पाकिस्तान के लोकतंत्र में कौन कौन सी कठिनाई है? - paakistaan ke lokatantr mein kaun kaun see kathinaee hai?

पाकिस्तान के लोकतंत्रीकरण में कौन-कौन सी कठिनाइयाँ हैं?


पाकिस्तान के लोकतंत्रीकरण के समुख निम्नलिखित चुनोतियाँ हैं:

  1. पाकिस्तान में सेना, धर्मगुरु और भू-स्वामी अभिजनों का सामाजिक दबदबा है। इसकी वजह से कई बार निर्वाचित सरकारों को गिराकर सैनिक शासन कायम हुआ है।
  2. पाकिस्तान की भारत के साथ तनातनी रहती है। इस वजह से सेना-समर्थक समूह ज्यादा मजबूत हैं और अक्सर ये समूह दलील देते हैं कि पाकिस्तान के राजनीतिक दलों और लोकतंत्र में खोट है।
  3. राजनीतिक दलों के स्वार्थ साधन तथा लोकतंत्र की धमाचौकड़ी से पाकिस्तान की सुरक्षा खतरे में पड़ेगी। इस तरह ये ताकतें सैनिक शासन को जायज ठहराती हैं।
  4. पाकिस्तान में लोकतांत्रिक शासन चले- इसके लिए कोई खास अंतर्राष्ट्रीय समर्थन नहीं मिलता। इस वजह से भी सेना को अपना प्रभुत्व कायम करने के लिए बढ़ावा मिला है।
  5. अमरीका तथा अन्य पश्चिमी देशों ने अपने-अपने स्वार्थों से गुजरे वक्त में पाकिस्तान में सैनिक शासन को बढ़ावा दिया। इन देशों को उस आतंकवाद से डर लगता है जिसे ये देश ' विश्वव्यापी इस्लामी आतंकवाद' कहते हैं।


नेपाल के लोग अपने देश में लोकतंत्र को बहाल करने में कैसे सफल हुए?


नेपाल में समय-समय पर लोकतंत्र के मार्ग में कठिनाइयाँ आती रही हैं। नेपाल में लोकतंत्र की बहाली के लिए अनेक प्रयास किए गए थे, जिसके परिणामस्वरूप आज नेपाल में लोकतंत्र की स्थापना हो चुकी हैं। नेपाल में लोकतंत्र की बहाली के लिए किए गए प्रयासों का वर्णन निम्नलिखित है:

  1. नेपाल अतीत में एक हिन्दू-राज्य था फिर आधुनिक काल में कई सालों तक यहाँ संवैधानिक राजतंत्र रहा। संवैधानिक राजतंत्र के दौर में नेपाल की राजनीतिक पार्टियाँ और आम जनता ज्यादा खुले और उत्तरदायी शासन की आवाज उठाते रहे। लेकिन राजा ने सेना की सहायता से शासन पर पूरा नियंत्रण कर लिया और नेपाल में लोकतंत्र की राह अवरुद्ध हो गई।
  2. एक मजबूत लोकतंत्र-समर्थक आदोलन की चपेट में आकर राजा ने 1990 में नए लोकतांत्रिक संविधान की माँग मान ली। परन्तु देश में अनेक पार्टियों की मौजूदगी के कारण मिश्रित सरकारों के निर्माण होना था जो अधिक समय तक नहीं चल पाती थी। इसके चलते 2002 में राजा ने संसद को भंग कर दिया और सरकार को गिरा दिया।
  3. इसके विरुद्ध सन् 2006 में देश-व्यापी प्रदर्शन हुए जिसमें जनता माओवादी तथा सभी राजनैतिक दाल शामिल हुए। संघर्षरत लोकतंत्र-समर्थक शक्तियों ने अपनी पहली बड़ी जीत हासिल की जब 26 अप्रैल 2006 को राजा ने संसद को बहाल किया और सात दलों को मिली-जुली सरकार बनाने का न्योता भेजा।
  4. इस गठबंधन के प्रभाव के कारण राजा ने नेपाली कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष गिरिजा प्रसाद कोइराला को प्रधानमंत्री नियुक्त किया। इसके साथ ही नेपाल में संविधान का निर्माण करने के लिए संविधान सभा का भी गठन किया गया।
  5. इस संविधान सभा ने को नेपाल को एक धर्म-निरपेक्ष, संघीय, लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने की घोषणा की। राजा के सभी अधिकार ले लिए गए और यहाँ तक कि देश में राजतंत्र को भी समाप्त कर दिया गया है। नेपाल में 2015 में नया लोकतांत्रिक संविधान लागू हो गया।

 इस प्रकार हम कह सकते हैं कि नेपाल में लोकतंत्र की स्थापना तो हो गई है, परंतु वहां पर विभिन्न राजनीतिक दलों के आपसी मतभेद के चलते यह कहना थोड़ा मुश्किल हैं कि वहां पर लोकतंत्र कितना सफल हो पाएगा।


श्रीलंका के जातीय-संघर्ष में किनकी भूमिका प्रमुख है?


