केतकी का फूल कैसा दिखता है - ketakee ka phool kaisa dikhata hai

केतकी एक छोटा सुवासित झाड़। इसकी पत्तियाँ लंबी, नुकीली, चपटी, कोमल और चिकनी होती हैं जिसके किनारे और पीठ पर छोटे छोटे काँटे होते हैं। यह दो प्रकार की होती है। एक सफेद, दूसरी पीली। सफेद केतकी को लोग प्राय: 'केवड़ा' के नाम से जानते और पहचानते हैं और पीली अर्थात्‌ सुवर्ण केतकी को ही केतकी कहते हैं।

बरसात में इसमें फूल लगते हैं जो लंबे और सफेद होते है और उसमें तीव्र सुगंध होती है। इसका फूल बाल की तरह होता है और ऊपर से लंबी पत्तियों से ढका रहता है। इसके फूल से इत्र बनाया और जल सुगंधित किया जाता है। इससे कत्थे को भी सुवासित करते हैं। केवड़े का प्रयोग केशों के दुर्गंध दूर करने के लिए किया जाता है। प्रवाद है कि इसके फूल पर भ्रमर नहीं बैठते और शिव पर नहीं चढ़ाया जाता। इसकी पत्तियों की चटाइयाँ, छाते और टोपियाँ बनती हैं। इसके तने से बोतल बंद करने वाला कॉक बनाए जाते हैं। कहीं कहीं लोग इसकी नरम पत्तियों का साग भी बनाकर खाते हैं। वैद्यक में इसके शाक को कफनाशक बताया गया है।


(2) संगीत से संबंधित एक रागिनी का नाम।

आज हम आपको केतकी फूल का महत्व – Ketki Phool Ka Mahatva के बारे में बताने जा रहे हैं. कृपया पूर्ण जानकारी के लिए इस ब्लॉग को अवश्य पढ़ें. और अन्य जानकारी के लिए नव जगत के साथ बने रहे.

आपको यह जानकर बहुत ही हैरानी होगी कि केतकी का फूल इतना दुर्लभ है कि यह सिर्फ मोहम्मदी नगर के मेहंदी बाग में पाया जाता है यह फूल पूरे भारतवर्ष का बहुत ही दुर्लभ फूल माना जाता है क्योंकि केतकी पुष्प की झाड़ियां नगर के ऐतिहासिक मेहंदी बागों में ही उगती है, जैसा कि आप सभी जानते हैं कि मई और जून महीने की धूप कितनी असहनीय होती है परंतु यह उस धूप और लू के बीच में खिलकर पूरे भाग को सुगंधित कर देता है, यह पुष्प 200 साल से वनस्पति विशेषज्ञों के लिए आश्चर्य का विषय बना हुआ है, कि यह सिर्फ मोहम्मदी नगर में ही क्यों खिलता है?

जिले के गजेटियर्स और मोहम्मदी नगर पालिका के अभिलेखों में दर्ज रिकॉर्ड के अनुसार खैराबाद और मोहम्मदी के चकलेदार हकीम नवाब मेहंदी अली खां ने 1799 – 1820 के बीच मोहम्मदी में एक खूबसूरत बाग लगाया था, जिस बाघ को मेहंदी बाग के नाम से जाना जाता था, यह बाग कुल 10 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है. ऐसा माना जाता है, कि नवाब मेहंदी अली ने कहीं से केतकी का पौधा मंगाकर बाग में लगाया था. साथी हम आपको यह बता दे कि उत्तर भारत में केतकी का यह दुर्लभ फूल केवल मोहम्मदी के मेहंदी बाग में ही खिलता है. बाद में बाग की स्थिति खराब होने पर यादगार और मनोरंजन के दृष्टिकोण से नोटीफाइड एरिया कमेटी ने शासन द्वारा इस बाग को नए सिरे से लगाने का निर्णय लिया गया था. इसका शुभारंभ तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर नवाब मिर्जा मोहम्मद हुसैन अली खां ने 1931 में किया था. मिर्जा मोहम्मद अली खां हकीम नवाब अली खां के नाती थे. और वायजबुल अर्ज के सर्कुलर नंबर 20 में साल 1863 में मेहंदी बाग में केतकी का उल्लेख है.

