पश्चिम दिशा में कौन से शहर आते हैं? - pashchim disha mein kaun se shahar aate hain?

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भारत के कौन राज्य किस दिशा में हैं?

पश्चिम दिशा में कौन से शहर आते हैं? - pashchim disha mein kaun se shahar aate hain?

भारत एक बहुक्षेत्रीय देश है जिसका विशाल क्षेत्रीय क्षेत्र है। भारत स्थलाकृति, प्राकृतिक विशेषताओं, संस्कृतियों, परंपराओं, लोगों, भाषाओं, आर्थिक विशेषताओं और अधिक की एक उत्कृष्ट विविधता प्रस्तुत करता है। इस तरह की विविधता को बनाए रखना आसान काम नहीं है। यहां तक कि, सभी सुविधाओं को एक क्षेत्र में प्रस्तुत करना उचित नहीं होगा। प्रत्येक क्षेत्र को देने और उसके उचित संबंध के लिए, भारत को जलवायु, भौगोलिक और सांस्कृतिक विशेषताओं के आधार पर छह क्षेत्रों में विभाजित किया गया है। भारतीय क्षेत्रों में अपनी यात्रा शुरू करने के लिए, भारत का एक क्षेत्रीय नक्शा सबसे अच्छा उपकरण होगा।

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भारत के आंचलिक मानचित्र को देखते हुए, आप देख सकते हैं कि भारत को छह क्षेत्रों में विभाजित किया गया है, जैसे कि उत्तर क्षेत्र, दक्षिण क्षेत्र, पूर्वी क्षेत्र, पश्चिम क्षेत्र, मध्य क्षेत्र और उत्तर पूर्व क्षेत्र। इन सभी क्षेत्रों में 29 राज्य और 7 केंद्र शासित प्रदेश शामिल हैं। प्रत्येक क्षेत्र में कुछ निश्चित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश शामिल हैं।

उत्तर क्षेत्र:

भारत के उत्तर क्षेत्र में जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के घर हैं। अंचल का नक्शा राज्य की सीमाओं, राजमार्गों, रेलवे और राजधानियों को दर्शाता है। भारत का यह क्षेत्र शक्तिशाली हिमालय और अन्य पर्वत श्रृंखलाओं का भी घर है। हजारों पर्यटक पहाड़ों का आनंद लेने के लिए इस क्षेत्र की यात्रा करते हैं।

पूर्वी क्षेत्र:

पूर्वी क्षेत्र में बिहार, उड़ीसा, झारखंड और पश्चिम बंगाल राज्य शामिल हैं। यह क्षेत्र घने जंगलों में खनिजों, वनस्पतियों और जीवों में समृद्ध है।

पश्चिम क्षेत्र:

इस क्षेत्र में राजस्थान, गुजरात, गोवा और महाराष्ट्र राज्य हैं। गोवा और महाराष्ट्र के कई स्थान पश्चिमी तटों में स्थित हैं और उनकी शानदार प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाने जाते हैं। इसके अलावा, राजस्थान और गुजरात

दक्षिण क्षेत्र:

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आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु राज्य भारत पर दक्षिण क्षेत्र पर कब्जा करते हैं। यह क्षेत्र तीन तरफ महासागरों से घिरा है और इसलिए, सुंदर समुद्र तटों के लिए घर है। इसके अलावा, संस्कृति और भाषाएं भारत के बाकी हिस्सों से अलग हैं।

मध्य क्षेत्र:

मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ इस क्षेत्र के एकमात्र निवासी हैं। पठारी क्षेत्र होने के नाते, यह खनिजों में समृद्ध है और कई प्रसिद्ध वन्यजीव अभयारण्यों, राष्ट्रीय उद्यानों और बायोरेसर्व का घर भी है।

उत्तर पूर्व क्षेत्र –

असम, सिक्किम, नागालैंड, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश इस क्षेत्र में स्थित हैं। हालांकि सुलभता की समस्याओं के कारण इसे शेष भारत से काट दिया जाता है, लेकिन यह पर्यटकों को अपनी मनोरम प्राकृतिक वादियों के लिए आकर्षित करता है।

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जानिए किस दिशा के कौन हैं दिग्पाल और क्या किस दिशा का महत्व

ज्योतिष डेस्क, अमर उजाला Published by: Shashi Shashi Updated Fri, 07 May 2021 03:31 PM IST

ज्यादातर लोगों को केवल पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण इन चार दिशाओं के बारे में ही पता होता है लेकिन इसके अलावा भी उत्तर-पश्चिम के मध्य का स्थान (वायव्य कोण) उत्तर और पूर्व के मध्य का स्थान (ईशान कोण) दक्षिण-पूर्व के मध्य का स्थान (आग्नेय कोण) दक्षिण-पश्चिम के मध्य का स्थान (नैऋत्य कोण) होती है, इस तरह से आठ दिशाएं हो जाती हैं साथ ही में आकाश और पाताल को दो दिशाएं माना गया है। इस प्रकार कुल मिलाकर दस दिशाएं मानी गई हैं। वास्तु शास्त्र में हर दिशा अपना एक अलग महत्व माना गया है, क्योंकि हर दिशा के अलग दिग्पाल और स्वामी ग्रह होते हैं। इसी कारण हर दिशा का अलग प्रभाव होता है। आइए जानते हैं कि किस दिशा का क्या महत्व होता है और किस दिशा के कौन हैं दिग्पाल।

