इसे सुनेंरोकेंकोई भी पौधा अपना जीवनचक्र बिना पोषक तत्वों के पूर्ण नहीं कर सकता क्योंकि सभी पौधों को बढ़वार और विकास के लिये कम से कम सोलह तत्वों की आवश्यकता होती है। इनमें से कार्बन, हाइड्रोजन और आक्सीजन पानी तथा हवा से प्राप्त होते हैं । अन्य 13 तत्व भूमि, उर्वरक तथा खादों से मिलते हैं। Show
उर्वरकों से कौन से पोषक तत्व प्राप्त होते हैं?पौधों के लिये आवश्यक पोषक तत्व
प्राथमिक पोषक तत्व कौन कौन से हैं? पढ़ना: बर्फ का रासायनिक नाम क्या है? इसे सुनेंरोकेंअन्य 14 में से 3 प्राथमिक पोषक तत्व नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश, तथा 3 द्वितीयक पोषक तत्व कैल्शियम, मैग्नीशियम गंधक (सल्फर), एवं 8 सूक्ष्म पोषक तत्व जिंक, आयरन, कॉपर, क्लोरीन, मैंगनीज, बोरोन, मोलिब्डिनम एवं निकिल है। मिट्टी में कितने तत्व होते हैं?इसे सुनेंरोकेंकृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि मिट्टी की अच्छी सेहत के लिए 16 तत्वों की आवश्यकता होती है। कार्बन, हाइड्रोजन, आक्सीजन वातावरण और जल से मिलते हैं, जबकि नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, कैल्शियम, मैगभनीशियम, सल्फर, जिंक, आयरन, बोरान, मैगभनीज, कापर, मालीबेडनम और क्लोरीन अन्य स्रोतों से पूरा किया जाता है। इसे सुनेंरोकेंमुख्य पोषक तत्व- नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटाश। गौण पोषक तत्व- कैलशियम, मैग्नीशियम एवं गन्धक। सूक्ष्म पोषक तत्व- लोहा, जिंक, कापर, मैग्नीज, मालिब्डेनम, बोरान एवं क्लोरीन। पौधों में आवश्यक पोषक तत्व एवं उनके कार्य 👉🏻 पौधों के सामान्य विकास एवं वृद्धि हेतु कुल 16 पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। जानवरों और पौधों में खाने की प्रक्रिया अलग कैसे होती है?इसे सुनेंरोकेंआप पौधों प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया से अपने स्वयं के भोजन तैयार कर सकते हैं, लेकिन जानवरों नहीं कर सकते हैं कि 1 अध्याय में सीखा है. पशु पौधों से उनके भोजन मिलता है, या तो सीधे पौधों को खाने से या अप्रत्यक्ष रूप से पौधों को खाते हैं कि जानवरों के खाने से. पढ़ना: परसेंटेज का फार्मूला क्या है? पौधों में पोषण कैसे होता है? इसे सुनेंरोकेंपौधों में पोषण के तरीके (Process of Nutrition in Plants) क्लोरोफिल की उपस्थिति में सूर्य की रोशनी से ऊर्जा का उपयोग करके हरे पौधे कार्बन डाइऑक्साइड और पानी से अपना स्वयं का भोजन बनाते हैं, जिस प्रक्रिया को फोटोसिंथेसिस कहा जाता है। हरे पौधों को भी ऊर्जा प्राप्त करने के लिए फूस की आवश्यकता होती है। पौधे के पोषक तत्व कौन कौन से हैं?इसे सुनेंरोकेंइनमें से मुख्य तत्व कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश है। नाइट्रोजन, फास्फोरस तथा पोटाश को पौधे अधिक मात्रा में लेते हैं, इन्हें खाद-उर्वरक के रूप में देना जरूरी है। फसलों की पर्याप्त वृद्धि, पैदावार और गुणवत्ता के लिये पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। प्रकृति में स्वाभाविक रूप से 16 तत्व पाये जाते हैं, जो पौधों के मेटाबॉलिज्म की कार्यप्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन पोषक तत्वों के अभाव से पौधे अपना जीवनचक्र पूरा नहीं कर पाते है