इस लेख में हम भारत में ऑनलाइन शिक्षा के हानि, लाभ, चुनौतियां और सरकार की नीतियों के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।
संकेत सूची (Table contents)
- प्रस्तावना
- ऑनलाइन शिक्षा से हानि
- ऑनलाइन शिक्षा से लाभ
- भारत में ऑनलाइन शिक्षा के क्षेत्र में चुनौतियां
- भारत में ऑनलाइन शिक्षा के संबंध में सरकार की रणनीतियां और योजनाएं
- उपसंहार
प्रस्तावना
COVID-19 महामारी के प्रकोप के कारण पारंपरिक शिक्षा प्रणाली में जबरदस्त बदलाव आया, जिसमें लैपटॉप और ऑनलाइन कक्षाओं ने किताबों और कक्षाओं की जगह ले ली।
इसके परिणामस्वरूप शिक्षा के क्षेत्र में डिजिटल क्रांति हुई है।
कोरोनावायरस (या कोविड -19) जैसी महामारी ने शिक्षा सहित मानव जीवन के लगभग सभी क्षेत्रों को एक आईना दिखा दिया है कि हमको अपनी जिंदगी में हर एक तरीके को अपनाना चाहिए, विशेषकर आधारभूत आवश्यकताओ में, चूंकि शिक्षा आधारभूत आवश्यकता में से एक है और मौलिक अधिकार भी है इसलिए आज के जमाने में ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने की जरूरत है।
भारत जैसे विकासशील देश में उच्च शिक्षा का स्तर थोड़ा अच्छा है लेकिन प्राथमिक शिक्षा का स्तर उतना ही निम्न है।
किसी भी देश के विकास में प्राथमिक शिक्षा महत्वपूर्ण योगदान देती है क्योंकि वह ही एक छोटे बच्चे को नैतिकता, मानवता, देशप्रेम और अन्य आधारभूत चीज़े सिखाती हैं, जो बच्चे के मानसिक, बौद्धिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए जरुरी है।
एक अच्छी प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने वाला बच्चा ही आगे जाके देश का एक जिम्मेदार नागरिक बनता है और विकास में योगदान देता है, लेकिन भारत की प्राथमिक शिक्षा परंपरागत होने के कारण बहुत ज्यादा निम्न स्तर की है, जिसके कारण शायद आज भारत आजादी के 75 साल बाद भी विकासशील ही बना है।
ऑनलाइन शिक्षा ने इस पद्धति में सुधार की एक आशा दिखाई है।
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ऑनलाइन शिक्षा से हानि
डिजिटल शिक्षा से निम्नलिखित हानियां हैं।
- महंगा: सबसे पहले हानि यह है कि डिजिटल शिक्षा थोड़ी सी महंगी पड़ जाती है, खासकर उन आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए जिनके पास दो वक्त के खाने तक के पैसे नहीं हैं, गरीबी की वजह से वो प्राथमिक स्कूल में अपने बच्चो को पढ़ा रहे थे लेकिन ऑनलाइन शिक्षा से अब उनके सामने एक मोबाइल फोन खरीदने और महंगे रिचार्ज करवाने की समस्या आ हुई इसके अलावा अधिकांश अंतर्राष्ट्रीय स्कूल और वे स्कूल जिनमें डिजिटल शिक्षा है, वे नियमित स्कूलों की तुलना में कहीं अधिक महंगे हैं।
- कोई फिक्स शेड्यूल नहीं: ऑनलाइन सीखने के लिए बहुत बेहतर प्रबंधन और कठोर कार्यक्रम की आवश्यकता होती है, जबकि पारंपरिक कक्षा प्रशिक्षण में, सब कुछ एक निश्चित कार्यक्रम के अनुसार होता है।
- रचनात्मक क्षमताओं को कम करता है: इंटरनेट पर सभी उत्तरों को आसानी से प्राप्त करने से बच्चों की अपनी रचनात्मक क्षमता भी कम हो जाती है।
- पढ़ाई के लिए आलसी दृष्टिकोण: इससे खराब अध्ययन की आदतें हो सकती हैं और बच्चों में आलसी रवैया विकसित हो सकता है। डिजिटल शिक्षा से बच्चे पढ़ाई का मूल तरीका भी भूल सकते हैं। साधारण समस्याओं और गृहकार्य के लिए भी, वे इंटरनेट से मदद लेने के आदी हैं।
- सुरक्षा: ऑनलाइन होने का मतलब यह नहीं है कि आपका बच्चा केवल अध्ययन सामग्री की तलाश में है। ऐसी कई चीजें हैं जो एक बच्चे के नजर के सामने आ सकती हैं जो उसके मानसिक और बौद्धिक स्वास्थ्य लिए अच्छी नहीं हैं।
