इसलिए सभी ऐसे व्यापारिक घरानों को अपने उत्पादों के बारे में उपभोक्ताओं को अवगत कराना होता है और उन्हें ऐसे स्थानों पर पहुंचाना होता है जहां से उपभोक्ताओं को वे आसानी से उपलब्ध हो सकें। इस कार्य में बहुत सारी गतिविधियां शामिल हैं जैसे उत्पाद-योजना, मूल्य निर्धारण, प्रवर्तन, बिक्री के लिए मध्यस्थ लोग (थोक विक्रेता, खुदरा व्यापारी आदि) गोदाम, परिवहन आदि। इन सभी कार्यों और गतिविधियों को विपणन (मार्केटिंग) कहा जाता है। इस पाठ में हम विपणन की अवधारणा, इसके महत्त्व, उद्देश्य और कार्यों के बारे में जानेंगे। Show
विपणन का अर्थहम जानते हैं कि व्यवसायी हमारे उपयोग के लिए विभिन्न वस्तुओं और आपूर्ति सेवाओं का उत्पादन करते हैं। इनका उत्पादन अनिवार्य रूप से उन स्थानों पर नहीं होता है जहां उपभोक्ता इनका उपभोग करते हैं। आजकल गावों में भी संपूर्ण भारत और अन्य देशों में निर्मित उत्पाद उपलब्ध हैं। इसका अर्थ है कि उत्पादनकर्ता हमेशा इस प्रयत्न में रहते हैं कि उनके उत्पाद की मांग बनी रहे और संपूर्ण विश्व में अंतिम उपभोक्ता तक उनका उत्पाद उपलब्ध हो सके। इसलिए, जब आप रेडीमेड कमीज़ खरीदने बाजार जाते हैं, तो आप पाते हैं कि आपके सामने यह विभिन्न गुणवत्ता, रंग, मूल्य आदि में उपलब्ध हैं और आप अपनी इच्छानुसार कमीज़ खरीद सकते हैं। इसका यह भी अर्थ है कि उत्पादनकर्ता उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं, उनकी रुचि और प्राथमिकताओं को जानें और तदनुसार ही अपने उत्पाद की योजना बनाएं। यही नहीं, उत्पादनकर्ता को यह भी सुनिश्चित करना होता है कि लोग उनके उत्पाद एवं उनकी विशेषताओं के संबंध में जानें। vipnan ka arth यह सभी क्रियाएँ किसी भी व्यावसायिक प्रतिष्ठान के विपणन कार्यकलाप का हिस्सा कही जाती हैं। इस प्रकार विपणन उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं को जानने और विभिन्न वस्तुओं और आपूर्ति सेवाओं को संतोषजनक रूप से उन तक पहुंचाने की प्रक्रिया है जिससे कि उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति हो सके। वस्तुतः विपणन व्यावसायिक गतिविधियों का निष्पादन ही है जिसके द्वारा विभिन्न वस्तुएं और आपूर्ति सेवाएं उत्पादनकर्ता से उपभोक्ता तक आसानी से पहुंचती हैं। अमेरिकन मार्केटिंग एसोसिएशन के अनुसार विपणन एक संघटनात्मक क्रियाकलाप है और निर्माण, संप्रेषण और ग्राहक को सही कीमत प्रदान करने के लिए तथा ग्राहक के साथ संबंध को इस तरह व्यवस्थित और नियंत्रित करने के लिए जिससे संस्था और उसके पणधारी दोनों को लाभ हो- इन सब प्रक्रियाओं का एक समूह (Set) है। vipnan ka arth विपणन की पारंपरिक अवधारणापारंपरिक अवधारणा के अनुसार विपणन का अर्थ उत्पादित की गई वस्तओं और सेवाओं की बिक्री है। अतः वे सभी कार्य जो ग्राहकों को समझाना और वस्तुओं और आपूर्ति सेवाओं की बिक्री से संबंधित हैं. विपणन कहलाते हैं। विपणन की यह अवधारणा माल और सेवाओं के प्रवर्तन एवं बिक्री पर अधिक बल देती है और उपभोक्ता की संतुष्टि की ओर कम ध्यान देती है। इस अवधारणा के निम्नलिखित अर्थ हैं:-
