परशुराम क्यों क्रोधित हुए आपके विचार में क्या यह उचित है क्यों? - parashuraam kyon krodhit hue aapake vichaar mein kya yah uchit hai kyon?

विषयसूची

  • 1 1 परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने के लिए कौन कौन से तर्क दिए?
  • 2 क्रोध में आकर तताँरा ने क्या किया?
  • 3 वामीरो ने तताँरा को बेरुखी से क्या जवाब दिया?
  • 4 परशुराम लक्ष्मण पर क्यों क्रोधित हुए?
  • 5 परशुराम के क्रोधित होने का मुख्य कारण क्या है?

इसे सुनेंरोकेंपरशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने के लिए कौन-कौन से तर्क दिए? धनुष पुराना तथा अत्यंत जीर्ण था। राम ने इसे नया समझकर हाथ लगाया था, पर कमजोर होने के कारण यह छूते ही टूट गया। मेरी (लक्ष्मण की) दृष्टि में सभी धनुष एक समान हैं।

क्रोध में आकर तताँरा ने क्या किया?

इसे सुनेंरोकेंक्रोध में तताँरा ने क्या किया? तताँरा ने अपनी पूरी ताकत से तलवार को धरती में घोंप दिया। वह पूरी ताकत से उस तलवार को अपनी ओर खींचन लगा। द्वीप के अंतिम छोर तक तलवार को खींचने से द्वीप दो टुकड़ों में विभक्त हो गया।

16 आपके विचार में परशुराम का क्रोधित होना उचित है या अनुचित क्यों?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर: परशुराम का स्वभाव क्रोधी है और वे सदैव ही वीर योद्धा की तरह बात करते हैं-जब राजा जनक की सभा में सीता स्वयंवर के समय राम द्वारा धनुष तोड़ने के बाद परशुराम-लक्ष्मण से संवाद करते हुए कहते हैं-यदि वे कटु वचन बोलने वाले बालक लक्ष्मण का वध कर दें, तो सभा उन्हें इसका दोष न दे।

वामीरो ने तताँरा को बेरुखी से क्या जवाब दिया?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: वामीरो ने तताँरा को बेरुखी से क्या जवाब दिया। उत्तर:- वामीरो ने तताँरा को बेरुखी से जवाब दिया कि वह कौन है, उसे क्यों घूर रहा है और उसके इस तरह असंगत प्रश्नों के उत्तर वह क्यों दे? वह अपने गाँव के अतिरिक्त किसी अन्य युवक के प्रश्नों के उत्तर देने के लिए बाध्य नहीं है और यह बात वह भी जानता है।

परशुराम लक्ष्मण पर क्यों क्रोधित हुए?

इसे सुनेंरोकेंइस प्रसंग में लक्ष्मण ने परशुराम का घोर विरोध किया है लेकिन अधिकतर व्यंग्य के अंदाज में। इससे लगता है कि लक्ष्मण बड़े ही उग्र स्वभाव के व्यक्ति हैं। वहीं दूसरी ओर, राम ने बड़ी शाँत मुद्रा में इस वार्तालाप को होते हुए देखा है। इससे पता चलता है कि राम शाँत स्वभाव के व्यक्ति हैं।

क्षत्रियकुल द्रोही शब्द किसका विशेषण है?

इसे सुनेंरोकें’क्षत्रियकुल द्रोही शब्द किसका विशेषण है। क्षत्रिय कुल द्रोही परशुराम का विशेषण है। राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद में परशुराम अपने विषय में कहते हैं कि… अर्थात वह बचपन से ही स्वभाव से बेहद क्रोधी थे और सारा संसार जानता था कि वह क्षत्रिय वंश के द्रोही हैं यानी क्षत्रिय वंश के शत्रु हैं।

परशुराम के क्रोधित होने का मुख्य कारण क्या है?

इसे सुनेंरोकेंशिव का धनुष टूटने के कारण परशुराम क्रोधित हो गए थे। लक्ष्मण के वचन उनके क्रोध को भड़का रहे थे।

प्रश्न 4: परशुराम ने अपने विषय में सभा में क्या-क्या कहा, निम्न पद्यांश के आधार पर लिखिए:
बाल ब्रह्मचारी अति कोही। बिस्वबिदित क्षत्रियकुल द्रोही॥
भुजबल भूमि भूप बिनु कीन्ही। बिपुल बार महिदेवन्ह दीन्ही॥
सहसबाहुभुज छेदनिहारा। परसु बिलोकु महीपकुमारा॥
मातु पितहि जनि सोचबस करसि महीसकिसोर।
गर्भन्ह के अर्भक दलन परसु मोर अति घोर॥

उत्तर:मैं बाल ब्रह्मचारी हूँ और सारा संसार मुझे क्षत्रिय कुल के विनाशक के रूप में जानता है। मैंने अपने भुजबल से इस पृथ्वी को कई बार क्षत्रियों से विहीन कर दिया था और मुझे भगवान शिव का वरदान प्राप्त है। मैंने सहस्रबाहु को बुरी तरह से मारा था। मेरे फरसे को गौर से देख लो। तुम तो अपने व्यवहार से उस गति को पहुँच जाओगे जिससे तुम्हारे माता पिता को असहनीय पीड़ा होगी। मेरे फरसे की गर्जना सुनकर ही गर्भवती स्त्रियों का गर्भपात हो जाता है।

प्रश्न 5: लक्ष्मण ने वीर योद्धा की क्या-क्या विशेषताएँ बताई?

