सकारात्मक परिणाम देने के लिए व्यक्ति को क्या करना होगा - sakaaraatmak parinaam dene ke lie vyakti ko kya karana hoga

Q.20: सकारात्मक सोच' हमारे शारीरिक मानसिक सामाजिक एवं आध्यात्मिक सभी परतों को प्रभावित करती है। व्याख्या करें।

उत्तर : उत्तर– 'सकारात्मक सोच' वह शक्तिशाली सोच है जो व्यक्ति को उसके जीवन में घटने वाली प्रत्येक घटना के प्रति, एक सकारात्मक दृष्टि कोण अपनाने के लिए प्रेरित करती है और व्यक्ति अपने ऐसे दृष्टिकोण के कारण जीवन संबंधी घटनाओं को चाहे ये चुनौतीपूर्ण हो अच्छी तरह से सामना कर सकता है । न केवल वह उसका सामना कर पाता है बल्कि सफलता का वरण भी करता है।

सकारात्मक सोच के अभाव में व्यक्ति अपना जीवन अत्यंत दयनीय बना लेता है क्योंकि उसकी सोच नकारात्मक होने थे वह घटनाओं के प्रति नकारात्मक परिस्थितियों को ही आकर्षित करती है।

जैसा कि ‘आकर्षण का नियम' दर्शाता है व्यक्ति जैसा विचार रखता है जैसा वह सोचता है–बाह्य परिस्थितियाँ उसी के अनुरूप निर्मित होती है उसके समक्ष उपस्थित होती है।

इस एक उदाहरण के रूप में भी समझा जा सकता है–यदि एक व्यक्ति अपने मस्तिष्क में हमेशा यह विचार रखता है कि उसके जीवन में सब कुछ अच्छा है उसे कहीं किसी प्रकार की कमी नहीं है तो उसके जीवन में घटनाएं जो भी घटित होती है वह उसे विचलित या परेशान नहीं करती क्योंकि उसका हृदय में 'आंतरिक विश्वास दृढ़ होता है कि जो भी हो रहा है वह अच्छा हो रहा है' भविष्य में जो भी होगा वह अच्छा ही होगा–वास्तव में ऐसा ही होता उसकी परिस्थितियाँ उसके अनुकूल होते हुए उसके जीवन में सब कुछ अच्छा परिणाम देती हैं।

इस प्रकार इसमें कोई संदेह नहीं कि हमारे सोच अत्यधिक शक्तिशाली एवं प्रभावशाली होते है ।

हमारी सोच जैसे होते हैं हमें उसी के अनुरूप परिणाम भी प्राप्त होते हैं यह कहना – बिल्कुल सही है कि सोच हमारे जीवन के शारीरिक, मानसिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक सभी पक्षों को प्रभावित करता है।

इसे विस्तार से समझा जा सकता है निम्नलिखित बिन्दुओं के आधार पर–

सकारात्मक परिणाम देने के लिए व्यक्ति को क्या करना होगा - sakaaraatmak parinaam dene ke lie vyakti ko kya karana hoga

उपरोक्त चित्र यह दर्शाता है कि व्यक्ति के सोच का उसके जीवन के प्रत्येक पहलू दर प्रभाव पड़ता है।

सकारात्मक सोच का शारीरिक संतुलन पर प्रभाव

प्रत्येक विचार एवं भाव या शब्द मानव कोशिकाओं का एक दृढ़ तरंग से तरंगित करती हैं और उस पर एक प्रभावपूर्ण ढंग से प्रभाव डालती है। जो व्यक्ति अपने विचारों पर नियंत्रण रखते हैं उनकी भाषा, आवाज, में भी मधुरता पाई जाती है चेहरा सुन्दर, पवित्र एवं आंखें चमकदार प्रभावशाली दिखती हैं।

यदि विचार अवसादपूर्ण हो तो शरीर भी उचित ढंग से कार्य नहीं कर सकता शारीरिक व्याधियाँ बाद में आती हैं पहले व्याधियाँ विचार के द्वारा उत्पन्न की जाती हैं।

शरीर एवं मन का संबंध बिल्कुल सीधी अनुपात में होता है यदि शरीर अस्वस्थ हो वहीं पीड़ा हो तो विचार भी उसी अनुरूप उद्वेलित हो जाते हैं और दूसरी ओर यदि विचार उद्वेलित हों तो शरीर पर उसका प्रभाव पड़े बिना नहीं रहता ।

