सुनहरे परिंदों के खूबसूरत पंखों पर सवार साँवले सपनों का एक हुजूम मौत की खामोश वादी की तरफ अग्रसर है। कोई रोक-टोक सके, कहाँ संभव है। इस हुजूम में आगे-आगे चल रहे हैं, सालिम अली। अपने कंधों पर, सैलानियों की तरह अपने अंतहीन सफर का बोझ उठाए। लेकिन यह सफर पिछले तमाम सफरों से भिन्न है। भीड़-भाड़ की जिन्दगी और तनाव के माहौल से सालिम अली का यह आखिर पलायन है। अब तो वो उन वन-पक्षी की तरह प्रकृति में विलीन हो रहे हैं, जो जिंदगी का आखिरी गीत गाने के बाद मौत की गोद में जा बसा हो। कोई अपना जिस्म की हरारत और दिल का धड़कन देकर भी उसे लौटाना चाहे तो वह पक्षी अपने सपनों के गीत दोबारा कैसे गा सकेगा। (क) सालिम अली के हुजूम का वर्णन अपने शब्दों में करें। उत्तर― जय सालिम अली अपनी अंतिम यात्रा पर चले तो मानो सभी पशु-पक्षी अपने रक्षक को विदाई देने के लिए चल दिए हों। (ख) यह सफर पिछले तमाम सफरों से भिन कैसे है? उत्तर― यह सफर पिछले तमाम सफरों से इस मायने में भिन्न है क्योंकि पिछले सफरों में सालिम अली किसी पक्षी की खोज में जाते थे और काम करके लौट आते थे, पर इस सफर के बाद वे लौटने वाले नहीं हैं। यह उनका अंतिम पलायन है। (ग) अब सालिम अली कहाँ विलीन हो रहे हैं? उत्तर― अब सालिम अली प्रकृति की गोद में विलीन हो रहे हैं। अब वे वहाँ से लौट नहीं पाएंगे। अब वे जिंदगी का आखिरी गीत गाकर मौत की गोद में जा सोएँगे। 2. वर्षों पूर्व, खुद सालिम अली ने कहा था कि लोग पक्षियों को आदमी की नजर से देखना चाहते हैं। यह उनकी भूल है, ठीक उसी तरह, जैसे जंगलों और पहाड़ों, झरनों और आबशारों को वो प्रकृति की नजर से नहीं, आदमी की नजर से देखने को उत्सुक रहते हैं। भला कोई आदमी अपने कानों से पक्षियों की आवाज का मधुर संगीत सुनकर अपने भीतर रोमांच का सोता फूटता महसूस कर सकता है ? (क) रोमांच का सोता फूटने का क्या आशय है ? उत्तर― रोमांच का सोता फूटने का आशय है - आनंद की गुदगुदी होना। (ख) सालिम अली पक्षियों को किन नजरों से देखना चाहते थे। उत्तर― सालिम अली समर्पित पक्षी-प्रेमी थे। वे पक्षियों की दुनिया को अपने आनंद के लिए नहीं, बल्कि उनके आनंद को बनाए रखने के लिए देखते हैं। इस कारण वे पक्षियों को उन्हीं की दृष्टि से देखते हैं। (ग) लोग प्रकृति को किन नजरों से देखते हैं, और क्यों? उत्तर― लोग प्रकृति को, पहाड़ों को, झरनों को, जंगलों को, पक्षियों को अपनी नजर से देखते हैं। वे इनके होने में अपना भला-बुरा, अपना सुख-दुख, अपना हानि-लाभ देखते हैं। क्योंकि कारण यह है कि अधिकांश लोगों की दृष्टि अपने स्वार्थ तक सीमित है। 3. कोई आज भी वृंदावन जाए तो नदी का साँवला पानी उसे पूरे घटना-क्रम की याद दिला देगा। हर सुबह, सूरज निकलने से पहले, जब पतली गलियों से उत्साह भरी भीड़ नदी की ओर बढ़ती है, तो लगता है जैसे उस भीड़ को चीरकर अचानक कोई सामने आएगा और बंसी की आवाज पर सब किसी के कदम थम जाएँगे? हर शाम सूरज ढलने से पहले, जब वाटिका का माली सैलानियों को हिदायत देगा तो लगता है जैसे बस कुछ ही क्षणों में वो कहीं से आ टपकेगा और संगीत का जादू वाटिका के भरे-पूरे माहौल पर छा जाएगा। वृंदावन कभी कृष्ण की बाँसुरी