प्रशिक्षण की विधियां कौन कौन सी है? - prashikshan kee vidhiyaan kaun kaun see hai?

सामान्य जानकारी Common Information

सीखने और प्रशिक्षण की भाषा क्या होगी ?

 कॉम्प कौशलम् - अध्ययन केंद्र में सीखने और प्रशिक्षण की भाषा हिंदी और इंग्लिश दोनों में उपलब्ध होगी. किसी भी पाठ्यक्रम के शिक्षण और प्रशिक्षण के दौरान शैक्षणिक बातचीत की भाषा हिंदी-इंग्लिश मिश्रित (हिंगलिश) होगी, परन्तु पाठ्यक्रम के अध्ययन सामग्री की भाषा पाठ्यक्रम विशेष पर निर्भर करेगा.

 प्रशिक्षक और प्रशिक्षार्थी के बीच कैसा सम्बन्ध होगा ?  

 कॉम्प कौशलम् - अध्ययन केंद्र में शिक्षक/प्रशिक्षक और विद्यार्थी/प्रशिक्षार्थी के बीच सीखने पर आधारित मित्रतापूर्ण सम्बन्ध होगा. शिक्षण व प्रशिक्षण के दौरान इनके बीच खुला व तर्कपूर्ण शैक्षणिक बात-चीत होगी जिससे की विषय की समझ विकसित हो सके. इनके बीच का सम्बन्ध भौतिक रूप से एक दूसरे के आमने-सामने होने के विषय में सीखने और प्रशिक्षण की विधि के अनुसार बदलेगा.

 लिंग के आधार पर कक्षा में बैठने की व्यवस्था क्या होगी ?

 कॉम्प कौशलम् - अध्ययन केंद्र में शिक्षण व प्रशिक्षण के दौरान लिंग के आधार पर कक्षा में बैठने की व्यवस्था दो प्रकार से हो सकती है. कक्षा में बैठने की व्यवस्था का एक रूप यह होगा कि सभी पुरुष और स्त्री विद्यार्थी/प्रशिक्षार्थी अलग-अलग पंक्ति में मिश्रित रूप से एक साथ कक्षा में बैठें (सह-शिक्षा). दूसरा रूप यह होगा की सभी कन्या/स्त्री विद्यार्थी/प्रशिक्षार्थी एकल रूप से एक साथ बैठें (एकल-शिक्षा).

 प्रशिक्षक और प्रशिक्षार्थी का अनुपात क्या होगा ?

 कॉम्प कौशलम् - अध्ययन केंद्र में शिक्षण व प्रशिक्षण की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देते हुए सामान्य रूप से कक्षा में प्रशिक्षक और प्रशिक्षार्थी का अनुपात कम से कम 1:5 और अधिक से अधिक 1: 10 का होगा. यह अनुपात प्रशिक्षण विधि के आधार पर तय किया जाएगा.

 प्रशिक्षार्थी और कंप्यूटर का अनुपात क्या होगा ?

 कॉम्प कौशलम् - अध्ययन केंद्र में शिक्षण व प्रशिक्षण की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देते हुए सामान्य रूप से कक्षा में प्रशिक्षार्थी और कंप्यूटर का अनुपात कम से कम 1:1 और अधिक से अधिक 1:2 का होगा.

कंप्यूटर, सूचना और प्रसार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में  सीखने और प्रशिक्षण की विधि-

1. कक्षा आधारित प्रशिक्षण विधि Class Room Training Method

“कक्षा आधारित प्रशिक्षण विधि”, किसी पाठ्यक्रम के शिक्षण व प्रशिक्षण की एक ऐसी विधि है, जिसमें प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षक और प्रशिक्षार्थी भौतिक रूप से एक कक्षा में एक दूसरे के आमने-सामने होते हैं. उनके बीच किसी विषय पर खुला व तर्कपूर्ण शैक्षणिक बात-चीत होता है, जिससे कि विषय की समझ और संबंधित व्यावहारिक कौशल विकसित हो सके.

