राहु काल में क्या नहीं करना चाहिए? - raahu kaal mein kya nahin karana chaahie?

हिंदू धर्म में किसी भी शुभ काम से पहले शुभ मुहूर्त देखने की परंपरा है और राहु काल को किसी भी शुभ कार्य के लिए अच्छा नहीं माना जाता। इसलिए किसी शुभ कार्य को करने से पहले राहु काल पर जरूर विचार किया जाता है। 

राहु काल में क्या नहीं करना चाहिए? - raahu kaal mein kya nahin karana chaahie?

राहु काल में क्या नहीं करना चाहिए? - raahu kaal mein kya nahin karana chaahie?

rohan salodkar

Ujjain, First Published Jul 4, 2019, 3:16 PM IST

उज्जैन. हिंदू धर्म में किसी भी शुभ काम से पहले शुभ मुहूर्त देखने की परंपरा है। ऐसी मान्यता है कि शुभ मुहूर्त में किए गए कार्य अच्छे फल प्रदान करते हैं। मान्यता के अनुसार यदि भूलवश कोई शुभ कार्य अशुभ मुहूर्त में हो जाए तो इसका विपरीत परिणाम होता है। हिंदू धर्म में राहुकाल को किसी भी शुभ कार्य के लिए अच्छा नहीं माना जाता। इसलिए किसी शुभ कार्य को करने से पहले राहुकाल पर जरूर विचार किया जाता है। 

क्या होता है राहुकाल? 

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार, ज्योतिष में राहु को छाया ग्रह माना गया है। यह ग्रह अशुभ फल प्रदान करता है। इसलिए इसके आधिपत्य का जो समय रहता है, उस दौरान शुभ कार्य करना वर्जित माने गए हैं। सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक के समय में से आठवे भाग का स्वामी राहु होता है। इसे ही राहुकाल कहते हैं।

यह प्रत्येक दिन 90 मिनट का एक निश्चित समय होता है, जो राहुकाल कहलाता है। प्रत्येक स्थान पर एवं ऋतुओं में अलग अलग समय पर सूर्योदय एवं सूर्यास्त होता हैं। अत: हर जगह पर राहुकाल का समय अलग-अलग होता हैं किंतु प्रत्येक वार पर इसके स्टैंडर्ड समय के अनुसार राहुकाल मान सकते हैं।

किस दिन कब होता है राहुकाल?

1. ज्योतिष के अनुसार, सोमवार को राहुकाल का स्टैंडर्ड समय सुबह 07:30 से 09 बजे तक माना गया है।

2. मंगलवार को दोपहर 03 से 04:30 बजे तक राहुकाल रहता है।

3. बुधवार को दोपहर 12 से 01:30 बजे तक का समय राहुकाल होता है।

4. गुरुवार को राहुकाल का स्टैंडर्ड समय दोपहर 01:30 से 03 बजे तक रहता है।

5. शुक्रवार को सुबह 10:30 से 12 बजे तक के समय का स्वामी राहु होता है।

6. शनिवार को सुबह 09 से 10:30 बजे तक राहुकाल होता है।

7. रविवार को राहुकाल का समय शाम 04:30 से 06 बजे तक रहता है।


राहुकाल में कौन-से काम नहीं करने चाहिए...


1. राहुकाल में नया बिजनेस नहीं शुरू करना चाहिए।

2. इस दौरान कोई यज्ञ आदि भी नहीं करने चाहिए।

3. राहुकाल में कोई बड़ा सौदा करने से भी बचना चाहिए।

4. राहुकाल में कोई शुभ काम जैसे सगाई, विवाह, गृह प्रवेश भी नहीं करना चाहिए।

5. राहुकाल में यात्रा करने से बचना चाहिए और यदि जरूरी हो तो पान, दही या कुछ मीठा खाकर घर से निकलना चाहिए।

व्यक्ति के जीवन में यानी कुंडली में अगर राहुदोष हो तो मानसिक तनाव, आर्थिक नुकसान, बीमारियां और दुख-दर्द झेलने पड़ते हैं. ज्योतिष में राहु दोष से मुक्ति के लिए कई तरह के उपाय बताए जाते हैं.

Rahukaal In Astrology: हिंदू धर्म और वैदिक ज्योतिष शास्त्र में किसी भी शुभ कार्य को संपन्न करने के लिए शुभ मुहूर्त का विचार अवश्य किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि शुभ मुहूर्त में किया गया कार्य हमेशा सफल रहता है. ज्योतिष शास्त्र में किसी पर्व या धार्मिक अनुष्ठान और संस्कारों में योग, मुहूर्त, ग्रह-नक्षत्रों की चाल और काल की गणना अवश्य की जाती है. जिस तरह से शुभ मुहूर्त की काल गणना होती है उसी प्रकार अशुभ मुहूर्त को भी विशेष ध्यान दिया जाता है. अशुभ मुहूर्त में राहु काल का जिक्र जरूर होता है. इस काल में कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है. दैनिक जीवन में राहु काल का विचार करके ही किसी शुभ कार्य को किया जाता है. आइए जानते हैं ज्योतिष में राहुकाल क्या होता है. इसकी गणना कैसे की जाती है और इसमें शुभ कार्य क्यों वर्जित माने जाते हैं ?

