Contents पृथ्वी की उत्पत्ति वैज्ञानिक संकल्पना (Origin of Earth Scientific Concept)–इसके अन्दर कास्तेद बफन का नाम सबसे पहले आता है जिन्होंने 1749 में इस सम्बन्ध में अपना मत दिया था. इसके बाद अनेक विद्वानों ने अपने-अपने मत दिए, जिससे आज तक अनेक परिकल्पनाओं तथा सिद्धान्तों का प्रतिपादन हो चुका है, परन्तु किसी भी मत को पूर्णरूप से मान्यता नहीं मिल सकी है. ग्रहों की उत्पत्ति में भाग लेने वाले तारों की संख्या के आधार पर वैज्ञानिक संकल्पनाओं को दो वर्गों में बांटा जाता है.
अद्वैतवादी संकल्पना (Monistic Concept)
भंवरदार गति को भौतिक राशि के द्वारा नापा जाता है. इसे कोणीय संवेग कहते हैं. यह वस्तु के आकार तथा उसकी घूर्णन की गति पर आधारित होता है.
धीरे-धीरे धूल के भारी कण घूमती हुई डिस्क के केन्द्र की ओर जमा होने लगे तथा गैस बाहर की ओर रह गई. इसलिए आज सौर परिवार के बाह्य ग्रह गैसों से बने हल्के विशालकाय पिंड हैं जबकि इसके विपरीत आंतरिक ग्रह शैल निर्मित और भारी हैं. इस प्रकार नेबुला से एक-एक करके नौ ग्रह बन गए और पृथ्वी इन ग्रहों में से एक है. द्वैतवादी संकल्पना (Binary Concept) पृथ्वी की उत्पत्ति वैज्ञानिक संकल्पना
इसके बाद घूर्णन एवं ज्वारीय परिकल्पना (Rotational and Tidal Hypothesis) को रॉसन के द्वारा जन्म दिया गया और आखिर में 1947 में इ.म.ड्रोवी शेवस्की ने बृहस्पति-सूर्य द्वैतारक परिकल्पना (Jupiter-Sun Binary System Hypothesis) का प्रतिपादन किया. इन सभी विद्वानों में चैम्बरलिन की ग्रहाणु परिकल्प (Planetesimal Hypothesis of Chamberlin) बहुत महत्वपूर्ण है.
इस तरह बहुत सारे ग्रहाणुओं ने सम्मिलित होकर बड़े आकार में परिवर्तित होकर ग्रहों का रूप धारण कर लिया जिसमें से पृथ्वीएक थी. अभी भी ये सारी परिकल्पनाएं सर्वमान्य प्रमाणों के अभाव में कामयाबी प्राप्त नहीं कर पाई हैं क्योंकि इनके प्रतिपादित होते ही इनका खण्डन होना शुरू हो जाता था और इस प्रक्रिया में नए सिद्धान्तों का जन्म हो जाता था. पृथ्वी की उत्पत्ति वैज्ञानिक संकल्पना (Origin of Earth Scientific Concept in Hindi) पृथ्वी की उत्पत्ति की अद्वैतवादी कल्पना क्या थी?अद्वैतवादी संकल्पना ( Monistic Concept ) इसे एक तारक सिद्धांत भी कहा जाता है। इस सिद्धांत के अनुसार पृथ्वी तथा सौरमंडल के सभी पिंड – ग्रह, उपग्रह, क्षुद्र ग्रह इत्यादि की उत्पत्ति एक तारे ( सूर्य ) से हुई है। सौरमंडल की उत्पत्ति सूर्य से हुई है।
पृथ्वी की उत्पत्ति का सिद्धांत क्या है?यह सिद्धांत जीन्स के द्वारा 1919 में दिया गया। इसके अनुसार एक गुजरते हुए तारे के कारण सूर्य पर ज्वारीय प्रभाव हुआ। गुजरते हुए तारे के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव के कारण सिगार के आकार की एक प्रक्षेपण (projection) सूर्य से बाहर निकला और जिससे पैतृक (parental) पिंड का निर्माण हुआ।
पृथ्वी की उत्पत्ति किसने कब और कैसे हुई समझाइए?पृथ्वी के इतिहास का पहला युग, जिसकी शुरुआत लगभग 4.54 बिलियन वर्ष पूर्व (4.54 Ga) सौर-नीहारिका से हुई अभिवृद्धि के द्वारा पृथ्वी के निर्माण के साथ हुई, को हेडियन (Hadean) कहा जाता है। यह आर्कियन (Archaean) युग तक जारी रहा, जिसकी शुरुआत 3.8 Ga में हुई।
अद्वैतवाद संकल्पना क्या है?1 अद्वैतवादी संकल्पना(Monistic concept) :-
इस संकल्पना के अनुसार सौरमंडल की उत्पत्ति एक ही वस्तु से हुई है इस संकल्पना में कांट की वायव्य राशि परिकल्पना और लाप्लास की निहारिका परिकल्पना महत्वपूर्ण है।
|