 कॉम्प कौशलम्-अध्ययन केंद्र से जुड़े जिन विद्यार्थी व प्रशिक्षार्थी को प्रशिक्षक के समक्ष, कक्षा के लिएतय किए गए स्थान व समय पर भौतिक रूप से उपस्थित होकर शिक्षण व प्रशिक्षण लेने में सहजता व उपयोगिता महसूस होती हो, वे अध्ययन केंद्र के द्वारा उपलब्ध कराई गई अन्य शिक्षण व प्रशिक्षण की विधियों में से “कक्षा आधारित प्रशिक्षण विधि” का चयन कर उचित व गुणवत्ता पूर्ण प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं.

 इस प्रशिक्षण विधि में सैद्धांतिक और प्रायोगिक शिक्षण व प्रशिक्षण एक दूसरे के बाद दिए जा सकते हैं, या दोनों एक साथ दिए जा सकते हैं, यह पाठ्यक्रम के विषय के अनुसार प्रशिक्षक और प्रशिक्षार्थी के बीच साझा समझ से तय किया जाएगा.

2. परियोजना आधारित प्रशिक्षण विधि  Project Oriented Training Method
“परियोजना आधारित प्रशिक्षण विधि”, किसी पाठ्यक्रम के शिक्षण व प्रशिक्षण की एक ऐसी विधि है जिसमें प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षक और प्रशिक्षार्थी आपसी सहमती से किसी परियोजना के अन्तर्गत आने वाले विषय को पाठ्यक्रम के रूप में लेकर खुला व तर्कपूर्ण शैक्षणिक बात-चीत के माध्यम से संबंधित विषय की समझ और व्यावहारिक कौशल विकसित करते हैं, जिससे कि प्रशिक्षण के अन्तर्गत ली गई परियोजना को प्रशिक्षार्थी सफलतापूर्वक पूरा कर पाए.

 इस प्रशिक्षण विधि में प्रशिक्षक और प्रशिक्षार्थी भौतिक रूप से एक दूसरे के समक्ष उपस्थित हो सकते है और नहीं भी, यह प्रशिक्षण के विषय में प्रशिक्षक और प्रशिक्षार्थी के बीच पहले से तय की गई कार्य योजना पर निर्भर करेगा.

यह प्रशिक्षण विधि ऐसे ही प्रशिक्षार्थी के लिए उपयोगी होगी जिन्हें किसी विशेष परियोजना को पूरा करने में विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता व उपयोगिता महसूस होती हो. ऐसे प्रशिक्षार्थी अध्ययन केंद्र के द्वारा उपलब्ध कराई गई अन्य शिक्षण व प्रशिक्षण की विधियों में से “परियोजना आधारित प्रशिक्षण विधि” का चयन कर उचित व गुणवत्ता पूर्ण प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं.

इस प्रशिक्षण विधि में प्रशिक्षक और प्रशिक्षार्थी के बीच आपसी सहमती से तय किए स्थान और समय पर भौतिक रूप से या इन्टरनेट सेवा के माध्यम से आमने-सामने होकर सैद्धांतिक और प्रायोगिक शिक्षण व प्रशिक्षण एक दूसरे के बाद दिए जा सकते हैं या दोनों एक साथ दिए जा सकते हैं, यह पाठ्यक्रम के विषय के अनुसार प्रशिक्षक और प्रशिक्षार्थी के बीच साझा समझ से तय किया जाएगा.

3. ऑनलाइन प्रशिक्षण विधि  Online Training Method

"ऑनलाइन प्रशिक्षण विधि”, किसी पाठ्यक्रम के शिक्षण व प्रशिक्षण की एक ऐसी विधि है, जिसमें प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षक और प्रशिक्षार्थी भौतिक रूप से एक दूसरे के आमने-सामने नहीं होते हैं लेकिन वे इन्टरनेट सेवा के माध्यम से ऑडियो, विडियो, और  लिखित सन्देश के आदान-प्रदान की सेवा का उपयोग कर अभौतिक रूप से एक दूसरे के साथ होते हैं. इन्टरनेट सेवा के माध्यम से उनके बीच किसी विषय पर खुला व तर्कपूर्ण शैक्षणिक बात-चीत और इलेक्ट्रॉनिक शैक्षणिक सन्देश व वस्तुओं का आदान-प्रदान होता है, जिससे कि विषय की समझ और संबंधित व्यावहारिक कौशल विकसित हो सके.