पारंपरिक विपणन की अवधारणा केंद्रबिंदु उत्पाद साधन बिक्री लक्ष्य अधिक से अधिक बिक्री कर लाभ प्राप्ति विपणन की आधुनिक अवधारणाविपणन की आधुनिक अवधारणा के अंतर्गत उपभोक्ता की इच्छाएं और आवश्यकताएं ही विपणन की मार्गदर्शक होती हैं। अतः ऐसे माल और आपूर्ति सेवाओं को उपलब्ध कराने में ध्यान केंद्रित होता है जो उपभोक्ता की आवश्यकताओं को अच्छी प्रकार पूरा कर सके और उन्हें संतुष्ट कर सके। इस प्रकार विपणन उपभोक्ताओं की इच्छा और आवश्यकताओं को पहचान कर शुरू होता है और फिर ऐसे माल और आपूर्ति सेवाओं के उत्पादन की योजना बनती है जो उपभोक्ताओं को अधिक से अधिक संतुष्टि दे सके। दूसरे शब्दों में सामग्री और मशीनरी की उपलब्धता के कारण नहीं, बल्कि उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए ही माल और आपूर्ति सेवाओं के उत्पादन की योजना बनती है। यही नहीं, सभी गतिविधियां (कारखाने में निर्माण, शोध और विकास, गुणवत्ता नियन्त्रण, वितरण, विक्रय आदि) उपभोक्ता की संतुष्टि पर दिशा-केंद्रित होती हैं। इस प्रकार, विपणन की आधुनिक अवधारणा में निम्नलिखित बातों का समावेश है-
ऐसे उत्पाद का विकास जो ग्राहकों की आवश्यकताओं को पूरा कर सके; बिक्री संवर्धन के उपाय अपनाना ताकि ग्राहक उस उत्पाद के बारे में, उसकी विशेषता, गुणों और उसकी उपलब्धता आदि के बारे में जान सकें; लक्षित ग्राहकों की क्रय-शक्ति और भुगतान-इच्छा को ध्यान में रखते हुए उत्पाद का मूल्य-निर्धारण करना; उत्पाद का पैकेजिंग और श्रेणीकरण इसे अधिक आकर्षक बनाने के लिए करना और बिक्री संवर्धन के उपाय अपनाना ताकि ग्राहक उस उत्पाद को खरीदने के लिए प्रेरित हो सकें तथा ग्राहक की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए दूसरे अन्य उपायों (उदाहरणार्थ विक्रय के बाद की सेवाएं) को अपनाना।
विपणन की आधुनिक अवधारणा केंद्रबिंदु ग्राहक की आवश्यकता साधन समन्वित विपणन प्रयास लक्ष्य ग्राहक की संतुष्टि के द्वारा लाभ कमाना यह ध्यान देने की बात है कि व्यवसाय की सामाजिक प्रासंगिकता की जानकारी बढ़ने के साथ, विपणन को सामाजिक जरूरतों को ध्यान में रखना होगा और इस बात को सुनिश्चित करना होगा कि ग्राहक की संतुष्टि बढ़ाने के साथ, समाज के दीर्घकालीन हितों को ध्यान में रखा जाये। विपणन प्रबंधविपणन प्रबंध का अर्थ है विपणन कार्य का प्रबंधन। दूसरे शब्दों में विपणन प्रबंध से अभिप्राय उन क्रियाओं के नियोजन, संगठन, निदेशन एवं नियंत्रण से है जो उत्पादक एवं उपभोक्ता अथवा उत्पाद एवं सेवा के उपयोगकर्ता के बीच वस्तु एवं सेवाओं के विनिमय को सुगम बनाते हैं। विपणन प्रबंध बाज़ार में विपणन से इच्छित परिणाम प्राप्त करने पर केंद्रित रहता है। प्रबंध के परिप्रेक्ष्य में देखें तो विपणन की परिभाषा अमरीकन मैनेजमेंट ऐसोसियेशन ने इस प्रकार दी है, “यह विचार, वस्तु एवं सेवाओं की अवधारणा, मूल्य निर्धारण, प्रवर्तन एवं वितरण की नियोजन एवं क्रियान्वयन प्रक्रिया है जो विनिमय के लिए होती हैं जिससे व्यक्तिगत एवं संगठनात्मक उद्देश्यों की प्राप्ति होती है।" फिलिप कोटलर के शब्दों में, “विपणन प्रबंध बाज़ार का चयन करने एवं प्रबंध की अधिक श्रेष्ठ ग्राहक मूल्य पैदा करने, सुपुर्दगी करने एवं संप्रेषण करने के माध्यम से ग्राहकों को पकड़ना, उन्हें अपना बनाए रखना एवं उनमें वृद्धि करने की कला एवं विज्ञान है।" विपणन की परिभाषा का यदि ध्यान से विश्लेषण करें तो हम पायेंगे कि विपणन प्रबंध प्रक्रिया में निम्न सम्मिलित हैं
