राष्ट्रीय एकता से क्या समझते हो? - raashtreey ekata se kya samajhate ho?

राष्ट्रीय एकता से क्या समझते हो? - raashtreey ekata se kya samajhate ho?
राष्ट्रीय एकता से आप क्या समझते हैं?राष्ट्रीय एकता के उपाय

राष्ट्रीय एकता से आप क्या समझते हैं? राष्ट्रीय एकता की प्राप्ति के लिए आप किन उपायों का सुझाव देंगे? 

राष्ट्रीय एकता का तात्पर्य किसी राष्ट्र के नागरिकों की एकता की भावना से होता है। यह भावना राष्ट्र का एक आवश्यक लक्षण है। इसके बिना राष्ट्र का निर्माण सम्भव नही होता। जब किसी राष्ट्र के नागरिक वेश-भूषा, खान-पान, रहन-सहन, मूल्य, मान्यताएँ, जाति, धर्म आदि के अन्तरों को भूलकर अपने को एक समझते हैं और राष्ट्र हित के आगे अपने हितों का त्याग करते हैं तो हम इस भावना को राष्ट्रीय एकता या राष्ट्रीयता कहते हैं।

राष्ट्र का अर्थ- जब कोई समाज सर्वशक्तिमान हो जाता है और एक भौगोलिक सीमा के अन्दर समस्त व्यक्तियों को एकता के सूत्र में बाँध लेता है, तो उसे राष्ट्र की संज्ञा दी जाती है। इस प्रकार राष्ट्र वह सत्ता अथवा शक्ति है, जो मनुष्य को एक सूत्र में बाँधती है। मनुष्य अपने लिए पारस्परिक भेद को त्यागकर राष्ट्र की सत्ता को स्वीकार करते हैं तथा उसकी उन्नति के लिए अपना योगदान देते हैं।

राष्ट्रीयता का अर्थ- रॉस के अनुसार, राष्ट्रीयता एक भाव अथवा प्रेरणा है, जिससे प्रभावित होकर व्यक्ति अपने राष्ट्र से प्रेम करता है, और उसके विकास में सहायक होता है। प्रायः देश प्रेम और राष्ट्रीयता का एक ही अर्थ लगाया जाता है, किन्तु यह मत गलत है। देश प्रेम का अर्थ अपेक्षाकृत कुछ संकीर्ण है। इसका अर्थ केवल इतना ही है कि व्यक्ति उस स्थान या भूमि से प्रेम करे, जहाँ पर उसने जन्म लिया है। राष्ट्रीयता का अर्थ जन्मभूमि के साथ व्यक्ति राष्ट्र की मानव जाति, संस्कृति, भाषा, विचार, साहित्य, धर्म आदि से प्रेम करे। अन्त में ब्रूवेकर के अनुसार, “राष्ट्रीयता में देश प्रेम से कई गुना अधिक देशभक्ति की मात्रा होती है।”

  • राष्ट्रीय एकता अथवा भावात्मक एकता की प्राप्ति के साधन अथवा उपाय:
  • राष्ट्रीय एकता तथा शिक्षा

राष्ट्रीय एकता अथवा भावात्मक एकता की प्राप्ति के साधन अथवा उपाय:

राष्ट्रीय एकता की प्राप्ति निम्नलिखित उपायों द्वारा प्राप्त की जा सकती है-

  1. धर्म निरपेक्षता को ध्यान में रखकर विद्यालय एवं कालेजों में ऐसी पाठ्य वस्तु पढ़ाई जाये जिससे धार्मिक सौहार्द बढ़े।
  2. पाठ्य पुस्तकों में आवश्यक संशोधन किया जाये और उनकी सामग्री को इस प्रकार प्रस्तुत किया जाये कि वे भावात्मक एकता के विकास में सहायक हों।
  3. मध्यकालीन इतिहास पढ़ाते समय शिक्षकों को चाहिए कि वे उस बात पर बल दे जो हिन्दुओं और मुसलमानों की संस्कृतियों को मिलाने में सहायक होती हो।
  4. बालकों में शिक्षा द्वारा ऐसा दृष्टिकोण उत्पन्न किया जाये जिससे वे अपनी “सांस्कृतिक विरासत” के महत्व को समझें और उनकी सुरक्षा और संरक्षण कर सकें।
  5. विश्वविद्यालय स्तर पर विभिन्न सामाजिक विज्ञान, भाषाएं, साहित्य, संस्कृति और कला के अध्ययन की व्याख्या की जाये।
  6. छात्रों को ऐसी पाठ्य वस्तु पढ़ाई जाये जिससे उनमें हम की भावना का विकास हो।
  7. राष्ट्रीय एकता को स्थापित करने में जनसंचार के माध्यम जैसे- रेडियों, टेलीविजन, समाचार पत्रादि का विशेष योगदान हो सकता है यदि उपरोक्त माध्यमों का सही और समुचित प्रयोग किया जाये तो राष्ट्रीय एकता स्थापित करने में सहायता मिलेगी।
  8. ऐसी फिल्मों का निर्माण किया जाये जिससे राष्ट्र के विभिन्न समुदायों में एक दूसरे के प्रति घृणा उत्पन्न न हो ।
  9. ऐसे विद्यालयों को दण्डित किया जाये जो देश प्रेम के नाम पर साम्प्रदायिकता व जातिगत घृणा फैलाते हों।
  10. विद्यालयों में राष्ट्रीय पर्वों 26 जनवरी, 15 अगस्त, 2 अक्टूबर को बड़ी श्रद्धा और उत्साह से मनाया जाये।
  11. राष्ट्रीय एकता के लिए यह आवश्यक है कि एक सही भाषा नीति बनायी जाये, सभी भाषाओं को प्रोत्साहित किया जाये।
  12. न्याय व्यवस्था में निष्पक्षता और ईमानदारी स्थापित की जाये।
  13. सबके लिए समान कानूनों की व्यवस्था की जाये। जाति व धर्म के नाम पर अलग-अलग कानूनों को समाप्त किया जाये।
  14. छात्रों को देश भ्रमण और अन्तर संस्कृति विकास के अवसर दिये जाये।
  15. शिक्षकों का एक स्थान से दूसरे स्थान पर अन्य नगरों में ट्रांसफर किया जाये जिससे उसका ध्यान अपने छात्रों के हित की ओर केन्द्रित किया जा सके।
  16. विभिन्न विश्वविद्यालयों में आपस में शिक्षकों का आदान-प्रदान किया जाये।
  17. जाति और धर्म के नाम पर राजनीति करने वालों पर अंकुश लगाया जाये। उपरोक्त उपायों का यदि ईमानदारी से पालन किया जाये तो सम्भवतः राष्ट्रीय एकता की स्थापना आसानी से की जा सकती है।

राष्ट्रीय एकता तथा शिक्षा

स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् आज भारतवर्ष में राष्ट्रीय एकता आवश्यक है। इसी कारण से देश में राष्ट्रीय एकता तथा राष्ट्रीय भावना के विकास पर अधिक बल दिया जा रहा है। चूँकि शिक्षा इस भावना को विकसित करने में महत्वपूर्ण योग दे सकती है, इसीलिए इस साधन द्वारा राष्ट्रीय चेतना के विकास के कार्य को पूर्ण करने का प्रयास किया जा रहा है, किन्तु इस दिशा में अभी बहुत कुछ करना शेष है।

राष्ट्रीयता की दृष्टि से आज शिक्षा का लक्ष्य है, व्यक्तियों में राष्ट्रीय भावना भरना एवं उनके हृदय में राष्ट्र के प्रति प्रेम उत्पन्न करना। राष्ट्रीयता के समर्थकों का कथन है कि राष्ट्र में के लिए व्यक्ति है, व्यक्ति के लिए राष्ट्र नहीं। अतः शिक्षा प्रणाली ऐसी होनी चाहिए शिक्षा प्राप्त व्यक्ति राष्ट्रीय प्रेम से युक्त हो । राष्ट्रीयता की दृष्टि से राष्ट्र को सुदृढ़ तथा सफल बनाना नागरिकों का सबसे पुनीत कार्य समझा जाता है। अतः राष्ट्र की आवश्यकताओं, आदर्शों तथा मान्यताओं के अनुसार ही शिक्षा की व्यवस्था की जाती है। नागरिकों में राष्ट्र के प्रति अपार भक्ति, शासक की आज्ञा का पालन, अनुशासन, आत्मत्याग, कर्तव्य पालन आदि की भावनाओं का उद्वेग करना शिक्षा का आदर्श होता है। राष्ट्र, अपने आदर्शों के प्रचार के लिए अपनी प्रगति एवं उत्थान के लिए तथा कम्पनी शक्ति के स्थायित्व के लिए निवासियों में राष्ट्रीयता की भावना भरता है और इसके लिए शिक्षा को अपना प्रमुख साधन बना लेता है। स्पार्टा, जर्मनी, इटली, जापान तथा रूस की शिक्षा इसके प्रत्यक्ष प्रमाण है।