के जादू से खाली हुआ है क्या ! (क) लेखक किस घटना का स्मरण करा रहा है? उत्तर― लेखक इस गद्यांश में वृंदावन में रचाई गई कृष्ण की लीला का स्मरण करा रहा है। कृष्ण की बाँसुरी सभी को मदमस्त कर देती थी तथा सारा वातावरण संगीतमय हो जाता था। (ख) कौन, किस घटनाक्रम की याद दिला देगा? उत्तर― जब प्रात:काल सूरज निकलने से पहले पतली गलियों से उत्साह भरी भीड़ नदी की ओर बढ़ती है, तब ऐसा लगता है कि उस भीड़ को चीरकर अचानक कोई (कृष्ण) सामने आ जाएगा और बंसी की आवाज सुनकर लोगों के कदम थम जाएँगे। (ग) वृंदावन कृष्ण की बाँसुरी के जादू से खाली क्यों नहीं होता? उत्तर― वृंदावन ऐसा तीर्थ-स्थल है, जहाँ वर्ष-भर भक्तगण दर्शन के लिए आते रहते हैं। वे यहाँ आकर कृष्णमय हो जाते हैं। अत: सुबह-शाम उनके मन में कृष्ण की बाँसुरी का स्वर बजता रहता है इसलिए वृंदावन कभी कृष्ण की बाँसुरी के जादू से खाली नहीं होता। 4. उन जैसा 'बर्ड वाचर' शायद ही कोई हुआ हो। लेकिन एकांत क्षणों में सालिम अली बिना दूरबीन भी देखे गए हैं। दूर क्षितिज तक फैली जमीन और झुके आसमान को छूने वाली उनकी नजरों में कुछ-कुछ वैसा ही जादू था, जो प्रकृति को अपने घेरे में बाँध लेता है। सालिम अली उन लोगों में सुमार थे, जो प्रकृति के प्रभाव में आने की बजाए प्रकृति को अपने प्रभाव में आने के कायल होते हैं। उनके लिए प्रकृति में हर तरफ एक हँसती-खेलती रहस्य भरी दुनिया पसरी थी। यह । दुनिया उन्होंने बड़ी मेहनत से अपने लिए गढ़ी थी। इसके गढ़ने में उनकी जीवन-साथी तहमीना ने काफी मदद पहुँचाई थी। तहमीना स्कूल के दिनों में उनकी सहपाठी रही थीं। (क) 'बर्ड वाचर' क्या होता है? सालिम अली को 'बर्ड वाचर' क्यों कहा गया? उत्तर― 'बर्ड वाचर' का अर्थ होता है पक्षियों को देखने वाला परीक्षका सालिम अली को पक्षियों से बहुत प्रेम था। वे अपनी आँखों पर दूरबीन लगाए बारीकी से पक्षियों देखा करते थे। अत: उन्हें 'बर्ड वाचर' कहा गया है। (ख) सालिम अली को अपने काम में किसने सहायता की? उत्तर― सालिम अली को उनके काम में उनकी जीवन साथी तहमीना ने काफी मद पहुँचाई थी। तहमीना स्कूल के दिनों में उनकी सहपाठी रही थी। (ग) तहमीना कौन थी? उन्होंने क्या मदद पहुँचाई? उत्तर― तहमीना सालिम अली की पली थी, जो स्कूल के दिनों में उनकी सहपाठिन रही थीं। प्रकृति की हँसती-खेलती रहस्य भरी दुनिया को उनके लिए गढ़ने में तहमीना ने सालिम अली को मदद पहुँचाई थी। 5. डी एच लॉरेंस की मौत के बाद लोगों ने उनकी पली फ्रीडा लौरेंस से अनुरोध किया कि वह अपने पति के बारे में कुछ लिखे। फ्रीडा चाहती तो ढेर सारी बातें लॉरेंस के बारे में लिख सकती थी। लेकिन उसने कहा- मेरे लिए लॉरेंस के बारे में कुछ लिखना असंभव-सा है। मुझे महसूस होता है, मेरी छत पर बैठने वाली गौरेया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती हैं। मुझसे भी ज्यादा जानती है। वो सचूमुच इतना खुला-खुला और सादा-विल आदमी था। मुमकिन है, लॉरेंस मेरी रगों में, मेरी हड्डियों में समाया हो। लेकिन मेरे लिए कितना कठिन है, उसके बारे में अपने अनुभवों को शब्दों का जामा पहनाना। मुझे यकीन है मेरी छत पर बैठी गौरैया उसके