उत्तर: लक्ष्मण के अनुसार वीरों की विशेषताएँ हैं; धैर्य, मृदुभाषी, कर्मवीर और युद्ध के मैदान में चुपचाप अपना काम करने वाले।

प्रश्न 6: साहस और शक्ति के साथ विनम्रता हो तो बेहतर है। इस कथन पर अपने विचार लिखिए।

उत्तर: यह सही कहा गया है कि साहस और शक्ति के साथ विनम्रता हो तो बेहतर है। एक विनम्र व्यक्ति ही संकट के समय में भी अपना आपा नहीं खोता है। जो विनम्र नहीं होते हैं वे मानसिक रूप से शीघ्र विचलित हो जाने के कारण अपना धैर्य खो बैठते हैं और गलतियाँ करने लगते हैं। इससे उनका नुकसान ही होता है।

प्रश्न 7: भाव स्पष्ट कीजिए;

  1. बिहसि लखनु बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महाभट मानी॥
    पुनि पुनि मोहि देखाव कुठारू। चहत उड़ावन फूँकि फारू॥

    उत्तर: इसपर लक्ष्मण हँसकर और थोड़े प्यार से कहते हैं कि मैं जानता हूँ कि आप एक महान योद्धा हैं। लेकिन मुझे बार बार आप ऐसे कुल्हाड़ी दिखा रहे हैं जैसे कि आप किसी पहाड़ को फूँक मारकर उड़ा देना चाहते हैं। ऐसा कहकर लक्ष्मण एक ओर तो परशुराम का गुस्सा बढ़ा रहे हैं और शायद दूसरी ओर उनकी आँखों पर से परदा हटाना चाह रहे हैं।

  2. इहाँ कुम्हड़बतिया कोई नाहीं। जे तरजनी देखि मरि जाहीं॥
    देखि कुठारु सरासन बाना। मैं कछु कहा सहित अभिमाना॥

    उत्तर: मैं कोई कुम्हड़े की बतिया नहीं हूँ जो तर्जनी अंगुली दिखाने से ही कुम्हला जाती है। मैंने तो कोई भी बात ऐसी नहीं कही जिसमें अभिमान दिखता हो। फिर भी आप बिना बात के ही कुल्हाड़ी की तरह अपनी जुबान चला रहे हैं। इस चौपाई में लक्ष्मण ने कटाक्ष का प्रयोग करते हुए परशुराम को यह बताने की कोशिश की है के वे लक्ष्मण को कमजोर समझने की गलती नहीं करें।

  3. गाधिसूनु कह हृदय हसि मुनिहि हरियरे सूझ।
    अयमय खाँड़ न ऊखमय अजहुँ न बूझ अबूझ॥

    उत्तर: ऐसा सुनकर विश्वामित्र मन ही मन हँसे और सोच रहे थे कि इन मुनि को सबकुछ मजाक लगता है। यह बालक फौलाद का बना हुआ और ये किसी अबोध की तरह इसे गन्ने का बना हुआ समझ रहे हैं। विश्वामित्र को परशुराम की अनभिज्ञता पर तरस आ रहा है। परशुराम को शायद राम और लक्ष्मण के प्रताप के बारे में नहीं पता है।


परशुराम क्रोधित क्यों हुए स्पष्ट कीजिए?

सीता स्वयंवर में शिव-धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाते हुए श्रीराम द्वारा शिव-धनुष के टूट जाने के कारण परशुराम क्रोधित हुए

परशुराम लक्ष्मण पर क्यों क्रोधित हुए?

परशुराम को लक्ष्मण की किस बात पर अधिक गुस्सा आया था? लक्ष्मण ने शिवजी की धनुष को धनुही कहा था। शिवजी के धनुष के अपमान से परशुराम का क्रोध बढ़ गया था। लक्ष्मण के वाक्य से यह प्रकट होता था कि शिवधनु इतना कमजोर था कि उस जैसे धनुहियों को वे अपने बचपन में खेल-खेल में ही तोड़ दिया करते थे।

16 आपके विचार में परशुराम का क्रोधित होना उचित है या अनुचित क्यों?

परशुराम जी क्रोधी स्वभाव के थे। श्री राम उनके क्रोध पर शीतल जल के समान शब्दों व आचरण का आश्रय ले रहे थे। यही कारण था कि उन्होंने स्वयं को उनका सेवक बताया व उनसे अपने लिए आज्ञा करने का निवेदन किया। उनकी भाषा अत्यंत कोमल व मीठी थी और परशुराम के क्रोधित होने पर भी वह अपनी कोमलता को नहीं छोड़ते थे।

लक्ष्मण के अनुसार परशुराम का क्रोध कारण है क्योंकि?

लक्ष्मण ने परशुराम के क्रोध को अकारण इसलिए कहा क्योंकि धनुष के टूटने में राम का कोई दोष नहीं है। वह तो उनके छूते ही टूट गया था और पुराने धनुष के टूटने पर क्रोध क्यों करना| लक्ष्मण के अनुसार उनके लिए सब धनुष एक समान हैं, यह कोई विशेष धनुष न था। … अब तक वे बालक समझकर ही लक्ष्मण का वध नहीं कर रहे हैं।