पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा का पिरामिड होता है - paaristhitik tantr mein oorja ka piraamid hota hai

पारिस्थितिक पिरामिड के प्रकार

पारिस्थितिकी पिरामिड

पारिस्थितिक तंत्र की खाद्य शृंखला में प्रथम से उच्च पोषण स्तरों में जातियों की संख्या, जैवमास, एवं संचित ऊर्जा की प्राप्यता में क्रमशः कमी होती जाती है। प्रथम पोषण स्तर में बायोमास, संचित ऊर्जा एवं जातियों की संख्या अधिकतम होती है तथा द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ पोषण स्तरर में सापेक्षतः बायोमास, संचित ऊर्जा एवं जातियों की संख्या की उपलब्धता में उत्तरोत्तर कमी होती जाती है।

यह अन्तरसंबंध रेखीय आकार में पिरामिड के सदृश होता है। इस प्रकार उपभाक्ताओं की संख्या, बायोमास एवं संचित ऊर्जा की प्राप्यता के रेखीय चित्रण को पारिस्थितिकी पिरामिड कहा जाता है। संख्या बायोमास एवं ऊर्जा की दृष्टि से पिरामिड तीन प्रकार के होते हैं-

जातियों की संख्या का पिरामिड

आहार शृंखला प्राथमिक पोषण से उच्च पोषण स्तर की ओर बढ़ने पर जीवों की संख्या घटती जाती है। सी एल्टन के नियम के अनुसार आहार श्रृंखला के आधार पर सबसे नीचे प्राणी अधिक होते हैं और ऊपर के स्तर में इनकी संख्या कम होती चली जाती है। उदाहरणार्थ, प्रथम प्रोषण स्तर में वनस्पतियों की अनगिनत संख्या होती है।

उस पर निर्भर हिरण का पोषण असंख्य घासों से होता है। इस प्रकार वनस्पतियों की संख्या अधिक तथा उस पर निर्भर हिरणों की संख्या कम होती है और हिरणों का भक्षण करने वाले सिंहों की संख्या और भी कम होती है। घास के मैदान एवं कृत्रिम पारिस्थितिकी तंत्र में उपभोक्ताओं की संख्या में उत्तरोत्तर कमी होती जाती है तथा पिरामिड सीधा बनता है।

वृक्ष परितंत्र का पिरामिड उल्टा दिग्दर्शित होता है। वस्तुतः वृक्ष एक उत्पादक इकाई होता है। इस पर निर्भर पक्षियों की संख्या बढ़ जाती है और पक्षियों की संख्या से उनके शरीर पर पाये जाने वाले परजीवियों की संख्या बढ़ती जाती है।

बायोमास का पिरामिड

पारिस्थितिकी तंत्र में प्रति इकाई क्षेत्र में पाये जाने वाले जीवधारियों का सम्पूर्ण शुल्क भार परितन्त्र का जीव भार कहा जाता है।

स्थलीय परितन्त्र के उत्पादक का जीवभार भोजन शृंखला के प्रत्येक स्तर के उपभोक्ताओं से अधिक होता है, फलतः पिरामिड सीधा बना रहता है।

पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा का पिरामिड होता है - paaristhitik tantr mein oorja ka piraamid hota hai

जलीय पारिस्थितिकी तंत्र में उत्पादक पादप प्लवक एवं डायटम जीवभार शाकाहारी मछलियों से कम होता है। जलीय परितंत्र का जैवभार पिरामिड उल्टा दिग्दर्शित होता है।

ऊर्जा का पिरामिड

ऊर्जा पिरामिड सीधा बनता है क्योंकि परितंत्र के विविध पोषक स्तरों पर 90% ऊर्जा व्यय हो जाती है तथा शेष 10% ऊर्जा ही उच्च स्तर की ओर पहुँच पाती है।

पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा का पिरामिड होता है - paaristhitik tantr mein oorja ka piraamid hota hai

अत: प्रत्येक पोषक स्तर पर ऊर्जा की मात्रा में कमी होती जाती है तथा निम्न से उच्च पोषक स्तर की ओर जीवों की संख्या भी कम होती चली जाती है।

सभी पारिस्थितिक तंत्र के लिए ऊर्जा का पिरामिड क्या होता है?

अधिकांश पारिस्थितिक तंत्रों में, संख्या, ऊर्जा और बायोमास के सभी पिरामिड सीधे होते हैं, अर्थात उत्पादकों की संख्या और बायोमास शाकाहारी लोगों की तुलना में अधिक होते हैं, और शाकाहारी मांसाहारी की तुलना में संख्या और बायोमास में अधिक होते हैं। साथ ही, निचले पोषण स्तर पर ऊर्जा हमेशा उच्च स्तर की तुलना में अधिक होती है।

ऊर्जा का पिरामिड कैसे होता है?

एक ऊर्जा पिरामिड एक आरेख है जो उत्पादकों, प्राथमिक उपभोक्ताओं और अन्य ट्राफिक स्तरों द्वारा उपयोग की जाने वाली ऊर्जा की तुलना करता है। दूसरे शब्दों में, एक ऊर्जा पिरामिड दिखाता है कि प्रत्येक ट्राफिक स्तर पर कितनी ऊर्जा उपलब्ध है। खाद्य श्रृंखला के प्रत्येक ट्राफिक स्तर पर ऊर्जा खो जाती है।

पारिस्थितिक पिरामिड क्या है कितने प्रकार का होता है?

पारिस्थितिकीय पिरामिड (Ecological Pyramid).
ये तीन प्रकार के होते हैं:.
(क) सीधा संख्या पिरामिड (Upward Number Pyramid).
(ख) उल्टा संख्या पिरामिड (Inverted Number Pyramid).
(क) सीधा बायोमास पिरामिड (Upward Biomass Pyramid).
(ख) उल्टा बायोमास पिरामिड (Inverted Biomass Pyramid).

पारिस्थितिकी तंत्र में ऊर्जा का क्या होता है?

पारिस्थितिकी तंत्र की संरचना में ऊर्जा का प्रवाह खाद्य श्रृंखला के निम्न स्तर से उच्च स्तर की ओर होता है। सजीवों की वृद्धि के लिए आवश्यक पोषक तत्व जैव-पदार्थ तथा मृदा जैसे अजैविक घटकों में संचित होता है। इन पोषक तत्त्वों का प्रवाह पारिस्थितिकी तंत्र की संरचना में चक्रीय रुप से होता रहता है