विपणन प्रबंध विभिन्न कार्य करता है जैसे विपणन गतिविधियों का विश्लेषण एवं नियोजन करना विपणन नियोजन का क्रियान्वयन तथा नियंत्रण तंत्र की स्थापना करना। यह कार्य इस प्रकार से किए जाते हैं कि संगठन के उद्देश्यों को न्यूनतम लागत पर प्राप्त किया जा सके। सामान्य रूप से विपणन प्रबंध का संबंध माँग के निर्माण से है। कुछ स्थितियों में प्रबंध की माँग को सीमित रखना होता है। उदाहरण के लिए आपूर्ति से भी अधिक माँग की स्थिति अर्थात् वह स्थिति जिसमें कंपनी जितनी माँग को पूरा कर सकती है अथवा करना चाहती है से माँग अधिक है। जैसे हमारे देश में 90 के दशक में उदारीकरण एवं वैश्वीकरण की नीति को अपनाने से पहले ऑटोमोबाइल अथवा इलेक्ट्रोनिक वस्तुओं या फिर स्थाई उत्पादों जैसे उपभोक्ता वस्तुओं की स्थिति थी। इन स्थितियों में विपणन प्रबंधकों का कार्य अस्थाई रूप से माँग को घटाने के रास्ते ढूँढ़ना है जैसे प्रवर्तन पर व्यय को कम करना या फिर मूल्यों में वृद्धि करना। इसी तरह से माँग अनियमित हो सकती है जैसे मौसमी उत्पादों (पंखे, ऊनी वस्त्र) के मामले में विपणनकर्ताओं का कार्य क्रेताओं को छोटी अवधि के देने जैसे उपायों के माध्यम से माँग के समय स्वरूप में परिवर्तन करना होता है। अतः विपणन प्रबंध का संबंध केवल माँग पैदा करना ही नहीं है बल्कि बाज़ार की स्थिति के अनुसार माँग का प्रभावी प्रबंधन भी है। विपणन प्रबन्ध दर्शनविपणन अवधरणा उत्पादक के दर्शन के आधार पर चलती है। उत्पादों को देखते हुए विपणन अवधारणा को निम्न प्रकार देखा जा सकता है -
विपणन और विक्रय में अंतर'विपणन' और 'विक्रय' शब्द परस्पर संबंधित हैं लेकिन पर्यायवाची नहीं। जैसे पहले कहा गया है कि 'विपणन' ग्राहक को संतुष्टि प्रदान कर लाभ को अर्जित करने पर बल देता है। 'विपणन' में ग्राहक की आवश्यकताओं और उसकी संतुष्टि पर ध्यान केंद्रित होता है। दूसरी तरफ 'विक्रय' उत्पाद पर केंद्रित है और उत्पाद को बेचने पर ही बल देता है। वस्तुतः 'विक्रय', 'विपणन' की व्यापक प्रक्रिया का एक छोटा अंग मात्र है जिसमें शुरू में उत्पाद और सेवाओं के विकास पर बल दिया जाता है और अंततः बिक्री की मात्रा को बढ़ाया जाता है। विपणन का एक दीर्घकालीन परिप्रेक्ष्य है जिसके अंतर्गत ग्राहक को अधिक से अधिक संतुष्टि प्रदान कर उत्पाद के लिए उसकी निष्ठा को जीतना होता है। लेकिन विक्रय का केवल बिक्री की मात्रा को बढ़ाने का एक लघुकालीन परिप्रेक्ष्य है। विपणन में ग्राहक एक राजा की तरह होता है जिसकी आवश्यकताओं को निश्चित रूप से पूरा करना होता है। विक्रय में उत्पाद महत्वपूर्ण होता है और पूरा ध्यान उसकी बिक्री पर होता है। विपणन उत्पादन से पहले शुरू होता है और वस्तु और सेवाओं के विनिमय के बाद भी