पित्त बढ़ने से कौन कौन से रोग होते हैं? - pitt badhane se kaun kaun se rog hote hain?

3 काला जीरा - काला जीरा पित्त के संतुलन में काफी सहायक होता है। अगर पित्त की समस्या है तो काले जीरे को डाइट में शामिल करें।

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4 गाय का घी -
घी तो आप खाते ही होंगे, लेकिन कोशिश करें कि गाय के घी का प्रयोग करें। यह पित्त की समस्या में लाभ देता है।

5 आंवला - आंवला रात को भिगो दें। सुबह उसी में मसलकर छान लें। अब मिश्री जीरा कूटकर मिला कर पिएं।

आयोडीन युक्त नमक का सेवन ज्यादा न करें।

फास्ट फूड, तले हुए, गरम व जलन वाले खाने से बचें।

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छोटी-सी बात पर गुस्सा आना और बहुत अधिक गुस्सा करना। नहाने के कुछ समय बाद ही शरीर से दुर्गंध आने लगना...ये इस बात के लक्षण हैं कि आपका शरीर पित्तज प्रकृति का है। यानी आपके शरीर में पित्त की अधिकता है। पित्त शरीर में अनेक स्थानों पर प्रमुखता में रहता है और इनके काम भी अलग होते हैं।

-आयुर्वेद के अनसुार, पित्त असंतुलित होने पर एक या दो नहीं बल्कि 40 प्रकार के रोग हो सकते हैं। पित्त (Pitta) कम हो तब भी व्यक्ति रोगी हो जाता है और यदि पित्त अधिक हो तब भी कई तरह के रोग घेर लेते हैं। यहां जानें किन मुख्य कारण से शरीर में पित्त की मात्रा बढ़ जाती है...
-बहुत अधिक तीखा भोजन करने से पित्त बढ़ता है।
-मानसिक तनाव के कारण पित्त बढ़ता है।
-शरीर की क्षमता से अधिक मेहनत करने पर भी पित्त दोष में वृद्धि हो जाती है।
-भूख लगने पर भोजन ना करना या बिना भूख के भी कुछ ना कुछ खाने से भी पित्त बढ़ने की समस्या हो जाती है।
-नॉनवेज अधिक खाने से भी पित्त बढ़ता है।
-जो लोग खट्टी चीजें, गर्म तासीर की चीजें और सिरके से बनी चीजों का अधिक सेवन करते हैं, उन्हें भी पित्त बढ़ने की समस्या हो जाती है।
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पित्त दोष बढ़ने के लक्षण


ऐसे पहचाने बढ़े हुए पित्त को
-अब उन लक्षणों की बात करते हैं, जिनके आधार पर आप पहचान सकते हैं कि आपके शरीर में पित्त की मात्रा बढ़ी हुई है। इन लक्षणों में- बहुत जल्दी थकना और थकान अधिक होना
-बहुत अधिक गर्मी लगना और पसीना आना
-शरीर से अधिक दुर्गंध आना
-मुंह में छाले होना या गले में सूजन इत्यादि की समस्या
-बहुत अधिक गुस्सा आना
-चक्कर आना और कभी-कभी बेहोशी की समस्या होना
-लगातार ठंडी चीजें खाने की इच्छा होना
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पित्त बढ़ने पर क्या खाएं और क्या ना खाएं


पित्त को संतुलित करने के घरेलू उपाय
-बढ़े हुए पित्त को शांत करने के लिए आप अपने खान-पान में जरूरी बदलाव करें। सबसे पहले मसालेदार भोजन करना बंद करें और नॉनवेज बिल्कुल ना खाएं।
-भोजन में देसी घी का सेवन करें।
-शरीर को ठंडक देनेवाली कच्ची सब्जियों को अधिक खाएं। जैसे खीरा, मूली, चुकंदर, ककड़ी, गाजर, ब्रोकली इत्यादि।
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पित्तज प्रकृति के लोग क्या ना खाएं?
-पित्त बढ़ा हुआ रहता है तो आपको कुछ खास चीजों का सेवन बहुत ही सीमित मात्रा में करना चाहिए। जैसे, कच्चे टमाटर ना खाएं
-ड्राईफ्रूट्स बहुत ही कम खाएं
-बादाम को रातभर पानी में भिगोकर खा सकते हैं।
-मूंगफली का सेवन कम से कम करें।
-चाय और कॉफी कम पिएं।
-अल्कोहल से दूर रहें।
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जमशेदपुर के बारीडीह के आयुर्वेदाचार्य डॉ. आनंद पाठक बताते हैं कि आर्युर्वेद में दोष को तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है, जिनकी वजह से बीमारी होती है। वात में सीनियर सिटीजन को रखा गया है, जिसके कारण उन्हें वात यानि गैस, गोड़ों में दर्द, गैस सहित इससे जुड़ी बीमारी होती है। पित्त में युवाओं को रखा गया है, जिसमें उन्हें छाती की बीमारियां, स्किन प्रॉब्लम और डायबिटीज जैसी बीमारी होती है। वहीं कफ में बच्चों को रखा गया है, जिन्हें इससे संबंधित बीमारी होती है। आज के इस आर्टिकल में हम पित्त दोष के कारण शरीर में होने वाली बीमारी पर बात करेंगे। इसके बारे में अधिक जानने के लिए पढ़ें ये आर्टिकल। 