बारे में, और हम दोनों ही के बारे में मुझसे ज्यादा जानकारी रखती है। (क) रगों और हड्डियों में बसने से क्या आशय है? उत्तर― रगों और हड्डियों में बसने का आशय है - जीवन में समा जाना। (ख) लॉरेंस के बारे में कौन अधिक जानता था? इससे लॉरेंस के किस गुण का पता चलता है? उत्तर― लरिंस के बारे में सबसे अधिक जानने वाली थी गौरैया। वह गौरैया, जो लॉरेंस की छत पर आती थी और लरिस उसके साथ काफी समय बिताते थे। इस तरह वह गौरैया लॉरेंस की अंतरंग संगिनी बन गई थी। (ग) फ्रीडा कौन थी? उन्होंने लॉरेंस के बारे में कुछ भी लिखने सो इन्कार क्यों किया? उत्तर― फ्रीडा डी० एच० लॉरेंस की पत्नी थी। उसने लॉरेंस के बारे में लिखने से इसलिए इन्कार कर दिया क्योंकि उसे लगा था कि लॉरेंस के बारे में जितना अच्छा छत पर बैठी गौरैया जानती थी, उतना अच्छा वह नहीं जानती थी। 6. जटिल प्राणियों के लिए सालिम अली हमेशा एक पहले बने रहेंगे। बचपन के दिनों में, उनकी एयरगन से घायल होकर गिरने वली, नीले कंठ की वह गौरैया सारी जिंदगी उन्हें खोज के नए-नए रास्तों की तरफ ले जाती रही। जिंदगी की ऊँचाईयों में उनका विश्वास एक क्षण के लिए भी डिगा नहीं। वो लॉरेंस की तरह, नैसर्गिक जिंदगी का प्रतिरूप बन गये थे। सालिम अली प्रकृति की दुनिया में एक टापू बनने की बजाए अथाह सागर बनकर उभरे थे। जो लोग उनके भ्रमणशील स्वभाव और उनकी यायावरी से परिचित हैं, उन्हें महसूस होता है कि वो आज भी पक्षियों के सुराग में ही निकले हैं, और बस अभी गले में लंबी दूरबीन लटकाए अपने खोजपूर्ण नतीजो के साथ लौट आएँगे। (क) नीले कंठ की गौरैया से सालिम अली का क्या रिश्ता था? उत्तर― नीले कंठ की गौरैया सालिम अली की एयरगन से क्या घायल हुई, उसने सारी जिंदगी सालिम अली को नए-नए रास्तों की ओर प्रेरित किया अर्थात् उसी हादसे से सालिम अली की दिशा बदल गई। (ख) सालिम अली की पहचान प्रकृति की दुनिया में किस रूप में है? उत्तर― प्रकृति की दुनिया में सालिम अली एक भ्रमणशील, पक्षी-प्रेमी के रूप में जाने जाते हैं। (ग) जटिल प्राणियों के लिए सालिम अली एक पहेली क्यों बने रहेंगे? उत्तर― जटिल प्राणी समझते हैं कि महानता जटिलता में या विशिष्टता में या अनोखेपन में होती हैं जबकि सालिम अली बिलकुल सरल-सीधे और भोले मनुष्य थे। इसलिए सालिम अली का जीवन उन्हें पहले के समान रहस्यमय प्रतीत होता होगा कि यह मनुष्य इतना सरल हैतो यह महान कैसे हो सकता है। लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर 1. किस घटना ने सालिम अली के जीवन की दिशा को बदल दिया और उन्हें पक्षी-प्रेमी बना दिया? उत्तर― जब पहली बार उनकी एयरगन से एक नीले कंठ की गोरैया घायल हुई तब से सालिम अली के जीवन की दिशा बदल गई। वे करुणा से भर उठे। वे पक्षी-प्रेमी बन गए एवं उनके परीक्षक बन गए। 2. सालिम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री के सामने पर्यावरण से संबधित खतरों का चित्र खींचा तो उनकी आँखें नम क्यों हो गई थीं? उत्तर― सालिम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री चैधरी चरण सिंह के सामने पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए यह कहा कि एक दिन केरल की साइलेंट वैली रेगिस्तान के हवा के झोंकों से तहस-नहस हो जाएगी। जब प्रकृति से उनका भवात्मक संबंध जोड़ा, तब उनकी आँखें नम हो गई। 