यह  प्रशिक्षण विधि ऐसे ही प्रशिक्षार्थी के लिए उपयोगी होगी जिन्हें किसी पाठ्यक्रम की शिक्षण व प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए किसी तय किए गए स्थान तक पहुंचने की तुलना में इन्टरनेट सेवा के माध्यम से प्रशिक्षक के साथ तय किए गए समय पर उपलब्ध होना सहज, उपयोगी और संभव महसूस होता हो. ऐसे प्रशिक्षार्थी अध्ययन केंद्र के द्वारा उपलब्ध कराई गई अन्य शिक्षण व प्रशिक्षण की विधियों में से “ऑनलाइन प्रशिक्षण विधि” का चयन कर उचित व गुणवत्ता पूर्ण प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं.

इस प्रशिक्षण विधि में सैद्धांतिक और प्रायोगिक शिक्षण व प्रशिक्षण इन्टरनेट सेवा के माध्यम से ऑडियो, विडियो, और लिखित सन्देश के आदान-प्रदान की सेवा का उपयोग कर एक दूसरे के बाद दिए जा सकते हैं या दोनों एक साथ दिए जा सकते हैं, यह पाठ्यक्रम के विषय के अनुसार प्रशिक्षक और प्रशिक्षार्थी के बीच साझा समझ से तय किया जाएगा.

4. आवश्यकता अनुरूप प्रशिक्षण विधि On Demand Training Method

“आवश्यकता अनुरूप प्रशिक्षण विधि”, किसी पाठ्यक्रम के शिक्षण व प्रशिक्षण की एक ऐसी विधि है, जिसमें प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षक और प्रशिक्षार्थी, प्रशिक्षार्थी के द्वारा उचित शैक्षणिक व व्यावसायिक परामर्श के बाद तय किए गए विशेष पाठ्यक्रम के विषय पर आपसी सहमती से तय किए गए स्थान और समय पर खुला व तर्कपूर्ण शैक्षणिक बात-चीत के माध्यम से संबंधित विषय की समझ और व्यावहारिक कौशल विकसित करते हैं.

 यह प्रशिक्षण विधि ऐसे ही प्रशिक्षार्थी के लिए उपयोगी होगी जिन्हें अपने निजी सहजता, आवश्यकता और परिस्थिति अनुसार किसी विशेष पाठ्यक्रम पर आधारित विशेष प्रशिक्षण प्राप्त करने की आवश्यकता व उपयोगिता महसूस होती हो. ऐसे प्रशिक्षार्थी अध्ययन केंद्र के द्वारा उपलब्ध कराई गई अन्य शिक्षण व प्रशिक्षण की विधियों में से “आवश्यकता अनुरूप प्रशिक्षण विधि” का चयन कर उचित व गुणवत्ता पूर्ण प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं.

 इस प्रशिक्षण विधि में प्रशिक्षक और प्रशिक्षार्थी के बीच आपसी सहमती से तय किए स्थान और समय पर भौतिक रूप से या इन्टरनेट सेवा के माध्यम से आमने-सामने होकर सैद्धांतिक और प्रायोगिक शिक्षण व प्रशिक्षण एक दूसरे के बाद दिए जा सकते हैं या दोनों एक साथ दिए जा सकते हैं, यह पाठ्यक्रम के विषय के अनुसार प्रशिक्षक और प्रशिक्षार्थी के बीच साझा समझ से तय किया जाएगा.