जारी रहता है। यह इसलिए क्योंकि बिक्री पश्चात सेवाओं की व्यवस्था विपणन प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण अंग है। विक्रय उत्पादन के पश्चात शुरू होता है और वस्तु और सेवाओं के विनिमय के साथ ही समाप्त हो जाता है। विक्रय विपणन विक्रय ग्राहक को वस्तु और सेवाओं को खरीदने के लिए प्रेरित करने तक सीमित है। विपणन में विक्रय और दूसरी गतिविधियां जैसे प्रवर्तन के उपाय, विपणन शोध, बिक्री पश्चात सेवाएं आदि शामिल होती हैं। विक्रय उत्पादन प्रक्रिया समाप्त होने के बाद प्रारंभ होता है और ग्राहक द्वारा विक्रेता को मूल्य के भुगतान के साथ ही समाप्त हो जाता है। यह ग्राहक की आवश्यकताओं, इच्छाओं, प्राथमिकताओं, पसंद, नापसंद आदि के शोध से प्रारंभ होता है और बिक्री पश्चात सेवाओं को प्रदान करने के बाद भी जारी रहता है। इसका केंद्रबिंदु अधिक से अधिक बिक्री कर लाभ अर्जित करना है। इसका केंद्रबिंदु ग्राहक को अधिकतम संतुष्टि प्रदान कर लाभ अर्जित करना है। इसके द्वारा आंशिक तरीकों से लघुकालीन लाभ प्राप्त करना है। ग्राहक की आवश्यकता ही केंद्रबिंदु है जिसके चारों ओर विपणन की गतिविधियां घूमती है। इसकी सारी गतिविधियां तैयार किए गए उत्पाद के चारों तरफ घूमती हैं। यह एक संघटित तरीका है जिसके द्वारा दीर्घकालीन उद्देश्य जैसे ग्राहक को बनाना और उसे बनाए रखना होता है। विक्रेता की आवश्यकता पर बल देता है। ग्राहक की आवश्यकता पर बल देता है। विपणन में कुछ प्रासंगिक शब्दावलियां
बाजार के प्रकार क्षेत्र के अनुसार माल और वस्तुओं के अनुसार व्यवसाय की मात्रा के अनुसार स्थानीय बाजार क्षेत्रीय बाजार ग्रामीण बाजार राष्ट्रीय बाजार अंतर्राष्ट्रीय बाजार फलों का बाजार फर्नीचर का बाजार शेयर बाजार, आदि थोक बाजार खुदरा बाजार विपणन के कार्यविपणन का संबंध वस्तु एवं सेवाओं के उत्पादक तथा उपभोक्ता अथवा उपयोगकर्ता के बीच इस प्रकार से विनिमय से है जो उपभोक्ता की आवश्यकताओं की अधिकतम संतुष्टि प्रदान करता है। प्रबंध के कार्य के रूप में इसकी अनेक क्रियाएँ हैं जिनका वर्णन नीचे किया गया है- 1. बाज़ार संबंधी सूचना एकत्रित करना तथा उसका विश्लेषण करना एक विपणनकर्ता के महत्त्वपूर्ण कार्यों में से एक कार्य बाज़ार संबंधी सूचना एकत्रित करना तथा उसका विश्लेषण करना है। ग्राहकों की आवश्यकताओं की पहचान करना तथा वस्तु एवं सेवाओं के सफल विपणन के लिए विभिन्न निर्णय लेना आवश्यक है। संगठन के अवसर एवं कठिनाइयाँ तथा उसकी सुदृढ़ता एवं कमजोरियों का विश्लेषण करना तथा यह निर्णय लेना कि किन अवसरों का लाभ उठाने के लिए कार्य किया जाए यह अधिक महत्त्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था के कुछ क्षेत्र हैं जैसे इंटरनेट का प्रयोग, सैल फोनों का बाज़ार आदि जिनमें तीव्र विकास की संभावनाएं हैं। किस संगठन को किस क्षेत्र में कार्य करना चाहिए या फिर अपनी गतिविधियों का विस्तार करना चाहिए इसका निर्णय लेने के लिए संगठन की शक्तियों एवं कमजोरियों की ध्यान से जाँच करनी होती है जिसे बाज़ार के विश्लेषण की सहायता से किया जा सकता है। कंप्यूटर के विकास के कारण बाज़ार के संबंध में सूचना एकत्रित करने की नई प्रवृति पैदा हुई है। अधिक से अधिक कंपनियाँ इंटरनेट पर ऐसे साइट का उपयोग कर रही हैं जहाँ वे पारस्परिक विचार के द्वारा महत्त्वपूर्ण व्यावसायिक निर्णय लेने से पहले ग्राहकों के विचार एकत्रित करते हैं। टेलीवीजन के लोकप्रिय समाचार चैनलों (हिंदी) में से एक दर्शकों के विचार माँगते हैं (एस.