर्ग, प्रत्यय आदि मिलकर तथा सामासिक क्रियाओं के द्वारा सभी शब्द जैसे – संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया आदि बनते हैं। दूसरे शब्दों में- संस्कृत का लगभग हर शब्द धातुओं के रूप में अलग किया जा सकता है। कृ, भू, मन्, स्था, अन्, गम्, ज्ञा, युज्, जन्, दृश् आदि कुछ प्रमुख धातुएँ हैं। संस्कृत में लगभग 3356 धातुएं हैं।…Read More!

कृत् प्रत्यय

धातु पदों को नाम पद बनाने वाले प्रत्ययों को कृत् प्रत्यय कहते है और कृत् प्रत्यय के प्रयोग होने से जिन नए शब्दों का निर्माण होता है उन्हें कृदन्त शब्द कहते हैं। “धातुं नाम करोति इति कृत” । इस प्रत्यय को धातुज् या कृदन्त प्रत्यय भी कहते हैं। (Read More!)

जैसे:-

  • पठ (धातु) + तव्य (कृत् प्रत्यय) = पठितव्यम्
  • तेन संस्कृत पठितव्यम् । (उसे संस्कृत पढ़ना चाहिए।)

तध्दित् प्रत्यय

जो प्रत्यय धातुओं को छोड़कर अन्य सभी शब्दों (संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण आदि) के अंत में जोड़े जाते है, तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं। इन्हें तद्धितान्त (तद्धितांत प्रत्यय) प्रत्यय भी कहते हैं। (Read More!)

जैसे:-

  • इन्द्र + अण् = ऐन्द्र
  • विद्या + अण् = वैद्य

स्त्री प्रत्यय

स्त्रीलिंग बनानेवाले प्रत्ययों को ही स्त्री प्रत्यय कहते हैं। स्त्री प्रत्यय धातुओं को छोड़कर अन्य शब्दों संज्ञा विशेषण आदि सभी के अंत में जुड़े होते हैं।…Read More!

उदाहरण:-

शब्दप्रत्ययनया शब्द
अज टाप् अजा
कोकिल टाप् कोकिला
याचक टाप् याचिका
बालक टाप् बालिका
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प्रत्यय संस्कृत में कितने प्रकार के होते हैं?

प्रत्यय के प्रकार या भेद संस्कृत में प्रत्यय पांच प्रकार के होते हैं – सुप् , तिड् , क्रत् , तध्दित् और स्त्री ।

प्रत्यय कितने प्रकार के हैं?

Solution : प्रत्यय दो प्रकार के होते हैं-(i) कृत् प्रत्यय, (ii) तद्धित प्रत्यय

संस्कृत में प्रत्यय कौन कौन से हैं?

संस्कृत प्रत्यय.
2.1 1. कृत् प्रत्यय (कृदन्त) 2.1.1 i. विकारी कृत्-प्रत्यय 2.1.1.1 (1) क्रियार्थक संज्ञा 2.1.1.2 (2) कतृवाचक संज्ञा ... .
2.2 (2) तद्धित प्रत्यय 2.2.1 (2) भाव वाचक तद्धित प्रत्यय 2.2.2 (3) गुण वाचक तद्धित प्रत्यय 2.2.3 (4) अपत्य वाचक या संतान बोधक प्रत्यय 2.2.4 (5) संबंध वाचक तद्धित प्रत्यय ... .
2.3 हिन्दी व्याकरण.

प्रत्यय के कितने भाग होते हैं?

तद्धित प्रत्यय के प्रकार - तद्धित प्रत्यय 6 प्रकार के होते हैं। (ii) भाववाचक तद्धित प्रत्यय - वे प्रत्यय जो संज्ञा, सर्वनाम या विशष्े ाण क े साथ जुड़कर भाववाचक संज्ञा बनाते हैं। (iii) सम्बन्धवाचक तद्धित प्रत्यय - इन प्रत्ययों के लगने से सम्बन्ध वाचक शब्दों की रचना होती है।