सुग्रीव को राम की शक्ति पर संदेह क्यों था और राम ने अपनी शक्ति का परिचय देने के लिए क्या किया? - sugreev ko raam kee shakti par sandeh kyon tha aur raam ne apanee shakti ka parichay dene ke lie kya kiya?

राम और सुग्रीव (Page 57)

सुग्रीव को राम की शक्ति पर संदेह क्यों था और राम ने अपनी शक्ति का परिचय देने के लिए क्या किया? - sugreev ko raam kee shakti par sandeh kyon tha aur raam ne apanee shakti ka parichay dene ke lie kya kiya?
 

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प्रश्न / उत्तर

प्रश्न-1  राम स्वयं को क्यों धिक्कार रहे थे?

उत्तर-  राम स्वयं को इसलिए धिक्कार रहे थे क्योंकि उनका पौरष, बल, पराक्रम, ज्ञान सीता के काम नहीं आया ।

प्रश्न-2   सुग्रीव ने राम को अपनी क्या व्यथा सुनाई?

उत्तर-  सुग्रीव ने राम को बताया कि बाली ने उसे राज्य से निकाल दिया । उसकी स्त्री छीन ली और उसका वध करने की चेष्टा कर रहा है । हनुमान, नल और नील ने उसका साथ दिया है ।

प्रश्न-3   सुग्रीव को राम के आश्वासन पर भरोसा क्यों नहीं हुआ?

उत्तर -  सुग्रीव को राम के आश्वासन पर भरोसा इसलिए नहीं हुआ क्योंकि राम देखने में सुकुमार थे । उन्हें देखकर उनकी शक्ति का पता नहीं चलता था ।

प्रश्न-4   राम ने सुग्रीव को अपनी शक्ति का परिचय किस प्रकार दिया?

उत्तर -  राम ने अपनी शक्ति का परिचय तीर चला के दिया । शाल के सातों विशाल वृक्ष उनके एक ही बाण से कटकर गिर पड़े ।

प्रश्न-5   सुग्रीव और बाली के बीच हुए मल्ल युद्ध का वर्णन कीजिए ।

उत्तर -  दोनों में भीषण मल्ल युद्ध हुआ । दोनों एक दूसरे से गुँथ गए । युद्ध में बाली भारी पड़ रहा था । सुग्रीव किसी तरह से अपनी जान बचा कर वहाँ से भागा ।

प्रश्न-6   सुग्रीव राम से क्यों कुपित था?

उत्तर -  सुग्रीव राम से इसलिए कुपित था क्योंकि राम पेड़ के पीछे खड़े थे परन्तु धनुष हाथ होने पर भी उन्होंने सुग्रीव को बचाने के लिए तीर नहीं चलाया ।

प्रश्न-7   किसने किससे कहा?

    i. “चिंता मत करो मित्र । तुम्हें अपना राज्य भी मिलेगा और स्त्री भी ।”

      राम ने सुग्रीव से कहा ।

   ii. “सीता अवश्य मिल जाएँगी । मैं हर प्रकार से आपकी सहायता करूँगा, मित्र ।”

     सुग्रीव ने राम से कहा ।

   iii. “बाली महाबलशाली है । उसे हराना इतना आसान नहीं है ।”

     सुग्रीव ने राम से कहा ।

   iv. “मित्र! अब विलंब कैसा? बाली को युद्ध के लिए ललकारो ।”

     राम ने सुग्रीव से कहा ।

   v. “चिंता मत करो मित्र । मैं पेड़ की ओट से युद्ध देखूँगा ।”

     राम ने सुग्रीव से कहा ।

   vi. “आज शिकार स्वयं मेरे मुँह तक आया है । मैं तुझे नहीं छोडूँगा ।”

   बाली ने सुग्रीव से कहा ।