सिख बीबी ने साफिया को अपने बारे में क्या बताया? Show सिख बीबी ने अपने बारे में साफिया को बताया कि वह लाहौर की रहने वाली है। जब विभाजन हुआ तब वे यहाँ आ गए। अब यहाँ कोठी है, व्यवसाय है। इसके बावजूद लाहौर की याद अब भी आती है। वह बार-बार घूम-फिर कर उसी जगह पर आ जाती है- ‘साडा लाहौर’। वह कहती है कि हमारा वतन तो लाहौर ही है। 408 Views जब साफिया अमृतसर पुल पर चढ़ रही थी तो कस्टम ऑफिसर निचली सीढ़ी के पास सिर झुकाए चुपचाप क्यों खड़े थे? साफिया जब अमृतसर पुल पर चढ़कर दूसरी तरफ जा रही थी तब कस्टम आफिसर पुल की सबसे निचली सीढ़ी के पास सिर झुकाए चुपचाप खड़े थे। उन्हें उस समय अपना वतन ढाका याद आ रहा था। वे यह अनुभव करने की कोशिश कर रहे थे कि अपने वतन में आकर कैसा लगता है। अपने वतन की चीजों का मजा ही कुछ और होता है। 342 Views ‘नमक’ कहानी को लेखक ने अपने नजरिए से अन्य पुरुष शैली में लिखा है। आप साफिया की नजर से/उत्तर पुरुष शैली में इस कहानी को अपने शब्दों में कहें। मैं एक सिख बीबी के यहाँ कीर्तन में गई हुई थी। बीबी लाहौर की रहने वाली थी और अब तक लाहौर को ही अपना वतन बताती थीं। जब उन्हें पता चला कि मैं कल लाहौर जाने वाली हूँ तो उन्होंने लाहौरी नमक की फरमाइश कर दी। मैंने इसका उनसे वायदा कर दिया। लाहौर पहुँचने पर मेरा प्रेमपूर्वक स्वागत हुआ। मेरा भाई वहाँ की पुलिस में है। मैंने उसे लाहौरी नमक की पुड़िया दिखाकर उसे भारत ले जाने की बात कही तो उसने साफ इनकार कर दिया। उसने इस काम को गैरकानूनी बताया, पर मैं तो नमक ले जाने पर तुली थी। मैंने कीनुओं की टोकरी में नमक की पुड़िया को छिपा लिया। पर मेरे मन में द्वंद्व था। मैं कोई भी काम चोरी-छिपे करने के विरुद्ध हूँ अत: मैंने अटारी में कस्टम आफिसर को नमक दिखाकर सारी बात बता दी। वह देहली का रहने वाला था और देहली को ही अपना वतन मानता था अत: उसने मुझे नमक ले जाने की इजाजत दे दी। मेरी गाड़ी अमृतसर जा पहुँची। वहाँ का कस्टम आफिसर ढाका का रहने वाला था और ढाका को ही अपना वतन मानता था। वह भी सहृदय निकला और उसने नमक लाने पर आपत्ति नहीं की। इस प्रकार मैं लाहौरी नमक भारत लाने में सफल हो गई। यह इंसानी रिश्तों की जीत थी। 652 Views नमक की पुड़िया ले जाने के संबंध में साफिया के मन में क्या द्वंद्व था? नमक की पुड़िया ले जाने के संबंध में साफिया के मन में यह द्वंद्व था कि वह इस नमक की पुड़िया को चोरी से छिपाकर ले जाए या कहकर दिखाकर ले जाए। पहले वह नमक की पुड़िया को कीनुओं के नीचे छिपाकर टोकरी में रख देती है। तब उसने सोचा इस पर भला किसकी निगाह जाएगी। इसे तो सिर्फ वही जानती है। पर जब कस्टम की जाँच के लिए उसका सामान बाहर निकाला जाने लगा तब उसने अचानक फैसला किया कि वह मुहब्बत का यह तोहफा चोरी से नहीं ले जाएगी। वह नमक की पुड़िया को कस्टमवालों को दिखाएगी। उसने किया भी ऐसा ही। 