निम्न में अविकारी शब्द कौन से हैं? - nimn mein avikaaree shabd kaun se hain?

अव्यय(अविकारी शब्द)

वे शब्द जिनमें लिंग वचन कारक आदि के कारण कोई परिवर्तन नहीं होता उन्हें अव्यय या अविकारी शब्द कहते हैं

जैसे - कैसे,कहां,कितना।

उदाहरण

निम्न में से अविकारी शब्द है-

1. कौन 2. कब 2. किसने 4. यह

उत्तर

क्योंकि कौन प्र.व.सर्वनाम व एक वचन कर्ता है जिस पर लिंग, कारक व वचन बदलने पर परिवर्तन होता है कब एक अव्यय है जिस पर लिंग, वचन या कारक के बदलने पर कोई प्रभाव नहीं होगा इसी प्रकार किसने प्र.व.सर्वनाम एक वचन कर्ता है और यह अ.प.सर्वनाम एक वचन कर्ता है।

अव्यय के मुख्य रूप से चार भेद होते हैं -

  1. क्रिया विशेषण
  2. संबंध बोधक
  3. समुच्चय बोधक
  4. विस्मयादि बोधक

अन्य भेदों में निपात व अव्ययीभाव समास के उदाहरण है।

1. क्रिया विशेषण

क्रिया शब्दों कि विशेषता प्रकट करने वाले शब्द क्रिया विशेषण कहलाते है क्रिया विशेषण के मुख्यतः चार भेद होत है।

1. रीति वाचक क्रि.वि - कैसे

2. स्थान वाचक क्रि.वि. - कहां

3. काल वााचक क्रि.वि. - कब

4. परिमाण वाचक क्रि.वि. - कितना

रीति वाचक क्रि.वि.

क्रिया से पुर्व प्रश्नवाचक अव्यय कैसे का प्रयोग करने पर जो क्रिया विशेषण उत्तर में आये उसे रिति वाचक क्रिया विशेषण माना जाता है।

जैसे - सुन्दर, अच्छा, मीठा, धीरे-धीरे,तेज।

उदाहरण - हमारे सामने शेर अचानक आ गया

यहां कैसे से प्रश्न करने पर शेर हमारे सामने कैसे आ गया। इसका उत्तर अचानक जो कि आ गया क्रिया की विशेषता बतलाता है अतः अचानक अव्यय है।

स्थान वाचक क्रि.वि.

क्रिया से पुर्व प्रश्नवाचक अव्यय कहां का प्रयोग करने पर उत्तर में जो क्रिया विशेषण शब्द आए उसे स्थान वाचक क्रिया विशेषण माना जाता है।

जैसे - यहां,वहां,सामने,ऊपर,निचे,दाएं,बाएं।

उदाहरण - आज मैं वहां जाऊंगा।

यहां कहां से प्रश्न करने पर आज तुम कहां जाओगे। इसका उत्तर वहां जो कि जाऊंगा क्रिया की विशेषता बतलाता है अतः वहां अव्यय है।

काल वाचक क्रि.वि.

क्रिया से पहले प्रश्नवाचक अव्यय कब का प्रयोग करने पर उत्तर में जो शब्द आये वह काल वाचक क्रिया विशेषण होता है।

जैसे - कल,परसों,आज,सुबह,शाम,पहले बाद में।

उदाहरण - मोहन कल हनुमानगढ़ आयेगा।

यहां कब से प्रशन करने पर मोहन कब हनुमानगढ़ जायेगा। इसका उत्तर कल जो कि जायेगा क्रिया कि विशेषता है। अतः कल अव्यय है।

परिमाण वाचक क्रि.वि.

क्रिया से पुर्व प्रश्न वाचक अव्यय कितना का प्रयोग करने पर जो शब्द उत्तर में आये उसे परिमाण वाचक क्रिया विशेषण माना जाता है।

जैसे - कम,ज्यादा,अधिक,बहुत,थोड़ा।

उदाहरण - राम ने भोजन थोड़ा खाया है।

यहां कितना से प्रश्न करने पर राम ने कितना भोजन खाया। इसका उत्तर थोड़ा जो कि खाया क्रिया कि विशेषता है। अतः थोड़ा अव्यय है।

तथ्य

बहुत से शब्द ऐसे हैं जिनका प्रयोग विशेषण तथा क्रिया विशेषण दोनों के लिए हो जाता है

जैसे - कम,ज्यादा,अधिक,बहुत,थोड़ा,आधा पुरा,सुन्दर,अच्छा मिठा।

इन शब्दों का प्रयोग संज्ञा या सर्वनाम के लिए हो तो इन्हें विशेषण माना जायेगा, तथा इनका प्रयोग क्रिया के लिए हो तो इन्हें क्रिया विशेषण माना जायेगा।