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ऑनलाइन शिक्षा से लाभ
ऑनलाइन शिक्षा से निम्नलिखित लाभ हैं।
- व्यक्तिगत सीखने का अनुभव: पारंपरिक शिक्षा प्रणाली का एक बड़ा दोष यह है कि बहुत से छात्र रुचि की कमी का अनुभव करते हैं जब वे बाकी कक्षा के अन्य बच्चो के साथ किसी भी विशेष पाठ को समझने में सक्षम नहीं होते हैं। समकालीन डिजिटल प्रारूप शिक्षकों को किसी व्यक्ति की सीखने की गति और क्षमता के आधार पर अध्ययन सामग्री को अनुकूलित करने की अनुमति देता है। शिक्षा प्रणाली के डिजिटलीकरण के साथ शैक्षिक कार्यक्रमों का प्रभाव बढ़ रहा है।
- छात्र होशियार बनते हैं: नए शिक्षण उपकरणों और प्रौद्योगिकी के संपर्क में आने पर छात्र प्रभावी स्व-निर्देशित शिक्षण कौशल विकसित करते हैं। डिजिटल शिक्षा प्रणाली छात्रों को यह विश्लेषण करने में सक्षम बनाती है कि ऑनलाइन संसाधनों को खोजने और उनका उपयोग करने में सक्षम होने के लिए उन्हें क्या जानने की आवश्यकता है। यह उनकी दक्षता, सीखने की क्षमता और उत्पादकता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- असीमित जानकारी: इंटरनेट की दुनिया विशाल है और सूचनाओं से भरी हुई है, जिनमें से अधिकांश मुफ्त में उपलब्ध हैं। डिजिटल शिक्षा के उद्भव ने छात्रों के लिए ज्ञान के इस खजाने का पता लगाना और उसका उपयोग करना संभव बना दिया है। पहले, छात्र सूचना के सीमित स्रोतों पर भरोसा करते थे, लेकिन अब डिजिटल शिक्षा प्रणाली की बढ़ती लोकप्रियता के कारण, आवश्यक जानकारी की अनुपलब्धता अब ज्ञान प्राप्त करने में बाधा नहीं है।
- स्मार्ट क्लासरूम: चाक और टॉक पद्धति अब अतीत की बात है, और शिक्षक अधिक तकनीक-प्रेमी तरीकों का उपयोग कर रहे हैं ताकि छात्रों को यह समझने में मदद मिल सके कि सीखना और मजेदार हो सकता है। आधुनिक समय की कक्षाएं एक टीवी या प्रोजेक्टर से सुसज्जित हैं जो नियमित कक्षा सत्र से एक इंटरैक्टिव डिजिटल सत्र में स्थानांतरित करना आसान बनाता है। यह छात्रों को अधिक ध्यान दे सकता है क्योंकि वे डिजिटल दुनिया से व्यापक रूप से परिचित हैं।
- डिजिटली अपडेटेड: एक ऐसी दुनिया में जो प्रौद्योगिकी के मामले में लगातार विकसित हो रही है, अभ्यास और जानकारी आसानी से पुरानी हो सकती है, क्योंकि हमेशा कुछ नया होता रहता है। छात्रों को अद्यतन जानकारी और अन्य विषय से संबंधित विषयों से पूर्ण करना अब पसंद का विषय नहीं है, बल्कि एक अनिवार्य प्रक्रिया है। छात्र अपना अधिकांश समय अपने फोन और लैपटॉप पर बिताते हैं, इसलिए उन्हें नई प्रौद्योगिकी के लिहाज से अच्छा होना चाहिए।
- हाई एंगेजमेंट लर्निंग: पारंपरिक शिक्षा प्रणाली जुड़ाव के लिए सीमित गुंजाइश प्रदान करती है क्योंकि काम पर इसकी ताकतों में पाठ्यपुस्तक, एक प्रशिक्षक और हाथ से लिखे नोट्स जैसे सीमित कारक शामिल होते हैं, जबकि डिजीटल शिक्षा प्रणाली सीखने के लिए कई तरह के विकल्प प्रदान करती है। संसाधनों की असीमित उपलब्धता प्रत्येक सत्र को अत्यंत नवीन और आकर्षक बनाती है। इंटरैक्टिव और गेम-आधारित शिक्षण सत्र छात्रों से उच्च जुड़ाव प्राप्त करते हैं।
- साझा करने में आसानी: पारंपरिक शिक्षा प्रणाली बहुत हद तक छात्रों को हाथ से लिखे नोट्स की मोटी नोटबुक बनाए रखने पर निर्भर करती है जिसमें कक्षा में शिक्षकों द्वारा प्रदान की गई जानकारी होती है या पुस्तकालय में व्यापक शोध के माध्यम से प्राप्त की जाती है, लेकिन आधुनिक डिजिटल शिक्षा प्रणाली सब कुछ बदल देती है। अब जानकारी को संरक्षित और साझा करना केवल एक क्लिक दूर है जो छात्रों के बहुत समय और शारीरिक श्रम की बचत करता है।