एम.एस. के माध्यम से) कि दिन भर के चार अथवा पाँच मुख्य समाचारों में से किसी कहानी का प्राइम टाइम पर प्रसारण किया जाए। इससे दर्शक अपनी पसंद की कहानी सुन सकते हैं। 2. विपणन नियोजन संगठन के विपणन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए एक विपणनकर्ता का एक और महत्त्वपूर्ण कार्य अथवा क्षेत्र उचित विपणन योजना का विकास करना है। उदाहरण के लिए माना रंगीन टी.वी. का विपणनकर्ता जिसकी देश के बाज़ार में वर्तमान में 10 प्रतिशत की भागीदारी है अगली तीन वर्ष में इस भागीदारी को 20 प्रतिशत तक बढ़ाना चाहता है। इसके लिए उसे एक पूरी विपणन योजना तैयार करनी होगी जिसमें उत्पादन के स्तर में वृद्धि, वस्तुओं का प्रर्वतन आदि जैसे महत्त्वपूर्ण पक्ष सम्मिलित किए जाएँगे तथा इन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए क्रियान्वयन कार्यक्रम का निर्धारण भी होगा। 3. उत्पाद का रूपांकन एवं विकास विपणन का एक और महत्त्वपूर्ण कार्य अथवा निर्णय क्षेत्र उत्पाद का रूपांकन एवं विकास है। उत्पाद का रूपांकन लक्षित उपभोक्ताओं के लिए उत्पाद को और अधिक आकर्षित बनाने में सहायक होता है। एक अच्छा स्वरूप उत्पाद की उपयोगिता को बढ़ा सकता है तथा बाज़ार में इसे और अधिक प्रतियोगी बना सकता है। उदाहरण के लिए जब हम किसी उत्पाद के क्रय का मन बनाते हैं जैसे मोटर साईकल, तब हम न केवल इस की लागत, प्रति मीटर दूरी तय करना आदि विशेषताओं को देखते हैं बल्कि इसके डिजाइन पक्ष को भी देखते हैं जैसे आकार, स्टाइल आदि। 4. प्रमापीकरण (मानकीकरण) एवं ग्रेड तय करना प्रमापीकरण का अर्थ है पूर्व निर्धारित विशिष्टताओं के अनुरूप वस्तुओं का उत्पादन करना जिससे उत्पाद में एकरूपता तथा अनुकूलता आती है प्रमापीकरण क्रेताओं को यह सुनिश्चित करता है कि वस्तुएँ पूर्व निर्धारित गुणवत्ता, मूल्य एवं पैकेजिंग के मानकों के अनुसार हैं। इससे उत्पादों के निरीक्षण, जाँच एवं मूल्यांकन की आवश्यकता कम हो जाती है। ग्रेड निर्धारण उत्पाद का गुणवत्ता, आकार आदि महत्त्वपूर्ण विशेषताओं के आधार पर विभिन्न समूहों में वर्गीकृत करना है। श्रेणीकरण विशेष रूप से उन उत्पादों के लिए आवश्यक है जिनका पूर्व निर्धारित विशिष्टताओं के अनुसार उत्पादन नहीं किया जाता जैसे गेहूँ, संतरे आदि। श्रेणीकरण यह सुनिश्चित करता है कि वस्तुएँ एक विशेष गुणवत्ता वाली हैं तथा उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों को ऊँचे मूल्य पर बेचने में सहायक होता है। 