उदाहरण

मोर सुन्दर नाचा। मोर सुन्दर है।

पहले वाक्य में सुन्दर क्रिया विशेषण है जो कि नाचा क्रिया कि विशेषता बता रहा है, जबकि दुसरे वाक्य में सुन्दर विशेषण है जो कि मोर कि विशेषता बता रहा है।

जैसे वह आम कम(क्रि.वि.) खाता है। वह कम(वि.) आम खाता है।

जिस प्रकार विशेषण शब्दों की विशेषता प्रविशेषण कहलाती है उसी प्रकार क्रिया विशेषण शब्दों कि विशेषता प्रक्रियाविशेषण कहलाती है।

उदाहरण

उदाहरण मोर बहुत सुन्दर है। मोर बहुत सुन्दर नाचा।

यहां पहले वाक्य में बहुत, सुन्दर विशेषण कि विशेषत बता रहा है। अतः यह प्रविशेषण है। दुसरे वाक्य में बहुत, सुन्दर क्रियाविशेषण कि विशेषता बता रहा है। अतः यह प्रक्रियाविशेषण है।

2. संबंध बोधक अव्यय

वे अव्यय शब्द जिनका प्रयोग वाक्य में वाक्य में प्रयुक्त क्रिया या अन्य शब्दों के साथ जोड़ने के लिए किया जाता है। उन्हें संबंध बोधक कहते है।

बहुत से शब्दों का प्रयोग क्रिया वि. तथा संबंध बोधक दोनों में होता है। जैसे यहां, वहां, ऊपर, निचे, सामने, पहले, दायें, बाएं, बाद, कम, ज्यादा,अधिक बहुत आदि।इन शब्दों से पहले कारक चिन्ह का,के,कि,रा,रे,री,ना,ने,नी,से आ जाये तो इन्हें संबंध बोधक अव्यय माना जायेगा। तथा इनसे पहले ये कारक चिन्ह न आये तो इन्हें क्रि.वि. माना जायेगा।

जैसे - राम बाद में जायेगा।

यहां बाद क्रिया विशेषण है।

राम भोजन के बाद जायेगा।

यहां बाद संबंध बता रहा है।

3. समुच्य बोधक अव्यय

दो शब्दों या वाक्यों को जोड़ने या उनमें अलगाव(अलग होना) दिखाने वाले अव्यय समुच्च बोधक अव्यय कहलाते है।

ये मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं -

  1. संयोजक
  2. विभाजक

1. संयोजक - दो शब्दों या वाक्यों को जोड़ने वाले अव्यय संयोजक कहलाते है।

जैसे - कि,और,एवं,तथा,व,इसलिए।

उदाहरण

निम्न में से भिन्न प्रकृति का समुच्य बोधक है-

1. कि 2. क्योंकि 3. ताकि 4. परन्तु

उत्तर

इनमें 'कि' भिन्न है क्योंकि कि संयोजक है तथा बाकि तीनों विभाजक समुच्य बोधक है।

2. विभाजक - दो शब्दों या दो वाक्यों में अलगाव दिखाने वाले अव्यय विभाजक कहलाते है।

जैसे- या, अथवा, अन्यथा, परन्तु, अपितु, जबकि, किन्तु।

4. विस्मयादि बोधक अव्यय

इसमें भाव का बोध होना जरूरी है

जैसे - भय,डर,घृणा,शोक,हर्ष,खेद,कष्ट आदि भावों की अभिव्यक्ति करने वाले शब्द विस्मयादि बोधक अव्यय कहलाते हैं।

उदाहरण

निम्न में से इच्छा वाचक विस्मयादिबोधक अव्यय है-

1. उफ! 2. वाह! 3. हाय! 4. क्या!

उत्तर

इनमें 'हाय!' इच्छा वाचक है। और इस इच्छा वाचक अव्यय का प्रयोग सामान्यतः महिलाओं द्वारा ही किया जाता है उदाहरण के लिए 'हाय!' यह पर्स कितना अच्छा है। यहां पर हाय! से उनकी भावना उस पर्स को पाने कि इच्छा दर्शाती है।

5. निपास

किसी सामान्य कथन को बल देकर प्रस्तुत करने के लिए निपात का प्रयोग किया जाता है।

जैसे - ही,भी तो, तक आदि।

उदाहरण

तुम तो कल जयपुर जाने वाले थे।

यहां पर 'तो ' का प्रयोग वाक्य पर बल देने के लिए कहा गया है।

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