उत्तर: भगत की पुत्रवधू उनकी सेवा करना चाहती थी। वह नहीं चाहती थी कि एक बूढ़े आदमी को अकेले रहना पड़े। इसलिए वह उन्हें अकेले छोड़ना नहीं चाहती थी। Show प्रश्न 3: भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर अपनी भावनाएँ किस तरह व्यक्त कीं? उत्तर: अपने बेटे की मृत्यु पर भगत ने गाना गाकर अपनी भावनाएँ व्यक्त कीं। वह अपनी बहू से भी बेटे की मौत का उत्सव मनाने को कहते थे। उनका मानना था कि मृत्यु से तो आत्मा का परमात्मा में मिलन हो जाता है इसलिए इस अवसर पर खुशी मनानी चाहिए। प्रश्न 4: भगत के व्यक्तित्व और उनकी वेशभूषा का अपने शब्दों में चित्र प्रस्तुत कीजिए। उत्तर: भगत की उम्र साठ के ऊपर रही होगी। चेहरा सफेद बालों से जगमग करता था। वे केवल एक लंगोटी पहने थे। जाड़े में एक कम्बल जरूर लपेटते थे। उनका व्यक्तित्व बड़ा ही सीधा सादा था। वे हमेशा अपनी भक्ति और अपनी गृहस्थी में लीन रहते थे। वह तड़के ही उठ जाते थे और स्नान करने के बाद गाना गाते थे। प्रश्न 5: बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के अचरज का कारण क्यों थी? उत्तर: चाहे कोई भी मौसम हो, बालगोबिन भगत की दिनचर्या में कोई परिवर्तन नहीं आता था। वे रोज सबेरे उठकर दो मील चलकर नदी में स्नान करने जाते थे। वहाँ से लौटने के बाद पोखर के भिंड पर गाना गाते थे। उनकी नियमित दिनचर्या के कारण लोग अचरज में पड़ जाते थे। प्रश्न 6: पाठ के आधार पर बालगोबिन भगत के मधुर गायन की विशेषताएँ लिखिए। उत्तर: बालगोबिन भगत के मधुर गायन में एक जादू सा असर होता था। उसके जादू से खेतों में काम कर रही महिलाओं के होंठ अनायास ही थिरकने लगते थे। उनके गाने को सुनकर रोपनी करने वालों की अंगुलियाँ स्वत: चलने लगती थीं। रात में भी लोग उनके गानों पर मंत्रमुग्ध हो जाते थे। प्रश्न 7: कुछ मार्मिक प्रसंगों के आधार पर यह दिखाई देता है कि बालगोबिन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे। पाठ के आधर पर यह दिखाई देता है कि बालगोबिन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे। पाठ के आधार पर उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए। उत्तर: बालगोबिन भगत कभी भी किसी अन्य की चीज को बिना अनुमति के इस्तेमाल नहीं करते थे। वे किसी को भी खरा बोल देते थे। अपने बेटे की मृत्यु पर उन्होंने शोक नहीं मनाया, बल्कि गा गाकर खुशी मनाई थी। अपनी विधवा पुत्रवधू को उन्होंने दूसरी शादी करने की स्वतंत्रता दे दी। इन सब प्रसंगों से पता चलता है कि बालगोबिन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे। प्रश्न 8: धान की रोपाई के समय समूचे माहौल को भगत की स्वर लहरियाँ किस तरह चमत्कृत कर देती थीं? उस माहौल का शब्द चित्र प्रस्तुत कीजिए। उत्तर: जब वे धान की रोपनी के समय गाते थे इससे समूचा माहौल प्रभावित हो जाता था। मेड़ों पर खड़ी महिलाएँ स्वत: ही गाने लगती थीं। हलवाहों के पैर भी थिरक कर चलने लगते थे। रोपनी करने वालों की उँगलियाँ तालबद्ध तरीके से रोपनी में मशगूल हो जाती थीं। प्रश्न 9: पाठ के आधार पर बताएँ की बालगोबिन भगत की कबीर पर श्रद्धा किन-किन रूपों में प्रकट हुई है? उत्तर: बालगोबिन भगत के खेतों में जो कुछ भी उपजता था उसे लेकर वे कबीर के दरबार में ले जाते थे। वहाँ से उन्हें प्रसाद के रूप में जो कुछ मिलता उसी से गुजारा कर लेते थे। वे किसी की मौत को शोक का कारण नहीं बल्कि उत्सव के रूप में लेते थे। इन सब प्रसंगों में उनकी कबीर पर श्रद्धा प्रकट हुई है। प्रश्न 10: आपकी दृष्टि में भगत की कबीर पर अगाध श्रद्धा के क्या कारण रहे होंगे? उत्तर: वे कबीर के उपदेशों से अच्छी तरह से प्रभावित हुए होंगे। इसलिए उनकी कबीर पर अगाध श्रद्धा रही होगी। प्रश्न 11: गाँव का सामाजिक सांस्कृतिक परिवेश आषाढ़ चढ़ते ही उल्लास से क्यों भर जाता है? उत्तर: आषाढ़ के महीने में तेज बारिश होती है जो खेती के लिए अच्छी बात होती है। इसी महीने में किसान धान की रोपनी करते हैं। धान की रोपनी एक महत्वपूर्ण काम होता है। यह काम जितने लगन से किया जाए फसल उतनी ही अच्छी होती है। इसलिए इस काम को गीत संगीत से भरे हुए माहौल में किया जाता है। प्रश्न 12: “ऊपर की तसवीर से यह नहीं माना जाए कि बालगोबिन भगत साधु थे।