उदारवाद क्या है (उदारवाद का अर्थ बताइए, उदारवाद किसे कहते हैं), उदारवादी विचारधारा क्या है, उदारवाद का अर्थ बताइए, उदारवाद की विशेषताएं, उदारवाद के सिद्धांत, उदारवाद के प्रकार, उदारवाद का निष्कर्ष, उदारवाद और नव उदारवाद में अंतर आदि प्रश्नों के उत्तर यहाँ दिए गए हैं। what is liberalism in hindi, Principles of Liberalism, Types of Liberalism in hindi. Show
उदारवाद क्या है (उदारवाद का अर्थ बताइए, उदारवाद किसे कहते हैं)उदारवाद (Liberalism) वह सिद्धांत है जो समाज में सभी लोगों को समान रूप से स्वतंत्र रहने के अधिकार को दर्शाता है। यह एक नैतिक एवं राजनीतिक दर्शन है जो कानून की समानता एवं स्वतंत्रता के विचारों पर आधारित है। उदारवाद मुख्य रूप से नागरिकों के व्यक्तिगत अधिकार, लिंग समानता, धर्म निरपेक्षता, लोकतंत्र, पूंजीवाद आदि का समर्थन करता है। सामाजिक दृष्टिकोण से उदारवाद नागरिकों के लिए अधिक से अधिक स्वतंत्रता की मांग को दर्शाता है। यह एक महत्वपूर्ण राजनीतिक दर्शन है जिसकी शुरुआत 17 वीं शताब्दी में हुई थी। उदारवाद के अंतर्गत व्यक्तियों को राजनीतिक रूप से स्वतंत्रता प्राप्त होती है। उदारवाद वह विचारधारा है जो व्यक्तियों के मानसिक, सामाजिक व धार्मिक क्षेत्रों में स्वतंत्रता की मांग का समर्थन करता है। उदारवादी विचारधारा क्या हैउदारवादी विचारधारा के अंतर्गत नागरिकों के सोचने की प्रवृत्ति एवं समाज के हित में किए गए प्रयासों के परिणाम को समझाया जाता है। यह वह राजनीतिक दर्शन है जो व्यक्तिगत स्वतंत्रता का समर्थन करता है जिसके कारण इसे व्यक्तिवाद के नाम से भी जाना जाता है। उदारवादी विचारधारा पूर्ण रूप से स्वतंत्रता उदारवाद का सार माना जाता है यह विचारधारा सामाजिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है जिसके द्वारा स्वतंत्रता का संगठन करने में आसानी होती है। उदारवादी विचारधारा नागरिकों के जीवन पद्धति में स्वतंत्रता का प्रतीक है। उदारवाद में लोकतंत्र एवं व्यक्तिवाद के सिद्धांतों का मिश्रण देखा जा सकता है। उदारवाद का अर्थ बताइएउदारवाद शब्द की उत्पत्ति अंग्रेजी शब्द लिबरल (Liberal) से हुई है जिसका सामान्य अर्थ स्वतंत्रता होता है। इस संदर्भ में देश की सरकार द्वारा बिना किसी स्वार्थ के नागरिकों को पूर्ण रूप से स्वतंत्रता देना ही उदारवाद कहलाता है जिसमें अमीर-गरीब, छोटे-बड़े या लिंग आदि के रूप में किसी भी प्रकार का भेद नहीं किया जाता है। उदारवाद के अंतर्गत देश के हर नागरिक को एक विवेकशील मनुष्य मानकर उन्हें सामाजिक कार्य प्रणाली के परिणामों से अवगत कराया जाता है। उदारवाद के सिद्धांतउदारवाद का सिद्धांत पूर्णतः स्वतंत्रता के विचारों पर आधारित है। यह एक राजनीतिक सिद्धांत है जो लोक नीति के निर्माण कार्यों में व्यक्तिगत स्वतंत्रता के बल को बढ़ावा देने का कार्य करता है। उदारवाद एक बौद्धिक आंदोलन के रूप में कार्य करता है जो हर नई परिस्थितियों एवं चुनौतियां का सामना करने हेतु नए विचारों को जन्म देता है। स्पष्ट रूप से कहा जाए तो उदारवाद व्यक्ति के जीवन