- छात्रों में जवाबदेही: डिजिटल शिक्षा प्रणाली में रीयल-टाइम मूल्यांकन और सिस्टम-जनरेटेड प्रदर्शन रिपोर्ट शामिल होती है जो मूल्यांकन की पारदर्शिता को बढ़ाती है। यह छात्रों को अपने प्रदर्शन का विश्लेषण करने और अपने दम पर आवश्यक समाधान निकालने में सक्षम बनाता है। डिजिटल शिक्षा प्रणाली छात्रों को उनके परंपरागत सोच से बाहर लाती है और उन्हें स्वतंत्र विचारक बनाती है जो यह जानते हैं कि क्या पढ़ना है, कब पढ़ना है और कैसे पढ़ना है। वे अब अपने शिक्षकों और माता-पिता पर निर्भर नहीं रहते है।
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भारत में ऑनलाइन शिक्षा के क्षेत्र में चुनौतियां
भारत जैसे विकासशील देश में ऑनलाइन शिक्षा के क्षेत्र में निम्नलिखित चुनौतियां हैं।
- इंटरनेट की पहुंच: यह अनुमान लगाया गया है कि केवल 25 प्रतिशत भारतीय परिवारों के पास इंटरनेट की सुविधा है। ग्रामीण परिवारों के लिए, यह संख्या घटकर 15 प्रतिशत रह जाती है। कई ऐसे भी इलाके हैं, जहां पर एक बड़े क्षेत्र में इंटरनेट नहीं है तो ऐसे में ऑनलाइन शिक्षा एक बहुत बड़ी चुनौती है।
- शिक्षक प्रशिक्षण: भारत में ग्रामीण और कस्बे के इलाकों के शिक्षकों को ऑनलाइन माध्यमों से शिक्षा प्रदान करने के लिए पर्याप्त रूप से प्रशिक्षित नहीं किया गया है। उनको ऑनलाइन शिक्षा से संबंधित उपकरणों और विधियों के बारे में जानकारी ही नहीं है।
- कम तैयारी: भारत में अभी भी कई ऐसे सरकारी स्कूल और कॉलेज हैं जिनके पास डिजिटल शिक्षा प्रदान करने के लिए संसाधन नहीं हैं।
- विनियमन: भारत में डिजिटल शिक्षा, बुनियादी ढांचे और कई भाषाओं पर एक उचित नीति का अभाव है।
- माता-पिता की अतिरिक्त जिम्मेदारियां: माता-पिता पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है क्योंकि उनको यह सुनिश्चित करना होता है कि उनके बच्चे ऑनलाइन कक्षाओं में भाग लें और यह माता पिता के काम की उत्पादकता और समय सारणी को प्रभावित करता है।
- छात्र अनुशासन: छात्रों के लिए सीखने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए घर में अपर्याप्त जगह और शांति मिलती है, जिससे छात्र का ध्यान भटकता है और उस तरह से नहीं पढ़ पाता है जिस प्रकार से वह परंपरागत क्लास में पढ़ पाता।
- इंटरनेट की कम स्पीड: डिजिटल शिक्षा के लिए दिन में कई घंटे निर्बाध ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी की आवश्यकता होती है और भारत के ज्यादातर इलाकों में इंटरनेट की स्पीड इतनी नहीं है कि बच्चें ऑनलाइन शिक्षा का अच्छी तरह से लाभ ले पाए, कोरोना महामारी के दौरान ऐसे कई बच्चे थे जिनको इंटरनेट समस्या का सामना करना पड़ा।
- समग्र दृष्टिकोण का अभाव: डिजिटल शिक्षा इंटरनेट पर शिक्षकों द्वारा ब्लैकबोर्ड पर व्याख्यान के वीडियो के बारे में नहीं है। यह उपयुक्त प्लेटफॉर्म्स, टेक्नोलॉजी, टूल्स, इंटरएक्टिविटी, क्यूरेशन, कंटेंट और बहुत कुछ के बारे में है, इन टेक्नोलॉजीज के बारे में अभी भारत के बहुत सारे शिक्षक और माता पिता अनभिज्ञ हैं।
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भारत में ऑनलाइन शिक्षा के संबंध में सरकार की रणनीतियां और योजनाएं
भारत सरकार ने ऑनलाइन शिक्षा के संबंध में कई प्रकार की योजनाएं और रणनीतियां बनाई हैं, जो काफी हद तक प्रभावी भी रही लेकिन इतनी विशाल जनसंख्या वाले देश के लिए अभी और प्रभावी तथा व्यापक रणनीति और योजनाओं की आवश्यकता है।