राहुकाल क्या होता है

राहुकाल, जैसा कि नाम से स्पष्ट होता है राहु और काल. वैदिक ज्योतिष में राहु ग्रह को बहुत ही पापी और क्रूर ग्रह माना जाता है. राहु से देवी-देवताओं पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है. व्यक्ति के जीवन में यानी कुंडली में अगर राहुदोष हो तो मानसिक तनाव, आर्थिक नुकसान, बीमारियां और दुख-दर्द झेलने पड़ते हैं. जिन लोगों पर राहु का प्रभाव पड़ता है उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ज्योतिष में राहु दोष से मुक्ति के लिए कई तरह के उपाय बताए जाते हैं. वहीं काल का अर्थ होता है समय खंड. जिसे वैदिक ज्योतिष शास्त्र में शुभ नहीं माना जाता है. इस कालखंड के स्वामी राहु होते हैं इस कारण से सबसे ज्यादा प्रभाव राहु की होता है. ऐसे में इस दौरान कोई भी महत्वपूर्ण कार्य नहीं किया जाता है. इस कालकंड में जिसे राहुकाल का समय कहा जाता है, उसमें किया जाने वाला कार्य का अच्छा परिणाम नहीं मिलता है. इसे राहुकाल कहा जाता है। हर दिन राहु का काल समय होता है.

राहुकाल की गणना कैसे होती है?

हर एक दिन राहुकाल जरूर होता है. दिन में किस समय राहुकाल और किस समय राहुकाल नहीं है, इसकी गणना पंचांग और वैदिक ज्योतिष शास्त्र में बताए गए सूत्रों के आधार पर किया जाता है. अलग-अलग जगहों पर राहु काल का समय अलग-अलग होता है क्योंकि इसकी गणना का आधार सूर्योदय और सूर्यास्त के समय से होता है. आइए जानते हैं राहुकाल की गणना कैसे की जाती है.

सबसे पहले आप जिस जगह का राहुकाल का पता लगाने चाहते हैं उस क्षेत्र में उस दिन के सूर्योदय और सूर्यास्त का समय पता कर लें. फिर इस पूरे समय को 8 बराबर भागों में बांट लें. राहुकाल का समय करीब डेढ़ घंटे का होता है।.मान लीजिए आप जिस जगह रहते हैं वहां पर सूर्योदय सुबह 6 बजे और सूर्यास्त शाम 6 बजे होता है. इस तरह से सोमवार को दूसरा, मंगलवार को सातवां, बुधवार को पांचवां, गुरुवार को छठा, शुक्रवार को चौथा, शनिवार को तीसरा और रविवार को आठवां हिस्सा राहुकाल कहलाता है.

सप्ताह में राहुकाल का समय

सोमवार प्रातः 7:30 – प्रातः 9:00

मंगलवार सांय 3:00 – सायं 4:30

बुधवार प्रातः 12:00 – सायं 1:30

बृहस्पतिवार सायं 1:30 – सायं 2:00

शुक्रवार प्रातः 10:30 – प्रातः 12:00

शनिवार प्रातः 9:00 – प्रातः 10:30

रविवार सायं 4:30 – सायं 6:00

राहुकाल के दौरान क्या करें क्या न करें

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राहुकाल के दौरान बहुत से काम नहीं करना चाहिए। जानते हैं कौन-कौन कार्य नहीं करना चाहिए.राहुकाल के दौरान कोई भी नया काम न करें. काम की शुरुआत राहुकाल के समय को ध्यान में रखते हुए पहले या बाद में करें.अगर आपको गृहप्रवेश करना है तो उस दिन राहुकाल में न करें.राहुकाल में कोई भी नई मंहगी लग्जरी चीज न खरीदें.किसी दुकान या प्रतिष्ठान के उद्घाटन राहुकाल में न करें.किसी व्यापार की शुरुआत राहुकाल में न करें.

राहुकाल में कौन से काम नहीं करने चाहिए?

*राहुकाल में विवाह, सगाई, धार्मिक कार्य या गृह प्रवेश जैसे कोई भी मांगलिक कार्य नहीं करते हैं। *इस काल में शुरु किया गया कोई भी शुभ कार्य बिना बाधा के पूरा नहीं होता। इसलिए यह कार्य न करें। *राहुकाल के दौरान अग्नि, यात्रा, किसी वस्तु का क्रय विक्रय, लिखा पढ़ी व बहीखातों का काम नहीं करना चाहिए

राहु काल में पूजा क्यों नहीं करनी चाहिए?

राहु काल में क्या न करें: 1. इस काल में यज्ञ, पूजा, पाठ आदि नहीं करते हैं, क्योंकि यह फलित नहीं होते हैं। 2. इस काल में नए व्यवसाय का शुभारंभ भी नहीं करना चाहिए

राहु का वार कौन सा है?

आचार्य डॉ. संजय.

राहु की पूजा कब करनी चाहिए?

राहु केतु पूजा के लिए सोमवार सर्वश्रेष्ठ दिन है।