और इसलिये, उन्हें पौधों की वृद्धि के लिये जरूरी पोषक तत्व माना जाता है। किसी भी जीवित प्राणी को विकास करने के लिए पोषक तत्वों की जरूरत होती है. हर प्राणी के लिए पोषक तत्व अलग अलग प्रकार के होते हैं. बात करें पेड़ पौधों के बारें में इनको जिंक, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, कॉपर, मैंगनीज, कैल्शियम, मैग्नीशियम और गंधक जैसे कई तरह के पोषक तत्वों की जरूरत होती है. इन पोषक तत्वों की कमी और अधिकता होने पर पौधे में कई तरह के परिवर्तन देखने को मिलते हैं. आज हम आपको पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की जरूरत और कमी होने से पौधों में उत्पन्न होने वाले प्रभावों के बारें में बताने वाले हैं. Table of Contents
नाइट्रोजननाइट्रोजन पौधों के लिए एक बहुत ही आवश्यक तत्व है. जमीन में नाइट्रोजन की आपूर्ति के लिए फसल चक्र अपनाना चाहिए. फसल चक्र के दौरान फली वाली फसलों को उगाने से जमीन में नाइट्रोजन की आपूर्ति बनी रहती है. पौधों में नाइट्रोजन के इस्तेमाल से पौधे की जड़, तना और पत्तियों में विकास देखने को मिलता है. इसके अलावा हरे चारे और सब्जी वाली फसलों में इसके इस्तेमाल से कई बार पैदावार ली जा सकती है. नाइट्रोजन की कमी के प्रभाव
नाइट्रोजन की अधिकता के प्रभाव
फास्फोरसफास्फोरस भी पौधों के लिए काफी उपयोगी होता है. फास्फोरस पौधों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में सहायक होता है. फास्फोरस की उचित मात्रा पौधों को मिलने पर फलों का विकास अच्छे से होता है. इसके अलावा पौधे की जड़ें भी अच्छे से विकास करती हैं. फास्फोरस की कमी के प्रभाव
फास्फोरस की अधिकता के प्रभाव
पोटेशियमपोटेशियम के इस्तेमाल से पौधे प्रतिकूल मौसम में भी अच्छे से विकास करते हैं. इसकी के इस्तेमाल से पौधों पर अधिक बारिश और सर्दी का असर कम देखने को मिलता हैं. भूमि में इसकी मात्रा संतुलित होने पर पौधा आसानी से विकास करता है. पोटेशियम भूमि में एंजाइमो की क्रियाशीलता को नियंत्रित करता है. पोटेशियम की कमी के प्रभाव
पोटेशियम की अधिकता के प्रभाव
जिंक ( जस्ता )जिंक के इस्तेमाल से पौधे अच्छे से विकास करते हैं. जिंक भूमि में एंजाइम की क्रियाशीलता को बढ़ा देती है. इसकें अलावा इसका इस्तेमाल क्लोरोफिल के निर्माण में उत्प्रेरक की तरह होता है. जिससे पौधा अच्छे से विकास करने लगता है. जिंक की कमी के प्रभाव
कॉपर ( तांबा )कॉपर भूमि में इंडोल एसिटिक अम्ल की वृद्धि में सहायक होता है. जिससे भूमि में कार्बनिक पदार्थोँ की मात्रा नियंत्रित रहती है. और पौधे भी अच्छे से विकास करते हैं. कॉपर की कमी के प्रभाव
बोरानबोरान अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों से ज्यादा जरूरी होता है. क्योंकि इसकी कमी होने पर पौधों में प्रजनन की क्रिया नही हो पाती जिससे पैदावार काफी कम प्राप्त होती है. बोरान पौधों में आंतरिक पानी की मात्रा के संतुलन का काम करता है. जिसकी कमी होने से पौधे का विकास रुक जाता है. बोरान भूमि में कैल्शियम और पोटैशियम के अनुपात को नियंत्रित करता है. इसके अलावा यह डी.एन.ए., आर.एन.ए. और प्रोटीन के संश्लेषण में भी सहायक होता है. बोरान की कमी के प्रभाव