में स्पष्टीकरण एवं मूल्यांकन दोनों को ही स्वीकार करता है। उदारवाद महिला एवं पुरुष की एक तार्किक रचना है जो दोनों के जीवन में प्राकृतिक अधिकार के मूल्यों पर आधारित है। यह एक नागरिक समाज एवं राज्य कृत्रिम संस्था के रूप में कार्य करता है जिससे नागरिकों का संरक्षण होता है। इसके अलावा उदारवाद नागरिकों की स्वतंत्रता को बढ़ावा देने का कार्य भी करता है जिसके कारण न्यायिक प्रक्रिया बेहतर होती है। उदारवाद के प्रकारउदारवाद का कई प्रमुख चरणों में विकास हुआ है जो कुछ इस प्रकार हैं ;-
पारंपरिक या नकारात्मक उदारवादपारंपरिक या नकारात्मक उदारवाद की उत्पत्ति राजनीतिक आदर्शों की नकारात्मक पद्धति के कारण हुई थी। इसके अंतर्गत व्यक्ति अपने जीवन काल में सभी सर्वश्रेष्ठ निर्णय स्वयं ही लेते हैं जिसके कारण सामाजिक हितों में कोई अंतर्विरोध नहीं रहता। पारंपरिक या नकारात्मक उदारवाद में प्रत्येक व्यक्ति को प्राकृतिक रूप से कुछ मूल अधिकार प्राप्त होते हैं जिसके कारण स्वतंत्रता के अधिकार को प्राथमिकता मिलती है। पारंपरिक या नकारात्मक उदारवाद में संपत्ति के अधिकार को प्राकृतिक अधिकार माना जाता है जिसमें राज्य एवं सरकार हस्तक्षेप नहीं कर सकती। आधुनिक या सकारात्मक उदारवादआधुनिक या सकारात्मक उदारवाद एक ऐसी विचारधारा है जो पूर्णतः स्वतंत्रता पर आधारित है। इसके अंतर्गत निम्न वर्गीय लोगों को औपचारिक रूप से स्वतंत्रता प्राप्त होती है जिसके कारण सामान्य व्यक्तियों के आदर्शों को बढ़ाया जा सकता है। इस विचारधारा के कारण मजदूरों एवं निम्न वर्गीय लोगों को पूंजीपतियों के विरुद्ध आंदोलन करने की प्रेरणा मिली जिसके परिणाम स्वरूप समाज में उनके साथ हो रहे शोषण को रोकने में सहायता प्राप्त हुई। आधुनिक या सकारात्मक उदारवाद के कारण लोगों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता को बढ़ाया जा सका, जिसके कारण समाज में उदारवाद की एक नई व्याख्या प्रस्तुत हुई। स्वेच्छातंत्रवादआधुनिक उदारवाद के पश्चात उदारवाद के स्वरूप में हुए संशोधन को स्वेच्छातंत्रवाद के नाम से जाना जाता है। इसके अंतर्गत अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में निजीकरण का उदय हुआ, जिसके कारण उदारवाद की विचारधारा को नया स्वरूप मिला। स्वेच्छातंत्रवाद के कारण हर व्यक्ति को पूर्ण रूप से स्वतंत्रता मिलने की मांग को बढ़ाया जा सका जिससे समाज में राजनीतिक एवं धार्मिक परंपराओं को निर्धारित करने में आसानी हुई। इसके अंतर्गत मुक्त बाजार प्रणाली को न्याय पूर्ण तरीके से व्यवस्थित किया जा सका जिसके कारण व्यापार में मुनाफे को बढ़ाने में मदद मिली। स्वेच्छातंत्रवाद की सहायता से आधुनिक युग में व्यापार के नए नियमों को स्थापित किया जा सका जिससे राज्य की शक्तियों में वृद्धि हुई। समतावादसमतावाद सकारात्मक उदारवाद का एक विकसित रूप है जिसे समकालीन उदारवाद की दूसरी शाखा भी कहते हैं। समतावाद वह विचारधारा या सिद्धांत है जो समाज के सभी वर्ग के लोगों को आर्थिक एवं सामाजिक स्तर पर समानता देने के बल पर जोर देता है। यह एक सामाजिक अधिकार है जो हर व्यक्ति को समान अधिकार देने का कार्य करता है। इसके तहत हर व्यक्ति को संपत्ति पर अधिकार, भाषण की स्वतंत्रता का अधिकार, मतदान का अधिकार, सामाजिक वस्तुओं आदि पर अधिकार आदि मिलता है। सामाजिक दृष्टिकोण से समतावाद समाज के सभी वर्गों के बीच आर्थिक उत्थान को बढ़ावा मिलता है जिसके कारण विभिन्न वर्गों के बीच समानता निश्चित होती है। उदारवाद की विशेषताएं