3. लॉरेंस की पत्नी फ्रीडा ने ऐसा क्यों कहा होगा कि "मेरी छत पर बैठने वाली गौरैया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है?" उत्तर― सालिम अली ने अपनी आत्म-कथा का नाम रखा था 'फाल ऑफ अ स्पैरो'। मुझे याद आ गया, डी०एच०लॉरेंस की मौत के बाद लोगों ने उनकी पत्नी फ्रीडा लॉरेंस से अनुरोध किया कि वह अपने पति के बारे में बताये तो उसने कहा-"मेरे लिए लॉरेंस के बारे में कुछ लिखना असंभव-सा है। मुझे महसूस होता है, मेरी छत पर बैठने वाली गौरैया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है। मुझसे भी ज्यादा जानती है। वो सचमुच खुला-खुला और सादा-दिल आदमी थे। वह जानती थी कि वे पक्षियों से प्रेम करते थे। 4. "साँवले सपनों की याद' पाठ में लेखक ने सालिम अली के व्यक्तित्व का जो चित्र खींचा है उसे अपने शब्दों में लिखें। उत्तर― लेखक जाबिर हुसैन ने सालिम अली के व्यक्तित्व का चित्र खींचते हुए बताया है कि सालिम अली प्रकृति को प्रकृति की नजर से देखते थे। सुख-दुःख के समन्वय से युक्त जीवन अनुभव की गहनता को लिए हुए थे। उम्र ज्यादा होने के कारण शरीर दुबला हो गया था किन्तु आँखों की रोशनी ज्यों-की-त्यों थी। उन्होंने अपने लिए कड़ी मेहनत से प्रकृति की हँसती-खेलती दुनिया अपनाया था। वे एकांत क्षणों में दूरबीन लेकर प्रकृति को निहारते रहते थे। अपने अनुभवों के बल पर उन्हें प्रकृति और प्राणियों के संरक्षण की चिंता रहती थी। पक्षियों से उन्हें विशेष लगाव था। वे स्वाभाविक जीवन से जुड़े व्यक्तित्व थे। पक्षियों के विषय में नई-नई जानकारियाँ पाने की इच्छा ने उन्हें भ्रमणशील और यायावर बना दिया था। निष्कर्ष रूप में हम यही कह सकते हैं कि सालिम अली प्रकृति-प्रेमी, और अपना सम्पूर्ण जीवन प्रकृति की खोज के नए-नए रास्तों पर समर्पित करने वाले व्यक्ति थे। 5. "साँवले सपनों की याद" शीर्षक की सार्थकता पर टिप्पणी करें। उत्तर― प्रत्येक रचना का अपना एक शीर्षक होता है और वह शीर्षक उसकी कथा वस्तु या भाव पर निर्भर होता है। प्रस्तुत संस्मरण में लेखक जाबिर हुसैन ने सालिम अली की मृत्यु से उत्पन्न दुख और अवसाद को व्यक्त करने के लिए लिखा है। उनकी दुखद स्मृति अब धुंधले सपने के समान लगती है। अतः 'साँवले सपनों की याद' शीर्षक पूर्णतः सार्थक है। 6. "साँवले सपनों की याद" पाठ के आधार पर लेखक की भाषा-शैली की चार विशेषताएँ बताएँ। उत्तर― 'साँवले सपनों की याद' पाठ के आधार पर लेखक की भाषा-शैली की चार विशेषताएं इस प्रकार है― (क) उन्होंने हिनी के साथ-साथ उर्दू के शब्दों का अत्यधिक प्रयोग किया है। (ख) वर्ड वाचर, साइलेंट वैली जैसे अंग्रेजी शब्दों का अत्यधिक प्रयोग किया है। (ग) भाषा वेगवती नदी की तरह बहती हुई प्रतीत होती है। (घ) भावाभिव्यक्ति की शैली दिल को छूती है। 7. सालिम अली का अन्य पक्षी प्रेमियों से टकराव का क्या कारण था? उत्तर― सालिम अली अन्य किसी की बात को आँख मींचकर स्वीकार नहीं करते थे। चाहे वह कितना भी बड़ा व्यक्ति क्यों न हो। वह पर्यवेक्षण के परिणामों की बार-बार जाँच करते थे। इससे उनके विचारों एवं राय को अधिक माना जाने लगा। इसी कारण कई बार उनका टकराव वरिष्ठ पक्षी प्रेमियो से हो गया। 