त्रीदोष सिद्धांत स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी

एक्सपर्ट बताते हैं कि आयुर्वेद में त्रीदोष सिद्धांत का जिक्र है। ये स्वास्थ्य के लिए काफी जरूरी है। वात, कफ और पित्त पर शरीर टिका हुआ है। हम जानेंगे कि पित्त क्या है, कौन से रोग ऐसे हैं जो पित्त की श्रेणी में आते हैं। पित्त यदि ठीक न हो तो शरीर में 40 प्रकार के रोग हो सकते हैं। 

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पित्त दोष के कारण आने वाली बीमारी

1. सिर दर्द की बीमारी

आयुर्वेदाचार्य बताते हैं कि सिर में किसी भी प्रकार का दर्द, चाहे वो गर्मी की वजह से भी क्यों न हो रहा हो उसका कारण पित्त दोष हो सकता है। इससे बचाव के लिए आप डॉक्टरी सलाह ले सकते हैं।

2. गर्दन से जुड़ी बीमारी

एक्सपर्ट बताते हैं किगर्दन से जुड़ी बीमारी जैसे गर्दन में जलन, खट्टी ढकारें, किसी भी प्रकार का अल्सर पित्त दोष के कारण होता है। इन स्थितियों में भी बीमारी का लक्षण दिखने पर डॉक्टरी सलाह लेना चाहिए। 

3. पीलिया की बीमारी भी है पित्त दोष का कारण

एक्सपर्ट बताते हैं कि पित्त दोष होने के कारण लिवर से संबंधित पीलिया की बीमारी हो सकती है। ये रोग भी इसी श्रेणी में आता है, शरीर में यदि आपको इस प्रकार की समस्या हो तो डॉक्टरी सलाह लें। 

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4. स्किन में दाने व चक्कते और सफेद दाग

आयुर्वेदाचार्य बताते हैं कि स्किन संबंधी बीमारी में आने वाले रोग जैसे स्किन में दाने और चकत्तों का आना या फिर सदेफ दाग की समस्या पित्त दोष के कारण होने वाली बीमारी है। शरीर में यदि इस प्रकार की बीमारी है तो आपको डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए। 

5. मधुमेह और पैनक्रियाज से जुड़ी बीमारी

एक्सपर्ट बताते हैं कि पैनक्रियाज में इंसुलिन की कमी भी पित्त दोष के कारण होने वाली बीमारी में आती है। मधुमेह के कारण कोई भी गुप्त रोग पित्त दोष के कारण होते हैं। यदि आप भी इन बीमारी से ग्रसित हैं तो डॉक्टरी सलाह लेकर इलाज करवाएं।

6. नाभि के आसपास मरोड़े आना

एक्सपर्ट बताते हैं कि यदि आपको पेट दर्द, ब्लॉटिंग आदि की समस्याएं हो या फिर नाभि के आसपास मरोड़े आए तो तमाम बीमारी पित्त दोष की श्रेणी में आने वाली बीमारी होती है। ऐसे में आपको डॉक्टरी सलाह लेने की आवश्यकता है। 

7. पुरुषों में स्वप्न दोष की समस्या

एक्सपर्ट बताते हैं कि नाभि से नीचे की समस्या भी पित्त दोष की श्रेणी में आती है। पुरुषों की बात करें तो शीघ्रपतन, स्वप्नदोष आदि समस्याएं जो युवा अवस्था में होती है वो इसी के कारण होती है। यदि आप भी इन बीमारियों से ग्रसित हैं तो डॉक्टरी सलाह लें। 

8. महिलाओं की बीमारी

>आयुर्वेदाचार्य बताते हैं कि महिलाओं में पीरियड्स में अनियमितता, ल्यूकोरिया की समस्या, ओवेरी में छाले आदि की समस्या का कारण पित्त दोष में गड़बड़ी का होना है। शरीर में इस प्रकार की बीमारी होने पर डॉक्टरी सलाह लेकर उचित इलाज करवाना चाहिए।