369 Views नीचे दिए गए वाक्यों को ध्यान से पढ़िए- (क) हमारा वतन तो जी लाहौर ही है। (ख) क्या सब कानून हुकूमत के ही होते हैं? सामान्यत: ‘ही’ निपात का प्रयोग किसी बात पर बल देने के लिए किया जाता है। ऊपर दिए गए दोनों वाक्यों में ‘ही’ के प्रयोग से अर्थ में क्या परिवर्तन आया है? स्पष्ट कीजिए। ‘ही’ का प्रयोग करते हुए दोनों तरह के अर्थ वाले पाँच-पाँच वाक्य बनाइए। (क) इसमें लाहौर पर बल है अर्थात् केवल लाहौर ही है। (ख) यहाँ विरोधी अर्थ की प्रतीति होती है-सभी कानून हकूमत के ही नहीं होते। पाँच-पाँच वाक्य 1. हमारा खाना तो दाल-रोटी ही है। 2. उसका घर तो उधर ही है। 3. मेरा जन्मस्थान बंगलूर ही है। 4. यह गीता की ही पुस्तक है। 5. उसकी कार काली ही है। 1. क्या तुम सब बातें मेरी ही मानते हो? 2. क्या रमेश अंग्रेजी ही पड़ता है? 3. क्या गेंद लड़के ही खेलते हैं? 4. क्या नृत्य में सभी लड़कियाँ ही भाग लेंगी? 5. क्या समाज के नियम प्रभावी होते ही नहीं? 254 Views साफिया के भाई ने नमक की पुड़िया ले जाने से क्यों मना कर दिया? साफिया के भाई ने नमक की पुड़िया भारत ले जाने से इसलिए मना कर दिया क्योंकि यह गैरकानूनी था। पाकिस्तान से लाहौरी नमक भारत ले जाना प्रतिबंधित था। उसके अनुसार नमक की पुड़िया निकल आने पर बाकी सामान की भी चिंदी-चिंदी बिखेर दी जाएगी। नमक की पुड़िया तो जा नहीं पाएगी, ऊपर से उनकी बदनामी मुफ्त में हो जाएगी। 729 Views Contents लेखिका परिचयजीवन परिचय- रजिया सज्जाद जहीर का जन्म 15 फरवरी, 1917 को राजस्थान के अजमेर में हुआ था। इन्होंने बी०ए० तक की शिक्षा घर पर रहकर ही प्राप्त की। शादी के बाद इन्होंने इलाहाबाद से उर्दू में एम०ए० की परीक्षा उत्तीर्ण की। सन 1947 में ये अजमेर से लखनऊ आई और वहाँ करामत हुसैन गल्र्ज कॉलेज में पढ़ाने लगीं। सन 1965 में इनकी नियुक्ति सोवियत सूचना विभाग में हुई। इन्हें सोवियत भूमि नेहरू पुरस्कार, उर्दू अकादमी उ०प्र०, अखिल भारतीय लेखिका संघ अवार्ड
से नवाजा गया। इनका देहावसान 18 दिसंबर, सन 1979 को हुआ। पाठ का प्रतिपाद्य एवं सारांशप्रतिपादय-‘नमक’ कहानी भारत-पाक विभाजन के बाद सरहद के दोनों तरफ के विस्थापित पुनर्वासित जनों के दिलों को टटोलती एक मार्मिक कहानी है।
दिलों को टटोलने की इस कोशिश में अपने-पराये, देस-परदेस की कई प्रचलित धारणाओं पर सवाल खड़े किए गए हैं। विस्थापित होकर आई सिख बीवी आज भी लाहौर को ही अपना वतन मानती हैं और सौगात के तौर पर वहाँ का नमक लाए जाने की फ़रमाइश करती हैं। कस्टम अधिकारी नमक ले जाने की इजाजत देते हुए देहली को अपना वतन बताता है। इसी तरह भारतीय कस्टम अधिकारी सुनील दास गुप्ता का कहना है, ”मेरा वतन ढाका है। राष्ट्र-राज्यों की नयी सीमा-रेखाएँ खींची जा चुकी हैं और मजहबी आधार पर लोग इन रेखाओं के इधर-उधर अपनी जगहें मुकर्रर कर चुके
हैं, इसके बावजूद जमीन पर खींची गई रेखाएँ उनके अंतर्मन तक नहीं पहुँच पाई हैं। एक अनचाही, अप्रीतिकर बाहरी बाध्यता ने उन्हें अपने-अपने जन्म-स्थानों से विस्थापित तो कर दिया है, पर वह उनके दिलों पर कब्जा नहीं कर पाई है। नमक जैसी छोटी-सी चीज का सफ़र पहचान के इस मार्मिक पहलू को परत-दर-परत उघाड़ देता है। यह पहलू जब तक सरहद के आर-पार जीवित है, तब तक यह उम्मीद की जा सकती है कि राजनीतिक सरहदें एक दिन बेमानी हो जाएँगी।” की माँ की तरह थे। सफ़िया की प्रेम-दृष्टि से प्रभावित होकर सिख बीवी ने उसके बारे में अपनी बहू से पूछा। जब उसे पता चला कि वह सुबह लाहौर जा रही है तो वह लेखिका के पास आकर लाहौर की बातें करने लगी। उसने बताया कि वह विभाजन के बाद