मोहम्मदी नगर पालिका के प्रधान लिपिक के रूप में कार्यरत शिवनंदन रस्तोगी ने बताया कि इसकी पौध कई जगह लगाई गई लेकिन यह पौधा कहीं नहीं लगा. परंतु कुछ वर्ष पहले वन विभाग ने इसकी पौध तैयार कर भीरा क्षेत्र के मगही गांव में लगाई जहां यह पौधा लग तो गया लेकिन उस पौधे में फूल जल्दी नहीं आए साथ ही लंबे समय बाद उस में फूल खिले लेकिन मोहम्मदी के मेहंदी बाग में खिलने वाले केतकी फूलों की गुणवत्ता इन फूलों में नहीं थी. साथ ही केतकी का फूल दिखने में भुट्टे की तरह दिखता है, यह पीले रंग का होता है. फूल की लंबाई 7 से 8 इंच होती है. केतकी की झाड़ी की उंचाई आठ से नौ फुट तक होती है. इसमें इतनी तीव्र खुशबू होती है, कि इसकी महक से पूरा वातावरण सुगंधित हो जाता है साथ ही महंगे इत्र बनाने में भी इस फूल के औषधीय गुण का प्रयोग किया जाता है.

केतकी फूल का भेंट के रूप में उपयोग – Ketki Phool Ka Bhent Ke Roop Mein Upyog

शिवानंद रस्तोगी जी का यह कहना है कि ब्रिटिश शासन काल में जब मोहम्मदी के मेहंदी बाग में सीजन का पहला फूल खिलता था तो वह उसे वायसराय को भेज दिया करते थे आजादी के कुछ महीने पहले जून माह में खिला केतकी का फूल लार्ड माउंटबेटन को भेजा गया था. इसके बाद काफी समय तक यह फूल प्रदेश के राज्यपालों और मुख्यमंत्रियों भेंट के रूप में भेजे जाने लगे, पिछले साल प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को मेहंदीबाग का केतकी फूल भेंट किया गया था. अब बाग की देखरेख की जिम्मेदारी नगरपालिका मोहम्मदी के हाथ में है. बाग की देखभाल के लिए स्थायी रूप से माली और चौकीदार भी नियुक्त किए गए हैं.

केतकी फूल की शान – Ketki Phool Ki Shan

मोहम्मदी नगर के विधायक लोकेंद्र प्रताप सिंह का यह कहना है, कि मोहम्मदी ऐतिहासिक नगर होगा, क्योंकि 1857 के स्वतंत्रता संग्राम तक मोहम्मदी भी एक जिला मुख्यालय था, स्वतंत्रता संग्राम में भी मोहम्मदी नगर और क्षेत्र का बड़ा योगदान रहा है, क्योंकि यहां खिलने वाला केतकी फूल सिर्फ मोहम्मदी जिले की ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश राज्य की भी शान है.

केतकी फूल कितने प्रकार के होते हैं?

केतकी के फूल मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं, जिनके नाम नीचे निम्नलिखित रुप में दिए गए हैं:-

केवड़ा

केतकी का फूल कैसा दिखता है - ketakee ka phool kaisa dikhata hai
केवड़ा

सुवर्ण केतकी

केतकी का फूल कैसा दिखता है - ketakee ka phool kaisa dikhata hai
सुवर्ण केतकी

केतकी के फूल के या तो प्रकार केतकी के पत्तियों में रंग के भेद के कारण बनाए गए है, जिस पुष्प में सफेद कलर की पत्तियां पाई जाती है उस भूल को केवड़ा के नाम से जाना जाता है. और जिस फूल में पीली पत्तियां पाई जाती है उसे सुवर्ण केतकी कहा जाता है.

केतकी के पौधे पर पुष्प कब लगते हैं?