5. पैकेजिंग एवं लेबलिंग पैकेजिंग का अर्थ है उत्पाद के पैकेज का रूपाकंन करना। लेबलिंग में पैकेज पर जो लेबल लगाए जाते हैं उनका रूपांकन किया जाता है। लेबल साधारण फीता से लेकर जटिल ग्राफिक्स तक अनेक प्रकार के होते हैं। पैकेजिंग एवं लेबलिंग वर्तमान विपणन में इतने महत्त्वपूर्ण हो गए हैं कि इन्हें विपणन का स्तंभ माना जाने लगा है। पैकेजिंग न केवल वस्तु को सुरक्षित रखता है बल्कि यह वस्तु प्रवर्तन के साधन का कार्य भी करता है। कभी-कभी क्रेता पैकेजिंग से ही उत्पाद की गुणवत्ता का आकलन करते हैं। आज के समय में लेस' अथवा 'अंकल चिप्पस' आलू के वैफर्स, क्लीनिक प्लस शैम्पू तथा कॉलगेट टूथपेस्ट आदि उपभोक्ता ब्रांड की सफलता में पैकेजिंग की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। 6. ब्रांडिंग अधिकांश उपभोक्ता उत्पादों के विपणन के लिए एक महत्त्वपूर्ण निर्णय यह लिया जाता है कि क्या उत्पाद को इसके वर्ग विशेष के नाम (उत्पाद किस वर्ग का है जैसे पंखे, पैन आदि) से बेचा जाए अथवा इनकी बिक्री ब्रांड के नाम (जैसे पोलर पंखे अथवा रोटोमेक पेन) से की जाए। ब्रांड का नाम उत्पाद को अन्य उत्पादों से भिन्न बनाता है, जो किसी फर्म के उत्पाद को प्रतियोगी के उत्पाद से अंतर का आधार बन जाता है जिससे उत्पाद के लिए उपभोक्ता का लगाव पैदा होता है तथा इससे बिक्री संवर्धन में सहायता मिलती है। ब्रांडिग के संबंध में जो निर्णय लिए जाते हैं उनमें एक तो ब्रांडिग की रणनीति के संबंध में है जैसे क्या प्रत्येक उत्पाद के लिए अलग-अलग ब्रांड नाम दिए जाएं या फिर कंपनी के सभी उत्पादों के लिए एक ही ब्रांड नाम हो जैसे फिलिप्स बल्ब, ट्यूब एवं टेलीविजन या फिर वीडियोकॉन कपड़े धोने की मशीन, टेलीवीजन एवं रेफरीजरेटर। किसी उत्पाद की सफलता सही ब्रांड नाम का चयन महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 7. ग्राहक समर्थन सेवाएँ विपणन प्रबंध का एक महत्त्वपूर्ण कार्य ग्राहक समर्थक सेवाओं का विकास करना है जैसे बिक्री के बाद की सेवाएँ, ग्राहकों की शिकायत को दूर करना एवं समायोजनों को देखना साख सेवाएँ, रख-रखाव सेवाएँ, तकनीकी सेवाएं प्रदान करना एवं उपभोक्ता सूचनाएँ देना। ये सभी सेवाएँ ग्राहकों को अधिकतम संतुष्टि प्रदान करती हैं जो आज के समय में विपणन की सफलता की कुंजी है। ग्राहक समर्थक सेवाएँ ग्राहकों द्वारा बार-बार क्रय करने एवं उत्पाद के ब्रांड के प्रति स्वामी भक्ति विकसित करने में अत्यधिक प्रभावी सिद्ध होती हैं। 8. उत्पाद का मूल्य निर्धारण उत्पाद का मूल्य वह राशि है जिसका भुगतान उत्पाद को प्राप्त करने के लिए ग्राहक को करना होता है। मूल्य एक महत्त्वपूर्ण तत्व है जो बाज़ार में किसी उत्पाद की सफलता अथवा असफलता को प्रभावित करता है। किसी वस्तु अथवा सेवा की माँग का उसके मूल्य से सीधा संबंध है। सामान्यतः यदि मूल्य कम है तो उत्पाद की माँग अधिक होगी इसके विपरीत मूल्य के अधिक होने पर माँग कम हो जाती है। विपणनकर्ताओं को मूल्य निर्धारक तत्वों का ठीक से विश्लेषण करना होता है तो इस संबंध में कई महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने होते हैं जैसे मूल्य निर्धारण के उद्देश्यों का निर्धारण मूल्य के संबंध में रणनीति का निर्धारण मूल्यों का निर्धारण करना तथा उनमें परिवर्तन लाना। 