भारत आई थी। उनका वतन तो जी लाहौर ही है। कीर्तन समाप्त होने के समय सफ़िया ने लाहौर से कुछ लाने के लिए पूछा। उसने हिचकिचाहट के साथ लाहौरी नमक लाने के लिए कहा। शब्दार्थ पृष्ठ-130 पृष्ठ-137 पृष्ठ– 133 पृष्छ-134 पृष्ठ-135 पृष्ठ-136 पृष्ठ– 137 अर्थग्रहण संबंधी प्रश्ननिम्नलिखित गदयांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए- 1. उन सिख बीवी को देखकर सफ़िया हैरान रह गई थी, किस कदर वह उसकी माँ से मिलती थी। वही भारी भरकम जिस्म, छोटी-छोटी चमकदार आँखें, जिनमें नेकी, मुहब्बत और रहमदिली की रोशनी जगमगाया करती थी। चेहरा जैसे कोई खुली हुई किताब। वैसा ही सफेद बारीक मलमल का दुपट्टा जैसा उसकी अम्मा मुहर्रम में ओढ़ा करती थी। 2.
”हाँ बेटी! जब हिंदुस्तान बना था तभी आए थे। वैसे तो अब यहाँ भी हमारी कोठी बन गई है। बिजनेस है, सब ठीक ही है, पर लाहौर बहुत याद आता है। हमारा वतन तो जी लाहौर ही है।” फिर पलकों से कुछ सितारे टूटकर दूधिया आँचल में समा जाते हैं। बात आगे चल पड़ती, मगर घूम-फिरकर फिर उसी जगह पर आ जाती-‘साडा लाहौर’! (पृष्ठ-130) 3. ‘‘ अरे, फिर वही कानून-कानून कहे जाते हो! क्या सब कानून हुकूमत के ही होते हैं, कुछ मुहब्बत, मुरौवत,
आदमियत, इंसानियत के नहीं होते? आखिर कस्टम वाले भी इंसान होते हैं, कोई मशीन तो नहीं होते।” 4.अब तक सफ़िया का गुस्सा उतर चुका
था। भावना के स्थान पर बुद्ध धीरे-धीरे उस पर हावी हो रही थी। नमक की पुड़िया ले तो जानी है, पर कैसे? अच्छा, अगर इसे हाथ में ले लें और कस्टम वालों के सामने सबसे पहले इसी को रख दें? लेकिन अगर कस्टम वालों ने न जाने दिया! तो मजबूरी है, छोड़ देंगे। लेकिन फिर उस वायदे का क्या होगा जो हमने अपनी माँ से किया था? हम अपने को सैयद कहते हैं। फिर वायदा करके झुठलाने के क्या मायने? जान देकर भी वायदा पूरा करना होगा। मगर कैसे? अच्छा, अगर इसे कीनुओं की टोकरी में सबसे नीचे रख लिया जाए तो इतने कीनुओं के ढेर में भला
कौन इसे देखेगा? और अगर देख लिया? नहीं जी, फलों की टोकरियाँ तो आते वक्त भी किसी की नहीं देखी जा रही थीं। उधर से केले, इधर से कीनू सब ही ला रहे थे, ले जा रहे थे। यही ठीक है, फिर देखा जाएगा। (पृष्ठ-133) 5.एक बार झाँककर उसने पुड़िया को देखा और उसे ऐसा
महसूस हुआ मानो उसने अपने किसी प्यारे को कब्र की गहराई में उतार दिया हो! कुछ देर उकड़ें बैठी वह पुड़िया को तकती रही और उन कहानियों को याद करती रही जिन्हें वह अपने बचपन में अम्मा से सुना करती थी, जिनमें शहजादा अपनी रान चीरकर हीरा छिपा लेता था और देवों, खौफनाक भूतों तथा राक्षसों के सामने से होता हुआ सरहदों से गुजर जाता था। इस जमाने में ऐसी कोई तरकीब नहीं हो सकती थी वरना वह अपना दिल चीरकर उसमें यह नमक छिपा लेती। उसने एक आह भरी। (पृष्ठ-133) 6. रात को तकरीबन डेढ़ बजे थे। मार्च की सुहानी हवा खिड़की की जाली से आ रही थी। बाहर चाँदनी साफ़ और ठंडी थी।