मैंगनीजभूमि में पाई जाने वाली मैंगनीज की मात्रा भी पौधे के विकास में सहायक होती है. मैंगनीज पौधों में ऑक्सीकरण और अवकरण की क्रिया में सहायक होता है. मैंगनीज पौधों में होने वाली प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में भी भाग लेता है. जिससे पौधों को भोजन प्राप्त होता है. मैंगनीज पौधों में कार्बोहाइड्रेट के ऑक्सीकरण के दौरान कार्बन ऑक्साइड और जल के निर्माण में सहायक का काम करता है. मैंगनीज की कमी के प्रभाव
क्लोरीनक्लोरीन पौधों के लिए सूक्ष्म तत्व का कार्य करता है. इसके प्रभाव से पौधों की पत्तियों में पर्णहरित का निर्माण होता है. क्लोरीन पौधों की पंक्तियों में पानी रोकने का भी काम करता है. जिससे पौधों का विकास होता है. क्लोरीन की कमी के प्रभाव
मॉलिब्डेनममॉलिब्डेनम दलहनी फसलों में अधिक उपयोग में आता है. मॉलिब्डेनम दलहनी फसलों में नाइट्रोजन की मात्रा को नियंत्रित करता है. इसके अलावा ये पौधों में विटामिन और शर्करा के संश्लेषण में सहायक होता है. मॉलिब्डेनम की कमी के प्रभाव
आयरन ( लोहा )आयरन पौधों में क्लोरोफिल के संश्लेषण का काम करता है. जिसकी वजह पौधों में सूर्य की प्रकाशीय ऊर्जा का रासायनिक ऊर्जा में रूपान्तरित होता है. और पौधे विकास करते हैं. इसके अलावा आयरन भूमि में कई तरह के एंजाइमों के लिए आवश्यक तत्व का काम करता है. आयरन की कमी के प्रभाव
गंधकगंधक का इस्तेमाल से तिलहनी फसलों में तेल की मात्रा अधिक पाई जाती है. भूमि में इसकी कमी होने पर प्याज, सरसों और लहसुन जैसी फसलों की पैदावार कम प्राप्त होती है. तम्बाकू की खेती में इसकी पूर्ति होने से पैदावार 30 प्रतिशत तक बढ़ जाती हैं. गंधक की कमी के प्रभाव
इनके अलावा वैनेडियम, कोबाल्ट, सोडियम और सिलिकॉन जैसी सूक्ष्म तत्व भी भूमि में पाए जाते हैं. जो पौधों के विकास के लिए सहायक होते हैं. लेकिन पौधों को इनकी कम मात्रा की जरूरत होती है. इन पोषक तत्वों में किसी की भी कमी होने से पौधों का विकास प्रभावित हो जाता है. पौधों को कितने पोषक तत्व चाहिए?मुख्य पोषक तत्व- नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटाश। गौण पोषक तत्व- कैलशियम, मैग्नीशियम एवं गन्धक। सूक्ष्म पोषक तत्व- लोहा, जिंक, कापर, मैग्नीज, मालिब्डेनम, बोरान एवं क्लोरीन। पौधों में आवश्यक पोषक तत्व एवं उनके कार्य 👉🏻 पौधों के सामान्य विकास एवं वृद्धि हेतु कुल 16 पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है।
पौधों का मुख्य पोषक तत्व कौन सा है?इनमें से मुख्य तत्व कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश है। नाइट्रोजन, फास्फोरस तथा पोटाश को पौधे अधिक मात्रा में लेते हैं, इन्हें खाद-उर्वरक के रूप में देना जरूरी है।
पोषक तत्व कितने प्रकार के होते हैं?कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फैट, विटामिन, खनिज और जल कुछ ऐसे पोषक तत्व है जिनकी आवश्यकता शरीर को सबसे ज्यादा होती है।
पौधों की वृद्धि के लिए कितने आवश्यक तत्वों की जरूरत होती है?पौधों को 17 तत्वों की आवश्यकता होती है, जिनके बिना पौधे की वृद्धि-विकास और प्रजनन आदि क्रियाएं सम्भव नहीं हैं, लेकिन इनमें कुछ मुख्य तत्व इस प्रकार हैं, कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश है।
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