“ क्या ‘साधु’ की पहचान पहनावे के आधार पर की जानी चाहिए? आप किन आधारों पर यह सुनिश्चित करेंगे कि अमुक व्यक्ति ‘साधु’ है? उत्तर: साधु की पहचान पहनावे के आधार पर करना गलत होगा। केवल गेरुआ वस्त्र पहनने से कोई साधु नहीं बन जाता है। साधु बनने के लिए आचार और विचारों में शुद्धता की आवश्यकता होती है। प्रश्न 13: मोह और प्रेम में अंतर होता है। भगत के जीवन की किस घटना के आधार पर इस कथन का सच सिद्ध करेंगे? उत्तर: भगत के बेटे की मृत्यु इस बात को सिद्ध करती है कि मोह और प्रेम में अंतर होता है। भगत अपने बेटे से बहुत प्रेम करते थे। वह अपने मंदबुद्धि बेटे का विशेष खयाल रखते थे। लेकिन उसकी मृत्यु पर वह शोक नहीं मनाते हैं। वह अपनी पुत्रवधू से भी खुशी मनाने को कहते हैं। NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 11 बालगोबिन भगतThese Solutions are part of NCERT Solutions for Class 10 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 11 बालगोबिन भगत. प्रश्न-अभ्यास (पाठ्यपुस्तक से) प्रश्न 1.
प्रश्न 2.
प्रश्न 3.
प्रश्न 4. वे कपड़े कम पहनते थे। कपड़े के नाम पर उनकी कमर में लँगोटी और सिर पर कबीरपंथियों जैसी टोपी होती थी। सर्दियों के दिनों में काली कमली ओढ़े रहते थे। माथे पर रामानंदी तिलक लगा रहता था। गले में तुलसी की बनी बेडौल माला डली रहती थी। इस तरह साधु वेश में रहते थे। उनका जीवन आदर्श साधुता से परिपूर्ण था। प्रश्न 5.
प्रश्न 6. प्रश्न 7.
प्रश्न 8.
रचना और अभिव्यक्ति प्रश्न 9.
प्रश्न 10.
प्रश्न 11. आषाढ़ मास में जैसे ही आकाश बादल से घिर जाते हैं वैसे ही उदासीन मुन प्रफुल्लित हो उठते हैं। जैसे ही रिमझिम वर्षा हुई, सूखी धरती की प्यास बुझी, वैसे ही संपूर्ण ग्राम्यजीवन उल्लास से भर जाता है। प्रश्न 12.
प्रश्न 13.
भाषा-अध्ययन प्रश्न 14. Hope given NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 11 are helpful to complete your homework. If you have any doubts, please comment below. NCERT-Solutions.com try to provide online tutoring for you. बेटे की मृत्यु पर बालगोबिन भगत ने क्या कहा?अपने बेटे की मृत्यु पर भगत ने गाना गाकर अपनी भावनाएँ व्यक्त कीं। वह अपनी बहू से भी बेटे की मौत का उत्सव मनाने को कहते थे। उनका मानना था कि मृत्यु से तो आत्मा का परमात्मा में मिलन हो जाता है इसलिए इस अवसर पर खुशी मनानी चाहिए। भगत के व्यक्तित्व और उनकी वेशभूषा का अपने शब्दों में चित्र प्रस्तुत कीजिए।
बेटे की मृत्यु के बाद बालगोबिन भगत की पतोहू ने क्या किया?<br> (ड) भगत ने अपने पुत्र की मृत्यु के बाद पतोहू के साथ बहुत अच्छा व्यवहार किया। उन्होंने उसे उसके भाई को सॉप दिया व पुन: उसका विवाह करने का आदेश दिया व उसके मना करने पर घर छोड़कर जाने की दलील दे डाली।
बालगोबिन भगत द्वारा अपने पुत्र की मृत्यु पर शोक न मनाने अथवा आनंदोत्सव मनाने का क्या कारण था?उत्तर- भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर औरों की तरह शोक और मातम नहीं मानाया। वे मृत बेटे के सामने बैठकर मस्ती और तल्लीनता में कबीर के पद गाते रहे। वे मृत्यु को आत्मा-परमात्मा का मिलन मानकर इससे दुखी होने के बजाय खुश होने का समय मान रहे थे। वे अपनी पुत्रवधू को भी आनंदोत्सव मनाने के लिए कहते जा रहे थे।
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