खिड़की के करीब लगा चंपा का एक घना दरख्त सामने की दीवार पर पत्तियों के अक्स लहका रहा था। कभी किसी तरफ़ से किसी की दबी हुई खाँसी की आहट, दूर से किसी कुत्ते के भूकने या रोने की आवाज, चौकीदार की सीटी और फिर सन्नाटा! यह पाकिस्तान था। यहाँ उसके तीन सगे भाई थे, बेशुमार चाहने वाले दोस्त थे, बाप की कब्र थी, नन्हे-नन्हे भतीजे-भतीजियाँ थीं जो उससे बड़ी मासूमियत से पूछते, “फूफीजान, आप हिंदुस्तान में क्यों रहती हैं, जहाँ हम लोग नहीं आ सकते?” उन सबके और सफ़िया के बीच में एक सरहद थी और बहुत ही नोकदार लोहे की
छड़ों का जैगला, जो कस्टम कहलाता था । (पृष्ठ-133-134) 7.उन्होंने पुड़िया को धीरे से अपनी तरफ सरकाना शुरू किया। जब सफ़िया की बात खत्म हो गई तब उन्होंने पुड़िया को दोनों हाथों में उठाया, अच्छी तरह लपेटा और खुद सफ़िया के बैग में रख दिया। बैग सफ़िया को देते हुए बोले,”मुहब्बत तो कस्टम से इस तरह गुजर जाती है कि कानून हैरान रह जाता है।” 8.प्लेटफ़ार्म पर उसके बहुत-से दोस्त, भाई, रिश्तेदार थे, हसरत भरी नजरों, बहते हुए आँसुओं, ठंडी साँसों और भिचे हुए होठों को
बीच में से काटती हुई रेल सरहद की तरफ बढ़ी। अटारी में पाकिस्तानी पुलिस उतरी, हिंदुस्तानी पुलिस सवार हुई। कुछ समझ में नहीं आता था कि कहाँ से लाहौर खत्म हुआ और किस जगह से अमृतसर शुरू हो गया। एक जमीन थी, एक जबान थी, एक-सी सूरतें और लिबास, एक-सा लबी-लहजा, और अंदाज थे, गालियाँ भी एक ही सी थीं जिनसे दोनों बड़े प्यार से एक-दूसरे को नवाज रहे थे। बस मुश्किल सिर्फ़ इतनी थी कि भरी हुई बन्दूकें दोनों के हाथों में थीं। (पृष्ठ-135-136) पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्नपाठ के साथप्रश्न 1: अथवा नमक की पुड़िया को लेकर सफ़िया के मन में क्या द्ववद्व था? सफ़िया के भाई ने नमक ले जाने के लिए मना क्यों कर दिया
था? प्रश्न
2: अथवा नमक की पुड़िया ले जाने, न ले जाने के बारे में सफ़िया के मन का द्वद्व स्पष्ट कीजिए। [CBSE (Delhi), 2015, Set-III] प्रश्न 3: प्रश्न 4: प्रश्न 5: प्रश्न
6: प्रश्न 7: क्यों कहा गया?प्रश्न 1: प्रश्न 2: प्रश्न
3: प्रश्न 4: समझाइए तो ज़राप्रश्न 1: प्रश्न 2: पाठ के आस-पासप्रश्न 1: प्रश्न 2: प्रश्न
3: प्रश्न
4: प्रश्न 5: आपकी रायप्रश्न 1: (i) ताजमहल की प्रतिकृति। भाषा की बातप्रश्न 1: (क) हमारा वतन तो जी लाहौर ही है। सामान्यतः ‘ही` ‘ निपात का प्रयोगप किसी बात पर बल देने के लिए किया जाता है। ऊपर दिए गए दोनों वाक्यों में ‘ही’ के प्रयोग से अर्थ में क्या परिवतन आया है? स्पष्ट कीजिए। ‘ही’ का प्रयोग करते हुए दोनों तरह के अर्थ वाले पाँच-पाँच वाक्य बनाइए। (क) वाक्य से पता
चलता है कि वक्ता का वतन लाहौर ही है, अन्य नहीं। यह ‘ही’ के प्रयोग के कारण है। (क) पाँच वाक्य- (i) मुझे दिल्ली ही जाना है। (ख) पाँच वाक्य- (i) क्या सारा ज्ञान आज ही देंगे? प्रश्न2: मुरैवत