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इन्हें कैसे किया जाए ठीक

>एक्सपर्ट बताते हैं कि आयुर्वेद में कहा गया है कि आवंला खट्टा होने के बावजूद पित्त को खत्म करता है। इसके लिए हमें आंवले का ज्यादा से ज्यादा सेवन करना चाहिए। आप चाहें तो इसका मुरब्बा, आचार, सूखा आंवला आदि का सेवन कर स्वास्थ्य लाभ उठा सकते हैं। इसके अलावा चंद्रभेदन प्राणायाम आदि भी इस रोग में कारगर साबित होता है। वहीं आप चाहें तो शीतली या शीतकारी प्राणायाम कर स्वास्थ्य लाभ उठा सकते हैं। ठंडी तहसीर का प्राणायाम कर अनुलोम विलोम कर फायदा उठा सकते हैं।

शीतली प्राणायाम ऐसे करें

  • इसे करने के लिए भी आप पलथी मारकर बैठ जाएं
  • शुरुआत में इसे नौ राउंड तक ही करें
  • इसके लिए जीभ को बाहर निकालें, उसे गोल घुमाकर (ट्यूब) लंबी गहरी सांस लें और दाहिने नाक से सांस छोड़ें
  • अब इसी प्रकार जीभ को बाहर निकालें, उसे गोल घुमाकर लंबी गहरी सांस लें और बाएं नाक से सांस छोड़ दें
  • इससे कूलिंग इफेक्ट फील कर पाएंगे, इसमें आप सांस को दोनों ही नाक से छोड़ें
  • रिलेक्स करने के बाद दूसरे प्राणायाम का रुख करें

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शीतकारी प्राणायाम करें

जो लोग शीतली प्राणायाम नहीं कर पाते हैं वो शीतकारी प्राणायाम कर सकते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि वो अपनी जीभ को ट्यूब नुमा आकार नहीं बना पाते हैं। ऐसे में वो इस प्राणायाम को कर सकते हैं। इसे करने के लिए

  • उपरी जबड़े वाले दांत को नीचे के जबड़े वाले दांत से मिलाएं लंबी गहरी सांस लें (सांस लेने के क्रम में सीटी जैसी आवाज आनी चाहिए)
  • दाहिने नाक को बंद करें व बाएं नाक से छोड़ दें
  • ऐसा करीब 5 बार करें
  • इसके बाद सांस लेने की इसी प्रक्रिया को करें लेकिन बाएं नाक को बंद कर दाएं नाक से छोड़ें

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पित्त से जुड़ी समस्या होने पर लें डॉक्टरी सलाह

पित्त से जुड़ी बताई गई समस्या होने पर आप चाहें तो डॉक्टरी सलाह या फिर आयुर्वेदाचार्य की सलाह ले सकते हैं। वहीं आप चाहें तो एक्सपर्ट से सलाह लेने के बाद खानपान में परिवर्तन करने के साथ योगाभ्यास कर सकते हैं।

पित्त के रोग कौन कौन से होते हैं?

पित्त दोष (Pitta Dosha) वाले लोगों को पेट में एसिडिटी और कब्ज (Acidity and Constipation ) की समस्या बनी रहती है. पित्त दोष होने पर खाना अच्छी तरह से डायजेस्ट नहीं हो पाता है. स्वस्थ रहने के लिए शरीर में पित्त का संतुलन होना जरूरी है. ऐसे लोगों को खाने में ठंडी और मीठी चीजों का सेवन करना चाहिए.

पित्त बढ़ने से क्या क्या परेशानी होती है?

त्वचा पर दाने निकल रहे हैं या सफेदी जाने की समस्या हो रही है, यहां तक की पुरुषों की नाइट फॉल यानी स्वप्न दोष की समस्या भी पित्त बढ़ने की वजह से हो सकती है. पित्त बढ़ने पर ये बीमारियां होती हैं.

पित्त बिगड़ने से क्या होता है?

जैसे- आपको काफी ज्यादा गर्मी लगती हो और पसीना भी काफी आता हो, मुंह में छाले होना, गले में सूजन आना, काफी जल्द थकाना होना, बहुत ज्यादा गुस्सा आना, लगातार ठंडी चीजें खाने की इच्छा होना और शरीर से ज्यादा दुर्गंध आना जैसे कई लक्षणों से आप पहचान सकते हैं कि आपको पित्त दोष है या फिर नहीं।

पित्त का रामबाण इलाज क्या है?

पित्त दोष को बैलेंस करने के लिए आयुर्वेदिक औषधि और डाइट.
एसिडिटी की समस्या है तो लहसुन को छोटे-छोटे टुकड़ों में करके घी से फ्राई करके इसका सेवन करें.
हल्दी मेथी और सौंठ का पाउडर दरदरा पानी पिएं। ... .
एलोवेरा , लौकी का जूस, व्हीटग्रास पित्त के लिए सबसे बेस्ट.
अवपतिकर चूर्ण और मुक्ताशुक्ति पाउडर का करें सेवन.