उदारवाद का निष्कर्षआधुनिक युग में उदारवाद को सकारात्मक उदारवाद के रूप में भी देखा जा सकता है। वर्तमान में कई समाजवादी देश उदारवाद के सिद्धांतों के अनुसार अपनी नीतियों में संशोधन करते हैं जिसके परिणाम स्वरूप समय-समय पर विभिन्न राज्यों में कई सकारात्मक बदलाव किए जाते हैं। उदारवादी विचारधारा स्पष्ट रूप से पूंजीवाद की विचारधारा पर आधारित है जो लोग कल्याण हेतु अत्यंत आवश्यक है। वर्तमान समय में उदारवाद के सम्मुख पुनर्जीवित राष्ट्रवाद एक स्थाई खतरा उत्पन्न कर रहा है जिसके कारण राष्ट्रवाद के स्वरूप में विभिन्न देशों में कट्टरपंथियों का सामाजिक रुप से उदय हो रहा है। कई अर्थशास्त्रियों का मानना है कि देश की सरकार को उदारवाद के संदर्भ में कई परिवर्तन करने की आवश्यकता है जिससे नागरिकों की स्वतंत्रता के मूल सिद्धांतों को गंभीरता से पालन किया जा सके। उदारवाद और नव उदारवाद में अंतरउदारवाद एवं नव उदारवाद के अंतर कुछ इस प्रकार हैं :- उदारवाद (liberalism)
नव उदारवाद (neo-liberalism)
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उदारवादी दृष्टिकोण से आप क्या समझते हैं?उदारवाद (Liberalism) वह विचारधारा है जिसके अंतर्गत मनुष्य को विवेकशील प्राणी मानते हुए सामाजिक संस्थाओं को मनुष्यों की सूझबूझ और सामूहिक प्रयास का परिणाम समझा जाता है। उदारवाद की उतपति को 17वी शताब्दी के प्रारंभ से देखा जा सकता हैं। जॉन लॉक को उदारवाद का जनक माना जाता है।
राज्य के उदारवादी दृष्टिकोण से आप क्या समझते हैं?इस तरह हम कह सकते हैं कि उदारवादी अवधारणा के अनुसार, राज्य व्यक्ति के लिए है न कि राज्य के लिए व्यक्ति। उदारवाद के अनुसार, व्यक्ति का हित, व्यक्ति का कल्याण और व्यक्ति का कल्याण और व्यक्ति का सर्वांगीण विकास राज्य का अंतिम लक्ष्य है, जिसके लिए समाज राज्य का उपयोग एक साधन के रूप में करता है।
उदारवाद से आप क्या समझते हैं राज्य के कार्यों के उदारवादी सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए?राज्य के उदारवादी सिद्धांत की मान्यताएं
इसके अनुसार राज्य का निर्माण सभी व्यक्तियों ने मिल जुलकर सब के व्यक्तिगत लाभ के उद्देश्य से किया है । इस दृष्टि से राज्य एक कृतिम और मानव निर्मित संस्था है । राज्य एक ऐसी संस्था है, जो मनुष्य के कुछ निश्चित उद्देश्यों की पूर्ति के लिए मनुष्य द्वारा ही निर्मित की गई है ।
उदारवादी विचारक कौन कौन है?वाल्टेयर, लॉक, रुसो, कॉण्ट, एडम स्मिथ, मिल, जैफरसन, माण्टेस्कयू, लॉस्की, बार्कर जैसे विचारकों को उदारवाद को महत्वपूर्ण विचारक माना जाता है।
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