9. संवर्धन वस्तु एवं सेवाओं के संवर्धन में उपभोक्ताओं को फर्म के उत्पाद एवं उसकी विशेषताओं के संबंध में सूचना देना तथा उन्हें इन उत्पादों को क्रय करने के लिए प्रेरित करना सम्मिलित होता है। बिक्री प्रवर्तन की चार महत्त्वपूर्ण पद्धतियाँ हैं विज्ञापन, व्यक्तिगत विक्रय, प्रचार एवं विक्रय संवर्धन। वस्तु एवं सेवाओं के प्रवर्तन के संबंध में विपणनकर्ता को कई महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने होते हैं जैसे प्रवर्तन बजट, प्रवर्तन मिश्र अर्थात् उन सभी प्रवर्तन की विधियों का समिश्रण जिनका उपयोग करना है, प्रवर्तन बजट आदि। 10. वितरण वस्तु एवं सेवाओं के विपणन का एक और महत्त्वपूर्ण कार्य भौतिक वितरण का प्रबंधन है। इस कार्य में दो के संबंध में निर्णय लिए जाते हैं-
वस्तुओं के वितरण के संबंध में जो निर्णय लिए जाते हैं वे हैं संग्रहित माल का प्रबंधन (माल के स्टॉक का स्तर), माल का गोदाम में भंडारण एवं वस्तुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान तक लाना ले जाना। 11. परिवहन परिवहन का अर्थ है माल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाना। सामान्यतः उत्पादों के उपयोगकर्ता विशेषतः उपभोग की वस्तुओं के उपयोगकर्ता दूर-दूर तक फैले हुए होते हैं तथा इनके उत्पादन स्थल से अलग स्थानों पर होते हैं। इसीलिए इन्हें उन स्थानों को ले जाया जाता है जहाँ इनकी उपभोग अथवा उपयोग के लिए आवश्यकता है। उदाहरण के लिए असम में जिस चाय का उत्पादन होता है उसके न केवल राज्य के भीतर परिवहन की आवश्यकता है बल्कि दूर-दूर स्थान जैसे तमिलनाडु, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा तथा राजस्थान में भी पहुँचाया जाता है। विपणन की फर्म को अपनी परिवहन की आवश्यकताओं का विश्लेषण के समय कई तत्वों को ध्यान में रखना होता है जैसे उत्पाद की प्रकृति, बाज़ार, जहाँ बेचना है, की लागत तथा स्थान तथा परिवहन के साधन तथा इससे जुड़े अन्य पहलुओं के संबंध में भी निर्णय लेना होता है। 12. संग्रहण अथवा भंडारण साधारणतया वस्तुओं के उत्पादन अथवा जुटाने तथा उनकी बिक्री अथवा उपयोग के बीच समय का अंतर होता है। इसका कारण एक ओर अनियमित माँग जैसे ऊनी कपड़े अथवा बरसाती या फिर अनियमित पूर्ति जैसे कृषि उत्पाद (गन्ना, चावल, गेहूँ, कपास आदि) हो सकता है। बाज़ार में उत्पादों का प्रवाह बना रहे इसके लिए उत्पादों के उचित भंडारण की आवश्यकता है। माल की सुपुर्दगी में ऐसी देरी हो सकती है जिससे बचा नहीं जा सकता या फिर अचानक ही वस्तु की माँग की पर्ति करनी हो सकती है इस सबके लिए भी पर्याप्त मात्र में माल का संग्रहण आवश्यक है। विपणन के इस संग्रहण के कार्य को जो विभिन्न एजेंसियाँ करती हैं वे हैं विनिर्माता, थोक विक्रेता तथा फुटकर विक्रेता। विपणन का महत्वव्यवसाय, उपभोक्ता और समाज के लिए विपणन बहुत महत्वपूर्ण है। निम्नलिखित बातें इसे स्पष्ट करती हैं :
विपणन के उद्देश्यविपणन के महत्वपूर्ण बिंदुओं को जानने के बाद, आइए, हम विपणन के मूल उद्देश्यों पर चर्चा करें।
विपणन किसका किया जा सकता है?