5. एकल प्रशिक्षण विधि One to One Training Method

“एकल प्रशिक्षण विधि”, किसी पाठ्यक्रम के शिक्षण व प्रशिक्षण की एक ऐसी विधि है, जिसमें प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षक और प्रशिक्षार्थी 1:1 के अनुपात में होते हैं तथा प्रशिक्षार्थी के द्वारा उचित शैक्षणिक व व्यावसायिक परामर्श के बाद तय किए गए विशेष पाठ्यक्रम के विषय पर आपसी सहमती से तय किए गए स्थान, माध्यम और समय पर खुला व तर्कपूर्ण शैक्षणिक बात-चीत के माध्यम से संबंधित विषय की समझ और व्यावहारिक कौशल विकसित करते हैं.

यह प्रशिक्षण विधि ऐसे ही प्रशिक्षार्थी के लिए उपयोगी होगी जिन्हें सामान्य पाठ्यक्रम, प्रशिक्षण का सामूहिक स्वरूप, अन्य के द्वारा निर्धारित समय व स्थान की तुलना में अपने निजी सहजता, आवश्यकता और परिस्थिति अनुसार किसी विशेष पाठ्यक्रम पर आधारित विशेष प्रशिक्षण प्राप्त करने की आवश्यकता व उपयोगिता महसूस होती हो. ऐसे प्रशिक्षार्थी अध्ययन केंद्र के द्वारा उपलब्ध कराई गई अन्य शिक्षण व प्रशिक्षण की विधियों में से “एकल प्रशिक्षण विधि” का चयन कर उचित व गुणवत्ता पूर्ण प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं.

इस प्रशिक्षण विधि में प्रशिक्षक और प्रशिक्षार्थी के बीच आपसी सहमती से तय किए स्थान और समय पर भौतिक रूप से या इन्टरनेट सेवा के माध्यम से आमने-सामने होकर सैद्धांतिक और प्रायोगिक शिक्षण व प्रशिक्षण एक दूसरे के बाद दिए जा सकते हैं या दोनों एक साथ दिए जा सकते हैं, यह पाठ्यक्रम के विषय के अनुसार प्रशिक्षक और प्रशिक्षार्थी के बीच साझा समझ से तय किया जाएगा.

6.कार्यशाला प्रशिक्षण विधि Workshop Training Method

“कार्यशाला प्रशिक्षण विधि”, किसी पाठ्यक्रम के शिक्षण व प्रशिक्षण की एक ऐसी विधि है, जिसमें प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षक और प्रशिक्षार्थी आपसी सहमती से किसी विशेष स्थान व समय पर आयोजित कार्यशाला में भाग लेते हैं और किसी विशेष पाठ्यक्रम के सन्दर्भ में खुला व तर्कपूर्ण शैक्षणिक बात-चीत के माध्यम से सैद्धांतिक और प्रायोगिक शिक्षण व प्रशिक्षण प्राप्त करने के अलावा प्रशिक्षित पाठ्यक्रम पर आधारित अनेक प्रयोजन मुलक कार्य करते हैं. इस प्रकार आयोजित कार्यशाला में भाग लेने वाले प्रशिक्षक और प्रशिक्षार्थी मित्रता पूर्ण सम्बन्ध में क्रियाशीलता के साथ संबंधित विषय की समझ और व्यावहारिक कौशल विकसित करते हैं.

यह प्रशिक्षण विधि ऐसे ही प्रशिक्षार्थी के लिए उपयोगी होगी जिन्हें सामान्य पाठ्यक्रम और प्रशिक्षण की परंपरागत स्वरूप के तुलना में अपनी सहजता और विशेष आवश्यकता अनुसार किसी विशेष पाठ्यक्रम पर आयोजित; विशेष परामर्श, प्रशिक्षण और व्यावहारिक कार्य अनुभव प्राप्त करने की आवश्यकता व उपयोगिता महसूस होती हो. ऐसे प्रशिक्षार्थी अध्ययन केंद्र के द्वारा आयोजित “कार्यशाला प्रशिक्षण विधि” का चयन कर उचित व गुणवत्ता पूर्ण प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं.

