इसके अलावा चीज़ जितना ज्यादा बासी होता है. उसका टेक्सचर उतना ही रिच हो जाता है. लेकिन पनीर को लोग फ्रेश लेना ही पसंद करते हैं. उम्मीद है अब आप की चीज़ और पनीर को लेकर कंफ्यूजन दूर हो गई होगी.. भले ही दोनों प्रोडक्ट दूध से बनते हैं लेकिन दोनों के बीच अंतर को अब आप समझ चुके होंगे Show
विषय सूची पनीर क्या है पनीर का इतिहास पनीर कैसे तैयार किया जाता है पनीर के पोषक तत्व चीज़ क्या होता है चीज़ के लाभ चीज़ के पोषक तत्व पनीर और चीज़ में क्या अंतर है पनीर पनीर क्या हैपनीर जिसे पोनीर या इंडियन कॉटेज चीज़ भी कहा जाता है, गाय और भैंस के दूध के अम्लीकरण के बाद प्राप्त अवक्षेप का ठोस रूप है। दूध के अम्लीकरण जिसे सामान्य भाषा में दूध को फाड़ना भी कहते हैं, के पश्चात दूध ठोस और पानी में अलग हो जाता है। अम्लीकरण की प्रक्रिया के लिए नींबू का रस या फटे दूध का पानी इस्तेमाल किया जाता है। दूध फटने के बाद प्राप्त अवक्षेप को छेना कहा जाता है। इसी छेने को अत्यधिक दबाव देकर इसका सारा पानी निकाल दिया जाता है और प्राप्त ठोस पनीर कहलाता है। पनीर कई तरह की सब्ज़ियां जैसे मटर पनीर, पालक पनीर, शाही पनीर, कढ़ाई पनीर, पनीर चिल्ली आदि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। पनीर का इतिहास"पनीर" जिसे आर्मेनिआई भाषा में पनिर, तुर्कीश में पेयनीर, अज़रबैजानी भाषा में पंदिर, तुर्कमेन में पेयनिर तथा पर्सियन में पनिर कहा जाता है मूल रूप से ये सभी पर्शियन भाषा से ही निकले हुए शब्द हैं। माना जाता है कि हिंदुस्तान में पनीर का प्रयोग वैदिक काल से ही होता रहा है। आर्थर बेरिएडल कैथ ने ऋग्वेद में एक जगह पनीर जैसी ही चीज़ के वर्णन का हवाला दिया है(6. 48.18) हालाँकि ओटो श्रेडर का मानना है कि यह केवल फटे दूध के अवक्षेप का वर्णन है और सही मायने में यह पनीर नहीं है। इस बात को इससे भी बल मिलता है कि प्राचीन भारतीय संस्कृति में दूध फाड़ना वर्जित माना जाता था और इसे सामाजिक स्वीकृति नहीं थी। K T Achaya ने भी दूध के अम्लीकरण को उस जमाने में निषेध बताया है। इस बात को सिद्ध करने के लिए उन्होंने कृष्ण का उदाहरण दिया है। उन्होंने बताया कि कृष्ण के वर्णन में दूध,दही, मक्खन,घी का तो वर्णन आता है पर कहीं पर पनीर जैसी किसी चीज़ का नहीं। नेशनल डेरी रिसर्च इंस्टिट्यूट अपने गैज़ेट में पनीर को भारत में लाने का श्रेय अफगान और ईरानी आक्रांताओं को बताता है। हालाँकि कई अन्य विद्वान अलग राय रखते हैं। चरक संहिता का हवाला देते हुए बी एन माथुर लिखते हैं कि 75-300 CE के दौरान कुषाण सातवाहन युग में पनीर के भारत में प्रयोग होने के प्रमाण मिले हैं। संस्कृत की किताब मनसोल्लासा में 12वीं सदी में राजा सोमेश्वर तृतीय क्षीराप्रकारा नामक एक मीठे भोजन का वर्णन करते हैं जिसे पनीर से तैयार किया जाता था। एक अन्य सिद्धांत के अनुसार भारत में सर्वप्रथम पनीर पुर्तगालियों द्वारा सत्रहवीं शताब्दी में बंगाल में लाया गया था।
पनीर कैसे तैयार किया जाता है पनीर के न्यूट्रिशनल वैल्यू Paneer nutritional informationपनीर में आमतौर पर वसा की मात्रा अपेक्षाकृत कम होती है किन्तु यह प्रोटीन का अच्छा स्रोत होता है। इसमें कैल्शियम, विटामिन बी12, सेलेनियम, फॉस्फोरस और फोलेट भी होते हैं। चीज़ क्या होता हैचीज़ एक डेयरी उत्पाद है जो कई फ्लेवर, रूप और कई टेक्सचर में पाया जाता है। पाश्चात्य देशों में चीज़ एक बहुत ही लोकप्रिय दुग्ध उत्पाद है। यह गाय, भैंस और बकरी के दूध से तैयार किया जाता है। इसको तैयार करने के लिए दूध को एक निश्चित तापमान पर गर्म कर उसका अम्लीकरण करते हैं फिर इसमें एक विशेष एंजाइम रेनेट या कुछ अन्य बैक्टीरियल एंजाइम मिलाया जाता है। इस प्रक्रिया में दूध का छेना दूध से अलग हो जाता है जिसे छानकर अलग कर लिया जाता है। इस छेने पर अत्यधिक दबाव दिया जाता है जिससे यह ठोस चीज़ में बदल जाता है। चीज़ का इतिहासचीज़ शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के caseus शब्द से हुआ माना जाता है। caseus वही शब्द है जिससे casein शब्द निकला है। प्राचीन अंग्रेजी में ciese या cese चीज़ के लिए प्रयोग होता था जो बाद chese बोला जाने लगा। यह chese ही आगे चलकर चीज़ हो गया। चीज़ का इतिहास काफी पुराना है लगभग 8000 BCE । माना जाता है चीज़ का आविष्कार यूँ ही हो गया जब मानव ने दूध रखने के लिए जानवर के पेट की थैली यानि आमाशय का इस्तेमाल किया। आमाशय में मौजूद रेनेट नाम के एंजाइम की वजह से दूध फट गया और उसका ठोस भाग पानी से अलग हो गया। चीज़ बनाने का सबसे पुराना प्रमाण 5500 BCE में पोलैंड में मिलता है। ईसाईयों के धर्मग्रन्थ बाइबिल में भी एक स्थान पर चीज़ परोसने का वर्णन मिलता है। चीज़ से लाभ
चीज़ का न्यूट्रिशनल वैल्यू : चीज़ के पोषक तत्वपनीर और चीज़ में क्या अंतर हैWhat is The Difference Between Cheese And Paneer
इस प्रकार स्पष्ट है पनीर और चीज़ दोनों दूध से बनने और लगभग समान निर्माण प्रक्रिया होने के बावजूद अलग अलग प्रोडक्ट हैं। पनीर जहाँ तात्कालिक यूज़ के लिए है वहीँ चीज़ को लम्बे समय तक यूज़ किया जा सकता है।
|