विपणन में निष्पादित कार्यकलापआपने जाना कि विपणन उन व्यावसायिक गतिविधियों का निष्पादन है जिससे माल और सेवाएं उत्पादनकर्ता से उपभोक्ता या ग्राहक तक पहुंचती हैं। आइए, अब जानें कि वे गतिविधियां कौन-सी हैं? इनका संक्षेप में नीचे वर्णन किया गया है।
विपणन का संबंध ग्राहक की आवश्यकताओं की पहचान सुनिश्चित करने तथा विभिन्न माल और सेवाओं को उनकी आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए उन तक पहुँचाने की प्रक्रिया से है। पांरपरिक विपणन माल और सेवाओं के विक्रय का पर्यायवाची था। विपणन की यह अवधारणा वस्तुओं और सेवाओं के विक्रय संवर्धन पर बल देती है और इसमें उपभोक्ता की संतुष्टि पर बहुत कम ध्यान दिया जाता है। आधुनिक अवधारणा के अनुसार, विपणन उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं की पहचान से प्रारंभ होता है और उसके बाद उपभोक्ता को पूर्ण संतुष्टि प्रदान करने वाले वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन की योजना बनती है। 'विपणन' और 'विक्रय' शब्द परस्पर संबंधित हैं, लेकिन पर्यायवाची नहीं। जहाँ विक्रय उत्पादन समाप्त होने के बाद शुरू होता है, वहीं विपणन उपभोक्ता की आवश्यकताओं, इच्छाओं और प्राथमिकताओं को पहचान कर शुरू होता है। विपणन ग्राहक के चारों ओर घूमता है, वहीं विक्रय उत्पाद के चारों ओर घूमता है। विपणन ग्राहक की संतुष्टि को ध्यान में रखता है, वहीं विक्रय केवल लाभ की तलाश में रहता है। विपणन ग्राहक की बदलती रूचियों को देखते हुए और प्रतिस्पर्धी संकटों से जूझते हुए व्यवसाय की प्रगति में सहायता करता है। विपणन ग्राहक को बेहतर वस्तुओं और सेवा प्रदान करने में सहायक होता है तथा समय और स्थान से निरपेक्ष होकर भी विभिन्न माप, गुणवत्ता और मूल्य वाले अनेकों उत्पादों को उपभोक्ताओं को उपलब्ध करा कर उनकी सेवा करता है। विपणन ग्राहकों को उनकी आवश्यकताएं पूरा करने के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले उत्पादों को उपलब्ध कराता है। विपणन बाजार में विक्रय संवर्धन उपायों का प्रयोग कर उत्पाद की मांग को बढ़ाता है। नए ग्राहक बनाने में, पुराने ग्राहकों को बनाए रखने में और व्यवसाय के लिए लाभ और ख्याति पैदा करने में भी विपणन सहायक होता है। विपणन के अंतर्गत बहुत-से कार्य और गतिविधियां होती हैं जैसे विपणन शोध, उत्पाद योजना और विकास, खरीदना और एकत्र करना पैकेजिंग, मानकीकरण और श्रेणीकरण, ब्रांडिंग, उत्पाद का मूल्य-निर्धारण, उत्पादक संवर्धन, वितरण, विक्रय, संग्रहण और भंडारण, और परिवहन।। उत्पाद से आप क्या समझते हैं?फिलिप कोटलर के शब्दों में, ''उत्पाद कोई भी ऐसी चीज है जिसे किसी इच्छा या आवश्यकता की सन्तुष्टि के लिए बाजार में प्रस्तावित किया जा सकता है। विपणन किये जाने वाले उत्पादों में भौतिक माल, सेवाएँ, अनुभव, घटनाएँ, व्यक्ति, स्थान, सम्पदाएँ, संगठन, सूचनाएँ एवं विचार शामिल है।''
उत्पाद विकास से आप क्या समझते हैं?व्यापार और इंजीनियरिंग में, नवीन उत्पाद विकास से आशय किसी नए उत्पाद को बाजार में लाने, या मौजूदा उत्पाद को नवीनीकृत करने या नए बाजार में उत्पाद पेश करने की पूरी प्रक्रिया से है। नवीन उत्पाद विकास के अन्तर्गत अन्य बातों के अलावा उत्पाद की डिजाइन सबसे महत्वपूर्ण है।
उत्पाद की पहचान क्या है?कंपनी सामान पर कोड, सीरियल नंबर, मॉडल नंबर, ट्रेडमार्क और पेटेंट संबंधी सूचना जैसे बहुत से विवरण छापती है. नकली उत्पाद कंपनियां इनमें से बहुत सी जानकारी कॉपी करना भूल जाती हैं. आप इन नंबर को चेक कर भी प्रोडक्ट के असली-नकली होने का पता लगा सकते हैं.
उत्पाद के प्रकार कितने होते हैं?उत्पादन के प्रकार या रूप या तरीके अथवा उपयोगिता सृजन की रीतियां या विधियां. स्थान परिवर्तन द्वारा उत्पादन ... . रूप मे परिवर्तन द्वारा उत्पादन ... . समय परिवर्तन द्वारा उत्पादन ... . अधिकार परिवर्तन द्वारा उत्पादन ... . ज्ञान मे वृद्धि द्वारा उत्पादन ... . सेवा द्वारा उत्पादन. |