सकारात्मक सोच एवं चरित्र

व्यक्ति के सोच ईंट की तरह होते हैं जो चरित्र का निर्माण करते हैं।

चरित्र का जन्म नहीं होता, बल्कि निर्माण होता है।

विचार–कर्म का रूप लेते हैं, कर्म करते हुए व्यक्ति में उसकी आदत का निर्माण होता है आदतें ही चरित्र का निर्माण करती हैं जिसका जीवन पर सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

विचार → कर्म → आदत → चरित्र

इस प्रकार चरित्र का प्रमुख आधार विचार ही हैं।

सकारात्मक सोच एवं सामाजिक प्रभाव

विचार ही चरित्र का आधार है या यों कह सकते हैं कि विचार बीज है चरित्र उसका फल । अब व्यक्ति में सामाजिक विकास हेतु चरित्र या व्यक्तित्व का अत्यन्त प्रभाव पड़ता है यदि चरित्र सकारात्मक सोच पर आधारित है तो उसका सामाजिक प्रभाव भी अधिक पड़ेगा उदाहरण स्वरूप महात्मा गाँधी जी अपने चारित्रिक प्रभाव के कारण ही सारे विश्व में प्रसिद्ध हुई इसका कारण उनका अद्भुत सकारात्मक सोच चिंतन या विचार ही था।

सार्वजनिक वातावरण पर प्रभाव

विचारों के बारे में स्वामी शिवानंदजी ने कहा है कि वास्तव में विचार–मस्तिष्क में उत्पन्न होकर बाह्य दुनिया में विचारण करते हैं जब एक विचार चाहे वह अच्छा हो या बुरा मनुष्य । के मस्तिष्क को छोड़कर विचरण करता है तो अपने विचरण क्षेत्र को तरंगों द्वारा प्रभावित करता है। यह बाह्य क्षेत्र के व्यक्तियों के मस्तिष्क में भी प्रवेश करता है।

आगे उनका कहना है कि एक साथ जो हिमालय पहाड़ की ऊंचाइयों पर बैठा है अपनी शक्तिशाली विचार तरंगों द्वारा अमेरिका के कोने में बैठे व्यक्ति को भी प्रभावित कर सकता है। कोई भी व्यक्ति पवित्र–विचारों द्वारा सकारात्मक सोच द्वारा अन्यों को प्रभावित किये बिना नहीं रह सकता।

जिस प्रकार सूर्य द्वारा पृथ्वी की सतह पर उपस्थित जल, वाष्पीकृत होकर अंदर आकाश में बादल का निर्माण करते हैं । उसी प्रकार व्यक्ति द्वारा प्रक्षेपित सभी विचार आकाश तक विचरण कर अपने साथ समान विचारों को जोडते हए वापस व्यक्ति की ओर अत्यधिक शक्ति के साथ लौटते हैं एवं प्रभावित करते हैं।

अत: यहाँ यह ध्यान देने योग्य है कि यदि सकारात्मक सोच आधार हो तो सार्वभौमिक कल्याण के उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सकता है।

जीवन पर प्रभाव

एक आदर्श जीवन के लिए सकारात्मक सोच का महत्त्वपूर्ण स्थान है, व्यक्ति को अपने कूरतापूर्ण विचारों को, भयाक्रांत विचारों को, स्वार्थपूर्ण विचारों को, घृणापूर्ण विचारों को, वासनात्मक विचारों को एवं अन्य नकारात्मक विचारों को सकारात्मक विचारों जैसे दया, करुणा, साहस, प्रेम एवं पवित्रता से परिवर्तित कर,जीवन को एक आदर्श रूप में प्रपप्त करने का प्रयास करना चाहिए। परन्तु अधिकांश व्यक्ति अपना जीवन सकारात्मक विचारों के बदले मौज–मस्ती के स्वार्थपूर्ण विचारों को पाले रहते हैं वे अपने जीवन में कोई सार्थक उन्नति नहीं कर पाते एवं अत्यन्त शोचनीय निकृष्ट जीवन बिताते हुए समाप्त हो जाते हैं ।

