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इतिहास के निर्धारण के लिए पुरातात्विक स्रोतों के साथ साथ साहित्यिक स्रोत (Sahityik srot in Hindi) कि आवश्यकता होती है। इस लेख में साहित्यिक स्रोत (Sahityik srot in Hindi) के विषय में महत्वपूर्ण तथ्यों को संगृहीत किया गया है जहां से प्रश्न पूछे जाते हैं।
पाश्चात्य विद्वानों के अनुसार प्राचीन भारतीय विद्वानों में इतिहास लेखन दृष्टि का अभाव था जिसके कारण साहित्यिक स्रोत (Sahityik srot in Hindi) इतिहास के दृष्टिकोण से उपयोगी नहीं हैं। वस्तुत: पाश्चात्य विद्वान मनुष्य की लौकिक उपलब्धियों के काल क्रमानुसार विवरण को ऐतिहासिक घटनाक्रम के रूप में स्वीकार करते हैं किन्तु इसकी तुलना में भारतीय विद्वानों का दृष्टिकोण आध्यात्मिक था। भारतीय ग्रंथों में राजनीतिक विषयों के समान आम जन को भी समान महत्व दिया गया है। साहित्यिक स्रोत (Sahityik srot in Hindi)साहित्यिक स्रोत तीन प्रकार के होते हैं– धार्मिक साहित्य में ब्राह्मण तथा ब्राह्मणेत्तर ग्रन्थ की चर्चा की जा सकती है। ब्राह्मण ग्रन्थों में वेद, उपनिषद, रामायण, महाभारत, पुराण तथा स्मृति ग्रन्थ आते हैं। ब्राह्मणेतर ग्रंथों में गैर ब्राह्मण धर्म जैसे बौद्ध एवं जैन धर्म से संबंधित साहित्यिक रचनाओं को रखा जाता है। लौकिक साहित्य के अंतर्गत धार्मिक ग्रंथों से इत्तर लौकिक जीवन से जुड़ी साहित्य को शामिल किया जाता है जिसमें ऐतिहासिक ग्रंथों, कल्पना, जीवनियाँ आदि शामिल होती हैं। विदेशी साहित्य के अंतर्गत विभिन्न विदेशी यात्रियों अथवा विद्वानों के विवरण शामिल हैं। ब्राह्मण साहित्यसाहित्यिक स्रोत के अंतर्गत ब्राह्मण साहित्य में ब्राह्मण धर्म (आज के हिन्दू धर्म का प्राचीन रूप) से संबंधित ग्रंथ आते हैं जिनमें वेद सबसे प्रमुख हैं। वेदवेदों की संख्या चार है– ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथर्ववेद जिनमें सबसे प्राचीन ग्रन्थ ऋग्वेद है। वेदों के द्वारा प्राचीन आर्यों के धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक जीवन पर प्रकाश पड़ता है। वैदिक युग अथवा संस्कृति के ज्ञान का एक मात्र स्रोत वेद है। ऋग्वेद
यजुर्वेद
सामवेद
अथर्ववेद
ब्राह्मण ग्रन्थ
आरण्यक
वेद : सारांश
उपनिषद
वेदांग
सूत्र
महाकाव्यभारत में महाभारत एवं रामायण दो महाकाव्य माना जाता है इन महाकाव्यों से प्राचीन भारत समाज, धार्मिक जीवन तथा राजनीतिक दशा का परिचय मिलता है। महाभारत
रामायण
पुराण
साहित्यिक स्रोत : FAQभारत में इतिहास के साहित्यिक स्रोतों का अभाव है क्यों ?प्राचीन भारतीय साहित्यिक ग्रंथों में पाश्चात्य विद्वानों के अनुरूप क्रमबद्ध जानकारी नहीं मिलता है इसलिए इनका मानना है कि भारत में साहित्यिक स्रोत नहीं हैं, जबकि भारतीय साहित्यिक ग्रंथों की दृष्टि आध्यात्मिक होने के कारण क्रमबद्ध इतिहास का अभाव है। साहित्यिक स्रोत कितने प्रकार के होते हैं ?साहित्यिक स्रोतों में मुख्य रूप से धार्मिक एवं गैर धार्मिक स्रोत शामिल हैं। धर्मिक ग्रंथों में ब्राह्मण साहित्य, बौद्ध-जैन साहित्य को प्रमुख रूप से लिया जाता है। ब्राह्मण ग्रंथों में वेद, उपनिषद, ब्राह्मण, उपनिषद, पुराण आदि को लिया जाता है। गैर धार्मिक स्रोत में विदेशी यात्रियों का विवरण शामिल है। कौन स प्रथम साहित्यिक स्रोत हैं?सबसे प्राचीनतम साहित्यिक स्रोत ऋग्वेद हैं। Read more articlesसाहित्य स्रोतों से आप क्या समझते हैं?दरअसल वे लिखित रचनाएं जिनसे हमें भारत या विश्व के इतिहास के बारे में जानकारी मिलती है उन्हें साहित्यिक स्रोत कहा जाता है। साहित्यिक स्रोतों के अंतर्गत वैदिक रचनाएं, बौद्ध और जैन साहित्य, महाकाव्य, पुराण, संगम साहित्य, प्राचीन जीवनियां, कविता और नाटक इत्यादि आते हैं।
साहित्यिक स्रोत के दो प्रकार क्या हैं?साहित्यिक स्रोत कितने प्रकार के होते हैं ? साहित्यिक स्रोतों में मुख्य रूप से धार्मिक एवं गैर धार्मिक स्रोत शामिल हैं। धर्मिक ग्रंथों में ब्राह्मण साहित्य, बौद्ध-जैन साहित्य को प्रमुख रूप से लिया जाता है। ब्राह्मण ग्रंथों में वेद, उपनिषद, ब्राह्मण, उपनिषद, पुराण आदि को लिया जाता है।
साहित्यिक साधन क्या है?साहित्यिक साधन दो प्रकार के हैं-धार्मिक साहित्य और लौकिक साहित्य। धार्मिक साहित्य भी दो प्रकार के हैं-ब्राह्मण ग्रन्थ और अब्राह्मण ग्रन्थ। ब्राह्मण ग्रन्थ दो प्रकार के हैं-श्रुति जिसमें वेद ब्राह्मण उपनिषद इत्यादि आते हैं और स्मृति जिसके अन्तर्गत रामायण महाभारत पुराण स्मृतियाँ आदि आती हैं।
साहित्यिक स्रोतों की सीमाएं क्या है?साहित्यिक स्रोत : सीमाएं
इसमें क्षेपक जोड़े जा सकते हैं। विदेशी लेखकों के विवरण से तत्कालीन समाज एवं राज के विषय में ज्ञान मिलता है किन्तु भारतीय विशेषताओं के विषय में उनके काम जानकारी के कारण उनका विवरण भी त्रुटिरहित नहीं है। दरबारी लेखन की एक अपनी सीमा होती है इनमें विषयों को बढ़ा चढ़ा कर पेश किया जाता है।
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