– संकोच प्रश्न 3: 1. वह यों ही चला गया कि पता ही नहीं चला। इन्हें भी जानें1. मुहर्रम
-इस्लाम धर्म के अनुसार साल का पहला महीना, जिसकी दसवीं तारीख को इमाम हुसैन शहीद हुए थे। फिल्में रचनाएँ 7. सरहद और मजहब के सदर्भ में इसे देखें – -फ़िल्मः धूल का फूल, गीतकारः साहि लुधियानवी अन्य हल प्रश्नबोधात्मक प्रशन प्रश्न 1: प्रश्न 2: प्रश्न 3: प्रश्न 4: प्रश्न 5: प्रश्न 6: प्रश्न 7: स्वय करें1. सिख बीवी ने सफ़िया से क्या सौगात लाने के लिए कहा था? क्या उनकी यह चाहत पूरी हो सकी? (अ) प्लेटफ़ॉर्म पर उनके बहुत-से दोस्त, भाई, रिश्तेदार थे, हसरत भरी नजरों, बहते हुए आँसुओं, ठंडी साँसों और भिचे हुए होंठों को बीच में से काटती हुई रेल सरहद की तरफ बढ़ी। अटारी में पाकिस्तानी पुलिस उतरी, हिंदुस्तानी पुलिस सवार हुई। कुछ समझ में नहीं आता था कि कहाँ से लाहौर खत्म हुआ और किस जगह से अमृतसर शुरू हो गया। एक जमीन थी, एक जबान थी, एक-सी सूरतें और लिबास, एक-सा लबोलहजा, और अंदाज थे, गालियाँ भी एक ही-सी थीं जिनसे दोनों बड़े प्यार से एक-दूसरे को
नवाज रहे थे। बस मुश्किल सिर्फ इतनी थी कि भरी हुई बंदूकें दोनों के हाथों में थीं। (ब) उन्होंने चाय की प्याली सफ़िया की तरफ खिसकाई और खुद एक बड़ा-सा घूंट भरकर बोले, ‘वैसे तो डाभ कलकत्ता में सेनाकवाभहोता हैप हमारेय के बाधक क्या बातहै हमारीजन हमारे पानक माह कुछ और है!” उठते वक्त उन्होंने पुड़िया
सफ़िया के बैग में रख दी और खुद उस बैग को उठाकर आगे-आगे चलने लगे; सफ़िया ने उनके पीछे चलना शुरू किया। जब सफ़िया अमृतसर के पुल पर चढ़ रही थी तब पुल की सबसे निचली सीढ़ी के पास वे सिर झुकाए चुपचाप खड़े थे। सफ़िया सोचती जा रही थी किसका वतन कहाँ है-वह जो कस्टम के इस तरफ है या उस तरफ! More Resources for CBSE Class 12:
NCERT SolutionsHindiEnglishMathsHumanitiesCommerceScience सिख बीबी लाहौर के बारे में क्या बताती है?विस्थापित होकर आई सिख बीबी आज भी लाहौर को ही अपना वतन मानती हैं और सौगात के तौर पर वहाँ का नमक लाए जाने की फ़रमाइश करती हैं। कस्टम अधिकारी नमक ले जाने की इजाज़त देते हुए (जिसे ले जाना गैरकानूनी है) देहली को अपना वतन बताता है। इसी तरह भारतीय कस्टम अधिकारी सुनील दासगुप्त का कहना है, "मेरा वतन ढाका है।
सिख बीबी ने लाहौर से क्या सोगत मंगवाई?बीबी लाहौर की रहने वाली थी और अब तक लाहौर को ही अपना वतन बताती थीं। जब उन्हें पता चला कि मैं कल लाहौर जाने वाली हूँ तो उन्होंने लाहौरी नमक की फरमाइश कर दी। मैंने इसका उनसे वायदा कर दिया। लाहौर पहुँचने पर मेरा प्रेमपूर्वक स्वागत हुआ।
सिख बीवी को देखकर दुनिया हैरान रह गई क्यों?उन सिख बीबी को देखकर सफ़िया हैरान रह गई थी, किस कदर वह उसकी माँ से मिलती थी। वही भारी भरकम जिस्म, छोटी-छोटी चमकदार आँखें जिनमें नेकी, मुहब्बत और रहमदिली की रोशनी जगमगाया करती थी। चेहरा जैसे र्कोइ खुली र्हुइ किताब। वैसा ही सफे़द बारीक मलमल का दुपट्टा जैसा उसकी अम्मा मुहर्रम में ओढ़ा करती थी।
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