ईशान दिशा

उत्तर और पूर्व दिशा के मध्य स्थान को ईशान कोण कहा जाता है। इस दिशा के आधिपत्य देव यानी दिग्पाल भगवान शिव हैं। शिव जी को ईशान भी कहा जाता है इसलिए भी इस दिशा को ईशान कोण कहा जाता है। इस दिशा के स्वामी ग्रह बृहस्पति ग्रह है। वास्तु शास्त्र के अनुसार इस दिशा में खिड़कियां और दरवाजे बनवाया जाना बहुत शुभ रहता है। इस स्थान को बहुत ही पवित्र माना गया है। इस दिशा में कूड़ा-करकट और भारी सामान नहीं रखना चाहिए। इस स्थान को एक दम साफ सुथरा और खाली रखना चाहिए। इस दिशा में किसी भी प्रकार का दोष होने पर धन संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है साथ ही सौभाग्य में भी कमी आती है।

पूर्व दिशा

पूर्व दिशा के दिग्पाल यानी देवता इंद्र देव हैं तथा इस दिशा के स्वामी भगवान सूर्य नारायण हैं। पूर्व दिशा को पितृ स्थान का द्योतक माना जाता है। वास्तु के अनुसार इस दिशा को खुला हुआ रखना चाहिए। इस दिशा में सीढ़ियां और घर के बुजुर्गो का कमरा नहीं बनवाया जाना चाहिए साथ ही इस दिशा में किसी भी तरह से कोई अवरोध नहीं होना चाहिए।

वायव्य दिशा

उत्तर-पश्चिम के मध्य स्थान को वायव्य दिशा या कोण कहा जाता है। इस दिशा पर वायुदेव का आधिपत्य है तो वहीं इस दिशा के स्वामी ग्रह चंद्रमा हैं। इस दिशा में वायु तत्व प्रधान है। इस दिशा को हल्का और खाली रखना चाहिए। इसका संबंध परिवार के सदस्यों पड़ोसियों और रिश्तेदारों से होता है। यह दिशा साफ सुथरी और दोष रहित होने पर संबंधों में मधुरता एवं मजबूती बनी रहती है। इसी प्रकार यदि इस दिशा में दोष हो तो रिश्तों में कड़वाहट आने लगती है।

पश्चिम दिशा

पश्चिम दिशा के देवता वरुण देव हैं और इसके स्वामी ग्रह शनि हैं। इस स्थान को न ज्यादा खुला और न ज्यादा बंद रखना चाहिए। इस दिशा को पूरी तरह रिक्त भी नहीं रखना चाहिए। पश्चिम में भारी निर्माण किया जा सकता है। इस दिशा में किसी भी तरह का दोष होने पर गृहस्थ जीवन सुखमय नहीं रहता है। इसके साथ ही आपके व्यपारिक संबंधों में परेशानी आती है। यदि इस दिशा में आपका मुख्य द्वार बना हो तो वास्तु के उपाय करने चाहिए। द्वार को अच्छी तरह से सजाकर रखना चाहिए।

पश्चिम दिशा में कौन कौन से शहर है?

यह पूर्व का विपरीत है और उत्तर और दक्षिण के लंबवत होता है। मानकानुसार एक मानचित्र के बाईं ओर पश्चिम होता है। पश्चिम की ओर नौगमन (नेविगेशन) हेतु, कुतुबनुमा (कम्पास) के दिगंश को 270° पर बिठाना (सेट करना) पड़ता है। पृथ्वी अपनी धुरी पर पश्चिम दिशा की विपरीत दिशा मे घूमती है, इसलिए सूर्य इस दिशा मे अस्त होता है।

पश्चिम दिशा में कौन सा राज्य आता है?

महाराष्ट्र, गुजरात, गोआ, दादरा एवं नगर हवेली, दमन एवं दीव इतने है भारत के पश्चिमी राज्य

भारत में पश्चिमी राज्य कितने हैं?

पश्चिमी भारत क्षेत्र में भारत के महाराष्ट्र, गोआ और गुजरात राज्य तथा दादरा एवं नगर हवेली एवं दमन एवं दीव केन्द्र शासित प्रदेश आते हैं। यह क्षेत्र उच्चस्तरीय औद्योगिक तथा आवासित है।

सबसे पश्चिमी राज्य कौन सा है?

गुजरात भारत का सबसे पश्चिमी राज्य, तमिलनाडु सबसे दक्षिणी राज्य, जम्मू-कश्मीर सबसे उत्तरी केन्द्रशासित प्रदेश तथा अरुणाचल प्रदेश भारत का सबसे पूर्वी राज्य है।