भारत सरकार ने ऑनलाइन शिक्षा के संबंध में निम्नलिखित योजनाएं और रणनीतियां बनाई है।
स्वयं पोर्टल
स्वयं युवा आकांक्षी दिमाग के लिए सक्रिय शिक्षण के अध्ययन के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तहत एक कार्यक्रम है।
स्वयं प्रभा के पास शैक्षिक सामग्री को प्रसारित करने के लिए 34 डायरेक्ट-टू-होम (डीटीएच) चैनल हैं।
इन चैनलों को मुफ्त में प्रदान किया जाता है।
इसमें उच्च गुणवत्ता वाले उच्च शिक्षा और स्कूली शिक्षा के लिए अलग-अलग चैनल हैं। खास बात ये है कि ये चैनल बहुभाषी है और हर प्रकार के भारतीय के लिए मुफ्त में उपलब्ध है।
कुल मिलाकर यह कार्यक्रम गरीब छात्रों के लिए वरदान साबित हुआ है, अब छात्र अपनी भाषा में पढ़ और सीख पाएंगे।
स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग ने इन शैक्षिक चैनलों की पहुंच बढ़ाने के लिए शैक्षिक वीडियो सामग्री को प्रसारित करने के लिए निजी डीटीएच ऑपरेटरों के साथ भागीदारी की है।
ई-पाठशाला और शिक्षावाणी कार्यक्रम
Epathshala ई-पाठ्यपुस्तकों तक पहुँचने के लिए एक मोबाइल पोर्टल / ऐप है।
यह MHRD, CIET और NCERT द्वारा संयुक्त रूप से पेश किया गया था और नवंबर 2015 में लॉन्च किया गया था।
EPATHSHALA शैक्षिक संसाधनों का एक भंडारण घर है जिसे छात्रों, शिक्षकों, अभिभावकों और शोधकर्ताओं द्वारा उपयोग किया जा सकता है।
यह विभिन्न भाषाओं, अंग्रेजी, संस्कृत, उर्दू और हिंदी में उपलब्ध है, हर प्रकार के स्कूली छात्रों, जैसे 1-12 ग्रेड में छात्रों के लिए NCERT पाठ्यपुस्तकों की एक बड़ी संख्या, NCERT द्वारा ऑडियो-विजुअल संसाधन, और आवधिक, पूरक, शिक्षक प्रशिक्षण मॉड्यूल और विभिन्न अन्य प्रिंट और गैर-प्रिंट सामग्री प्रदान करता है।
उपयोगकर्ता इन सामग्रियों को ऑफ़लाइन उपयोग और असीमित डाउनलोड के लिए प्लेटफ़ॉर्म से डाउनलोड कर सकता है।
साइन लैंग्वेज वाला एक डीटीएच चैनल आखों की बीमारियों से पीड़ित छात्रों को सुनने के लिए उपलब्ध है।
रेडियो के माध्यम से प्रसारण दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले छात्रों पर केंद्रित है।
केंद्रीय शिक्षा (CBSE) के लिए केंद्रीय बोर्ड की पॉडकास्ट शिक्षा वाणी 9-12 ग्रेड के बच्चों के लिए उपलब्ध है।
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उपसंहार
अगर देखा जाए तो कोरोना महामारी ने भारत में डिजिटलीकरण के विकास में तेजी लाई है, लेकिन भारत जैसे विस्तृत और विशाल देश में ऑनलाइन शिक्षा को स्थापित करना वाकई एक बड़ी समस्या है।
भारत की लगभग 49% जनसंख्या ग्रामीण है या ऐसे इलाके से है जो समाज की मुख्य धारा से जुड़े तक नहीं है तो इस परिस्थिति में ऑनलाइन शिक्षा का संचालन और व्यवस्थापन पत्थर तोड़ने जैसा है, लेकिन सरकार की रणनीतियों ने काफी हद तक इस खाई को कम की है। काम अभी भी पूरा नहीं हुआ है, अभी भारत सरकार को अपनी नेटवर्क कनेक्टिविटी को विस्तृत और व्यापक बनाना होगा तभी जाकर देश के प्रत्येक बच्चे को ऑनलाइन शिक्षा की सुविधा मिल पाएगी।
इसके अलावा जैसे उत्तर प्रदेश की सरकार ने स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी के छात्रों के लिए फ्री में लैपटॉप, मोबाइल और टैबलेट उपलब्ध करवाने की पहल आरंभ की है वैसा ही देश के अन्य राज्यों को भी करना चाहिए, क्योंकि ऑनलाइन शिक्षा के लिए लैपटॉप, मोबाइल और टैबलेट एक अति आवश्यक जरूरत है और बहुत से लोग हैं जो ये उपकरण नहीं खरीद सकते हैं।