8. सालिम अली को 'बर्ड वाचर' क्यों कहा गया है? उत्तर― सालिम अली जैसा 'बर्ड वाचर' शायद ही कोई अन्य हुआ हो। वे एकांत क्षणों में भी दूरबीन लिए रहते थे। वे दूर तक फैली प्रकृति में पक्षी को खोजते-तलाशते रहते थे। वे किसी न किसी नतीजे पर पहुंचकर ही दम लेते थे। 9. "वो लॉरेंस की तरह, नैसर्गिक जिंदगी का प्रतिरूप बन गए थे।" आशय स्पष्ट करें। उत्तर― इस पंक्ति के माध्यम से लेखक यह बताना चाहता है कि लॉरेंस जिस प्रकार प्रकृति और पक्षियों के बीच नैसर्गिक जीवन जी रहे थे, उसी प्रकार सालिम अली ने भी अपना जीवन प्रकृति और पक्षियों को समर्पित कर दिया था। अतः अब वे नैसर्गिक जीवन जी रहे थे। 10. कोई अपने जिस्म से हरारत और दिल की धड़कन देकर भी उसे लौटाना चाहे तो वह पक्षी अपने सपनों के गीत दोबारा कैसे गा सकेगा?" आशय स्पष्ट करें। उत्तर― इस पंक्ति के माध्यम से लेखक यह बताना चाह रहा है कि देह में से एक बार प्राण निकल जाने के बाद कोई उसमें प्रेम, भाव, आनंद, उत्साह का संचार नहीं कर सकता है। हर मुमकिन कोशिश भी वहाँ व्यर्थ है। 11. "सालिम अली प्रकृति की दुनिया में एक टापू बनने की बजाए अथाह सागर बनकर उभरे थे।" आशय स्पष्ट करें। उत्तर― इस पंक्ति में सालिम अली के प्रकृति व पक्षी-प्रेम को महत्ता दी गई है और कहा गया है कि उन्होंने पक्षियों की इतनी सेवा की, उन्हें इतनी बारीकी से जाना कि उन्होंने प्रकृति की दुनिया में मिसाल कायम की। वे मात्र टापू न बनकर अथाह सागर बनकर उभरे हैं। 12. प्रस्तुत पाठ सालिम अली की पर्यावरण के प्रति चिंता को भी व्यक्त करता है। पर्यावरण को बचाने के लिए आप कैसे योगदान दे सकते हैं? उत्तर― पर्यावरण को बचाने के लिए हम निम्नांकित योगदान दे सकते हैं― ― हम अपने पर्यावरण को कम-से-कम दूषित करें। प्लास्टिक के सामान का उपयोग न करें। ― कूड़ा-कचरा बाहर फेंकने की बजाय उसे जला डालें या उपयुक्त जगह पर डालें। ― पशुओं के साथ क्रूरता का व्यवहार न करें। ― पशु-पक्षियों के भोजन का भी कुछ प्रबंध करें। ― अपने आसपास हरियाली उगाएँ और उसकी रक्षा करें। 13. सालिम अली के अनुसार, मनुष्य को प्रकृति की तरफ किस दृष्टि से देखना चाहिए? उत्तर― सालिम अली के अनुसार, प्रकृति स्वयं में महत्वपूर्ण है। उसे उसी की दृष्टि से देखना चाहिए, अर्थात् हमें प्रकृति की खुशहाली और सुरक्षा की चिंता करनी चाहिए। हमें अपने सुख-विलास के लिए उसका उपयोग करने की नहीं सोचनी चाहिए। 14. सालिम अली ने पर्यावरण-संरक्षण के लिए किस रूप में भूमिका निभाई ? उत्तर― सालिम अली ने पर्यावरण-संरक्षण के लिए निम्नांकित कार्य किए- ―उन्होंने जीवन-भर पक्षियों के विषय में खोजें की तथा सुरक्षा के बारे में अध्ययन किए। ―उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह से मिलकर केरल की साइलेंट-वैली के पर्यावरण को उजड़ने से रोकने की प्रार्थना की। ―उन्होंने हिमालय और लद्दाख की बर्फीली जमीनों पर रहने वाले पक्षियों के कल्याण के लिए कार्य किया। ◆◆ |