केतकी के पौधे में केतकी के फूल बरसात के मौसम में लगते हैं, बरसात का मौसम शुरू होते ही केतकी के फूल केतकी के पेड़ में खिलने शुरू हो जाते हैं, केतकी के फूल खिलते ही आसपास के वातावरण में केतकी के फूल की महक फैल जाती है. इसकी खुशबू इतनी सुहावनी होती है कि आसपास के लोगों का मन मोह लेती है. इसके इतने सुगंधित होने के कारण इससे कई तरह के महंगे महंगे इत्र भी बनाए जाते हैं.

केतकी के फूलों के नाम अलग–अलग भाषा में

केतकी के फूल को अलग-अलग भाषाओं में अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे कि अंग्रेजी भाषा में केतकी के फूल को “स्क्रू पाइन” या “अम्ब्रेला ट्री” के नाम से जाना जाता है. केतकी के फूलों को वानस्पतिक नाम के समय “पैंडनस ओडोरैटिसिमस” नाम से जाना जाता है. और हिंदी में केतकी के फूल को “पुष्पिका” के नाम से जाना जाता है, साथ ही संस्कृत में इस उसको केतकी के नाम से जाना जाता है, सामान्य तौर पर स्थानीय भाषाओं में केतकी के फूल को“केउरा” के नाम से भी जाना जाता है.

FAQ

  • भगवान शिव को केतकी का फूल क्यों नही चढ़ता है?

हिंदू पुराणों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव से झूठ कहने के कारण से भगवान शिव ने केतकी के फूल को गुस्से में आकर यह श्राप दिया था, की उसका उपयोग कभी भी भगवान शिव को चढ़ाने में नही किया जाएगा.

  • केतकी का पर्यायवाची क्या होता है?

केतकी शब्द का पर्यायवाची केवड़ा होता है.

  • केतकी का दूसरा नाम क्या है?

केतकी के फूल को स्थानीय भाषा में केवड़ा के नाम से जाना जाता है. इसके कई और भी नाम है, जो ऊपर लेख में निम्नलिखित रुप से बताएं गए हैं.

  • केतकी के फूल को हिंदी में क्या बोलते हैं?

केतकी के फूल में जो सफेद रंग वाला भाग होता है, उसे केवड़ा और पीले रंग वाले भाग को सुवर्ण केतकी के नाम से जाना जाता है.

  • केतकी का फूल कैसा दिखता है?

केतकी का फूल अत्यंत ही मनोरम, मुलायम होता है. जिसके कारण यहां अत्यंत सुंदर दिखता है.

आशा करते हैं कि यह ब्लॉग आपको केतकी फूल का महत्व – Keteki Phool Ka Mahatva की पूर्ण जानकारी प्रदान करने में समर्थ रहा. अन्य महत्वपूर्ण और रोचक जानकारी के लिए हमारे अन्य ब्लॉग को अवश्य पढ़ें.

केतकी के फूल की क्या पहचान है?

केतकी का फूल सफेद एवं पीले रंग का होता है। इसमें से सफेद रंग वाले केतकी के फूल को केवड़ा भी कहा जाता है एवं जो पीले रंग का होता है उसे सुवर्ण केतकी के नाम से जाना जाता है। इस फूल की पत्तियों की पत्तियों की संख्या पांच होती है।

केतकी के फूल को हिंदी में क्या बोलते हैं?

केतकी एक हिंदी नाम ही है मतलब केतकी को हिंदी में केतकी ही बोलते है इस फूल को सामान्यता लोग केवड़ा भी बोलते है।

केतकी का दूसरा नाम क्या है?

सफेद केतकी को लोग प्राय: 'केवड़ा' के नाम से जानते और पहचानते हैं और पीली अर्थात्‌ सुवर्ण केतकी को ही केतकी कहते हैं।

केतकी का फूल कब खिलता है?

केतकी के पौधे में केतकी के फूल बरसात के मौसम में लगते हैं, बरसात का मौसम शुरू होते ही केतकी के फूल केतकी के पेड़ में खिलने शुरू हो जाते हैं, केतकी के फूल खिलते ही आसपास के वातावरण में केतकी के फूल की महक फैल जाती है. इसकी खुशबू इतनी सुहावनी होती है कि आसपास के लोगों का मन मोह लेती है.