भाग्य पर प्रभाव

व्यक्ति का प्रत्येक विचार उसके भाग्य के निर्माण में अपनी भूमिका रखता है । जिस प्रकार यह एक शाश्वत् नियम है कि प्रत्येक क्रिया की प्रतिक्रिया होती है । कारण एवं परिणाम का अटूट संबंध होता है प्रत्येक परिणाम किसी कारण' से प्रभावित होता है एवं प्रत्येक परिणाम पुनः एक कारण बनता है। व्यक्ति में कोई इच्छा एक विचार को जन्म देती है विचार–कर्म में परिवर्तित होता है और कर्मों के जाल का निर्माण होता है जो भाग्य का निर्माण करते हैं।

अत: यह आवश्यक है कि सकारात्मक सोच के द्वारा विचार–कर्म के जाल पर नियंत्रण पाकर भाग्य का निर्माण किया जाये।

आध्यात्मिक परत पर प्रभाव

जिस प्रकार व्यर्थ बातों द्वारा ऊर्जा नष्ट होती है उसी तरह व्यर्थ के विचारों के द्वारा भी व्यक्ति की ऊर्जा नष्ट होती है अतः समस्त मानसिक शक्तियों का संरक्षण करना आवश्यक जब मानसिक शक्तियों को व्यर्थ में गँवा दिया जाता है तो व्यक्ति अपनी किसी भी प्रकार से उन्नति नहीं कर सकता परन्तु अपनी मानसिक शक्तियों को संजोकर ध्यान द्वारा उसका विस्तृत लाभ प्राप्त किया जा सकता है फिर चाहे वह आध्यात्मिक क्षेत्र में हो या व्यावहारिक क्षेत्र में ।

सकारात्मक सोच आध्यात्मिक क्षेत्र की प्रगति में एक सोपान की तरह कार्य करता है। अच्छे विचार अच्छे परिणामों को जन्म देते हैं एवं उसी प्रकार बुरे विचार बुरे परिणामों को जन्म देते हैं समान विचारों में आकर्षण होता है। अच्छे सकारात्मक विचारों द्वारा आध्यात्मिक चेतना को प्राप्त किया जा सकता है।

इस प्रकार सकारात्मक सोच' व्यक्ति के समस्त पक्षों को प्रभावित करता है उसे सुयोग्य बनाकर जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता दिला सकता है एवं अंततः उसे जीवन के परम लक्ष्य तक पहुँचा सकता है।

सकारात्मक परिणाम देने के लिए व्यक्ति को क्या करना?

जब भी आपको लगता हो कि आप विफल हो रहे हैं, तो खुद से उसी तरह बात करना शुरू कर दें, जैसे आप किसी बच्चे से करते हैं - प्यार, करुणा और प्रोत्साहन के साथ। इससे आप खुद को मानसिक रूप से ऊपर उठाना सीख जाएंगे और हर समय आपका मनोबल ऊंचा रहेगा। खुश रहें। अपने को उस रूप में स्वीकार करें, जो आप इस क्षण हैं।

पॉजिटिव रहने के लिए क्या करना चाहिए?

दूसरों की चिंता कम करिए: आप दूसरे लोगों जैसे नहीं हैं, इसलिए दूसरों के मानदंडों से स्वयं का आकलन करने का कोई कारण ही नहीं है। आपको उन चीज़ों में आनंद आ सकता है जिनमें दूसरों को नहीं आता है। आपके जीवन में सफलता का क्या अर्थ है, आपको इसका निर्णय करने की "अनुमति" है।

सकारात्मक सोच को कैसे बढ़ावा दे?

आप जिंदगी में सफल तभी हो सकते हैं जब आप सफलता हासिल करने के प्रति अपनी सोच को सकारात्मक रखेंगे। अगर अपनी खामियां ढूंढ-ढूंढकर खुद को कमतर ही आंकते रहेंगे तो कभी सफलता की ओर कदम नहीं बढ़ा सकेंगे। आप जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफल तभी हो सकते हैं जब आप अपनी काबिलियत का सौ प्रतिशत इस्तेमाल करें।

सकारात्मक इंसान कैसे बने?

'कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना' हमेशा ध्यान में रखते हुए अपनी जिंदगी का लुत्फ उठाते हुए जिंदगी का सफर तय कीजिए। 2. लोगों को बदलने की अपेक्षा रखना : हम किसी को बदल नहीं सकते। हर कोई अपने विचार व स्वभाव अनुसार ही व्यवहार करेगा अत: लोगों को बदलने का प्रयास कर दुखी होने से अच्छा है कि हम स्वयं में बदलाव लाएं।