श्रीलंका के जातीय संघर्ष में भारतीय मूल के तमिल मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने लिट्टे नाम का एक संगठन बनाया हुआ है जो हिंसात्मक आंदोलन पर उतारू है जिसके कारण पूरा श्रीलंका जातीय संघर्ष की आग में जल रहा है। उनकी प्रमुख माँग है कि श्रीलंका के एक क्षेत्र को अलग राष्ट्र बनाया जाए।

  1. सिंहली समुदाय: श्रीलंका की राजनीति पर बहुसंख्यक सिंहली समुदाय का दबदबा रहा हैं तथा तमिल सरकार एवं नेताओं पर उनके हितों की उपेक्षा करने का दोषारोपण करते रहे हैं।
  2. तमिल अल्पसंख्यक: तमिल अल्पसंख्यक हैं। ये लोग भारत छोड़कर श्रीलंका आ बसे एक बड़ी तमिल आबादी के खिलाफ़ हैं। तमिलों का बसना श्रीलंका के आजाद होने के बाद भी जारी रहा। सिंहली राष्ट्रवादियों का मानना था कि श्रीलंका में तमिलों के साथ कोई रियायत' नहीं बरती जानी चाहिए, क्योंकि श्रीलंका सिर्फ सिंहली लोगों का है। 
  3. तमिल छापामार: तमिलों के प्रति उपेक्षा भरे बर्ताव से एक उग्र तमिल राष्ट्रवाद की भावना उत्पन्न हुई। 1983 के बाद से उग्र तमिल संगठन 'लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिटे)' श्रीलंका की सेना के साथ सशस्त्र संघर्ष कर रहा हैं। इसने 'तमिल ईलम' यानी श्रीलंका के तमिलों के लिए एक अलग देश की माँग की है। श्रीलंका के उत्तर पूर्वी हिस्से पर लिट्टे का नियंत्रण है। 


देशों की पहचान करें:

(क) राजतंत्र, लोकतंत्र-समर्थक समूहों और अतिवादियों के बीच संघर्ष के कारण राजनीतिक अस्थिरता का वातावरण बना।
(ख) चारों तरफ भूमि से घिरा देश।
(ग) दक्षिण एशिया का वह देश जिसने सबसे पहले अपनी अर्थव्यवस्था का उदारीकरण किया।
(घ) सेना और लोकतंत्र-समर्थक समूहों के बीच संघर्ष में सेना ने लोकतंत्र केऊपर बाजी मारी।
(ड) दक्षिण एशिया केकेंद्र में अवस्थित। इस देश की सीमाएँदक्षिण एशिया केअधिकांश देशों से मिलती हैं।
(च) पहले इस द्वीप में शासन की बागडोर सुल्यान केहाथ में थी। अब यह एक गणतंत्र है।
(छ) ग्रामीण क्षेत्र में छोटी बचत और सहकारी ऋण की व्यवस्था के कारण इस देश को ग़रीबी कम करने में मदद मिली है।
(ज) एक हिमालयी देश जहाँ संवैधानिक राजतंत्र है। यह देश भी हर तरफ से भूमि से घिरा है।


(क) नेपाल 
(ख) नेपाल 
(ग) श्रीलंका 
(घ) पाकिस्तान 
(ड) भारत 
(च) मालद्वीप
(छ) बांग्लादेश 
(ज) भूटान 


दक्षिण एशिया के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन गलत है?

  • दक्षिण एशिया में सिर्फ एक तरह की राजनीतिक प्रणाली चलती है।

  • बांग्लादेश और भारत ने नदी-जल की हिस्सेदारी के बारे में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

  • 'साफ्टा' पर हस्ताक्षर इस्लामाबाद के 12 वें सार्क-सम्मेलन में हुए।

  • दक्षिण एशिया की राजनीति में चीन और संयुक्त राज्य अमरीका महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।


A.

दक्षिण एशिया में सिर्फ एक तरह की राजनीतिक प्रणाली चलती है।