विगत वर्षों में नाजियों ने जर्मनी में, फासिस्ट्स ने इटली में शिक्षा द्वारा युवकों को राष्ट्रीयता की भावना से ओत-प्रोत कर दिया था। आज रूस तथा चीन भी शिक्षा के माध्यम से वहाँ के युवकों में साम्यवाद की भावना का समावेश कर रहे हैं। प्रजातन्त्रीय देश प्रजातन्त्रीय व्यवस्था को सुदृढ़ बनाये रखने के लिए अपने नागरिकों में राष्ट्रीय एकता की भावना का विकास कर रहे हैं। स्पष्ट है कि विश्व के सभी राष्ट्र चाहे वे साम्यवादी हों या तानाशाही हों अथवा प्रजातन्त्रीय हों राष्ट्रीय हितों को अपने सम्मुख रखकर अपने-अपने देश में शिक्षा की व्यवस्था कर रहे हैं।

इस प्रकार की शिक्षा के कई लाभ है। यह शिक्षा राष्ट्र के निर्माण में सहायक होती है। इससे देश तथा जाति भेद को आश्रय नहीं मिलता। देश के नागरिक एकता के लिए सूत्र में बांधे जाते हैं। परस्पर द्वेष भाव एवं स्वार्थ को छोड़कर राष्ट्र की सेवा के लिए तैयार रहते हैं। वे राष्ट्र के प्रति अपने उत्तरदायित्व को समझते हैं और उन्हें निभाने का भरसक प्रयत्न करते हैं। देश में सामाजिक कुरीतियों रूढ़ियों, अन्धविश्वासों तथा अन्तर्राष्ट्रीय विचारों का अन्त हो जाता है। राष्ट्र समृद्धिशाली, सुखी एवं सर्वशक्तिमान हो जाता है।

स्पष्ट है कि राष्ट्रीय विकास के लिए शिक्षा एक महत्वपूर्ण साधन है। इसीलिए सभी राष्ट्र शिक्षा पर अपना नियन्त्रण रखते हैं और शिक्षा के द्वारा बालकों को जैसा बनाना चाहते हैं, बनाते हैं। बीसव शताब्दी ने एक और महान् लक्ष्य अपने सम्मुख रखा है कि व्यक्ति में राष्ट्रीयता के साथ-साथ अन्तर्राष्ट्रीयता की भावनाओं को भी विकसित करना चाहिए और शिक्षा ही के द्वारा इन दोनों विरोधी भावनाओं को विकसित करना चाहिए। शिक्षा किस प्रकार इस लक्ष्य की प्राप्ति सम्भव करें? यह प्रश्न एक महत्वपूर्ण प्रश्न है और हमारे शिक्षाशास्त्री इस दिशा में क्रियाशील है तथा क्रियाशील रहेंगे।

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राष्ट्रीय एकता से आप क्या समझते हैं?

राष्ट्रीय एकता का अर्थ है राष्ट्र के प्रति प्रेम की भावना जिसमें जाति, संप्रदाय, धर्म, भाषा, संस्कृति आदि के अंतर को भूल कर अपने को एक समझा जाए. राष्ट्रीय एकता एक राष्ट्र के निवासियों को एकता के सूत्र में आबद्ध करती है, उनमें एकता की भावना पैदा करती है.

राष्ट्रीय एकता का क्या महत्व है?

स्वतंत्र देश के लिए राष्ट्रीय एकता का बहुत महत्व है। राष्ट्रीय एकता का भाव न रखने वाला व्यक्ति मेरे समझ से देशद्रोही है क्योंकि राष्ट्रीय एकता के अभाव में देश कमज़ोर हो जाता है। भारत विभिन्न भाषा, बोली वाला देश है इसके बावजूद अनेकता में एकता के लिए प्रसिद्ध है तथा यही भारत की विशेषता है।

राष्ट्रीय एकता की क्या विशेषता है?

(1) राष्ट्रीयता अथवा राष्ट्रीय एकता की शिक्षा से प्रेम की भावना का विकास होता है। इसी भावना से प्रेरित होकर व्यक्ति राष्ट्रहित और जनहित के लिये अपने स्वार्थों का त्याग कर देता है। (2) देश के विकास और नव-निर्माण का बोध भी राष्ट्रीयता की शिक्षा के कारण होता है।