कॉम्प कौशलम् – अध्ययन केंद्र समय-समय पर कंप्यूटर, सूचना और प्रसार प्रौद्योगिकी के शिक्षण व प्रशिक्षण कार्य के सन्दर्भ में विद्यार्थी व प्रशिक्षार्थी के सामूहिक मांग और अध्ययन केंद्र के स्वेच्छा से विशेष आवश्यकता अनुसार प्रशिक्षक और प्रशिक्षार्थी के आपसी सहमती से किसी विशेष स्थान पर एक निश्चित समय के लिए कार्यशाला आयोजित किया करेगी.

कंप्यूटर, सूचना और प्रसार प्रौद्योगिकी के शिक्षण व प्रशिक्षण कार्य के सन्दर्भ में यदि कोई जिज्ञासु व जिम्मेदार व्यक्ति या संस्था हमारे अध्ययन केंद्र को किसी पहले से आयोजित कार्यशाला में आमंत्रित करती है या एक नई कार्यशाला आयोजित करने का आग्रह करती है तो हमारा अध्ययन केंद्र ऐसे कार्यशाला में अपनी भूमिका निभाने या ऐसे कार्यशाला को आयोजित करने का पूरा प्रयास करेगी.

 इस प्रशिक्षण विधि में प्रशिक्षक और प्रशिक्षार्थी भौतिक रूप से एक कक्ष या शिविर में एक दूसरे के आमने-सामने होते हैं और जिसमें सैद्धांतिक और प्रायोगिक शिक्षण व प्रशिक्षण एक दूसरे के बाद दिए जा सकते हैं या दोनों एक साथ दिए जा सकते हैं, यह पाठ्यक्रम के विषय के अनुसार प्रशिक्षक और प्रशिक्षार्थी के बीच साझा समझ से तय किया जाएगा.

 इस प्रशिक्षण में सैद्धांतिक और प्रायोगिक शिक्षण व प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद सभी विद्यार्थी/प्रशिक्षार्थी व प्रशिक्षक एक साथ एकल रूप में या छोटे-छोटे समूह में प्रशिक्षित पाठ्यक्रम पर आधारित अनेक प्रयोजन मुलक कार्य करेंगे तथा इन कार्यों के मध्य किसी व्यावहारिक समस्या या विशेष कार्य अनुभव पर आपस में चर्चा करेंगे ताकि सभी एक दूसरे के अनुभव से क्षेत्र विशेष में व्यावहारिक कौशल सीख सकें.

प्रशिक्षण विधि क्या है?

प्रशिक्षण अर्थात ट्रेनिंग का अर्थ है कि किसी पेशे या कला कौशल की क्रियात्मक रूप में दी जाने वाली शिक्षा। ऐसी शिक्षा जो किसी पध्दति से या नियमित रूप से दी जाती हो। उदाहरण के लिए राम अपने स्कूल में बच्चों को कम्पूटर की शिक्षा देता है। प्रशिक्षण का संबंध किसी विशेष उददेश्य के लिए विशेष दक्षता प्राप्त करना है।

प्रशिक्षण के कितने प्रकार हैं?

4. प्रशिक्षण से उस से उस कार्य को कार्य को व्यवहार में करने की क्षमता आती है। लोक सेवाओं में कार्यरत कार्मिकों में उनके कार्य के ज्ञान, कौशल, अभिवृति तथा उस कार्य को व्यवहार में सफलतापूर्वक सम्पादित करने की क्षमताएँ प्रशिक्षण के माध्यम से पैदा की जाती है। 1.

प्रशिक्षण कार्यक्रम क्या है?

राष्ट्रीय सहकारी प्रशिक्षण परिषद् की यह नीति रही है कि वह उपभोगी संगठनों की वास्तविक आवश्यकताओं के अनुरूप प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करे। क्षे. स.

ट्रेनिंग का क्या महत्व है?

प्रशिक्षण को एक विशिष्ट उद्देश्य के लिए लोगों के ज्ञान और कौशल को बढ़ाने के लिए एक संगठित और व्यवस्थित नियोजन प्रक्रिया के रूप में देखा जा सकता है। यह सीखने के अनुभव प्रदान करता है जो किसी कर्मचारी को किसी संगठन के लक्ष्यों और उद्देश्यों को पूरा करने में अपने योगदान को बेहतर बनाने में सक्षम बनाता है।